आखिर कौन है मणिपुर का कातिल और महिलाओं का बलात्कारी?

(77 दिन बाद मणिपुर में पांच कुकी महिलाओं के साथ सरकार समर्थित भीड़ द्वारा किए जा रहे अमानवीय अत्याचार और सामूहिक बलात्कार के समय का दो महिलाओं का नग्न वीडियो सामने आया है। पीड़ित महिलाओं में से एक ने “द स्क्रोल” को बताया कि उन्हें पुलिस की कस्टडी से छीन लिया गया या पुलिस ने उन्हें दरिंदों को सौंप दिया था।)।

मणिपुर का कातिल और महिलाओं का बलात्कारी कौन ?

ओ! मेरी मातृभूमि के 140 करोड़ भाइयों, बहनों, माताओं, युवा दोस्तों मणिपुर का कातिल कौन है? उसे पहचानो। वह कौन है जो इतनी दरिंदगी और वहशत को प्रायोजित कर रहा है। इनके पीछे वे कौन सी ताकते हैं जो इस जघन्य अपराध के लिए अपने ही लोगों को तैयार करती हैं। जो हमारे लोगों के दिलो-दिमाग में नफरत हिंसा कूट-कूट कर भर देती हैं।जो हमारे ही लोगों में अन्यीकरण की खतरनाक मुहिम को संचालित कर रही हैं। जो पड़ोसी को दुश्मन बना रही हैं। कपड़ों, लिबासों, दाढ़ी, मूंछ और इबादत के तरीकों को एक दूसरे के खिलाफ खड़ा कर सत्ता का घिनौना खेल खेल रही है। 

देश वासियों इन्हें पहचानो। इनके चेहरे की क्रूरता घडियाली आंसू और पाखंडी संवेदना को समझो।

ये नरपिशाच और दरिंदे पहली बार 4 मई को मणिपुर में कलिंगपोंक की सड़कों पर ही नहीं दिखे हैं। ये वहशी जानवर हमारी अपनी बहन बेटियों को नंगा करके घुमाते सार्वजनिक रूप से बलात्कार करते उनके शरीर के गोस्त को गिद्धों की तरह से नोचते हुए पहली बार हमें नहीं दिखाई दे रहे हैं। यह अनेकानेक जगहों पर विभिन्न रूपों में हमें इसी तरह के घिनौने कृत्य में लिप्त दिखाई देते रहे हैं। आप ने ऐसे ही चेहरों को नरोदा पटिया में देखा होगा।

गुलमर्ग सोसायटी में देखा होगा।आपने इन्हें बिलकिस बानो के बलात्कार और परिवार की नृशंस हत्या करते देखा है। आप इन्हें सत्ता के सिंहासन पर बैठे हुए मनुष्यता और लोकतंत्र के हत्यारे के रूप में बार-बार देखते रहे हैं। इन लोगों ने हत्या बलात्कार को एक हथियार में बदल दिया है। यह औरत के साथ बलात्कार को किसी समाज को अपमानित करने और उसके मान सम्मान की धज्जियां उड़ाने के लिए हथियार की तरह प्रयोग करते हैं। ये वहशी दरिंदे औरत पर ताकत का वहशियाना प्रदर्शन सत्ता की भूख के लिए करते हैं।

सत्ता केंद्र में बैठे हुए सैकड़ों लोगों को आप जानते हैं। जिन्होंने हमारी बहू-बेटियों के साथ किस तरह की क्रूरताएं की हैं। आप हाथरस, कठुआ की बेटियों को नहीं भूले होंगे। न आप  सेंगर को भूले हैं ना राम रहीम और आसाराम को भूले हैं। न आप भाजपा सांसद द्वारा हमारी पहलवान बेटियों के गोश्त नोचने की खबरों से अनजान हैं। जो आज सुरक्षित सत्ता के तहखाने में बैठा हुआ देश की अस्मिता को ललकार रहा है। आप एक-एक को पहचानते हैं। यही नहीं इनके असली मालिक कौन हैं आप उन्हें भी पहचानते हैं।

ओ मेरे देशवासियों इन्हें बार-बार पहचानो। इनके चेहरे अलग-अलग हो सकते हैं ।कोई किसी भेष में हो सकता है। कोई जटा जूट बढ़ाए हो सकता है ।कोई तलवार त्रिशूल लहराते और टाई टी-शर्ट कोट पैंट कुर्ता सदरी पायजामा में हो सकता है। हो सकता है वह फुटपाथों और सड़कों पर हो। जंगलों, पहाड़ों और घाटियों में हो। बसों, ट्रेनों, जहाजों और चार्टर्ड प्लेनों व विमानों में उड़ता हुआ दिखाई दे। ये सभी दरिंदे एक ही परिवार के सदस्य हैं। उनकी ट्रेनिंग एक है।

उनकी साधना तपस्या एक हैं। इनकी संवेदना एक है। इनकी क्रूरता एक है। ये एक संप्रदाय और एक ही स्कूल के विद्यार्थी हैं। एक ही केंद्र से पढ़ा लिखा कर तैयार किए गए बर्बर क्रूर हिंसक जानवरों की जमात है। जो धर्म संसद में चीखते-चिल्लाते नरसंहार करने की गुहार लगाते हुए दिखाई दे सकते हैं या हमारे पवित्र तीर्थ स्थलों में दहाड़ते हुए मिल सकते हैं। जो हमारी आस्था के पवित्र देवस्थानों पर झुंड में इकट्ठे होकर नरसंहार के लिए ललकार सकते हैं। ये कारपोरेट नियंत्रित मीडिया के प्राइम टाइम में घिघियाते हुए देखे जा सकते हैं। ये पुरुष और औरत हो सकते हैं। नौजवान और बुजुर्ग भी हो सकते हैं। 

इनके बनावटी चेहरे करीने से सजे संवरे हो सकते हैं। चेहरे-मोहरे में विभिन्नता हो सकती है। यह कहीं छिपे हो सकते हैं। विद्यालयों में लोकतंत्र की संस्थाओं के साथ ‌राज्य और देश के मुख्यालयों में हो सकते हैं। सत्ता संस्थानों में बैठे हो सकते हैं। यह किसी पेशे में हो सकते हैं। सुरक्षाकर्मी हो सकते हैं। शिक्षक हो सकते हैं डॉक्टर हो सकते हैं मंत्री संतरी कुछ भी हो सकते हैं। यह देशभक्त होने का तमगा लटकाए घूम सकते हैं।  हिंदू बन सकते हैं। मुसलमान बन सकते हैं ईसाई बन सकते हैं। कुछ भी बन सकते हैं ।किसी समय किसी भेष को धारण कर सकते हैं।ये रंग और भेष बदलने में माहिर लोग हैं ।

नरसंहार के बाद घड़ियाली आंसू बहा सकते हैं। गर्व भी कर सकते हैं। यह माफ न करने की घोषणा कर सकते हैं। और दूसरे दिन शौर्य दिवस मना सकते हैं। इसलिए मेरे देशवासियों इनकी असलियत समझो। हमने इन्हें अपनी मातृभूमि के हर कतरे कतरे पर कब्जा करते  देखा है। इनकी वहशत और क्रूरता देखी है और देख रहे हैं ।

 यह अपने को सभ्य, शालीन, सुसंस्कृत कहने वाले लोग रात के अंधेरे में षड्यंत्र रचते हैं और सफलता पर अट्टहास करते हैं। इनके साथ डोमा उस्ताद हैं। न्यायविद हैं। कलम घसीट बुद्धिजीवी हैं। जनरल हैं। गुरु हैं शिष्य हैं। एक से बढ़कर एक समाज के प्रतिष्ठित कहे जाने वाले लोग हैं। सड़कों पर धर्म ध्वजा लहराती लंपट वाहिनी है। इनके अनेकों नाम हो सकते हैं। लेकिन कर्म एक है।

इनकी मीठी भाषा, बोली और शालीनता वाले व्यवहार के पीछे छिपी इनकी राष्ट्र और लोकतंत्र विरोधी आत्मा को पहचानो! मेरे देश के लोगों।

देश, धर्म, भाषा के प्रति हमारी आस्था के पीछे छिपे हो सकते हैं। हमारी बहू बेटियों की इज्जत सम्मान के नाम पर सत्ता में आ सकते हैं। लव जिहाद जनसंख्या जिहाद धर्मांतरण और देश की एकता-अखंडता के नारे के साथ नरसंहार करते दिखाई दे सकते हैं। इसलिए इनके चेहरे पर लगे अलग-अलग दाग को पहचानो मेरे लोगों।

अब बहुत हो चुका है। मणिपुर की हमारी बेटियों आपके साथ जो कुछ हुआ है। उससे हम देश के लोग शर्मिंदा हैं। हम कुछ भी नहीं भूले हैं। हमें एक-एक जगह का दर्द और पीड़ा कचोट रही है। हमें उन्नीस सौ 92/93 का मुंबई दिखाई दे रहा है। 2013 में मुजफ्फरनगर में हुआ कत्लेआम दिख रहा है। दिख रहा अहमदाबाद और दिल्ली। हमें साफ-साफ 2002 का गुजरात दिख रहा है। मेरे मणिपुर के भाइयों। 2023 में आपके साथ जो कुछ भी हो रहा है ।वह हमने अनेकों बार भोगा है। महसूस किया है। हमने सत्ता की दरिंदगी भोगी है। हमने आदिवासियों-किसानों-मजदूरों-छात्रों-नौजवानों के ऊपर एक से बढ़कर एक जुल्म देखे हैं।

हत्याएं देखी हैं। जलते हुए घर की आग और धुआं देखे। दिख रही है इंफाल घाटी। चूड़ा चांदपुर विशनपुर कलिंगपाक दिख रहा है। द्वापर में भरे दरबार हमने चीर खींचते हुए देखा है। सतयुग में नाक कान कटते और बेटियों का पाखंडी मर्यादा के नाम पर घर निकाला देखा है। सनातनी के नाम पर हिंदू राष्ट्र के झंडा बरदार आज फिर सरेआम जो कुछ कर रहे हैं। आधुनिक सभ्यता के चरमोत्कर्ष के दौर में सोची-समझी योजना के तहत अल्पसंख्यकों और कमजोर वर्गों  का नरसंहार करने पर आमादा हैं। सरेआम हमारी बहन-बेटियों के साथ जिस तरह का कुकृत्य कर रहे हैं। इस अपराध पर इन्हें हमारा लोकतंत्र दंडित करेगा। निश्चय ही सजा देगा।

संस्कृति, सभ्यता, राष्ट्र और धर्म के नाम पर हमारे समाज को हिंसक और क्रूर बनाने वालों का मालिक एक है। ये कारपोरेट लार्डों के गुलाम हमारे ऊपर नफरत हिंसा दंगा और नरसंहार द्वारा गुलामी थोपना चाहते हैं। पूरे देश में लोकतांत्रिक संस्थाओं को तहस-नहस कर हमारे प्रिय देश भारत को अराजकता की तरफ ले जा रहे हैं। हम जानते हैं कि फासीवाद और अराजकता के बीच चोली चोली दामन का रिश्ता है। 78  दिनों से चुप्पी साधे हुए अपराधी गिरोह किस अवसर का इंतजार कर रहे थे।

वह मुख्यमंत्री कौन सा है जो कह रहा है कि इस तरह की सैकड़ों घटनाएं हुई हैं और वह बेशर्मी के साथ कुर्सी पर बैठा हुआ है। उसकी बातों में पश्चाताप लेशमात्र भी दिखाई नहीं देता है। इस तरह से वह बेटियों के साथ हुई क्रूरता को नकारने की ढिठाई दिखा रहा है। सब जानते हैं कि मणिपुर को जला देने में किन किन का हाथ है ।कौन कहां से विध्वंस को संचालित कर रहा है । वह पूर्वोत्तर के जनजातियों के बीच में गृह युद्ध जैसे हालत पैदा कर सत्ता की ताकत को मजबूत करना चाहता है।वह देश के विभिन्न इलाकों को रौंदते बर्बाद करते हुए अंततोगत्वा हमारी सबसे खूबसूरत प्रकृति के वरदान को बारूदी गंध से भर देना चाहता है। अपने स्वार्थों की लिप्सा के लिए  सात बहनों वाले इलाके को महा शक्तियों का अखाड़ा बना देने पर आमादा है। हमें सावधान रहना है कि हमारा यह खूबसूरत इलाका वैश्विक कूटनीति का केंद्र न बन जाए। इसके पहले जागो मेरे देश के लोगों।

हम ऐसा नहीं होने देंगे। हम पूरी ताकत से बचाएंगे अपने देश को। ये हमारे लोग हैं। हमारे परिवार हैं। हमारे अपने भाई बंधुओं की रक्षा करना हम सारे भारतीयों का कर्तव्य है। इसलिए हमें एकजुट होकर इस संस्थागत क्रूरता का प्रतिवाद करना होगा। संघ और भाजपा की क्रूर फासीवादी नीतियों को शिकस्त देना होगा। विभाजनकारी नीतियों को धूल चटाना होगा और पुनः अपने महा देश में लोकतंत्र को वापस लाना होगा।

जब पूरा देश मणिपुर की बेटियों के साथ नृशंसता पर मर्माहत और अंदर से क्रोधित है। जिस समय प्रधानमंत्री घड़ियाली आंसू बहा रहे हैं। वह मणिपुर की घटना पर आंय बांय सांय बक रहे हैं। ठीक उसी समय बलात्कार के आरोपी भाजपा सांसद बृजभूषण को स्थाई जमानत मिल जाती है और हत्या बलात्कार के ज़ुर्म में आजीवन कारावास की सजा पाये भाजपाई संत राम रहीम को ढाई साल में सातवीं बार पेरोल मिलती है । इस संकेत को समझने की जरूरत है। मेरे देश के लोगों।

ओ भगत सिंह, अशफ़ाक उल्लाह, चंद्रशेखर आजाद, हसरत मोहनी, महात्मा गांधी पंडित नेहरू, नेताजी सुभाष चंद्र बोस, स्वामी सहजानंद की संतानों, वारिसों आप के कंधों पर एक बार फिर फासीवाद के खिलाफ लोकतंत्र आजादी और न्याय संविधान की रक्षा की ऐतिहासिक जिम्मेदारी आन पड़ी है। मणिपुर की बेटियों और मणिपुर के लोगों के साथ दृढ़ता पूर्वक खड़ा होने का समय है। देश के हर कोने अतरे में जहां भी कारपोरेट हिंदुत्व गठजोड़ द्वारा देश के नागरिकों के लोकतांत्रिक अधिकारों जल जंगल जमीन जीविका और जीवन पर हमला हो रहा है। हमें एकजुट प्रतिवाद में उतर जाना होगा। मणिपुर की बेटियों और भाइयों आपके ऊपर हिंदुत्व गठजोड़ के क्रूर हमले से हम अंदर से व्यथित और मर्माहत हैं। हम आपके ऊपर हो रहे राज्य प्रायोजित अत्याचार को रोक तो नहीं पाए। लेकिन इन दरिंदों को सजा देने की लड़ाई को आखरी मंजिल तक पहुंचाएंगे।

आज मणिपुर को बचाना पूर्वोत्तर को बचाना ही नहीं भारत को बचाना है। देश की विविधता को बचाना है। संविधान लोकतंत्र बचाना है। हम अपने देश को बचाने के इस लड़ाई में एकजुट होकर एक साथ कंधे से कंधा मिलाकर लड़ने के लिए कटिबद्ध हैं।

(जय प्रकाश नारायण यूपी सीपीआई एमएल कमेटी के कोर सदस्य हैं।)

0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest
0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments