भाजपा के लिए गंभीर चुनौती बन चुके राहुल गांधी, छवि धूमिल करने में संघ का अफवाह-तंत्र नाकाम

देश की सबसे पुरानी पार्टी और लंबे समय तक सत्ता में रही कांग्रेस ने 2014 के लोकसभा चुनाव में अपने इतिहास की सबसे शर्मनाक हार का सामना किया था। लेकिन विकास मिश्रित राष्ट्रवाद के मुद्दे पर भाजपा को ऐतिहासिक जीत दिला कर प्रधानमंत्री बने नरेंद्र मोदी अपनी इस कामयाबी से पूरी तरह संतुष्ट नहीं थे। उन्हें लगता था कि देश पर लंबे समय तक राज करने के लिए कांग्रेस का पूरी तरह नेस्तनाबूद होना जरूरी है। इसलिए उन्होंने कांग्रेस मुक्त भारत का नारा दिया था। इसी सिलसिले में भाजपा की ओर से कांग्रेस के नेता राहुल गांधी की भी एक नकारात्मक छवि बहुत ही सुनियोजित तरीके से गढ़ी गई थी। उन्हें मंद बुद्धि वाला और पार्टटाइमर राजनेता के तौर पर प्रचारित किया गया था। इसके लिए उन्हें खास तौर पर पप्पू का विशेषण दिया गया था।

राहुल गांधी को पप्पू के तौर पर प्रचारित करने के लिए भारी भरकम बजट वाला अभियान चलाया गया था, जिससे बड़ी संख्या में भाजपा के कार्यकर्ताओं को रोजगार भी मिला था। इस अभियान के तहत भाजपा का आईटी सेल जहां राहुल के तरह-तरह मीम्स, कार्टून आदि बना कर और उनके भाषणों के वीडियो से छेड़छाड़ कर उन्हें अपने कार्यकर्ताओं से सोशल मीडिया में वायरल करवाता था, वहीं टेलीविजन चैनलों की डिबेट में भाजपा के प्रवक्ता भी राहुल गांधी को पप्पू कह कर उनकी खिल्ली उड़ाते थे।

केंद्रीय मंत्री, भाजपा के मुख्यमंत्री और दूसरे नेता भी अपने भाषणों में राहुल का जिक्र इसी विशेषण के साथ करते थे। उनका अक्सर यही कहना होता था कि वे राहुल गांधी की किसी बात को गंभीरता से नहीं लेते हैं। यह और बात है कि सरकार, प्रधानमंत्री मोदी, भाजपा या आरएसएस के खिलाफ राहुल गांधी के किसी भी बयान पर प्रतिक्रिया देने के केंद्रीय मंत्रियों और भाजपा के प्रवक्ताओं की फौज मैदान में उतर आती थी। यह स्थिति आज भी बरकरार है।

राहुल को पप्पू के तौर पर प्रचारित करने के अभियान में भाजपा समर्थक पत्रकार और टीवी चैनलों के एंकरों ने भी बढ़-चढ़ कर भाग लिया था। भाजपा का यह अभियान इतना प्रभावी रहा था कि अन्य विपक्षी पार्टियों और यहां तक कि कांग्रेस के भी कई नेता व कार्यकर्ता आपसी बातचीत में राहुल का जिक्र पप्पू के तौर पर ही करने लगे थे। यानी वे भी मानने लगे थे कि राहुल गांधी वाकई मंद बुद्धि वाले नेता हैं और उनके नेतृत्व में कांग्रेस का कुछ नहीं हो सकता।

लेकिन पिछले साल जब से राहुल गांधी ने भारत जोड़ो यात्रा की है और उस यात्रा में उन्हें जैसा जन-समर्थन मिला है, उसके बाद से उनके लिए इस विशेषण का इस्तेमाल लगभग बंद हो गया है। अब भाजपा की ओर से राहुल गांधी को मंद बुद्धि वाले नेता की बजाय ‘बहुत शातिर’ और ‘देश विरोधी’ नेता बताया जाने लगा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक अपनी रैलियों में उनका नाम लिए बगैर उन्हें देश विरोधी ताकतों का समर्थक बताते हैं।

यह बड़ी हैरानी की बात है कि राहुल गांधी को पप्पू के तौर प्रचारित करने की जिस परियोजना पर भाजपा ने अरबों रुपए खर्च किए, उसे छोड़ कर अब भाजपा ने राहुल के मामले में दूसरी परियोजना शुरू कर दी है।

यह दूसरी परियोजना उन्हें रावण के रूप में प्रचारित करने की है। हाल ही में भाजपा ने सोशल मीडिया में एक पोस्टर जारी किया, जो खूब वायरल कराया गया। इस पोस्टर में राहुल गांधी को कई सिर वाले रावण की तरह दिखाया गया है। भाजपा पहले से उनका संबंध अमेरिकी कारोबारी जॉर्ज सोरोस से जोड़ती रही है लेकिन अब जॉर्ज सोरोस से उनके कथित संबंधों और विदेश के विश्वविद्यालयों व अन्य संस्थानों में दिए गए उनके भाषणों को लेकर उन्हें रावण बताया गया है।

हालांकि यह तुलना भी हास्यास्पद है और इसमें भाजपा की बौखलाहट व हताशा की झलक दिखती है। क्योंकि रावण तो महाविद्वान और इतना प्रतापी था कि इंद्र, लक्ष्मी और कुबेर उसके यहां चाकर थे। वह सोने से निर्मित लंका में रहता था और पुष्पक विमान से उड़ता था। सैकड़ों दास-दासियां उसकी सेवा में रहती थीं। अब यह सारा वैभव राहुल के पास तो है नहीं। यह सब तो जो सत्ता में रहता है उसके पास होता है। राहुल गांधी तो अभी भटक रहे हैं, खेत-खलिहानों और सड़कों की खाक छान रहे हैं।

बहरहाल, सवाल है कि भाजपा ने अचानक पप्पू से रावण में राहुल गांधी का जो रूपातंरण किया है उसके पीछे वजह क्या है? दरअसल भाजपा राहुल को हिंदू मायथोलॉजी के सबसे बड़े खलनायक रावण की तरह दिखा रही है तो इसका मतलब है कि वह राहुल गांधी को गंभीर चुनौती मानने लगी है। अब उसने राहुल का मजाक उड़ाना बंद कर दिया है और गंभीरता से उनके हमलों का मुकाबला करने की तैयारी कर रही है। एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार ने भी पिछले दिनों कहा है कि भारत जोड़ो यात्रा के बाद राहुल गांधी की छवि बदली है और एक दिन वे देश का नेतृत्व कर सकते हैं। यही तात्कालिक कारण है, जिसके बाद भाजपा को लग रहा है कि राहुल को गंभीरता से निशाना बनाने की जरूरत है।

(अनिल जैन वरिष्ठ पत्रकार हैं और दिल्ली में रहते हैं।)

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