गांधीजनों ने कहा-गांधी विद्या संस्थान पर कब्जा लोकतंत्र पर हमला

नई दिल्ली। वाराणसी सर्व सेवा संघ परिसर में लोकनायक जयप्रकाश नारायण द्वारा स्थापित गांधी विद्या संस्थान को इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र ने पुलिस प्रशासन के बल पर अवैध कब्जा कर अपना क्षेत्रीय कार्यालय बना दिया है। कला केंद्र के इस कुकृत्य के विरोध में गांधी-जेपी विरासत बचाओ अभियान ने 17 जून को दिल्ली के राजेंद्र भवन और 19 जून को दिल्ली प्रेस क्लब में एक सम्मेलन का आयोजन किया।

सम्मेलन में गांधीजनों एवं जेपी को मानने वाले विचारकों ने कहा कि “देश में जगह-जगह गांधी संस्थाओं में घुसपैठ की कोशिशें हो रही हैं। गुजरात विद्यापीठ, साबरमती आश्रम आदि की वारदातें अभी धूमिल भी नहीं हुई थीं कि वाराणसी के राजघाट का गांधी-परिसर इनके निशाने पर आया है। लोकनायक जयप्रकाश द्वारा स्थापित समाज विज्ञान का प्रतिष्ठित केंद्र गांधी विद्या संस्थान इनकी कुचेष्ठाओं से निस्तेज पड़ा था। अब उस पर कब्जा करने की कोशिश हुई है। सर्वसेवा संघ का परिसर भी नाना बहानों से हथियाने की कोशिशें चल रही हैं। इसके खिलाफ हमारा सत्याग्रह वाराणसी में चल रहा है जिसकी राष्ट्रीय अभिव्यक्ति 17 और 19 जून, 2023 को राजधानी दिल्ली में हुई।”

राष्ट्रीय गांधी स्मारक निधि, दिल्ली के अध्यक्ष रामचन्द्र राही ने कहा कि “संघ-भाजपा के लोग गांधी को नहीं मानते हैं। वे गांधी संस्थाओं की आड़ में गोडसे और सावरकर का प्रचार करना चाहते हैं। क्योंकि वे सीधे गोडसे का प्रचार नहीं कर सकते हैं, इसलिए उन्हें गांधी संस्थाओं की जरूरत पड़ रही है। देश भर में गांधी संस्थानों में आरएसएस के लोगों को घुसाने और संस्थानों पर कब्जा करना उसी गोडसे प्रचार अभियान का हिस्सा है।”

उत्तर प्रदेश सर्व सेवा संघ के अध्यक्ष राम धीरज ने कहा है कि “सर्व सेवा संघ, राजघाट, वाराणसी परिसर में स्थित गांधी विद्या संस्थान पर कब्जा केवल जमीन और भवन पर कब्जा नहीं है, यह असहमति की आवाज़ जो लोकतन्त्र की आत्मा होती है, को कुचलने की कोशिश है। हम गांधीवादी इसे किसी कीमत पर स्वीकार नहीं करेंगे। भारत सरकार और उत्तर प्रदेश सरकार इसे लेकर अपना रवैया नहीं बदलेगी तो हम इस मसले को जनता की अदालत में ले जायेंगे।”

सोमवार को प्रेस क्लब ऑफ इंडिया के परिसर में पत्रकारों से बातचीत में गांधी शांति प्रतिष्ठान, दिल्ली के अध्यक्ष कुमार प्रशांत ने कहा कि आज देश में दो धाराएं चल रही हैं जिसमें एक है, लोकतंत्र के पक्ष में। जो लोग लोकतंत्र के पक्ष में हैं वे सभी गांधीवादी हैं। दूसरी धारा है जो लोकतंत्र के खिलाफ है। यह धारा गांधीवादी संस्थाओं, गांधी वादी विचारों और हमारी विरासतों को मिटाने में लगी है।

लोकतांत्रिक राष्ट्र अभियान के अध्यक्ष प्रोफेसर आनन्द कुमार ने कहा की हम लोग सरकार के इस नापाक कोशिश को किसी कीमत पर कामयाब नहीं होने देंगे। इसके लिए पूरे देश में जनजागरण अभियान चलाया जाएगा जिसकी शुरुआत लखनऊ, उत्तर प्रदेश से होगी जो बिहार, ओडिशा, मध्यप्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र के प्रमुख स्थानों तक जायेगा। इन सम्मेलनों में लोकतंत्र में विश्वास रखने वाले सभी दलों के प्रतिनिधियों को आमंत्रित किया जाएगा।

जेपी फाउन्डेशन के अध्यक्ष शशि शेखर प्रसाद सिंह ने कहा कि “जयप्रकाश नारायण के संपूर्ण क्रांति में शामिल कोई व्यक्ति इस तरह के कार्य में लिप्त हो या संरक्षण प्रदान करे यह जेपी का अपमान है।”

सम्मलेन में गांधीजनों ने सर्व सम्मति से कहा कि “हम गांधीजन पिछले लंबे समय से देख रहे हैं कि 2014 में केंद्र व राज्यों में हुए राजनीतिक परिवर्तन की काली छाया गांधीजी के विचारों व कार्यों पर पड़ रही है। हम कहना चाहते हैं कि केंद्र व कुछ राज्य सरकारों का यह रुख अकारण है। राजनीतिक सत्ता न हमारी दिलचस्पी का विषय रहा है, न हम उसकी बहुत कीमत ही करते हैं।”

लेकिन इसके साथ ही हम यह बताना भी जरूरी समझते हैं कि सरकारें क्या और कैसे कर रही हैं, इस पर हम गहरी नजर ही नहीं रखते हैं बल्कि हम अपना आकलन जाहिर भी करते रहते हैं। यह हमारी नैतिक ज़िम्मेवारी है। इसी कारण 1974 में हम कांग्रेस के खिलाफ गए। उस संघर्ष का परिणाम भारतीय लोकतंत्र का एक अमिट अध्याय ही बन गया। हम विनम्रता से कहना चाहते हैं कि हमारी तटस्थता को हमारी उदासीनता मानने की गलती सरकारें न करें।

इसलिए गांधी-परिवार के साथ कैसा रिश्ता रखना है, इसका फैसला राजनीतिक दलों व सत्ताओं को खुद ही करना पड़ता है। हम गांधी-विचार के प्रतिनिधि महसूस कर रहे हैं कि हमारे साथ योजना पूर्वक ग़लत, बुरा और असंवैधानिक व्यवहार किया जा रहा है। गांधी की मूर्तियों के सामने सर झुकाना व गांधी-विचार व संस्थानों को कुंद करना, यह दोहरा खेल खतरनाक व विनाशकारी है। देश में जगह-जगह गांधी संस्थाओं में घुसपैठ की कोशिशें हो रही हैं।

गांधी-जेपी की विरासत पर हो रहे हमलों के खिलाफ तथा गांधी विद्या संस्थान और सर्वसेवा संघ पर सरकार द्वारा कब्जे की कोशिशों की समाप्ति तक हमारा सत्याग्रह संघर्ष जारी रहेगा, इस निश्चय के साथ हमारा राष्ट्रीय प्रतिरोध सम्मेलन पूरा हुआ है। सर्व सेवा संघ परिसर में जयप्रकाश-गांधी प्रतिमा पर चल रहा धरना सारे गांधीजनों की साझा जिम्मेवारी है। जब भी वाराणसी व सर्वसेवा संघ के साथी सत्याग्रह में हमारी उपस्थिति चाहेंगे, हम सब वहां पहुंचेंगे। यह लड़ाई गांधी विद्या संस्थान के नाम से शुरू ज़रूर हुई है लेकिन यह जमीन बचाने या संस्था का कब्जा रोकने भर की लड़ाई नहीं है। ये सब तो प्रतीक हैं।

असली लड़ाई तो लोकतंत्र व संविधान को कमजोर करने वाली ताकतों से खिलाफ है। यह सरकार यदि अपना रवैया नहीं बदलती है तो यह उसका फैसला होगा। गांधी से वे ऐसी लड़ाई मोल लेना चाहते हैं तो ईश्वर इन्हें दे। हम कहना चाहते हैं कि 2023 में होने वाले विधान सभा के चुनावों से लेकर 2024 के लोकसभा चुनाव तक पर गांधीजनों से इस लड़ाई की छाया पड़ेगी। चुनाव उन्हें करना है। वे लड़ाई चुनते हैं तो यह लड़ाई जारी रहेगी और हम सावधान व संगठित रहेंगे कि इन सभी चुनावों में भारतीय जनता पार्टी व इसके सहयोगी दलों की निर्णायक हार हो। समाज परिवर्तन की हमारी लड़ाई जारी रहे इसके लिए जरूरी हो गया है कि समाज में सत्ता परिवर्तन की ताकत व समझ पैदा की जाए। हम राजनीतिक सत्ता के नहीं, जनता की राजनीतिक शक्ति के साधक हैं। हम उस मोर्चे से पीछे नहीं हटेंगे।

सर्वसेवा संघ व ‘गांधी-जेपी विरासत बचाओ अभियान’ ने युवाओं  और देश भर में फैले सभी सहमना साथियों का आह्वान किया :

1. अपने मोबाइल को हथियार बनाएं: अब तक जिस मोबाइल को हमने बातें करने का साधन माना था, उसे अब प्रतिरोध का हथियार बनाएं तथा तुरंत अपना-अपना व्हाट् सएप ग्रुप बनाएं। हर ग्रुप में कम-से-कम 100 सदस्य हों। हम यह भी कोशिश करें कि हमारे ग्रुप के सभी साथी भी अपना-अपना ग्रुप बनाएं। हर सुबह हममें से हर कोई अपने ग्रुप को एक संदेश भेजेगा जो इस सरकार के झूठ का भंडाफोड़ करने वाला हो। हमारी नजर इस सरकार के झूठ, गलतबयानी, इतिहास को तोड़ने-मरोड़ने, घृणा फैलाने, संवैधानिक संस्थाओं का दरुपयोग करने आदि पर रहेगी तो हर सुबह हमारे पास अपने दोस्तों को बताने के लिए जरूरी बहुत कुछ होगा। आपने कोई अच्छा संदेश, कोई अच्छा ट्वीट पढ़ा हो तो उसे भी आगे बढ़ा सकते हैं। शर्त इतनी ही होगी कि वह हमारे उद्देश्य को पूरा करता हो, तथ्यों पर आधारित हो, शालीन हो तथा समाज में वैमनस्य न फैलाता हो।

2.  युवाओं से जीवंत संपर्क बनाएं: वाराणसी में सर्वसेवा संघ परिसर में लगातार युवा शिविरों का आयोजन किया जा रहा है। हम सब अपनी-अपनी जगहों से युवाओं को इन शिविरों के लिए भेजें।

0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest
0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments