उत्तराखंड स्पेशल रिपोर्ट: जी-20 बैठक के नाम पर रुद्रपुर में बुलडोजर से ध्वस्त कर दी गईं सैकड़ों दुकानें

रुद्रपुर। दुनिया के 20 प्रभावशाली देशों ‘ग्रुप ऑफ ट्वेंटी’ की हो रही 18वीं बैठक से होने वाले लाभ भले ही भविष्य के गर्भ में हों लेकिन इसकी बर्बादियों के निशान उत्तराखंड के रुद्रपुर शहर से दिखने शुरू हो गए हैं। जी 20 समिट की रामनगर में आयोजित होने वाली बैठक में पहुंचने वाले विदेशी मेहमानों को सड़कों के किनारे और फुटपाथों पर पसरी पड़ी भारत की वास्तविक तस्वीर नुमाया न हो इसके लिए यहां बसे लोगों को यहां से धकियाकर उजाड़ा जा रहा है।

तराई के सबसे बड़े शहर रुद्रपुर का सिटी ऑफ हार्ट कहे जाने वाले गांधी पार्क के पास भी शुक्रवार को विध्वंस की वह चिर-परिचित पटकथा लिखी गई, जिसके लिए भारतीय जनता पार्टी की विभिन्न राज्य सरकारें विख्यात हैं। तीन चार दशक से सड़क किनारे दुकान लगाकर अपने परिवार का जीवनयापन कर रहे शहर के कुल 125 दुकानदारों को एक झटके में खाकी के दम पर उजाड़ दिया गया।

जी-20 बैठक के लिए सज रहा है रामनगर

अमेरिका, अर्जेटीना, चीन, फ्रांस, जर्मनी, आस्ट्रेलिया, भारत, ब्राजील, कनाडा, इंडोनेशिया, इटली, जापान, मैक्सिको, दक्षिण कोरिया, रूस, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, तुर्किए, यूके और यूरोपीय संघ जैसे बीस देशों के समूह ‘ग्रुप ऑफ ट्वेंटी’ की सालाना होने वाली बैठक के क्रम में 18वीं बैठक की मेजबानी भारत कर रहा है। जलवायु परिवर्तन, सतत विकास, स्वास्थ्य, कृषि, ऊर्जा, पर्यावरण, सुशासन जैसे विषयों पर इस ग्रुप की बैठकों का सिलसिला भारत में 1 दिसंबर 2022 से शुरू हो चुका है जो 30 नवम्बर 2023 को समाप्त होगा।

प्रशासन का ध्वस्तीकरण अभियान

उत्तराखंड में इस शिखर सम्मेलन की तीन बैठकें प्रस्तावित हैं। मई में नरेंद्रनगर और ऋषिकेश में तथा 28 मार्च से 30 मार्च तक रामनगर में। रामनगर की इस बैठक में 76 विदेशी तथा 36 स्वदेशी मेहमान शामिल होने जा रहे हैं। जिन्हें नई दिल्ली से पंतनगर तक हवाई जहाज से और पंतनगर से रामनगर के बैठक स्थल ढिकुली तक सड़क मार्ग से पहुंचना है। सड़क के इस सफर के दौरान विदेशी मेहमानों को भारत की तस्वीर उजली ही दिखाई दे इसके लिए पंतनगर से रामनगर तक के सड़क मार्ग को दुल्हन की तरह सजाया जा रहा है।

मुख्य मार्गों को सजाने संवारने का काम युद्ध स्तर पर चल रहा है। इस रास्ते में पड़ने वाले सभी अतिक्रमण को हटाया जा रहा है। सरकारी परिसरों की बाहरी दीवारों पर कलाकारों द्वारा तस्वीरों के माध्यम से राज्य की सांस्कृतिक झांकियां उकेरी जा रही हैं। सड़कों के किनारे खड़े विद्युत व टेलीफोन के पोल्स को भी व्यवस्थित किया जा रहा है। सड़क के दोनों तरफ पेंटिंग्स और बैनर के माध्यम से रास्ते को सुंदर बनाने का काम किया जा रहा है। इस पूरे काम के लिए बीते रोज खत्म हुए प्रदेश सरकार के बजट सत्र में सौ करोड़ का भारी भरकम बजट का प्रावधान किया गया है।

मेहनतकश लग रहे हैं बदनुमा दाग

एक तरफ जहां इस बैठक को देश का गौरव बताकर इसका महिमामंडन किया जा रहा है तो वहीं विडंबना है कि भारत की जीडीपी में अपना अतुलनीय योगदान देने वाले मेहनतकश प्रशासन को उजली तस्वीर पर धब्बे जैसे दिखने लगे हैं। सड़क किनारे पड़े रहकर गुजर बसर करने वाले गरीब और छोटे मोटे फड़ लगाकर रोजी रोटी कमाने वालों पर प्रशासन का नजला बेरहमी से गिर रहा है।

दुकान को गिराता बुलडोजर

ऐसे लोग कहां जायेंगे, इसकी चिंता किए बिना इन्हें यहां से हटाने के फरमान दिए जा चुके हैं। कई जगहों पर ऐसे छिटपुट बसे लोगों को बिना विरोध के हटाया जा चुका है। रुद्रपुर के गांधी मैदान के पास के दायरे में आने वाली सैंकड़ों दुकानें भी प्रशासन की नजर में ऐसा ही बदनुमा धब्बा थीं, जिन्हें हटाया जाना जरूरी था।

दशकों पुराना है लोहिया मार्केट

रुद्रपुर के नैनीताल हाईवे पर स्थित जिस लोहिया बाजार पर शुक्रवार की सुबह तबाही बरपाने की योजना प्रशासन ने बनाई थी, वह तीन से चार दशक पुराना है। कुछ लोग इसे इससे भी पुराना बताते हैं। शुरू में लोग दिन में सड़क किनारे सामान रखकर बिक्री करते थे, रात को बचे सामान सहित घर चले जाते थे। धीरे-धीरे हाथ ठेलों रेहड़ियों के बाद यहां लोगों के फड़ लगने शुरू हो गए।

सरकारी विभागों के जिम्मेदार अधिकारियों की नजरों के सामने देखते ही देखते इस फड़ बाजार की दीवारें और फर्श पक्के होने लग गए। बिजली-पानी के कनेक्शन भी विभागों ने यहां खुले हाथों से बांटे। इस मार्केट में मोबाइल रिपेयरिंग, कपड़ा व्यापारी, फूड सेंटर से लेकर रोजमर्रा की हर जरूरत का सामान उपलब्ध था।

ध्वस्तीकरण अभियान

इसी बीच नैनीताल हाइवे को फोर लाइन करके इसे पंतनगर से जोड़े जाने की योजना के तहत नेशनल हाइवे के अधिकारी इस बाजार को हटाए जाने की जुगत बना रहे थे। लेकिन दुकानदारों की एकता और सशक्त व्यापार मंडल के साथ ही सत्ता और विपक्ष के तमाम नेताओं का समर्थन होने के कारण एनएच अधिकारियों की योजना परवान नहीं चढ़ रही थी। अधिकारियों के लिए ‘ग्रुप ऑफ ट्वेंटी’ की रामनगर बैठक समस्या के समाधान के रूप में आई। देश की छवि के नाम पर इस बाजार को उजाड़ने की तैयारी शुरू हुईं।

प्रशासन ने ऐसे बनाई रणनीति

प्रदेश की राजधानी देहरादून में खाकी की दहशत फैलाकर फड़ बाजार को सफलतापूर्वक उजाड़ने वाली राज्य सरकार बीते दिनों बेरोजगार युवाओं पर लाठीचार्ज करवाकर अभी तक कटघरे में ही खड़ी थी। जिस कारण लोहिया बाजार को सीधे न हटाकर इसके लिए विशेष रणनीति का सहारा लिया गया।

लोहिया बाजार को हटाने से एक सप्ताह पहले बाकायदा दुकानदारों को दुकान खाली करने के नोटिस दिए गए। दुकानदारों के गुस्से को परखा गया। उनके समर्थन में आने वाले नेताओं को भी चिन्हित किया गया। दुकानदारों के समर्थन में स्थानीय विधायक शिव अरोरा भी आए। लेकिन केंद्र सरकार की छवि का हवाला आते ही वह चुप हो गए। गैरसैंण में चल रहे बजट सत्र के कारण बजट सत्र खत्म होने का इंतजार किया गया।

इस दौरान व्यापारियों द्वारा धरना प्रदर्शन, खून से पत्र लिखकर न उजाड़े जाने की गुहार के साथ देवी माता की चौकी स्थापित कर सरकार को धार्मिक पिच पर घेरने का भी प्रयास होता रहा। लेकिन विध्वंस और बुलडोजर संस्कृति प्रिय सरकार पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ा।

देवी माता की चौकी स्थापित कर सरकार से गुहार

बजट सत्र निबटते ही बृहस्पतिवार की रात पुलिस लाइन में पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों की बैठक में शुक्रवार सुबह बाजार ध्वस्त करने का निर्णय लेते ही इलाके भर में मजिस्ट्रेट ने धारा 144 लगाए जाने की घोषणा कर दी।

विरोध करने वाले नेताओं को किया गया नजरबंद

पिछले एक सप्ताह से व्यापारियों के समर्थन में आने वाले सभी नेताओं को पुलिस ने शुक्रवार तड़के ही या तो अपनी हिरासत में ले लिया या फिर उन्हें उनके ही घर में नजरबंद कर दिया। व्यापार मंडल अध्यक्ष संजय जुनेजा, विधायक पुत्र गौरव बेहड़, पूर्व पालिकाध्यक्ष मीना शर्मा, पूर्व विधायक राजकुमार ठुकराल, संजय ठुकराल को गिरफ्तार कर पंतनगर पुलिस स्टेशन पहुंचाया गया।

सुबह सात बजे तक पूरे कुमाउं मंडल से बुलाई गई फोर्स को पांच किमी के दायरे में ऐसे तैनात कर दिया गया कि मौके पर परिंदा भी पर न मार सके। सुबह आठ बजे एसएसपी मंजूनाथ टीसी, एसडीएम प्रत्यूष कुमार कई और अधिकारियों के साथ मौके पर पहुंच गए। उनके निर्देश पर दस जेसीबी विध्वंस में जुट गईं। दशकों पुरानी दुकानें टूटती देखकर व्यापारी अपने आंसू नहीं रोक पा रहे थे। परिवार का पेट जिससे पलता था, पीला पंजा उसे ध्वस्त कर रहा था।

नेताओं को गिरफ्तार कर ले जाती पुलिस

फिलहाल प्रशासन की इस कार्रवाई से व्यापारियों में खासा आक्रोश है। व्यापारियों में पूरी तरह से मायूसी छाई हुई है। व्यापारियों का कहना है कि क्या इसीलिए हम लोगों ने यह सरकार चुनी कि हमारी दशकों पुरानी रोजी रोटी पर ही डंडा चलाकर हमें उजाड़ा जायेगा।

आगाज़ बता रहा है अंजाम की तस्वीर

कोई नहीं जानता कि वैश्विक स्तर पर बने ‘ग्रुप ऑफ ट्वेंटी’ की भारत में हो रही बैठकों का क्या लाभ देश की जनता को मिलेगा, लेकिन इन बैठकों की आड़ लेकर लोगों को उजाड़े जाने पर फिलहाल कई जगह गम और गुस्से का माहौल है।

मजदूर केंद्र के मुकुल का कहना है कि रुद्रपुर में भाजपा सरकार के बुलडोजर राज की धमक ने आम व्यापारियों पर कहर बरपाया है। जी 20 समिट की बैठक के बहाने दशकों से रोजी रोजगार कर रहे गरीबों और फिर व्यापारियों को उजाड़ दिया गया। इसी बहाने सरकार ने काफी समय से उजाड़े जाने की अपनी योजना को सफल बनाकर अपनी तानाशाही को मजबूती से स्थापित कर दिया। उजाड़े गए व्यापारी तो भाजपा के समर्थक भी थे, लेकिन वह भी इस बुलडोजर न्याय से बख्शे नहीं गए।

मौके पर मौजूद प्रशासनिक अधिकारी

भारतीय कम्युनिष्ट पार्टी (माले) के राज्य सचिव इंद्रेश मैखुरी ने वैकल्पिक व्यवस्था किए बिना इन व्यापारियों को उजाड़े जाने पर रोष प्रकट करते हुए कहा कि विध्वंस इस सरकार का प्रिय शगल है। नकल विरोधी अध्यादेश के जश्न में डूबी सरकार लोगों के आंसुओं की परवाह किए बिना उन्हें उजाड़ने के काम में जुटी है।

इंद्रेश मैखुरी ने कहा कि G-20 बैठक की उपलब्धियों तो भविष्य के गर्भ में हैं। लेकिन इसकी कीमत लोगों को अपनी आजीविका खोकर चुकानी पड़ रही है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है। समाजवादी लोक मंच के मुनीष कुमार ने बैठक में होने वाली चर्चा पर ही सवाल उठाते हुए कहा कि रुद्रपुर की तबाही बता रही है कि इन बैठकों में गरीबों के लिए किस प्रकार की नीतियों को बनाया जायेगा।

 (उत्तराखंड के रुद्रपुर से सलीम मलिक की रिपोर्ट)

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