महाराष्ट्र में ठेकेदारों ने लिखा शिंदे सरकार को पत्र, कहा: हमें धमकियों और जबरन वसूली से बचाएं

नई दिल्ली। महाराष्ट्र के ठेकेदारों और इंजीनियरों के दो संगठनों ने मुख्यमंत्री और दो उपमुख्यमंत्रियों को 3 फरवरी को एक संयुक्त पत्र लिखा है जिसमें उन्होंने राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता से उत्पन्न धमकियों, जबरन वसूली कॉल और गुंडागर्दी से सुरक्षा की मांग की है। ये वही ठेकेदार और इंजीनियर हैं जो राज्य सरकार की विकासात्मक परियोजनाओं का काम देख रहे हैं और राज्य सरकार की ओर से अप्रूव हैं। उन्होंने पत्र में कार्य स्थलों पर उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने की मांग की है। उन्होंने धमकी दी है कि अगर उनकी सुरक्षा के लिए कदम नहीं उठाए गए तो वे फरवरी के अंत से काम बंद कर देंगे।

महाराष्ट्र स्टेट कॉन्ट्रैक्टर्स एसोसिएशन (MSCA) और स्टेट इंजीनियर्स एसोसिएशन (SEA) ने मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, और उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस और अजीत पवार को पत्र भेजा है जिसमें कहा गया है कि “महाराष्ट्र राज्य का हर जिला इसी तरह के पैटर्न का सामना कर रहा है, जहां सत्ताधारी पक्ष के राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी और स्थानीय स्तर के राजनेता भी चल रहे कार्यों को जबरदस्ती रोक रहे हैं, शारीरिक हिंसा कर रहे हैं और ठेकेदार से पैसे वसूल रहे हैं।”

“इन समूहों को सरकारी अधिकारी कंट्रोल नहीं कर सकते हैं। शारीरिक हिंसा की धमकी देने की बढ़ी घटनाएं, विरोध दर्ज कराने पर ठेकेदार को पीटने और जबरन अपना आदेश मनवाने का मामला पूरे राज्य में बढ़ रहा है।“

पत्र में ये भी कहा गया है कि “ये समूह हर जगह एक समान तरीके से काम कर रहे हैं, जहां वे ठेकेदार के खिलाफ लिखित शिकायत दर्ज करते हैं और बाद में पैसे की मांग करते हैं।”

इसमें कहा गया कि “ठेकेदारों ने जो काम लिया है उसका खामियाजा चुपचाप भुगत रहे हैं और उसे पूरा करने के लिए मजबूर हैं। सत्तारूढ़ विधायक, सांसद और अन्य निर्वाचित प्रतिनिधि राज्य में भारी मात्रा में विकास कार्यों को मंजूरी दिलाने में कामयाब रहे हैं। इसे क्रियान्वित करते समय विपक्ष में बैठे राजनीतिक समूह यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि काम रुका रहे। ऐसा करने के लिए, ये समूह ठेकेदारों और मजदूरों के खिलाफ एकजुट हो रहे हैं और काम रोकने के लिए उनके साथ दुर्व्यवहार और मारपीट कर रहे हैं।”

पत्र के बारे में पूछे जाने पर मुख्यमंत्री कार्यालय ने ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ को बताया कि वह प्रभावित इलाके से प्रतिक्रिया लेने के बाद मामले पर गौर करेगा।

MSCA और SEA दोनों के अध्यक्ष मिलिंद भोसले ने कहा कि सरकार की ओर से अलग-अलग विभागों में विकासात्मक कार्य चलाये जा रहे हैं लेकिन राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता के कारण इन परियोजनाओं को पूरा करने में बड़ा नुकसान हो रहा है और साथ ही काम समय पर पूरा नहीं हो पा रहा है।

उन्होंने ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ को बताया कि अंत में जमीनी हकीकत को समझे बिना परियोजनाओं के पूरा होने में देरी को लेकर ठेकेदारों पर जुर्माना लगाया जाता है। उन्होंने कहा कि “हमारे अनुमान के मुताबिक राज्य सरकार ने राज्य में एक लाख करोड़ रुपये तक के कार्यों के आदेश जारी किए हैं। हमारे ठेकेदारों को साइट विजिट के दौरान जमीनी स्तर पर परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। जहां स्थानीय सत्ताधारी पक्ष के राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी शारीरिक हिंसा करके जबरन काम रोक रहे हैं। सरकारी अधिकारी ऐसे मामलों पर आंखें मूंद रहे हैं और हमारे सदस्य अधिक धमकियों के डर से शिकायत दर्ज कराने से डरते हैं।”

भोसले ने कहा कि ठेकेदारों के पास आखिरी रास्ता यही है कि वे काम पूरी तरह बंद कर दें।

अपने पत्र में दोनों समूहों ने चेतावनी दी है कि अगर इस समस्या को कोई हल नहीं निकला तो ठेकेदार फरवरी के अंत से कोई काम नहीं करेंगे। पत्र में कहा गया है कि “राज्य प्रशासन और मंत्रियों को इस मुद्दे पर गौर करना चाहिए और एक सख्त कानून पारित करने के लिए कदम उठाना चाहिए जो ठेकेदारों के खिलाफ हिंसा को रोक सके।”

अनुमान के मुताबिक राज्य के लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) के पास लगभग 45,000 करोड़ रुपये के काम चल रहे हैं जिसमें सड़कों, भवनों और सरकारी प्रतिष्ठानों का निर्माण शामिल है। इसके अलावा, जिला परिषदों के माध्यम से लगभग 11,000 करोड़ रुपये के कार्यों को मंजूरी दी गई है, जल संरक्षण विभाग से 3,500 करोड़ रुपये, सिंचाई से 2,500 करोड़ रुपये और पर्यटन विभाग से 2,000 करोड़ रुपये की परियोजनाएं क्रियान्वित की जा रही हैं।

पिछले 20 महीनों में राज्य में काफी सियासी उठापटक हुआ है। जून 2022 में एमवीए उस समय सत्ता से बाहर हो गई थी जब एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले गुट ने उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना को विभाजित कर दिया और नई सरकार बनाने के लिए भाजपा से हाथ मिला लिया। जुलाई 2023 में अजीत पवार भी विधायकों के एक समूह के साथ शरद पवार की एनसीपी से अलग हो गए और सेना-भाजपा सरकार में शामिल हो गए।

राज्य में जहां तीन दलों की सरकार है वहीं विपक्ष भी तीन दलों कांग्रेस, सेना (यूबीटी) और एनसीपी (शरद पवार) का है। यहां तक कि तीन सत्तारूढ़ सहयोगियों के भीतर भी एक विशेष क्षेत्र में एक के प्रभुत्व के उदाहरण सामने आए हैं। शुक्रवार की रात कल्याण (ई) के भाजपा विधायक गणपत गायकवाड़ ने भूमि विवाद के बाद उल्हासनगर में शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना के स्थानीय नेता महेश गायकवाड़ पर गोली चला दी थी। महेश की हालत गंभीर बनी हुई है और विधायक को उनके दो साथियों के साथ गिरफ्तार कर लिया गया है। एक स्थानीय अदालत ने उन्हें 14 फरवरी तक पुलिस हिरासत में भेज दिया है।

(‘द इंडियन एक्सप्रेस’ में प्रकाशित खबर पर आधारित।)

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