फैज़ साहब ने लिखा है
यूं ही हमेशा उलझती रही है ज़ुल्म से ख़ल्क़
न उनकी रस्म नई है, न अपनी रीत नई
यूं ही हमेशा खिलाए हैं हमने आग में फूल
न उनकी हार नई है, न अपनी जीत नई।
वर्तमान में इसी जुल्म से उलझने की रिवायत को आगे बढ़ाते हुए जीत की तरफ पहुंचने वालों में एक नाम है रुचेल मागी (Ruchell Magee)। खबर है कि दुनिया और अमरीका में सबसे लम्बे समय से बंद राजनीतिक कैदी अब 67 साल बाद 84 साल की उम्र में रिहा किये जा रहे हैं।
रुचेल की कहानी एक ऐसे बहादुर इंसान की कहानी है जिसे शुरू में राजनीतिक कारणों से नहीं गिरफ्तार किया गया बल्कि जो अमरीकी कैदखानों के अमानवीय, जाहिल, भ्रष्ट और गरीब तथा काले लोगों के विरोधी रवैये को देखकर राजनीतिक हुआ। रुचेल ने मानवद्रोही अमरीकी कैद प्रणाली का शिकार होने से इनकार कर दिया। उन्होंने उस व्यवस्था के खिलाफ हर कदम पर लड़ाई लड़ी, जो उन्हें कानूनी दासता में रखने के लिए दृढ़ थी, न केवल अपने लिए, बल्कि दूसरों के लिए भी। रुचेल ने अपने बूते पर अपने और अन्य कैदियों के लिए बहुत सारे अद्भुत काम किए। इसी के चलते उन्हें अक्सर ‘जेलहाउस वकील’ या कैदियों का जेल का वकील या जनता का वकील कहा जाता है।
रुचेल का जनम 1939 में दक्षिणी अमरीका के लुइसियाना प्रदेश में हुआ था। वहां सरकार और गोरे आतंकी सख्त नस्लीय अलगाव लागू करते थे। 16 साल की उम्र में एक 23 वर्षीय गोरी महिला के “बलात्कार के प्रयास” के कथित जुर्म में 8 साल की सजा हुई। यहां यह बता देना वाजिब होगा की उस समय गोरी महिलाओं के खिलाफ काले पुरुषों द्वारा बलात्कार के झूठे आरोप आम थे।1962 में उसे पैरोल पर रिहा किया गया।
लेकिन वह 6 महीने के भीतर ही 10 डॉलर के गांजे की चोरी के आरोप में फिर गिरफ्तार कर लिया गया। उसे पुलिस अधिकारीयों द्वारा इतना पीटा गया कि उसे 5 दिन अस्पताल में रहना पड़ा। रुशेल ने दृढ़ता से अपने ऊपर लगाये गए आरोपों से इनकार किया, लेकिन रुचेल की मदद के लिए अदालत द्वारा नियुक्त वकील रुचेल के पक्ष में नहीं थे। उन्होंने उसके बचाव में अस्पताल में भर्ती रिकॉर्ड का उपयोग करने से इनकार कर दिया। जूरी ने रुचेल को सभी आरोपों में दोषी पाया। “बलात्कार के प्रयास” की सजा के आधार पर एक पूर्व अपराधी होने के नाते, उसे कैलिफोर्निया के ‘अनिश्चित सजा कानून’ के तहत जेल में आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई। कैलिफोर्निया का ‘अनिश्चित सजा कानून’ (indeterminate sentencing law) एक ऐसा काला कानून है जिसमें दोषी पाये गए व्यक्ति को उम्र भर की सजा सुनाई जाती है जो आम तौर पर कम से कम 25 साल या उम्र भर के बराबर होती है जिसमें पैरोल की सम्भावना रहती है।
रुचेल ने सजा के खिलाफ अपील भी की लेकिन कोई राहत न मिली। अदालत द्वारा रुचेल की मदद के नियुक्त वकील ने उसको पागल करार दिया और विरोध करने पर उसे मारा पीटा गया और सजा कायम रही। लेकिन रुशेल ने मानवद्रोही अमरीकी कैद प्रणाली का शिकार होने से इनकार कर दिया। उस व्यवस्था के खिलाफ हर कदम पर लड़ाई लड़ी। न केवल अपने लिया बल्कि औरों की मदद के लिए भी। और एक कैदी के हत्या के खिलाफ मुक़दमे में अपनी हिस्सेदारी की वजह से ही उसे अब तक पैरोल नहीं मिल सकी है।
बात 1970 की है जब रुचेल कैलिफ़ोर्निया की एक अदालत में कैदी की तरफ से वकील के तौर पर पेश हुआ। उस दिन अदालत में एक आरोपी के भाई और उसके साथियों ने बंदूकें उठा कर कहा कि उसके भाई को रिहा किया जाये। पुलिस ने सबको गिरफ्तार कर लिया और उन लोगों को गोली से मार दिया। इस घटना को कुछ काले कैदी गुलाम बगावत या दस विद्रोह भी कहते। इस घटना की जिम्मेवारी रुचेल पर डाल दी गयी। उसके बाद से रुचेल लगातार अमेरिकी कारावास प्रणाली के खिलाफ लड़ता रहा है और यही कारण है कि वो अमरीका ही नहीं वरन दुनिया का सबसे लम्बे समय तक कैद राजनितिक बन्दी है।
रुचेल दुनिया भर में राजनीतिक कैदियों के प्रतिरोध का प्रतीक है।उम्मीद है यह जीत दुनिया के सभी राजनितिक बंदियों कि रिहाई के लिए जारी संघर्ष की एक मिसाल बनेगी और सभी न्याय की आवाज़ों को ताकत देगी।
(रविंद्र गोयल सेवानिवृत प्रोफेसर हैं।)