अभिषेक बनर्जी ने सुप्रीम कोर्ट से जस्टिस गंगोपाध्याय पर अंकुश लगाने की गुहार लगाई 

तृणमूल के अखिल भारतीय महासचिव अभिषेक बनर्जी ने कलकत्ता उच्च न्यायालय के न्यायाधीश अभिजीत गंगोपाध्याय के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। न्यायमूर्ति गंगोपाध्याय की कुछ सार्वजनिक टिप्पणियों ने राज्य भर में हंगामा मचा दिया है। हाल ही में जस्टिस गंगोपाध्याय को हटाने की मांग वाला एक पत्र भी सुप्रीम कोर्ट को सौंपा गया है।

इसके बाद सोमवार को हाईकोर्ट से निकलते वक्त जस्टिस गंगोपाध्याय ने मीडिया से रूबरू होते हुए अभिषेक की संपत्ति का हिसाब और उसके स्रोत की जानकारी मांगी। सत्तारूढ़ तृणमूल के नेताओं ने एक न्यायाधीश की इस तरह की टिप्पणी की निंदा की। उस माहौल में अभिषेक ने बुधवार को जस्टिस गंगोपाध्याय के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। तृणमूल सांसद ने शीर्ष अदालत में पांच याचिकाएं दायर कीं।

तृणमूल कांग्रेस के महासचिव अभिषेक बनर्जी ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट का रुख किया और कलकत्ता उच्च न्यायालय के न्यायाधीश अभिजीत गंगोपाध्याय को विचाराधीन मामलों में “राजनीति से प्रेरित” बयान देने से “रोकने” का आग्रह किया, जो सीबीआई और ईडी जैसी केंद्रीय जांच एजेंसियों को प्रभावित कर सकते हैं।

बनर्जी ने आग्रह किया ही कि सुप्रीम कोर्ट न्यायमूर्ति गंगोपाध्याय और न्यायमूर्ति अमृता सिन्हा द्वारा की गई “टिप्पणियों से प्रभावित हुए बिना” उन चल रहे मामलों, जिनसे वह जुड़े हुए थे, की सुनवाई के लिए एक हाईकोर्ट की एक विशेष पीठ का गठन किया जाय।

बनर्जी की याचिका, जो 70 पन्नों की है, ने आगे सुप्रीम कोर्ट से आग्रह किया कि वह चल रहे मामलों में “उनके लगातार राजनीति से प्रेरित साक्षात्कार” के लिए न्यायमूर्ति गंगोपाध्याय के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए कलकत्ता हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को उचित निर्देश पारित करें, जो न केवल न्यायिक औचित्य और संयम” के सिद्धांतों को झुठलाते हैं, बल्कि याचिकाकर्ता के अधिकारों को “पूर्वाग्रह” भी पहुंचाता है।

तृणमूल सांसद ने अपील की कि सुप्रीम कोर्ट हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को सभी हाईकोर्ट न्यायाधीशों को “किसी भी विचाराधीन मामले या इसमें शामिल पक्षों के बारे में प्रतिकूल टिप्पणी करने से रोकने” का निर्देश दे।

देर रात, न्यायमूर्ति गंगोपाध्याय ने संवाददाताओं से कहा कि यह एक कल्पना है कि महज बयान केंद्रीय एजेंसियों की जांच को प्रभावित कर सकते हैं। उन्होंने कहा, “कोई भी याचिका दायर कर सकता है। मेरे कार्यों और शब्दों के कारण लोगों का एक वर्ग परेशानी में है। कुछ लोगों को नीचे खींचने का प्रयास किया जा रहा है।”

बनर्जी ने तर्क दिया कि हाईकोर्ट न्यायाधीश द्वारा उनके खिलाफ की गई टिप्पणी लोगों की नजर में महत्व रखती हैं, खासकर 2024 के लोकसभा चुनावों से पहले।

उन्होंने आगे बताया कि न्यायमूर्ति गंगोपाध्याय को सीपीएम सांसद विकास रंजन भट्टाचार्य, पूर्व सीपीएम मंत्री कांति गांगुली के साथ मंच साझा करते देखा गया था और उन्होंने सीपीएम के साथ “अपनी एकजुटता प्रदर्शित की” थी, जो पश्चिम बंगाल में राजनीतिक रूप से तृणमूल कांग्रेस का विरोध करती थी।

याचिका में कहा गया है कि न्यायमूर्ति गंगोपाध्याय का आचरण 7 मई, 1997 को सुप्रीम कोर्ट की पूर्ण अदालत की बैठक द्वारा अपनाए गए “न्यायिक जीवन के मूल्यों की पुनर्कथन” को झुठलाता है और न्यायिक अनुशासन का उल्लंघन है। इसमें न्यायिक आचरण के बैंगलोर सिद्धांत, 2002 का भी उल्लेख किया गया है, जिसे “न्यायाधीशों के नैतिक आचरण के लिए मानक स्थापित करने” के लिए बनाया गया है।

अभिषेक का आरोप है कि जज कोर्ट के अंदर या बाहर वादी और प्रतिवादी के बारे में तरह-तरह की टिप्पणियां करते हैं। यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गया है कि उन टिप्पणियों से किसी भी तरह से जांच प्रभावित न हो।

अभिषेक का आरोप है कि जज राजनीति के प्रभाव में लंबित मामलों पर इंटरव्यू दे रहे हैं, जो न्यायपालिका के सिद्धांतों के खिलाफ है।

अभिषेक की याचिका में कहा गया है कि कलकत्ता हाई कोर्ट में जो भी मामले जस्टिस गंगोपाध्याय की बेंच पर है, जो मामले उनकी बेंच से हटाकर दूसरी बेंच (जस्टिस अमृता सिंह की बेंच) के पास चले गए हैं, उन मामलों की सुनवाई उस विशेष बेंच में होनी चाहिए।

अभिषेक चाहते हैं कि उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया जाए कि न्यायमूर्ति गंगोपाध्याय किसी भी लंबित मामले पर सार्वजनिक रूप से टिप्पणी न करें। अभिषेक ने याचिका में यह भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट इस स्थिति में सभी सबूतों के आधार पर जो उचित समझे वही आदेश दे।

दरअसल, जस्टिस गंगोपाध्याय ने दो दिन पहले अभिषेक की संपत्ति को लेकर सवाल उठाए थे। प्रेस के सामने जज ने पूछा कि एक नेता के तौर पर अभिषेक की संपत्ति का स्रोत क्या है? क्या सांसद अपनी संपत्ति का हिसाब देंगे, क्या वह अपनी संपत्ति का हिसाब सोशल मीडिया पर पोस्ट करेंगे- ऐसी टिप्पणियां जज ने कीं।

उन्होंने कहा, “आम लोगों के तौर पर हम यह देखना चाहते हैं कि किसके पास कितनी संपत्ति है। किसकी संपत्ति का स्रोत क्या है?”

इसके बाद जज ने लेफ्ट नेता मीनाक्षी मुखर्जी का उदाहरण दिया। उनके शब्दों में, “अगर अभिषेक उसे सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हैं, तो मैं उनके समकालीन नेता, जैसे मीनाक्षी मुखर्जी या अन्य नेताओं से भी यही अपील करूंगा। हम चाहेंगे कि वे संपत्ति संबंधी शपथ पत्र भी तैयार करें और उन्हें सोशल मीडिया पर पोस्ट करें।”

(जेपी सिंह वरिष्ठ पत्रकार और कानूनी मामलों के जानकार हैं।)

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