पहाड़ की खुरदुरी जमीन पर मोहन मुक्त ने खड़ा किया है कविता का हिमालय

वो तुम थे एक साधारण मनुष्य को सताने वाले अपने अपराध पर हँसे ठठाकर, और अपने आसपास जमा रखा मूर्खों का झुंड  अच्छाई को बुराई … Continue reading पहाड़ की खुरदुरी जमीन पर मोहन मुक्त ने खड़ा किया है कविता का हिमालय