तालिबान और पाकिस्तान के खिलाफ जगह-जगह सड़कों पर सामने आया आम अफगानियों का गुस्सा

अफ़ग़ानिस्तान की राजधानी काबुल की सड़कों पर इस समय तालिबान और पाकिस्तान के ख़िलाफ़ विरोध मार्च निकाला जा रहा है। खास बात यह है कि इस विरोध प्रदर्शन में तालिबान से डरे बिना स्त्री पुरुष दोनों की बराबर की भागीदारी है। महिलाएं और नौजवान अपने अधिकारों की मांग करने के साथ-साथ पाकिस्तान विरोधी नारे भी लगा रहे हैं। प्रदर्शनकारी आज़ादी हमारा, ‘हमें एक ख़ुदमुख़्तार मुल्क चाहिए’, ‘हमें पाकिस्तान की कठपुतली सरकार नहीं चाहिए’, ‘पाकिस्तान अफ़ग़ानिस्तान छोड़ो’ जैसे नारे लगा रहे हैं। 

हालांकि विरोध प्रदर्शन को तितर-बितर करने के लिये तालिबान ने हवाई फायरिंग की है। साथ ही सड़कों पर खड़ी गाड़ियों में तोड़-फोड़ भी की है। इसके अलावा तालिबान गिरफ्तारियां भी कर रहे हैं। 

बता दें कि राजधानी काबुल में महिलायें लगातार तालिबान के विरोध में सड़कों पर उतर रही हैं। इससे पहले अफ़ग़ान महिलाओं ने 3 सितंबर को काबुल के डाउन टाउन इलाके में तालिबान शासन के तहत अपने अधिकारों की रक्षा के लिये विरोध मार्च में भाग लिया था। 

वहीं दूसरी ओर तालिबानी आज के विरोध प्रदर्शन को अफ़ग़ानिस्तान के तमाम हिस्सों तक और दुनिया तक पहुंचने से रोकने के लिये पत्रकारों और फोटो जर्नलिस्ट को गिरफ़्तार कर रहे हैं। टोलो न्यूज़ ने अपने एक फोटो जर्नलिस्ट की गिरफ़्तारी की पुष्टि की है। 

दर्जनों महिलाओं को ले गए और उन्हें आज के विरोध प्रदर्शन में शामिल होने से रोकने के लिए पार्किंग में रख दिया।

https://twitter.com/warcrimex/status/1434983438562443264?s=19

इससे पहले बल्ख़ प्रांत की राजधानी मज़ार-ए-शरीफ़ में सोमवार को महिलाओं के एक समूह ने अपने अधिकारों और स्वतंत्रता की मांग को लेकर रैली की थी। जबकि काबुल में पिछले दिनों से लगातार विरोध प्रदर्शन हो रहा है। 

गौरतलब है कि दो दिन पहले तालिबान ने महिलाओं और लड़कियों के लिये नया ड्रेस कोड लागू किया था। तालिबान ने अफ़ग़ानिस्तान में निजी विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में महिलाओं के लिए एक नया ड्रेस कोड और लैंगिक अलगाव का नियम लागू किया है, जो शैक्षणिक संस्थानों को जारी किए गए और आरएफई / आरएल द्वारा प्राप्त एक डिक्री के अनुरूप है।

तालिबान द्वारा संचालित शिक्षा मंत्रालय की ओर से 5 सितंबर को जारी किए गए व्यापक दस्तावेज के अनुसार, सभी महिला छात्रों, शिक्षकों और कर्मचारियों को एक इस्लामी अबाया वस्त्र और नकाब पहनना होगा, जो बाल, शरीर और अधिकांश चेहरे को कवर करता है। काले हिजाब के साथ महिलाओं को दस्ताने पहनने होंगे ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि उनके हाथ ढके हुए हैं।

साथ ही स्कूल कॉलेज यूनिवर्सिटी में सभी कक्षाओं को लैंगिक आधार (लड़की अलग, लड़का अलग) पर अलग किये जाने के निर्देश दिये गये हैं। कक्षा अलग न हो तो कम से कम एक पर्दे से विभाजित किया जाना चाहिए। तालिबान के आदेश के अनुसार महिला छात्रों को केवल अन्य महिलाओं द्वारा पढ़ाया जाना चाहिए। हालांकि, अपवाद स्वरूप यह जोड़ा गया है कि अगर महिला शिक्षक न हों तो अच्छे चरित्र के “बुजुर्ग पुरुष” पढ़ा सकते हैं।

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