बीमा कम्पनियों और बीमा उद्योग के निजीकरण के खिलाफ़ एक दिवसीय हड़ताल

सरकारी स्वामित्व वाली सामान्य बीमा कम्पनियों और बीमा उद्योग के निजीकरण के खिलाफ़ 17 मार्च  2021 को ज्वाइंट फोरम ऑफ ट्रेड यूनियंस एंड एसोसिएशन (JFTU) द्वारा सम्पूर्ण भारत में एक दिवसीय हड़ताल रखा गया। 

बता दें कि साल 2020-21 वित्त वर्ष का बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बीमा में एफडीआई (FDI) 49% से बढ़ाकर 74% करने और नेशनल इंश्योरेंस, न्यू इंडिया एश्योरेंस, ओरिएंटल इंश्योरेंस और यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस के निजीकरण करने की घोषणा की थी। 

इन चार सार्वजनिक क्षेत्र की साधारण बीमा कंपनियों का गठन तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी द्वारा वर्ष 1971 में सामान्य बीमा व्यवसाय के राष्ट्रीयकरण के बाद किया गया था। इंदिरा गांधी ने 107 निजी सामान्य बीमा कंपनियां जो बड़े पैमाने पर दुर्भावना और अनियमितताओं में लिप्त थीं, का  एक अध्यादेश पारित करके एक ही झटके में राष्ट्रीयकरण कर दिया था। 

बीमा कंपनियों के निजीकरण के खिलाफ़ बुलाये गये हड़ताल में JFTU ने मांग की है कि अगस्त 2017 से लंबित वेतन का पुनरीक्षण हो। 1995 की स्कीम अनुसार सभी को पेंशन दिया जाये। एनपीएस का प्रावधान रद्द किया जाए। पारिवारिक पेंशन में 30% तक वृद्धि की जाए। साथ ही पेंशन का अद्यतन यानि अपग्रेडेशन (Upgradation) हो। 

हड़ताल के दौरान एक साझा बयान जारी करके JFTU ने कहा है कि हम सार्वजनिक क्षेत्र के सामान्य बीमा उद्योग पीएसजीआई (PSGI) में ज्वाइंट फोरम ऑफ ट्रेड यूनियंस एंड एसोसिएशन (JFTU) के सदस्य, केंद्र सरकार द्वारा सार्वजनिक क्षेत्र के सामान्य बीमा उद्योग के निजीकरण के प्रयासों का विरोध करते हैं, जिसमें चार कंपनियां- नेशनल इंश्योरेंस, न्यू इंडिया ए्श्योरेंस, ओरिएंटल इंश्योरेंस और यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस शामिल हैं। 

JFTU के बयान में आगे कहा गया है कि – “केंद्रीय वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने वर्ष 2021-22 के अपने बजट भाषण में घोषणा की है कि एक सार्वजनिक क्षेत्र की सामान्य बीमा कंपनी का चालू वित्त वर्ष में पूर्ण निजीकरण किया जाएगा। इस घोषणा ने बीमा लाभ प्राप्त करने वाली जनता के बड़े हिस्से के साथ-साथ 04 पीएसजीआई (PSGI) कंपनियों के कर्मचारियों और अधिकारियों को निराश व उद्वेलित किया हैं। 

राष्ट्रीयकरण के 50 वर्षों के बाद, आज वही चार कंपनियाँ देश के हर कोने में करीब 08 हजार कार्यालयों के साथ काम कर रही हैं और इस वर्ष उन्होंने 73 हजार करोड़ रुपये का प्रीमियम अर्जित किया है। इस प्रक्रिया में चारों कंपनियों ने 02 लाख करोड़ रुपये से अधिक का एक बड़ा संपत्ति आधार बनाया है और विभिन्न सरकारी योजनाओं व पब्लिक लिमिटेड कंपनियों में 1,78,977 करोड़ रुपये का निवेश भी किया हैं। उन्होंने सरकारी योजनाओं को भी वित्तपोषित किया हैं और देश के बुनियादी ढांचे को बढ़ावा देने के लिए भी भारी निवेश किया है। 

जबकि चार राष्ट्रीयकृत कंपनियों ने तत्कालीन केंद्र सरकार द्वारा उपलब्ध कराए गए महज 19.5 करोड़ रुपये की शुरुआती पूंजी और एक हजार कर्मचारियों और तीन सौ कार्यालयों के साथ अपना कारोबार शुरू किया था। 

JFTU के बयान में आगे कहा गया है कि इन कम्पनियों ने हमारी आबादी के अत्यंत गरीब और सीमांत वर्गों को लाभान्वित करने के लिए अब तक 10 लाख करोड़ की बीमा पॉलिसी बेची हैं। 04 कंपनियों ने सफलतापूर्वक प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना-व्यक्तिगत दुर्घटना बीमा योजना को मात्र 12 रूपये की प्रीमियम में 02 लाख रुपये का बीमा उपलब्ध कराया। उन्होंने देश भर में प्रधानमंत्री बीमा योजना व फसल बीमा योजना को भी सफलतापूर्वक लागू किया है, जिसने कई गरीब किसानों को कर्ज के दलदल में फँसने से बचाया हैं। 

भारत में कई राज्य सरकारों ने इन्हीं 04 कंपनियों के माध्यम से समूह स्वास्थ्य बीमा योजनाओं को सफलतापूर्वक जारी किया है। यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड द्वारा कार्यान्वित तमिलनाडु की मुख्यमंत्री स्वास्थ्य बीमा योजना ने अत्यंत प्रशंसा अर्जित की और अन्य राज्यों के लिए एक रोल मॉडल बन गया हैं। 

आरक्षण नीति का पालन, रोज़गार का सृजन

JFTU ने चारों सरकारी बीमा कंपनियों में प्रतिनिधित्व पर अपने बयान में कहा है कि चारों कंपनियां सरकार की आरक्षण नीति को सही तरीके से लागू कर रही हैं और अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के लोगों को रोजगार सुनिश्चित कराने के अलावा हजारों युवाओं को सालाना रोजगार दे रही हैं, जैसे कि स्थायी रोजगार, एजेंट, सर्वेयर आदि के रूप में । इन बीमा कम्पनियों का निजीकरण दलित समुदायों को रोजगार से वंचित करेगा और आरक्षण नीति को भी कमजोर करेगा। 

JFTU ने देश के लाखों लोगों की उम्मीदों और सपनों को सँजोने और भविष्य को सुरक्षित करने की सार्वजनिक बीमा कंपनियों की प्रतिबद्धता पर कहा है कि इन उपलब्धियों के साथ, चारों कंपनियां भारत की संप्रभुता और हमारे आम लोगों की बचत की रक्षा करके हमारे देश की सेवा कर रही हैं। इन कंपनियों के निजीकरण के परिणामस्वरूप केवल कुछ बड़ी कॉर्पोरेट कंपनियां भारत के वित्तीय और बीमा बाजार पर कब्जा कर लेंगी और आम आदमी को सस्ती प्रीमियम पर बीमा सेवाओं से वंचित करेंगी। बीमा में विदेशी पूँजी निवेश (FDI) में बढ़ोतरी के परिणामस्वरूप विदेशी कंपनियों को भारतीय बीमा बाजार पर नियंत्रण हासिल होगा और इससे विदेशी देशों को अपनी पूंजी की वृद्धि का अवसर मिलेगा। इससे हमारी सरकार के आत्मनिर्भर भारत के दृष्टिकोण पर भी बड़ा असर पड़ेगा। 

सार्वजनिक बीमा कंपनियों के निजीकरण की खिलाफत करते हुए JFTU ने आखिर में कहा है – “राष्ट्र और उसके लोगों के हित में, हम भारत सरकार की 04 सार्वजनिक क्षेत्र की साधारण बीमा कंपनियों के प्रस्तावित निजीकरण और विदेशी पूँजी निवेश (FDI) बढ़ोतरी की निंदा करते हैं और इन्हें अविलंब वापस लेने की तथा वेतन पुनरीक्षण व पेंशन लाभ में सुधार को तुरंत लागू करने की मांग करते हैं।”

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