केदारनाथ के गर्भगृह में लगाया गया सवा अरब का सोना पीतल में बदला!

आज से ठीक 10 वर्ष पहले सदी की सबसे भीषण आपदा का सामने करने वाला केदारनाथ इस बार फिर चर्चाओं में है। इस बार चर्चा का कारण मंदिर के गर्भगृह में मढ़ा गया सोना है। आरोप है कि एक अरब 15 करोड़ रुपये खर्च करके जो सोना कुछ महीने पहले मंदिर के गर्भगृह में मढ़ा गया था, वह सोना नहीं बल्कि पीतल था। इस तरह का आरोप किसी और ने नहीं, बल्कि मंदिर के ही एक पुजारी ने लगाया है। हालांकि इस आरोप के बाद मंदिर समिति की ओर से सफाई दी गई है। यह सफाई भी लीपापोती ही प्रतीत हो रही है। यह अभी साफ नहीं है कि इस तरह का आरोप कितना सही है, यह बात मेटल की जांच करने के बाद ही साफ हो सकती है।

केदारनाथ इस बार कपाट खुलने के साथ ही गलत कारणों से चर्चाओं में आ गया था। यात्रा शुरू होते ही केदारनाथ मंदिर परिसर में एक बार कोड लगाया गया, जिस पर श्रद्धालुओं से दान की रकम ऑनलाइन ट्रांसफर करने के लिए कहा गया था। ऐसा ही बार कोड बदरीनाथ के मंदिर में भी लगाया गया। मामला चर्चा में आया तो बदरीनाथ केदारनाथ समिति ने तुरंत बयान जारी करके सफाई दी कि बार कोड समिति ने नहीं लगाया है। समिति के अध्यक्ष अजेन्द्र अजय ने तो पुलिस को तहरीर भी सौंप दी। जांच की गई तो पता चला कि बार कोड तो भंग कर दिये गये देवस्थानम् बोर्ड के खाते का है। जिस पर सीधा नियंत्रण मंदिर समिति का ही है। इसके बाद पुलिस को दी गई तहरीर का क्या हुआ पता ही नहीं चला। हालांकि मंदिरों से बार कोड हटा दिये गये।

इस घटना को अभी दो महीने भी पूरे नहीं हुए थे कि अब मंदिर के गर्भगृह को स्वर्ण मंडित किये जाने के मामले में एक बड़ा आरोप सामने आया है। मंदिर के एक पुजारी ने दावा किया है कि गर्भगृह में सोना के नाम पर पीतल लगाया गया है। गर्भगृह में यह सोना अब से करीब 7 महीने पहले यानी कि पिछले वर्ष मंदिर के कपाट बंद होने से कुछ महीने पहले मढ़ा गया था। खबरों के अनुसार सोना महाराष्ट्र के एक व्यवसायी ने दान किया था, व्यवसायी का नाम सार्वजनिक नहीं किया गया था। खबरों में दावा किया गया था कि जो सोना गर्भगृह के फर्श और दीवारों पर मढ़ा गया है, उसकी कीमत करीब सवा अरब रुपये है।

इस मामले में विवाद तब भी हुआ था, जब सोना मढ़ा जा रहा था। मंदिर के पुजारियों और हक-हकूकधारियों के एक वर्ग ने गर्भगृह में सोना मढ़ने का विरोध किया था और इसे प्राचीन मंदिर के साथ छेड़छाड़ बताया था। विरोध करने वाले लोगों का कहना था कि सोना मढ़कर केदारनाथ मंदिर के मूल स्वरूप को बदला जा रहा है। विवाद और विरोध के बावजूद 7 महीने पहले गर्भगृह को स्वर्णमंडित कर दिया गया था। बताया जाता है कि महाराष्ट्र के व्यापारी ने 230 किलो सोना दान दिया था, जिसकी कीमत 1 अरब 15 करोड़ रुपये थे। इस सोने की प्लेटें बनाकर गर्भगृह में लगाई गई थीं। लेकिन अब यह नया विवाद सामने आ गया है।

चारधाम महापंचायत के उपाध्यक्ष संतोष त्रिवेदी ने एक वीडियो जारी करके कहा है कि मंदिर के गर्भगृह में सोने की बजाय पीतल लगाया गया है। इस आरोप के बाद मंदिर समिति सहित मंदिर से जुड़े लोगों और श्रद्धालुओं में भी सनसनी है। लोग जानना चाहते हैं कि क्या यह सच है, और यदि वास्तव में सच है तो फिर यह करोड़ों रुपये की चोरी किसने की है। हालांकि इस आरोप के सामने आने के बाद मंदिर समिति की ओर से भी सफाई दी गई है। 15 जून मंदिर समिति के कार्याधिकारी की ओर से प्रेस नोट के रूप से सफाई दी गई है।

इस प्रेस नोट में कहा गया है कि कुछ व्यक्तियों द्वारा वीडियो जारी करके इस मामले में भ्रामक जानकारी दी जा रही है। प्रेस नोट के अनुसार गर्भगृह में जो सोना मढ़ा गया है, उसकी कीमत 1 अरब 15 करोड़ रुपये नहीं है। दान दाता ने 23,777.800 ग्राम सोना दिया था, जिसकी कीमत 14.38 करोड़ रुपये है। इसके अलावा सोना लगाने के लिए 29 लाख रुपये मूल्य की कॉपर प्लेटों का भी इस्तेमाल किया गया था। प्रेस नोट में भ्रामक जानकारी फैलाने वाले व्यक्ति के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने की भी बात कही गई है।

मंदिर समिति की ओर से बेशक आरोप का खंडन कर दिया गया है, लेकिन इस मामले को लेकर चर्चाएं लगातार जारी हैं। श्रद्धालु इस खबर से हतप्रभ हैं। ज्यादातर लोग मानते हैं कि बिना आग के धुआं नहीं उठता, यानी कि कहीं न कहीं कुछ गड़बड़ है। दरअसल हाल के वर्षों में बद्री-केदार मंदिर समिति के प्रति लोगों में अविश्वास की भावना बढ़ी है। यात्रा सीजन की शुरुआत में फर्जी तरीके से लगाये गये बार कोड के कारण अविश्वसनीयता और बढ़ी है। इस स्थिति में गर्भगृह में सोने के नाम पर पीतल लगाने वाली बात को लोग गंभीरता से ले रहे हैं।

केदारनाथ मंदिर के कार्यकलापों पर लगातार नजर रखने वाले और केदारनाथ विधानसभा क्षेत्र के पूर्व विधायक मनोज रावत कहते हैं कि मंदिर समिति के लोग जिस तरह के कारनामे करते रहे हैं, उसे देखते हुए सोने के बदले पीतल लगाने के आरोप को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। हालांकि रावत कहते हैं कि मेटल की जांच की जानी चाहिए। जांच में यदि वास्तव में यह बात सच पाई जाती है तो ऐसा कारनामा करने वाले लोगों की पहचान हो और उनके खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की जाए।

रावत कहते हैं कि शिव के मंदिर में सोना लगाने का वैसे भी कोई मतलब नहीं होता। वे कहते हैं कि धार्मिक मान्यता की बात करें तो शिव को आभूषणों से कोई लगाव नहीं है। वे तो भस्म प्रिय हैं। मनोज रावत कहते हैं कि जब केदारनाथ के कपाट बंद होते हैं तो शिव लिंग पर कई कीमती चीजें चढ़ाई जाती हैं, लेकिन अंत में लिंग के ऊपर सवा क्विंटल राख उड़ेल दी जाती है। मनोज रावत कहते हैं कि सोने की जगह पीतल लगाने का आरोप बहुत गंभीर है और इसकी उच्च स्तरीय जांच की जानी चाहिए। 

(उत्तराखंड से वरिष्ठ पत्रकार त्रिलोचन भट्ट की रिपोर्ट।)

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