कर्नाटक चुनाव में हिजाब पहनने के अधिकार की ब्रांड एंबेसडर बन गई हैं कनीज फातिमा

नई दिल्ली। कर्नाटक विधानसभा चुनाव के लिए प्रचार की समय सीमा आज शाम पांच बजे खत्म हो गयी। जीत के लिए हर प्रत्याशी अंतिम समय सीमा तक प्रचार अभियान में सक्रिय रहा। भाजपा के स्टार प्रचारकों की बात तो दूर है। अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रैलियों में कांग्रेस और गांधी परिवार पर कर्नाटक और देश तोड़ने का आरोप लगा रहे हैं। चुनाव अभियान शुरू करते समय भाजपा विकास की बात कर रही थी। लेकिन अब वह हिजाब, हलाल और सांप्रदायिक मुद्दों पर ध्रुवीकरण करने लगी है।

कर्नाटक के कुल 224 सदस्यीय विधानसभा सीटों के लिए केवल दो मुस्लिम महिला उम्मीदवार हैं। कांग्रेस ने गुलबर्गा उत्तर निर्वाचन क्षेत्र से कनीज फातिमा तो जद (एस) ने सबीना समद को उडुपी क्षेत्र की कापू सीट से मैदान में उतारा है। बीजेपी ने राज्य की कुल 224 सीटों में से किसी पर भी मुस्लिम उम्मीदवार नहीं उतारा है।

फिलहाल हम बात कर रहे हैं कांग्रेस विधायक और गुलबर्गा उत्तर निर्वाचन क्षेत्र की उम्मीदवार कनीज़ फातिमा की। उनको हिजाब पहनने के लड़कियों के अधिकार की लड़ाई लड़ने वाली महिला के रूप में जाना जाता है। कनीज फातिमा को भाजपा के लिंगायत नेता चंद्रकांत पाटिल के साथ कड़ी टक्कर का सामना करना पड़ रहा है। साथ ही इस चुनाव क्षेत्र में उनके नौ मुस्लिम प्रतिद्वंद्वी हैं। जिनमें जद (एस) के नासिर हुसैन उस्ताद भी शामिल हैं। गुलबर्गा उत्तर निर्वाचन क्षेत्र में मुस्लिमों की आबादी लगभग 60 फीसदी है। लेकिन कई मुस्लिम उम्मीदवारों के मैदान में होने से कांग्रेस उम्मीदवार को इस बार मुश्किल का सामना करना पड़ रहा है।

कनीज फातिमा 6 बार के विधायक और पूर्व मंत्री कमरुल इस्लाम की विधवा हैं। 2018 के पहले तक वह घर का काम काज देखती थीं। लेकिन पति के निधन के बाद 2018 में वह राजनीति में उतरीं। वह कलबुर्गी शहर के शैक रोज़ा क्षेत्र में चुनाव प्रचार के दौरान कहती हैं कि “कर्नाटक में कांग्रेस की जीत से देश में बदलाव की शुरुआत होगी।”

कनीज फातिमा स्वयं हिजाब पहनती हैं और 2022 में बसवराज बोम्मई के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार द्वारा लगाए गए कॉलेजों में हिजाब पर प्रतिबंध को लेकर गुलबर्गा में विरोध प्रदर्शन भी किया था। वह 2020 में सीएए विरोधी प्रदर्शनों में भाग लेने के लिए भी चर्चा में आई थीं।

फातिमा ने हिजाब विवाद के चरम पर कहा था “हिजाब पहनना हमारा अधिकार है। स्वतंत्र भारत में हमें अपनी स्वतंत्रता है। हम लोगों से उनके कपड़ों पर सवाल नहीं करते। लड़कियों को इस मुद्दे पर कॉलेजों में जाने से नहीं रोका जाना चाहिए।”

फातिमा प्रचार के दौरान कांग्रेस के वादों को बता रही हैं। साथ ही वह मतदाताओं को भाजपा से सतर्क रहने की सलाह भी देती हैं। वह स्थानीय लोगों से अपने को वोट देने का आग्रह करती हैं, फातिमा घर-घर और स्थानीय सब्जी बाजार जैसी जगहों पर प्रचार करते हुए मतदाताओं से कह रही हैं कि मुस्लिम वोटों को विभाजित नहीं होना चाहिए। “हमारे विवादों का परिणाम दूसरों को लाभ पहुंचाने वाला नहीं होना चाहिए। मेरी कोशिश सभी को एक साथ लाने की है। क़मरुल साहब सबको साथ लेकर चलते थे।”

उनके एक सहयोगी अबरार सैत कहते हैं “कई मुस्लिम उम्मीदवार मैदान में हैं लेकिन असली चुनौती जद (एस) के उम्मीदवार से है। मैडम (फातिमा) के साथ जो मुद्दा है वह यह है कि वह एक मुस्लिम महिला हैं जो चुनाव लड़ रही हैं।”

वह कहते हैं कि “जब उन्होंने राजनीति में प्रवेश किया तो वह अनुभवहीन थीं। कमरुल साहब की मौत के बाद कांग्रेस नेताओं ने उनसे चुनाव लड़ने को कहा। वह एक सभ्य ब्रांड की राजनीति करती हैं और लोगों का नाम लेने से पीछे नहीं हटतीं। इसी वजह से उन्हें पसंद किया जाता है।”

(जनचौक की रिपोर्ट।)

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