इलाहाबाद विश्वविद्यालय: फीस वृद्धि आंदोलन ने लिया विस्फोटक रूप, छात्रों ने की सामूहिक आत्मदाह की कोशिश

प्रयागराज। फ़ीस वृद्धि के ख़िलाफ़ इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में आज कुलपति दफ़्तर पर 15-20 छात्रों ने पेट्रोल छिड़ककर आत्मदाह की कोशिश की। गौरतलब है कि छात्र पिछले 15 दिनों से यूनिवर्सिटी कैंपस में धरना दे रहे हैं। संयुक्त छात्र संघर्ष समिति के बैनर तले यह पूरा आंदोलन चल रहा है। जिसमें छात्र सभा, NSUI, AISA,ICM,Disha छात्र संगठन शामिल हैं। आज दिन भर हुई झमाझम बारिश के बीच भीगते हुए छात्रों ने प्रतिरोध के गीत गाये, कवितायें पढ़े और नारे लगाये और धरने पर डटे रहे। 

छात्रों द्वारा आज सामूहिक आत्मदाह के प्रयास के सवाल पर यूनिवर्सिटी के एक छात्र शशांक अनिरुद्ध कहते हैं कि महीने भर से आंदोलन चल रहा है, पहले लेफ्ट संगठनों ने 6 दिन की भूख हड़ताल की, फिर पन्द्रह दिन से संयुक्त छात्र संघर्ष समिति के बैनर तले आमरण अनशन जारी है, 7 लोग अस्पताल में भर्ती हैं, भारी संख्या में छात्रों ने जुलूस निकाला, रोज़ विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं, लेकिन कुलपति और विश्वविद्यालय प्रशासन के कान पर जूं नहीं रेंग रही। 

शशांक अनिरुद्ध आगे कहते हैं कि कुलपति मीडिया से कह रही हैं कि जो फैसला ले लिया है वो वापस नहीं होगा। ऐसी स्थिति में छात्र इस तरह के आत्मघाती कदम उठाने को मज़बूर हो गए हैं। शशांक अनिरुद्ध संघर्ष को आखिरी विकल्प बताते हुए कहते हैं कि केंद्र सरकार की नीति NEP 2020 के क्रियान्वयन में विश्वविद्यालय प्रशासन जिस तरह से तानाशाही रवैया अपनाए हुए हैं उस स्थिति में फीस वृद्धि वापस कराने के लिए छात्रों के पास उग्र आंदोलन के अतिरिक्त और कोई रास्ता नहीं है।

फ़ीस वृद्धि को लेकर इविवि कुलपति के रवैये को शर्मनाक बताते हुए आइसा अध्यक्ष विवेक ने विश्वविद्यालय प्रशासन की निष्क्रियता और निरंकुशता की कड़ी निंदा की और कहा कि किसी भी अनहोनी के लिए स्पष्ट रूप से जिम्मेदार विश्वविद्यालय प्रशासन होगा। इलाहाबाद विश्वविद्यालय में फीस वृद्धि के ख़िलाफ़ पिछले कई दिनों से चल रहा आंदोलन लगातार उग्र होता जा रहा है। बीते दिनों एक छात्र ने पुलिसिया उत्पीड़न से परेशान होकर पेट्रोल छिड़ककर आत्मदाह करने की कोशिश की थी जिस पर पुलिस ने लाठियां चलाई। आज भी दर्जनों छात्रों ने सार्वजनिक आत्मदाह करने की कोशिश की तथा एक छात्र कुलपति कार्यालय की छत पर चढ़ गया। यह सारी घटनाएं साफ तौर पर इलाहाबाद विश्वविद्यालय प्रशासन की निरंकुशता और निष्क्रियता का परिणाम है। 

नई शिक्षा नीति 2020 को लागू करने के क्रम में इलाहाबाद विश्वविद्यालय के विभिन्न कोर्स की फीस में 400% की बढ़ोत्तरी की गई है जिसके ख़िलाफ़ विश्वविद्यालय के छात्रों में भयानक आक्रोश है तथा पिछले कई दिनों से लगातार क्रमिक अनशन और भूख हड़ताल के माध्यम से छात्र फीस वृद्धि को वापस लिए जाने तथा नई शिक्षा नीति के ख़िलाफ़ प्रदर्शन कर रहे हैं। प्रदर्शन मे आइसा के राज्य सह-सचिव शशांक अनिरुद्ध,गौरव,अमित,शुभम,अनिरुद्ध व भानू इत्यादि समेत सैकड़ों छात्र-छात्राएं शामिल रहे।

आसमान में हैं ख़ुदा और विश्वविद्यालय में मैं। कुछ इसी तरह का अड़ियल रवैया अपनाते हुए कुलपति संगीता श्रीवास्तव ने फ़ीस में 400 प्रतिशत की वृद्धि कर दी। ये कहना है इविवि के एक और छात्र गौरव कुमार का। गौरव कहते हैं कि ये इलाहाबाद यूनिवर्सिटी एमिटी यूनिवर्सिटी या एलपी यूनिवर्सिटी की तर्ज़ पर तो नहीं जानी जाती है। इलाहाबाद विश्वविद्यालय ग़रीब छात्रों की शिक्षा के लिए जाना जाता है। यहां से दुष्यंत कुमार और अर्जुन सिंह से लेकर चंद्रशेखर समेत अनेकों राजनीतिज्ञ पढ़कर निकले और देश दुनिया में अपनी प्रतिष्ठा स्थापित किये।

गौरव कुमार फ़ीस वृद्धि को वर्ग से जोड़ते हुए कहते हैं कि यहां स्टेशन से अपने मां- बाप के सपनों के साथ कांधे पर आटें चावल की बोरी लादकर आने वाले छात्र हैं। यहां आप उनसे कहेंगे कि भैय्या मैं अभी तक 900 रुपये फ़ीस ले रहा था अब आपको चार हजार रुपये फ़ीस देनी होगी। ये उन्हीं ग़रीब छात्रों के हक़ हुक़ूक की लड़ाई है।

फ़ीस वृद्धि और नई शिक्षा नीति के संबंध को उजागर करते हुए गौरव कुमार कहते हैं कि जैसे देश की विभिन्न संस्थाओं, सेवाओं का निजीकरण हो रहा है उसी तरह नई शिक्षा नीति के तहत सार्वजनिक विश्वविद्यालयों में फ़ीस वृद्धि करके निजीकरण की राह पर धकेला जा रहा है। ये ग़रीब छात्रों को शिक्षा से वंचित करने की साजिश है ताकि वो पढ़ लिखकर आवाज़ न उठायें, सवाल न पूछें। निरक्षर बने रहें और पांच किलो राशन लेकर वोट देते रहें। ये लड़ाई एक लंबी लड़ाई है। जो हमें लड़नी ही है।

(प्रयागराज से जनचौक के विशेष संवाददाता सुशील मानव की रिपोर्ट।) 

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