केंद्रीय मंत्री का राजस्थान के मतदाताओं को धमकी, सरकार बनाओ तो नहर परियोजना के लिए देंगे 46000 करोड़

नई दिल्ली। कर्नाटक विधानसभा चुनाव के दौरान भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने एक रैली में कहा था कि राज्य के नागरिक यदि विकास चाहते हैं तो उन्हें भाजपा को वोट देकर मोदी जी का आशीर्वाद लेते रहना होगा। भाजपा अध्यक्ष ने एक तरह से कर्नाटक की जनता को धमकाया था कि यदि भाजपा को वोट नहीं दोगे तो राज्य का विकास रूक जायेगा। अब एक बार फिर भाजपा ने चुनाव से पहले राजस्थान की जनता के सामने शर्त रखा है कि भाजपा को वोट देंगे तो केंद्र सरकार राज्य में नहर परियोजनाओं को धन मुहैया करायेगी।

केंद्रीय जल संसाधन मंत्री एवं जोधपुर से सांसद गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा कि राजस्थान में भाजपा की सरकार बना दो तो केंद्र पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना (ईआरसीपी) के लिए 46,000 करोड़ रुपये दे देगा। केंद्रीय मंत्री सीधे-सीधे राजस्थान की जनता का अपमान कर रहे हैं। वह कह रहे हैं कि नहर परियोजना लेना हो तो भाजपा को वोट दो।

गजेंद्र सिंह की इस बयान पर कांग्रेस ने सख्त टिप्पणी की है। कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि राष्ट्रीय संसाधनों का गलत इस्तेमाल किया जा रहा है। इस तरह कि टिप्पणी करके मोदी सरकार द्वारा वोटिंग पैटर्न को प्रभावित करने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है।

कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने कहा कि भाजपा सत्ता लोलुपता में केंद्रीय परियोजनाओं को धन आवंटित करने में शर्त लगा रही है। जल संसाधन मंत्री का पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना (ERCP) के बारे में दिया गया बयान राजस्थान की जनभावना का अपमान है। यह बयान दर्शाता है कि भाजपा को राजस्थान की जनता की पीड़ा से कोई सहानुभूति नहीं है।

पवन खेड़ा ने कहा- भारत जोड़ो यात्रा के दौरान राजस्थान में राहुल गांधी की लोगों से कई बार चर्चा हुई। उस चर्चा में ERCP एक प्रमुख मुद्दा रहा। यह परियोजना राज्य के 13 जिलों के लिए जीवनदायिनी साबित होगी। इस पर ओछी राजनीति राजस्थान की जनता को मंजूर नहीं है।

नहर परियोजना राजस्थान में एक भावनात्मक मुद्दा है क्योंकि यह बरसात के मौसम में रेगिस्तानी राज्य की नदियों में अतिरिक्त पानी का संचयन करके कई जिलों को पानी उपलब्ध कराएगी। राजस्थान जैसे राज्य में जहां ज्यादातर क्षेत्रों में पानी को लेकर समस्या है, वहीं केंद्रीय मंत्री का ये बयान वहां की जनता के भावनाओं से खिलवाड़ है। 2022-23 में 9,600 करोड़ रुपये और 2023-24 में 13,500 करोड़ रुपये के बजटीय प्रावधान के साथ, राज्य अब तक इस परियोजना का लागत वहन कर रहा है, लेकिन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने प्रधानमंत्री से इसे राष्ट्रीय परियोजना घोषित करने की मांग करते हुए परियोजना को वित्तीय सहायता देने का अनुरोध किया है। इस योजना में 40,000 करोड़ रुपये से अधिक का अनुमानित खर्च होगा।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2018 के चुनाव से पहले अपनी सार्वजनिक रैलियों में इस परियोजना को मदद करने का वादा किया था। और अब, केंद्रीय मंत्री ने यह कहकर विवाद खड़ा कर दिया है “हम 46,000 करोड़ रुपये देंगे लेकिन शर्त एक ही है राजस्थान में भाजपा की सरकार बनाओ।”

केंद्रीय मंत्री के बयान के बाद, कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने कहा कि शेखावत के बयान से पता चलता है कि भाजपा को राजस्थान के जनता के प्रति कोई सहानुभूति नहीं है और सिर्फ राजनीतिक कारणों से इस परियोजना को राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा नहीं दिया गया है।

खेड़ा ने कहा, “केंद्रीय मंत्री का बयान ये बताने के लिए काफी है कि भाजपा को सत्ता की कितनी भूख है और शायद यही वजह है कि अब भाजपा पानी पर राजनीति कर रही है।” उन्होंने कहा कि जल शक्ति मंत्री, जो राजस्थान से हैं, इस साल के अंत में होने वाले चुनावों के लिए लोगों से वोट मांगने के लिए केंद्रीय अनुदान का उपयोग कर रहे हैं।

प्रधानमंत्री को घेरते हुए खेड़ा ने याद दिलाया कि मोदी ने 2015 में बिहार के लिए 1.25 लाख करोड़ रुपये के विशेष पैकेज की घोषणा की थी, लेकिन बिहार में चुनाव हारने के बाद वे अपना वादा भूल गए।

मोदी ने बिहार के एक सार्वजनिक रैली में नाटकीय ढंग से कहा था “मुझे कितना देना चाहिए – 10,000 करोड़, 25,000 करोड़, 50,000 करोड़, 70,000 करोड़।” ठीक है, मुझे 1.25 लाख करोड़ रुपये देने दीजिए। 2014 में, मोदी ने राज्यों को केंद्रीय अनुदान को प्रदान करने के बारे में बात करने को लेकर राहुल गांधी पर तंज कसते हुए पूछा था कि ये जो अनुदान की बात कर रहे हैं क्या वह अपने मामा के घर से पैसा ला रहे हैं।

संसाधन देश का हैं और उन पर राज्यों का भी वैध अधिकार है। कर्नाटक चुनाव के दौरान भी भाजपा पर ये आरोप लगा था कि केंद्र में बैठे होने के कारण वोटिंग पैटर्न में हेरफेर कर रहे थे। भाजपा अध्यक्ष जे.पी. नड्डा ने एक सार्वजनिक रैली में कहा था कि “लोगों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि कर्नाटक पर मोदी का आशीर्वाद बना रहना चाहिए।” इसके अलावा केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि चुनाव का मतलब “कर्नाटक की नियति मोदी के हाथों में सौंपना” है।

कांग्रेस ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा था कि भाजपा कर्नाटक के लोगों को धमकी दे रही है कि अगर भाजपा सत्ता में नहीं आई तो केंद्रीय सहायता बंद कर दी जाएगी। भाजपा ने चुनावों में “डबल इंजन” सरकार को अपने पसंदीदा विषय के रूप में इस्तेमाल किया है, यह तर्क देते हुए कि अगर भाजपा सत्ता से बाहर हो गई तो राज्य का विकास प्रभावित होगा।

कांग्रेस ने मोदी सरकार पर ये आरोप लगाया है कि “खुले बाजार बिक्री योजना के माध्यम से चावल की बिक्री को केवल यह सुनिश्चित करने के लिए रोकने कि कोशिश की गई है। कर्नाटक में सिद्धारमैया सरकार हर गरीब व्यक्ति को हर महीने 10 किलो मुफ्त चावल देने के अपने वादे को पूरा नहीं कर पाये।”

कांग्रेस संचार प्रमुख जयराम रमेश ने पिछले रविवार को एक बयान में कहा कि “कर्नाटक में कांग्रेस सरकार बनने के बाद, जैसा कि भाजपा अध्यक्ष नड्डा ने धमकी दी थी, मोदी का ‘आशीर्वाद’ तेजी से वापस ले लिया गया है”। रमेश ने कहा कि “सच्चाई यह है कि एफसीआई (भारतीय खाद्य निगम) के पास कर्नाटक और देश की जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त स्टॉक है”, लेकिन मोदी सरकार कर्नाटक सरकार के लिए हर एक रास्ते को बंद करने की पूरी कोशिश कर रही है जिससे कर्नाटक सरकार “राज्य के लोगों से” किये अपनी गारंटी को पूरा ना कर पाये।”

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