गीतिका शर्मा और उसकी मां अनुराधा शर्मा ने जिस गोपाल कांडा का नाम लिखकर खुदकुशी की थी; वही हरियाणा का पूर्व गृह राज्यमंत्री गोपाल गोयल कांडा 25 जुलाई को दिल्ली की राउस एवेन्यू कोर्ट से बरी हो गए। कांडा की एमडीएलआर कंपनी में डायरेक्टर गीतिका शर्मा ने 5 अगस्त 2020 को दिल्ली में अपने घर पर खुदकुशी कर ली थी। पुलिस ने गीतिका की मां अनुराधा शर्मा की शिकायत पर गोपाल कांडा, उनकी कंपनी की कर्मचारी अरुणा चड्ढा और चैनशिवरूप नामक व्यक्ति के खिलाफ केस दर्ज किया था।
चैनशिवरूप मामले का मुख्य सरकारी गवाह था लेकिन कोर्ट में पेश होने से पहले वह अमेरिका चला गया और वहीं बस गया। लिखना चाहिए कि वह ‘चला’ नहीं बल्कि ‘भाग’ गया। इसमें मददगार हाथ कौन होंगे, अलग से बताने की जरूरत नहीं है। एफआईआर गीतिका शर्मा की मां अनुराधा शर्मा ने दर्ज करवाई थी। तब उन्होंने पुलिस को काफी सारे सुबूत दिए थे और कुछ सबूत देने बाकी थे।
तकरीबन छह महीने के बाद अनुराधा शर्मा ने भी खुदकुशी कर ली। आगे मामले की पैरवी गीतिका के भाई और अनुराधा के बेटे अंकित शर्मा ने की। घटनाक्रम के वक्त गोपाल कांडा हरियाणा सरकार में गृह राज्यमंत्री थे। इसलिए इस मामले को अंतरराष्ट्रीय सुर्खियों हासिल हुई थीं। गोपाल कांडा 18 महीने न्यायिक हिरासत के तहत जेल की सलाखों के पीछे रहे। अब उन्हें संदेह के लाभ के आधार पर बरी किया गया है।
अपने हक में फैसला आने के बाद गोपाल कांडा ने कहा कि, “मेरे खिलाफ कोई भी सबूत नहीं था। यह मामला सिर्फ और सिर्फ बनाया गया था। यह किस सोच से और क्यों बनाया गया, आज कोर्ट ने बता दिया है। सब कुछ सामने है, आप कोर्ट का ऑर्डर पढ़ सकते हैं।”
उधर अदालत के फैसले से स्तब्ध गीतिका शर्मा के भाई अंकित शर्मा ने एक टीवी चैनल के जरिए अदालत के फैसले पर सवाल उठाए और कहा कि, “यह बहुत ही मायूस करने वाली बात है। 11 साल से हम केस लड़ रहे थे जिसमें हमारे पास दस्तावेज हैं। मेडिकल रिपोर्ट्स हैं। निजी मैसेज और ई-मेल हैं। इनमें साफ तौर पर धमकी दी गई है और फिर इन सबूतों को खारिज कर देना बहुत ही निराशाजनक है।”
गोपाल कांडा हरियाणा के सिरसा जिला के रहने वाले हैं और वहां उनकी छवि एक दबंग नेता की है। नेता तो खैर वह बहुत बाद में बने। उससे पहले रेडियो-टेप रिकॉर्डर आदि की मरम्मत का काम किया करते थे। उसके बाद उन्होंने जूते-चप्पलों का काम शुरू किया। अपेक्षा के अनुसार वह भी ज्यादा नहीं चला। गोपाल कांडा के पिता मुरलीधर शहर के जाने-माने वकील और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के कार्यकर्ता थे।
जानकारी के मुताबिक सिरसा में कांडा परिवार के करीबी एक वरिष्ठ अधिकारी की नियुक्ति हुई और गोपाल अक्सर उनके पास आते- जाते थे। उक्त वरिष्ठ अधिकारी का तबादला गुडगांव हो गया और उसी ने गोपाल कांडा को सलाह दी कि वह रियल स्टेट में पैसा इन्वेस्ट करे। गुडगांव से बेहतर जगह इस मामले में कोई दूसरी नहीं।
इस दौरान गोपाल कांडा की नज़दीकियां हरियाणा के तब के राजनीतिक ताकतवर चौटाला परिवार से हुई। चौटाला परिवार के लोग खुद इन सब मामलों में हिस्सेदारी रखते रहे हैं। 1999 में चौटाला सरकार का गठन हुआ तो गोपाल कांडा का साम्राज्य भी फैलने लगा। 2004 तक उनका कद चौटाला परिवार की बदौलत काफी बढ़ गया था। रियल स्टेट में कांडा ने बेशुमार पैसा कमाया और अपने आकाओं को भी कमा कर दिया।
लेन-देन के जिन मामलों में गोपाल कांडा के आका सीधे नहीं आना चाहते थे, गोपाल को आगे कर देते थे। विश्वास का यह रिश्ता काफी वक्त तक चलता रहा लेकिन एक दिन इसमें जबरदस्त दरार आ गई और गोपाल कांडा को चौटाला निवास तक घुसने नहीं दिया गया। उसके बाद कांडा की जुबान पर किसी भी चौटाला का नाम नहीं आया। रहस्य है कि लड़ाई अहम की थी या दौलत की। यह राज अभी भी राज है।
कांडा ने अपना सारा फोकस रियल स्टेट के कारोबार पर कर लिया और अकूत धन कमाया। इतना कि उनके आका भी उनसे इस मामले में ईर्ष्या रखने लगे थे। जमीन पर रहने वाले गोपाल कांडा ने ख्वाब हमेशा आसमान के देखे। 2007 में गोपाल कांडा ने अपने पिता मुरलीधर लखराम के नाम से एक एयरलाइंस शुरू की। एमडीएलआर। यह एयरलाइंस दो साल के बाद ही जमीन पर आ गई। यानी बंद हो गई।
गीतिका शर्मा ने ट्रेनी केबिन क्रू मेंबर के तौर पर एमडीएलआर में नौकरी शुरू की। 28 अक्टूबर, 2006 को। तब वह 18 साल की भी नहीं थी। साढ़े 17 की थी। कुछ ही हफ्तों के बाद गीतिका को एयरलाइंस में एयर होस्टेस बना दिया गया। 5 अगस्त 2012 को एयर होस्टेस गीतिका शर्मा ने खुदकुशी कर ली। पुलिस को मौके से सुसाइड नोट बरामद हुआ। इसमें गीतिका ने गोपाल कांडा और उनकी एक सहायक अरुणा चड्ढा का जिक्र किया था। सुसाइड नोट में लिखा था कि गोपाल कांडा से परेशान होकर वह अपनी जान दे रही है। शारीरिक शोषण प्रमुख आरोप था।
गीतिका ने गोपाल कांडा की सहयोगी अरुणा चड्ढा का नाम भी लिखा था कि वह भी कथित तौर पर उसके उत्पीड़न के लिए जिम्मेदार है। इस मामले में एफआईआर गीतिका की मां अनुराधा शर्मा की ओर से दर्ज करवाई गई थी। छह महीने के बाद गीतिका की मां ने खुदकुशी कर ली और सुसाइड नोट में गोपाल कांडा का नाम लिखा। कई संगठन गीतिका परिवार के पक्ष में खुलकर सामने आए। 8 अगस्त को अरुणा चड्ढा और 18 अगस्त 2012 को गोपाल कांडा को गिरफ्तार कर लिया गया।
दोनों अभियुक्तों पर भारतीय दंड संहिता की धारा 306 (खुदकुशी के लिए उकसाना), 506 (आपराधिक धमकी), 201 (सबूत नष्ट करना), 120 बी (अपराधिक साजिश) और 466 (जालसाजी) सहित विभिन्न धाराओं के तहत आरोप लगाए गए थे। इसके अतिरिक्त ट्रायल कोर्ट ने गोपाल कांडा के खिलाफ बलात्कार, अप्राकृतिक यौन संबंध बनाने के आरोप भी तय किए थे। लेकिन दिल्ली हाईकोर्ट ने बाद में आईपीसी की धारा 376 और 377 के इन आरोपों को खारिज कर दिया। रिमांड के बाद गोपाल कांडा को न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया और मार्च 2014 में गोपाल कांडा को अदालत ने जमानत दी।
लगभग एक साल पहले गीतिका शर्मा के पिता दिनेश शर्मा ने मीडिया से बातचीत में दावा किया था कि इस केस को लेकर उन्हें लगातार डराने की कोशिशें की जा रही हैं और यहां तक कि जब ये मामला रोहिणी की अदालत में चल रहा था तब एक बार उन पर जानलेवा हमला भी किया गया। रोते हुए दिनेश शर्मा ने कहा था कि 10 साल बीत गए लेकिन हमारे जख्म अब भी हरे हैं। गोपाल कांडा और अरुणा चड्ढा ने हमारा सब कुछ खत्म कर दिया। अब यही सब कुछ गीतिका शर्मा के भाई अंकित शर्मा कह रहे हैं।
चौटाला परिवार से खुलेआम टकराना इतना आसान नहीं, यह हरियाणा और विशेषकर सिरसा के लोग जानते हैं। लेकिन गोपाल कांडा ने हिम्मत दिखाई और साथ ही बाहुबली का दर्जा भी हासिल कर लिया। गीतिका शर्मा कांड हुआ तो प्रतिद्वंद्वियों ने खूब जोर लगाया कि गोपाल कांडा उम्र भर के लिए सलाखों के पीछे ही रहे। 25 जुलाई को कांडा ने साबित कर दिया कि प्रतिद्वंदी उन्हें कमजोर समझने की भूल कर रहे हैं।
गीतिका प्रकरण में गोपाल कांडा पर दुष्कर्म और कुकर्म के आरोप भी लगे थे। चार्जशीट दाखिल हुई तो इन्हें साबित करने के लिए सुबूत नदारत थे। हाईकोर्ट ने 25 जुलाई 2013 को दुष्कर्म व कुकर्म के आरोप हटा दिए। यानी केस का पहला पाया भोथरा हो गया। अदालत में दिल्ली पुलिस ने 65 गवाह पेश किए। इनमें 32 पुलिसकर्मी, पांच लोग गीतिका के परिवार और कुछ कांडा की कंपनी के कर्मचारी शामिल थे। अदालत ने कहा कि इसे सुबूत कैसे माना जाए कि गीतिका ने गोपाल कांडा की वजह से खुदकुशी की है?
चैनशिवस्वरूप सरकारी गवाह बन गया लेकिन जब कोर्ट में गवाही देने का समय आया तो पता चला कि वह अमेरिका में बस चुका है। कोर्ट ने उसे भगोड़ा घोषित करके उसकी फाइल पीओ स्टाफ को सौंप दी। भगोड़ा करार देने के बाद मजिस्ट्रेट के आगे उसने जो गोपाल कांडा के खिलाफ बयान दिया था, वह एविडेंस एक्ट के तहत अमान्य हो गया। पुलिस ने गीता की मां अनुराधा शर्मा की शिकायत पर प्राथमिकी दर्ज की थी और इस लिहाज से वह अहम गवाह थीं। उनकी खुदकुशी के बाद एविडेंस एक्ट के तहत उनके बयानों की भी कोई अहमियत नहीं रही। आगे ठोस कुछ बचा ही क्या था?
नेताओं के रंग-ढंग और रौब देखकर और उनकी सोहबत करके 2009 के विधानसभा चुनाव में गोपाल कांडा ने निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर सिरसा से जीत हासिल की। कथित तौर पर कहा जाता है कि इससे पहले इतना ज्यादा पैसा हरियाणा में किसी उम्मीदवार ने नहीं लगाया था। एक-एक परिवार के वोट के लिए हजारों रुपये दिए गए, कथित तौर पर ऐसा भी कहा जाता है। गोपाल कांडा भूपेंद्र सिंह हुड्डा कि कांग्रेस सरकार में निर्दलीय होते हुए गृह राज्यमंत्री बने और सिरसा के बेताज बादशाह।
सिरसा में सरकारी तौर पर वही होता था जो गोपाल कांडा कहते थे। जायज-नाजायज सब। बादशाहत का यह सिलसिला 2012 तक बदस्तूर चला। यानी उनके जेल जाने से पहले तक। उसके बाद उनके छोटे भाई गोविंद कांडा ने कमान संभाली लेकिन अपने बड़े भाई सरीखा दबदबा नहीं बना पाए। माना जाता है कि गोपाल कांडा जेल से अपना साम्राज्य चलाते थे। अपने कारोबार के रेशे-रेशे की सारी जानकारी उन्हें जेल की बैरक में बैठे-बिठाए मिल जाती थी।
जेल से बाहर आकर उन्होंने ‘हरियाणा लोकहित’ पार्टी का गठन किया। गौरतलब है कि यह पार्टी अब भाजपा समर्थक है और एनडीए का हिस्सा है। 2014 में उन्होंने विधानसभा चुनाव लड़ा लेकिन हार गये। 2019 में जीत गये। बिना शर्त उन्होंने भाजपा को समर्थन दिया। सरकार के इकबाल पर दाग लगने शुरू हुए तो भाजपा ने कांडा से समर्थन लेने से इंकार कर दिया। हालांकि उसके भाई गोविंद कांडा बाकायदा भाजपा सदस्य है और 2021 में पार्टी टिकट पर ऐलनाबाद उप चुनाव लड़ा था और बहुत कम अंतर से अभय सिंह चौटाला से हार गया था।
गोपाल कांडा गीतिका शर्मा खुदकुशी मामले में अदालत से बरी हो चुके हैं। कयास है कि वह भाजपा में जा सकते हैं। 2019 के हरियाणा विधानसभा चुनाव में जब भाजपा सिर्फ 40 सीटों तक सिमट गई तो पार्टी ने शुरुआत में निर्दलीयों के सहारे सरकार बनाने की पुरजोर कोशिश की। भाजपा सांसद सुनीता दुग्गल, (अब कैबिनेट में मंत्री और तब निर्दलीय विधायक तथा ओमप्रकाश चौटाला के बेटे) रणजीत सिंह के साथ गोपाल कांडा भी हवाई जहाज के जरिए दिल्ली पहुंचे थे ताकि सरकार बनाने के लिए जरूरी 46 के आंकड़े को पूरा किया जा सके।
जिक्रेखास है कि गोपाल कांडा के समर्थन की खबर और हवाई जहाज में बैठने का उनका फोटो मीडिया में वायरल हुआ तो उमा भारती ने ऐसा ट्वीट किया कि भाजपा चाह कर भी कांडा का समर्थन नहीं ले पाई। दीगर है, इस फजीहत के बाद भी कांडा ने राज्यपाल को अपना समर्थन-पत्र सौंप दिया था। आवारा पूंजी का कमाल है कि गोपाल कांडा के छोटे भाई गोविंद कांडा को ऐलनाबाद उपचुनाव में भाजपा ने अपना उम्मीदवार बनाया। गोपाल कांडा की पार्टी एनडीए का हिस्सा है और एनडीए की हालिया मीटिंग के कुछ अर्से बाद ही उनके पक्ष में फैसला आ गया।
इत्तफाक है तो अजीब इत्तफाक है। फैसला आते ही उन्होंने अपने सियासी गढ़ सिरसा का रुख किया और रात भर समर्थकों के साथ बैठक की। सिरसा के एक पत्रकार ने फोन पर इस संवाददाता को बुधवार की सुबह बताया कि अभी भी गोपाल कांडा सोये नहीं हैं। लोगों से मिल रहे हैं। यानी उनकी सक्रियता का दायरा पहले से कहीं ज्यादा बढ़ता नजर आ रहा है। यह इनेलो और जजपा के लिए खतरे की घंटी है। वैसे भी अदालत से बाइज्जत बरी होकर आए गोपाल कांडा की गिनती पहले भी मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के नज़दीकियों में होती रही है। बाहुबली का बाहुबल यकीनन और ज्यादा निखरकर रंग दिखाएगा।
यक्ष प्रश्न है कि गीतिका शर्मा ने खुद अपने हाथों अपनी जान लेने से पहले गोपाल कांडा को गुनाहगार ठहराया था और उनकी मां अनुराधा शर्मा ने भी। उनके परिजन किस नरेंद्र मोदी, अमित शाह और मनोहर लाल खट्टर के पास जाएं…? पुलिस कर्मियों ने लालच में तथ्यों से हेराफेरी की। सरकारी गवाह का पासपोर्ट तक जब्त नहीं करवाया, खाकी मेहकमे की घोर लापरवाही की वजह से गोपाल कांडा, सह आरोपी अरुणा चड्ढा के साथ रिहा कर दिया गया।
अदालत माफ करे, यह गीतिका शर्मा और अनुराधा शर्मा के साथ कतई इंसाफ नहीं है बल्कि एक और हत्या है- न्याय की हत्या! सरकारी कागजात जो भी कहें; अवाम तो यही कहेगा। न जाने कितनी गीतिका और अनुराधा को व्यवस्था की विसंगतियां मरने के बाद भी नोंच-नोच कर खा गईं। आज सुबह कुछ टीवी चैनल ‘बाइज्जत बरी’ गोपाल कांडा का हंसता हुआ चेहरा दिखा रहे थे। जो हंस रहा था, उसको उसकी बेशर्मी के लिए क्या कहा जाए लेकिन जो दिखा रहे थे उनसे जरूर सवाल है कि गीतिका शर्मा और अनुराधा शर्मा की खुदकुशी में तथा पूरे प्रकरण में ऐसा क्या है कि हंसने की बाइट दिखाई जाए?
(अमरीक वरिष्ठ पत्रकार हैं और हरियाणा में लंबे अरसे तक रिपोर्टिंग की है।)