आसाराम जोधपुर जेल में ही रहेगा, सुप्रीम कोर्ट से जमानत याचिका खारिज

जोधपुर जेल में पॉक्सो कानून के तहत आजीवन कारावास की सजा काट रहे आसाराम बापू को उच्चतम न्यायालय से तगड़ा झटका लगा है। जस्टिस इंदिरा बनर्जी, जस्टिस वी रामसुब्रमण्यम और जस्टिस बेला एम त्रिवेदी की पीठ ने यह कहते हुए कि जेल में भी आयुर्वेदिक उपचार किया जा सकता है और आसाराम द्वारा किए गए अपराध को देखते हुए वे उन्हें जमानत नहीं दे सकते उनकी अंतरिम जमानत की याचिका को खारिज कर दिया है। आसाराम बापू ने मेडिकल ग्राउंड पर अंतरिम जमानत की मांग करते हुए याचिका दायर की थी।

पीठ ने आसाराम बापू की याचिका को खारिज करते हुए कहा कि ‘हम जेल अधिकारियों से यह सुनिश्चित करने के लिए कहेंगे कि आसाराम बापू को आयुर्वेदिक उपचार मिले। पीठ ने कहा कि समग्र दृष्टि से देखें तो यह कोई साधारण अपराध नहीं है। आपको जेल में अपना सारा आयुर्वेदिक इलाज मिल जाएगा। आयुर्वेदिक उपचार जारी रखना कोई समस्या नहीं है। हम जेल अधिकारियों को निर्देश देंगे कि आयुर्वेदिक उपचार सुनिश्चित किया जाए।

आसाराम बापू की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता आर बसंत ने कहा कि वह आसाराम बापू को आयुर्वेदिक इलाज कराने के लिए केवल दो महीने की अंतरिम जमानत की मांग कर रहे हैं। आयुर्वेदिक इलाज के लिए 85 साल के एक व्यक्ति द्वारा कोर्ट की शर्तों के अधीन दो महीने के लिए अंतरिम जमानत मांगी जा रही है ताकि वो इलाज करा सके। आसाराम बापू रेप मामले में जोधपुर स्थित सेंट्रल जेल में सजा काट रहे हैं। उन्हें एक रेप मामले में दोषी मानते हुए कोर्ट ने उम्र कैद की सजा सुनाई थी। 

नाबालिग लड़की से बलात्कार के मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहे आसाराम बापू ने पहले यह कहते हुए जमानत के लिए उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था कि वह खराब स्वास्थ्य के कारण आयुर्वेदिक उपचार का लाभ उठाना चाहते हैं। 5 मई को, उन्होंने कोविड -19 के लिए सकारात्मक परीक्षण किया था और उन्हें एम्स, जोधपुर में स्थानांतरित कर दिया गया था। उसी समय, उन्होंने आंतरिक गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल रक्तस्राव विकसित किया, जिसके परिणामस्वरूप उनके हीमोग्लोबिन का स्तर गंभीर रूप से गिर गया।

हालांकि, उच्च न्यायालय ने जमानत याचिका खारिज कर दी थी और जिला और जेल प्रशासन को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया था कि बापू को उपयुक्त चिकित्सा संस्थान में उचित उपचार मुहैया कराया जाए।इसके बाद उन्होंने अपील में उच्चतम न्यायालय  का दरवाजा खटखटाया।

राज्य सरकार ने आसाराम बापू के इस आवेदन के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा दायर किया है। राजस्थान राज्य ने जमानत याचिका का विरोध करते हुए अपने जवाब में कहा कि आसाराम बापू का गलत मकसद है और वह चिकित्सा उपचार की आड़ में अपनी हिरासत की जगह बदलना चाहते हैं। हलफनामे में कहा गया था कि ऐसा परिवर्तन कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग है। आरोपी ने जानबूझकर गांधी नगर और जोधपुर में लंबित मुकदमे में देरी की। वह दुर्भावना से ऐसी दलीलें दे रहे हैं, जहां वह स्थिर और फिट हैं। राज्य द्वारा यह कहा गया है कि याचिकाकर्ता ने आयुर्वेदिक केंद्र में इलाज के लिए प्रार्थना की है, क्योंकि एलोपैथिक उपचार के लिए जमानत मांगने वाली उसकी पिछली याचिका खारिज कर दी गई है। चिकित्सा उपचार की आड़ में उसकी सजा को निलंबित करने का यह उसका तीसरा प्रयास है।

एम्स, जोधपुर द्वारा जारी 21 मई, 2021 की मेडिकल रिपोर्ट पर विश्वास जताते हुए हलफनामे में कहा गया था कि आसाराम ने लगातार असहयोग किया। उसने दवा और इंजेक्शन लेने से इंकार कर दिया था। हलफनामे में कहा गया है कि इसके परिणामस्वरूप, आरोपी के सुपर स्पेशियलिटी उपचार की कोई आवश्यकता नहीं है।

(वरिष्ठ पत्रकार जेपी सिंह की रिपोर्ट।)

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