Thursday, March 23, 2023

सरकारी कंपनियों को निजी हाथों में सौंपे जाने के खिलाफ बीमा कर्मचारियों का राष्ट्रव्यापी विरोध-प्रदर्शन

Janchowk
Follow us:

ज़रूर पढ़े

नई दिल्ली। सरकार की विनिवेश नीति, श्रम कानूनों में श्रमिक विरोधी संशोधन, पब्लिक सेक्टर इकाइयों के निजीकरण, ठेकेदारी प्रथा व वेतनमानों व अन्य जायज मांगों पर हो रहे विलंब आदि को लेकर साधारण बीमा उद्योग में हजारों कर्मचारियों ने आज भोजन अवकाश के दौरान देशव्यापी प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों ने इसके लिए पूरी तरह से सरकार और उसकी श्रम विरोधी नीतियों को जिम्मेदार ठहराया है।

trilok small1

प्रदर्शन में शिरकत करने वाले कर्मचारियों का कहना है कि सन 2002 में तत्कालीन वित्तमंत्री यशवंत सिन्हा ने संसद में आश्वासन दिया था कि सार्वजनिक बीमा उद्योग को देशवासियों के हित में मजबूत किया जाएगा। परंतु पिछले लगभग 17 वर्षों में निजी कंपनियों को प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से सरकारों द्वारा लाभ पहुंचाया गया तथा सार्वजनिक साधारण बीमा उद्योग को मल्होत्रा कमेटी व सुषमा स्वराज द्वारा निर्देशित संसदीय समितियों की पुरजोर सिफारिश के बावजूद चारों साधारण बीमा कंपनियों दि न्यू इंडिया इंश्योरेंस कंपनी, ओरिएंटल इश्योरेंस कंपनी, यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस कंपनी एवं नेशनल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड का एकीकरण नहीं किया गया। जिसके फलस्वरूप आपसी प्रतिस्पर्धा, रेट कटिंग एवं भारी छूट व सामाजिक दायित्वों को निभाते हुए गला काट प्रतिस्पर्धा में संघर्ष करने के लिए सार्वजनिक बीमा कंपनी बाध्य हुईं। इसका पूरा लाभ शुद्ध रूप से निजी क्षेत्र को मिला। 

trilok small2

इसके साथ ही निजी साधारण बीमा क्षेत्र को सस्ता श्रम उपलब्ध करवाने के लिए वित्तमंत्रालय के संयुक्त सचिव रहे अजित मोहन शरण के समय अनावश्यक व शोषणकारी स्थानांतरण नीति थोप दी गई जिसके फलस्वरूप सैकड़ों कर्मचारियों को वीआरएस के लिए बाध्य होना पड़ा तथा निजी कंपनियों को सस्ता श्रम उपलब्ध हो गया।  आपको बता दें कि अजित मोहन शरण बाद में भ्रष्टाचारों के गंभीर आरोपों के चलते लंबे समय तक के लिए जेल में रहे। 

trilok small3

इस मौके पर कर्मचारियों ने एक प्रस्ताव पारित कर कहा कि जनरल इंश्योरेंस इंप्लाईज एसोसिएशन आधुनिक भारत के मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारा कहलवाने वाले लाभकारी सार्वजनिक क्षेत्रों के निजीकरण व विनिवेश की नीति की भर्त्सना करता है। तथा बजट घोषणा के उपरांत नए सेबी नियमों के तहत आईपीओ आने पर विनिवेश की सीमा को 25 से 35 प्रतिशत करने का कड़ा विरोध करता है जिसका सीधा असर न्यू इंडिया इंश्योरेंस कंपनी व जीआईसी पर पड़ेगा तथा निजीकरण की प्रक्रिया और तेज होगी। भारत सरकार से सार्वजनिक साधारण बीमा उद्योग का एकीकरण करने, व्यापक स्वायत्तता देने, मजबूती प्रदान करने, नई भर्तियों, जनरल इंश्योरेंस इंप्लाईज एसोसिएशन को मान्यता देने तथा लंबित वेतनमानों एवं अन्य लंबित मांगों पर शीघ्र वार्ता करने की पेशकश करता है । 

इसके साथ ही कर्मचारियों ने कुछ ठोस मांगें भी रखीं। जिसके तहत जनरल इंश्योरेंस इंप्लाईज एसोसिएशन का कहना था कि वह मेडिक्लेम बीमा के तहत कैशलेस सुविधा प्रदान करने व टीपीए द्वारा संचालित अस्पतालों की निगरानी के लिए मजबूत सशक्त रेगुलेटरी अथॉरिटी की मांग करता है। जिससे संगठित भ्रष्टाचार व व्यापक अनियमितताओं को रोका जा सके जो कि पांच सितारा निजी अस्पतालों द्वारा की जा रही है। सार्वजनिक साधारण बीमा उद्योग द्वारा हजारों करोड़ रुपया भारत सरकार को डिवेडेंट स्वरूप दिया गया तथा विपरीत परिस्थितियों में लगभग 50 वर्षों में देश में आई भयानक आपदाओं, भूकंप, बाढ़ व दंगों के दौरान भारी नुकसान की भरपाई इसी उद्योग के बल पर हुई। चाहे 84 के दंगे हों व गुजरात के दंगे। गुजरात का भूकंप हो या केदारनाथ आपदा। असम, बिहार, चेन्नई व मुंबई की बाढ़ व भयानक सुनामी का दौर हो व कृषि क्षेत्र में भारी बारिश, ओला वृष्टि व तूफानों से होनी वाली फसल की बरबादी के समय यह उद्योग अपनी कल्याणकारी नीतियों के तहत देशवासियों के दुख में सबसे बड़ा सहयोगी रहा।

trilok small4

इस मौके पर कर्मचारियों ने अपने द्वारा देश के विभिन्न क्षेत्रों में किए गए कल्याणकारी कामों को गिनाया। जिसमें उसका कहना है कि वह किसी भी दूसरी निजी कंपनी के मुकाबले बहुत आगे खड़ा है। सरकार की 50 करोड़ भारतीयों के लिए आयुष्मान भारत स्कीम हो या करोड़ों किसानों को कृषि बीमा का लाभ सुनिश्चित करने के लिए इस सार्वजनिक साधारण बीमा उद्योग का एकीकरण समय की मांग है। निजी साधारण बीमा कंपनियों द्वारा सिर्फ व सिर्फ मुनाफे के क्षेत्र में कार्य करना व सामाजिक दायित्वों जिसके लिए वे बाध्य हैं कि घोर अनदेखी करने पर उनकी जवाबदेही तय की जानी चाहिए ।  

जनरल इंश्योरेंस इंप्लाईज एसोसिएशन की राष्ट्रीयकरण में महत्वपूर्ण भूमिका रही तथा इसके उपरांत साधारण बीमा उद्योग व कर्मचारी हितों के लिए यह संगठन संघर्षरत रहा है तथा इस संघर्ष को व्यापक श्रमिक एकता व जनभागीदारी से निर्णायक संघर्ष में बदलने के लिए प्रतिबद्ध है। 

(त्रिलोक सिंह जनरल इंश्योरेंस इंप्लाईज एसोसिएशन के सचिव हैं।)

जनचौक से जुड़े

0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of

guest
0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments

Latest News

अमृतपाल सिंह खालसा पर पंजाब के सियादी दलों ने खोली जुबान 

पंजाब में 'ऑपरेशन अमृतपाल सिंह खालसा' पर सियासत होने लगी है। शनिवार से अमृतपाल सिंह की धरपकड़ की कवायद...

सम्बंधित ख़बरें