असम पुलिस ने मांगे ढाई करोड़, न देने पर जिहादी बताकर ‘एनकाउंटर’ की दी धमकी

नई दिल्ली। असम में पुलिस के द्वारा एक व्यापारी को जिहादी लिंक बताकर पैसे वसूली करने का नया मामला सामने आया है। असम के बजाली जिले में एक स्थानीय व्यवसायी ने आरोप लगाया है कि पुलिस उससे जबरन वसूली कर रही थी। इस मामले में राज्य क्राइम इंवेस्टिगेशन डिपार्टमेंट (सीआईडी) ने वरिष्ठ पुलिस अधिकारी सहित नौ लोगों को गिरफ्तार किया है।

व्यवसायी रबीउल इस्लाम ने पुलिस पर आरोप लगाते हुए बताया कि उसे पुलिस ने गलत तरीके से गिरफ्तार किया और 2.5 करोड़ रुपये देने के लिए कहा। पुलिस वालों ने रबीउल से ये भी कहा कि अगर वो पैसे नहीं देता है या पैसे देने से मना करता है तो उसे एनकाउंटर में मार दिया जाएगा और फिर “पाकिस्तानी और बांग्लादेशी जिहादियों के साथ संबंध” बताकर उसकी मौत को कानूनी तौर पर जायज ठहरा दिया जाएगा। अपनी शिकायत में, रबीउल इस्लाम ने कहा कि उसे धमकी देने वाला एक ऐसा व्यक्ति था जो खुद को “एनकाउंटर स्पेशलिस्ट” बता रहा था।

सोमवार को असम पुलिस ने एसपी सिद्धार्थ बुरागोहेन को गिरफ्तार कर लिया है। सिद्धार्थ बुरागोहेन 2014 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं और दो दिन पहले ही बजाली पुलिस स्टेशन से असम पुलिस मुख्यालय में इनका ट्रांसफर हुआ था। मुख्यालय में नियुक्त पुलिस उपाधीक्षक पुष्कल गोगोई, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक गायत्री सोनोवाल, उनके पति सुभाष चंदर, उप-निरीक्षक देबजीत गिरी और कांस्टेबल इंजमामुल हसन को भी गिरफ्तार किया गया। गिरफ्तार किए गए तीन अन्य लोगों में एक किशोर बरुआ और पुलिस ड्राइवर नबीर अहमद और दीपजॉय कलिता शामिल थे।

शुक्रवार को असम के डीजीपी जीपी सिंह ने कहा कि बजाली पुलिस अधिकारियों द्वारा पैसे की उगाही के शिकायत के बाद डायरेक्टरेट ऑफ विजिलेंस एंड एंटी-करप्शन ने इन पुलिस वालों को रंगे हाथ पकड़ने के लिए जाल बिछाया था, लेकिन पुलिस वाले सावधान थे इसलिए वो झांसे में नहीं आए। हालांकि, उन्होंने कहा कि एफआईआर दर्ज हो गई है क्योंकि उनके खिलाफ शिकायत प्रथम दृष्टया सही पाया गया।

डीजीपी ने आगे कहा कि उनके खिलाफ कार्रवाई जारी है। हर बार की तरह, हम भ्रष्ट आचरण के खिलाफ निरंतर और ठोस कार्रवाई के लिए प्रतिबद्ध हैं।

31 अगस्त को, रबीउल इस्लाम की बातों के आधार पर, असम सीआईडी ने बजाली पुलिस के खिलाफ आईपीसी की कई धाराओं के तहत एक एफआईआर दर्ज की। जिसमें हत्या का प्रयास, जबरन वसूली के लिए मौत का डर पैदा करना, आपराधिक धमकी, गलत तरीके से हिरासत में लेना और आपराधिक साजिश को अंजाम देना शामिल है। एफआईआर में नामित छह आरोपी बुरागोहेन, सोनोवाल, गोगोई, गिरि और दो अन्य पुलिसकर्मी थे। पताचार्कुची पुलिस स्टेशन के प्रभारी अधिकारी अर्नब ज्योति पाटिल और भबनीपुर चौकी के एक एएसआई शशांक दास।

अपनी शिकायत में रबीउल ने बताया कि पुलिस वालों ने उसे 16 जुलाई से तंग करना शुरु कर दिया था। 16 जुलाई को पुलिसकर्मी रात करीब 1.30 बजे अचानक से उसके घर में घुस आए और उसे बाहर खींचकर ले गए। उससे “ड्रग्स और नकदी” के बारे में पूछने लगे, जिसके बारे में रबीउल ने कहा कि उसे कुछ नहीं पता।

पुलिस द्वारा रबीउल के साथ साजिश के तहत डराने और धमकाने को लेकर शिकायत में कहा है कि उस रात पुलिस अधिकारियों ने उसके साथ “कम से कम दो से तीन घंटे तक उसकी पिटाई की और उसे टॉर्चर करते रहे”, फिर बिना किसी वारंट के उसके घर की तलाशी ली और कई सामान उठाकर ले गए। पुलिस वाले उसे और उसके दो रिश्तेदारों को भबनीपुर पुलिस स्टेशन ले गए जहां उसे गलत तरीके से हिरासत में लिया गया।

पुलिस द्वारा अपने साथ किए गए दुर्व्यवहार का आरोप लगाते हुए, उसने कहा है कि हिरासत में लेने के अगले दिन दोपहर में उसे एसपी के आवास पर ले जाया गया। जहां उससे एसपी ने पूछा कि अवैध सामान कहां रखे हैं। इस पूछताछ के दौरान पुलिस वाले उसे मार भी रहे थे। इसके बाद पुलिस ने रबीउल को वापस थाना में लेकर आए, जहां उसके साथ लगातार मार-पीट किया जा रहा था और उसे आरोपों को स्वीकार करने का दबाव बनाया जा रहा था। पुलिस ने कथित तौर पर उस दिन उसके कार्यालय और उसके ससुराल दोनों जगह पर तलाशी ली।

शिकायत में रबीउल ने कहा कि देर रात भबनीपुर पुलिस स्टेशन के प्रभारी ने उसे एक गाड़ी में बैठाया, जिसमें पहले से दो व्यक्ति साधारण कपड़ों में और एक वर्दी पहने बैठा हुआ था। इसके बाद पुलिस उसे एक डिटर्जेंट फैक्ट्री में लेकर गई। रबीउल ने आगे बताया कि, फैक्ट्री में पहुंचने के बाद फिल्मी स्टाइल में पुलिस वालों ने मुझे भागने के लिए कहा, और बताया कि असम डीजीपी के निर्देशानुसार वे मुझे अपने हैंडगन से गोली मार देंगे।

रबीउल ने कहा कि “उसी वक्त, दूसरी कार से एक अन्य व्यक्ति, जो हमारा पीछा कर रहा था, मेरे पास आया और मुझसे हिंदी में कहा कि मुझे यह स्वीकार करना होगा कि मेरे जिहादियों के साथ संबंध हैं और मैंने अपनी सभी संपत्तियां अवैध रूप से हासिल की हैं।”

रबीउल ने बताया कि जब मैंने ऐसा करने से मना कर दिया, तो एक पुलिस वाले ने “बंदूक निकाली और मुझे गोली मारने की कोशिश की और मुझसे 2.5 करोड़ रुपये की मांग की। उसने मुझसे कहा कि वह एक एनकाउंटर स्पेशलिस्ट है और अगर मैंने उक्त राशि का भुगतान नहीं किया, तो वह मुझे मार डालेगा। पुलिस इसे एनकाउंटर का नाम देकर यह साबित कर देगी कि मेरे पाकिस्तानी और बांग्लादेशी जिहादियों के साथ संबंध हैं।”

रबीउल ने आरोप लगाया कि जब उसने पैसों की मांग वाली बात मान ली तो उसे पुलिस स्टेशन वापस ले जाया गया। उसने दावा किया कि 10 लाख रुपये नकद दिए और उनकी मां ने अपने बैंक खाते से 10-10 लाख रुपये के 21 चेक जारी किए। हालांकि, रबीउल ने आरोप लगाया कि उन्हें अभी भी रिहा नहीं किया गया था और एएसपी गायत्री सोनोवाल ने उनसे 2.5 करोड़ रुपये और मांगे। रबीउल ने कहा कि यह मांग “भबनीपुर चौकी के प्रभारी अधिकारी के कक्ष में की गई थी”। भबनीपुर चौकी के प्रभारी निरीक्षक देबोजीत गिरी हैं।

रबीउल ने कहा कि फिर उसे जाने दिया गया, लेकिन रकम नहीं चुकाने पर एनकाउंटर का खतरा उस पर मंडराता रहता था। उसने आरोप लगाया कि 31 जुलाई के बाद से, एसपी के करीबी सहयोगी होने का दावा करने वाले दो लोगों ने उनके परिवार के सदस्यों को फोन करना शुरू कर दिया कहा कि और यह राशि सीधे एसपी को भेजी जाए।

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