जंतर-मंतर सहित देश भर में नागरिक संगठनों और मणिपुरी नागरिकों का प्रदर्शन

नई दिल्ली। मणिपुर में दो महिलाओं को निर्वस्त्र घुमाने और गैंगरेप का वीडियो वायरल होने के बाद देश भर में विरोध-प्रदर्शन हो रहे हैं। उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, मध्यप्रदेश और दिल्ली में शुक्रवार को महिला संगठनों के साथ नागरिक संगठनों, छात्र-युवा संगठनों और राजनीतिक दलों ने विरोध-प्रदर्शन, कैंडल मार्च और प्रतिरोध सभा का आयोजन किया। सभा में वक्ताओं ने मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह को बर्खास्त करने और दोषियों को सख्त सजा देने की मांग की।

इसी कड़ी में शुक्रवार को भारी गरमी और उमस के बीच जंतर-मंतर पर भारी संख्या में मणिपुर के छात्र-छात्राओं ने प्रदर्शन करके राज्य में शांति की अपील करते हुए बलात्कारियों और हत्यारों को सजा देने की मांग की। इस दौरान नागरिक संगठनों, छात्र संगठनों और महिला संगठनों के कार्यकर्ताओं ने भारी संख्या में पहुंचकर मणिपुर के नागरिकों के साथ एकजुटता प्रदर्शित की। जंतर-मंतर पर उपस्थित लोगों ने कहा कि मणिपुर में जो हुआ वह हमारे देश और समाज पर कलंक है, और राज्य सरकार के साथ ही केंद्र सरकार भी दंगाइयों-आतताइयों के साथ खड़ी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वीडियो वायरल होने के बाद इस कुकृत्य की सीधे आलोचना करने की जगह इसकी तुलना राजस्थान और छत्तीसगढ़ में घटी महिला उत्पीड़न की घटनाओं से कर रहे हैं और उसके लिए इन राज्य सरकारों को जिम्मेवार बता रहे हैं। साथ ही वह मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह को बर्खास्त करने और दंगों में उनकी भूमिका की जांच करने के सवाल को सीधे टाल जा रहे हैं।

जंतर-मंतर पर एकत्रित हुए मणिपुर के लोगों के बीच एक बात बहुत कॉमन दिखी। अधिकांश लोग राज्य में शांति के साथ दोषियों को सजा देने की मांग कर रहे थे। लेकिन अपना नाम बताने से बच रहे थे। दिल्ली के एक निजी अस्पताल में नर्स का काम करने वाली एक महिला ने अपना नाम प्रकाशित करने से मना करते हुए कहा कि “कुकी समुदाय के साथ बहुत नाइंसाफी हुई है। लोगों को मारा गया और घर जला दिया गया। महिलाओं से बलात्कार किया गया।”

दिल्ली में रहने वाली मणिपुरी महिलाएं

एक अन्य महिला ने कहा कि मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह मीडिया से बातचीत में कहते हैं कि मणिपुर में ऐसी हजारों घटनाएं हुई हैं। यदि वह उन घटनाओं के बारे में जान रहे हैं तो अभी तक कोई कार्रवाई क्यों नहीं किए?

अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए महिला ने कहा कि मुख्यमंत्री कहते है कि हमने इसीलिए राज्य में इंटरनेट बंद किया है। लेकिन सच यह है कि “महिलाओं को नग्न घुमाने और बलात्कार करने वाले ही वीडियो बनाने और उसे वायरल करने वाले हैं।”

प्रदर्शनकारी महिलाएं

उन्होंने कहा कि कुकी महिलाएं भी हिंदुस्तान की बेटियां हैं, मेरे मान-सम्मान की रक्षा करना भी सरकार का कर्तव्य है। लेकिन मोदी सरकार हम सबकी समस्याओं को नहीं सुन-देख रही है। मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह सब कुछ जानते हुए भी दोषियों पर न तो एफआईआर कर रहे हैं और न ही राज्य में शांति ला पा रहे हैं।

चंडीगढ़ के पंजाब विश्वविद्यालय से राजनीति शास्त्र में पीएचडी कर रही लेंबी ने कहा कि “ दो महीने से मणिपुर हिंसा की चपेट में है। सैकड़ों लोग मारे गए और घरों को जला दिया गया। शासन-प्रशासन हाथ पर हाथ धरे बैठी है। महिलाओं को उत्पीड़न और बलात्कार की घटनाओं पर भी सरकार कुछ नहीं कर रही है। हम सबसे पहले राज्य में शांति चाहते हैं।”

जंतर-मंतर पर कुकी समुदाय की छात्राएं

दिल्ली विश्वविद्यालय में पढ़ने वाली मुदिता ने कहा कि “वीडियो वायरल होने के दूसरे दिन जब पीएम मोदी की जुबान खुली तो वह उनकी चुप्पी से भी ज्यादा असंवेदनशील लगी। पीएम ने दोषियों पर कड़ी कार्रवाई का संदेश देने के बजाए कांग्रेस शासित राज्यों का नाम लेकर ऐसी घटनाओं को रोकने की अपील की। लेकिन महिलाओं को नग्न परेड कराने वाले बलात्कारियों पर कुछ नहीं बोले।”

कुकी समुदाय के कुछ युवाओं ने स्वायत्त प्रशासन की मांग में भी नारे लगाए। लेकिन अधिकांश लोग पहले मणिपुर में शांति बहाली, दोषियों को सजा और मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह सरकार को बर्खास्त करने की मांग पर जोर दिया।

बनारस में विरोध-प्रदर्शन और कैंडल मार्च

मणिपुर में महिलाओं को निर्वस्त्र घुमाने और गैंगरेप की घटना के प्रतिरोध में ‘मणिपुर हम शर्मिंदा हैं’ के शीर्षक से बनारस में कैंडल मार्च और सभा आयोजित हुई। सर्वसेवा संघ परिसर से राजघाट तक आयोजित हुए इस प्रतिरोध कार्यक्रम में सैकड़ों की संख्या में महिला पुरुष इकट्ठा हुए और हिंसा, उत्पीड़न, उपद्रव और अराजकता का जो अंधेरा छाया हुआ है उसपर गम्भीर असहमति दर्ज कराई।

सभा में एक वक्ता ने कहा कि मणिपुर से बहुत ही ज्यादा खतरनाक वीडियो सामने आया है जिसको देखकर मैं पूरी रात सो नहीं पाई हूं। ये घटना ढाई महीने पहले की है और FIR भी दर्ज हुआ है, लेकिन अभी तक किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई है। मुझे शर्म आ रही है कि केंद्र सरकार पिछले तीन महीने से चुप बैठी है और पीएम ने इस पर एक भी बयान नहीं दिया है। हम आज मणिपुर के सीएम और पीएम मोदी से मांग करते हैं कि मणिपुर में हिंसा और अराजकता का जो तांडव चल रहा है उसे खत्म किया जाए। मणिपुर में 2 कुकी आदिवासी महिलाओं की सड़क पर नग्न परेड और गैंगरेप करवाने वाले आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए।

प्रदर्शनकारियों ने कहा कि अब समय आ गया है कि सरकार वास्तव में कदम उठाए और कार्रवाई करे। संवैधानिक लोकतंत्र में यह बिल्कुल अस्वीकार्य है। यह बहुत परेशान करने वाला है। राज्य सरकार को बर्खास्त करने की जरूरत हो तो भी ऐसी अराजक स्थिति को नियंत्रण में लाने के लिए कुछ भी करने से पीछे नहीं हटना चाहिए। केंद्र और मणिपुर सरकार ने अपराधियों को सजा दिलाने के लिए अब तक क्या कार्रवाई की है। वीडियो में दिखाई देने वाला दृश्य सिहरन पैदा करने वाला है। मणिपुर में गंभीर संवैधानिक उल्लंघन हो रहा है। महिलाओं को हिंसा के साधन के रूप में उपयोग करना बर्बर है अमानवीय है।

मणिपुर में महिलाओं को नग्न घुमाया जाना पूरे देश के लिए शर्म की बात

उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष बृजलाल खाबरी ने कहा कि जिस तरह से मणिपुर में लगभग ढाई महीने से आग लगी हुई है देश की सबसे बड़ी हिंसा जिसके बारे में कभी सोचा नहीं जा सकता वहां फैली हुई है और मणिपुर की सरकार और केंद्र सरकार मौन साधे बैठी है। जबकि किसी की उंगली में मामूली चोट आने पर जो प्रधानमंत्री ट्वीट करने से नहीं चूकते वह मणिपुर की घटना पर अब तक चुप क्यों रहे? जिस तरह से महिलाओं को नग्न घुमाए जाने का वीडियो वायरल हुआ वह घटना पूरे देश को शर्मसार करती है।

यह घटना सिर्फ मणिपुर की महिलाओं को ही नग्न नहीं किया बल्कि पूरे देश को नग्न किया गया है जो राज्य एवं केंद्र की भाजपा सरकार पर वह दाग है जो भविष्य में कभी धुल नहीं सकता। मणिपुर की घटना पर वहां के मुख्यमंत्री को तत्काल बर्खास्त कर देना चाहिए और दोषियों पर ऐसी कार्रवाई हो कि भविष्य में कोई इस तरह की घटना के बारे में सोच भी ना सके, मणिपुर की घटना की जितनी भी निंदा की जाए वह कम है।

झारखंड में प्रदर्शनकारियों ने किया सीएम एन. बीरेन सिंह का पुतला दहन

मणिपुर में आदिवासी समुदाय के खिलाफ लगातार हिंसा, महिलाओं के साथ गैंग रेप और नग्न घुमाये जाने तथा केंद्र सरकार व मणिपुर की राज्य सरकार की भूमिका के खिलाफ 21 जुलाई को राज्य के विभिन्न जिलों में आदिवासी संगठनों और विपक्षी दलों द्वारा विरोध प्रदर्शन आयोजित किए गए। राज्य की राजधानी रांची में स्थित जयपाल सिंह मुंडा स्टेडियम से आक्रोश मार्च निकाला गया और अल्बर्ट एक्का चौक पर आकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी तथा मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह का पुतला दहन किया गया।

(प्रदीप सिंह जनचौक के राजनीतिक संपादक हैं।)

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