फाइनेंशियल टाइम्स का दावा: अमेरिका में खालिस्तानी अलगाववादी पन्नू को मारने की साजिश नाकाम, भारत को चेताया

खालिस्तानी अलगाववादी गुरपतवंत सिंह पन्नू को लेकर अमेरिका और भारत के बीच तनाव बढ़ गया है। पन्नू अमेरिका में रहता है और उसके पास अमेरिका और कनाडा दोनों देशों की नागरिकता है। वह सिख फॉर जस्टिस का जनरल काउंसिलर है। दावा किया जा रहा है कि पन्नू को मारने की साजिश को अमेरिकी खुफिया एजेंसी एफबीआई ने नाकाम कर दिया है।

ब्रिटिश अखबार फाइनेंशियल टाइम्स में एक रिपोर्ट छपी है जिसमें पन्नू को मारने की साजिश में भारत का हाथ बताया गया है। इस रिपोर्ट पर अमेरिका की ओर से पहली टिप्पणी आई है, जिसमें व्हाइट हाउस के वरिष्ठतम स्तर के प्रवक्ता एड्रिएन वॉटसन ने कहा कि वे इस मुद्दे को “बेहद गंभीरता” के साथ ले रहे हैं और इसे भारत सरकार के साथ उठाया है।

रिपोर्ट में ये दावा किया गया है कि अमेरिका ने अमेरिकी धरती पर गुरपतवंत सिंह पन्नू की “हत्या की साजिश को नाकाम कर दिया” और “इसमें शामिल होने वाली चिंताओं पर भारत सरकार को चेतावनी जारी की।” वॉटसन ने कहा, ”भारतीय समकक्षों ने आश्चर्य और चिंता जताई। उन्होंने कहा कि इस तरह की गतिविधि उनकी नीति नहीं थी।

पन्नू के खिलाफ साजिश को लेकर एफटी की रिपोर्ट कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के आरोप के दो महीने बाद आई है। जस्टिन ट्रूडो ने भारत पर खालिस्तानी अलगाववादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या का आरोप लगाया था। भारत सरकार ने कनाडा के आरोपों को “बेतुका” और “प्रेरित” बताकर खारिज कर दिया था।

बुधवार 22 नवंबर को विदेश मंत्रालय (एमईए) के आधिकारिक प्रवक्ता अरिंदम बागची ने एफटी की रिपोर्ट पर सवालों के जवाब दिए। उन्होंने कहा कि “भारत-अमेरिका सुरक्षा सहयोग पर हालिया चर्चा के दौरान, अमेरिकी पक्ष ने संगठित अपराधियों, बंदूक चलाने वालों, अलगाववादियों और अन्य लोगों के बीच सांठगांठ से जुड़े कुछ इनपुट साझा किए। इनपुट दोनों देशों के लिए चिंता का कारण है और उन्होंने जरुरी कार्रवाई करने का फैसला लिया है।

उन्होंने कहा कि “अपनी ओर से, भारत ऐसे इनपुट को गंभीरता से लेता है क्योंकि यह हमारे अपने राष्ट्रीय सुरक्षा हितों पर भी असर डालता है। अमेरिकी इनपुट के संदर्भ में मुद्दों की जांच पहले से ही संबंधित विभाग कर रहे हैं।”

रिपोर्ट के बारे में पूछे जाने पर, नई दिल्ली में अमेरिकी दूतावास के प्रवक्ता ने कहा कि “हम अपने सहयोगियों के साथ राजनयिक, कानून प्रवर्तन या खुफिया चर्चा पर टिप्पणी नहीं करते हैं।”

एफटी रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका, कनाडा और सहयोगियों ने विवरण साझा किया और निज्जर हत्या और पन्नू हत्या की साजिश ने दिल्ली की ओर से “व्यवहार के संभावित पैटर्न के बारे में” चिंताएं पैदा कर दीं। अमेरिका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड और कनाडा खुफिया-साझाकरण नेटवर्क “फाइव आइज़” का हिस्सा हैं।

एफटी की रिपोर्ट के अनुसार, इस साल जून में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की वाशिंगटन की राजकीय यात्रा के बाद अमेरिकी विरोध जारी किया गया था। इसमें यह भी कहा गया है कि यह स्पष्ट नहीं है कि “क्या नई दिल्ली के विरोध के कारण साजिशकर्ताओं ने अपनी योजना छोड़ दी, या क्या एफबीआई ने दखल दिया और पहले से ही चल रही योजना को नाकाम कर दिया।”

रिपोर्ट में कहा गया है कि पन्नू ने अपनी ओर से यह कहने से इनकार कर दिया कि क्या अमेरिकी अधिकारियों ने उन्हें साजिश के बारे में चेतावनी दी थी। एफटी के अनुसार, उन्होंने कहा कि वह “अमेरिकी सरकार को अमेरिकी धरती पर भारतीय गुर्गों से मेरे जीवन को खतरे के मुद्दे पर जवाब देने देंगे।”

इस सप्ताह की शुरुआत में, एनआईए ने एयर इंडिया से उड़ान भरने वाले यात्रियों को कथित तौर पर धमकी देने के लिए पन्नू के खिलाफ गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत मामला दर्ज किया था।

पन्नू को 1 जुलाई, 2020 को “व्यक्तिगत अलगाववादी” नामित किया गया था और गृह मंत्रालय (एमएचए) ने 10 जुलाई, 2019 को यूएपीए के तहत एसएफजे पर रोक लगा दिया था।

(‘द इंडियन एक्सप्रेस’ में प्रकाशित खबर पर आधारित।)

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