नई दिल्ली/लखनऊ। मशहूर शायर मुनव्वर राना का आज देर रात दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। वह कई दिनों से बीमार थे। उनका लखनऊ के पीजीआई में इलाज चल रहा था। उन्हें 9 जनवरी को तबीयत बिगड़ने के बाद आईसीयू में भर्ती कराया गया था। मुनव्वर को किडनी और हार्ट संबंधी कई समस्याएं थी। वह 71 वर्ष के थे। सोमवार को उनका अंतिम संस्कार किया जायेगा।
मुनव्वर राना जन्म 26 नवंबर 1952, रायबरेली, उत्तर प्रदेश में हुआ था। वह उर्दू भाषा के साहित्यकार थे। इनके द्वारा रचित एक कविता शाहदाबा के लिये उन्हें सन् 2014 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। राना ने ग़ज़लों के अलावा संस्मरण भी लिखे हैं। उनके लेखन की लोकप्रियता का अनुमान इसी बात से लगाया जा सकता है कि उनकी रचनाओं का उर्दू के अलावा अन्य भाषाओं में भी अनुवाद हुआ है।
मुनव्वर राना की शुरुआती शिक्षा-दीक्षा कोलकाता में हुई। लंबे समय तक वह कोलकाता में अपने पैतृक व्यवसाय के सिलसिले में रहे। लेकिन बाद के दिनों में वह अपना ज्यादा वक्त लखनऊ में गुजारते थे। मुनव्वर के परिवार में उनकी पत्नी, चार बेटियां और एक बेटा है।
भारत-पाकिस्तान बंटवारे के समय उनके बहुत से नजदीकी रिश्तेदार और पारिवारिक सदस्य देश छोड़कर पाकिस्तान चले गए। लेकिन साम्प्रदायिक तनाव के बावजूद मुनव्वर राना के पिता ने अपने देश में रहने को ही अपना कर्तव्य माना।
मुनव्वर राना की बेटी सुमैया और बेटे तबरेज ने बताया कि बीमारी के कारण वह 14-15 दिनों से अस्पताल में भर्ती थे। उन्हें पहले लखनऊ के मेदांता और फिर एसजीपीजीआई में भर्ती कराया गया था। जहां उन्होंने रविवार रात करीब 11 बजे अंतिम सांस ली। पिछले साल मुनव्वर राना को तबीयत खराब होने पर लखनऊ के अपोलो अस्पताल में भर्ती कराया गया था। तब भी उनकी हालत इतनी बिगड़ गई थी कि उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया था। सुमैया राना ने बताया था कि उनके पिता का स्वास्थ्य पिछले दो-तीन दिनों से खराब है। डायलिसिस के दौरान उनके पेट में दर्द था जिसके चलते डॉक्टर ने उन्हें एडमिट कर लिया। उनके गॉल ब्लैडर में कुछ दिक्कत थी, जिसके चलते उसकी सर्जरी की गई। तबीयत में सुधार नहीं हुआ तो उसके बाद वह वेंटिलेटर सपोर्ट सिस्टम पर चले गए।
मुनव्वर राना का विवादों से भी गहरा नाता रहा है और उनकी राजनीतिक-वैचारिक प्रतिबद्धता भी समय-समय पर बदलती रही है। 2022 में यूपी में हुए विधानसभा चुनाव से पहले मुनव्वर राना ने कहा था कि योगी आदित्यनाथ अगर दोबारा मुख्यमंत्री बने तो यूपी छोड़ दूंगा। दिल्ली-कोलकाता चला जाऊंगा। मेरे पिता ने पाकिस्तान जाना मंजूर नहीं किया लेकिन अब बड़े दुख के साथ मुझे यह शहर, यह प्रदेश, अपनी मिट्टी को छोड़ना पड़ेगा।
(जनचौक की रिपोर्ट।)