योजना रद्द होने के तीन दिन पहले सरकार ने दिए थे 10 हजार करोड़ के इलेक्टोरल बॉन्ड की प्रिंटिंग के आदेश

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट द्वारा इलेक्टोरल बॉन्ड को असंवैधानिक घोषित किए जाने से तीन दिन पहले केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने 10 हजार करोड़ रुपये के और भी इलेक्टोरल बॉन्ड प्रिंट करने के आदेश दिए थे। यह आदेश उसने सिक्योरिटी प्रिंटिंग एंड माइनिंग ‘कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया’ यानि एसपीएमसीआईएल को दिए थे।

और फिर फैसला सुनाने के एक पखवाड़े के भीतर वित्त मंत्रालय ने स्टेट बैंक ऑफ इंडिया को तत्काल इस पर रोक लगाने का आदेश दे दिया। यह ‘वित्त मंत्रालय’ और ‘स्टेट बैंक ऑफ इंडिया’ के बीच हुई फाइल नोटिंग और ईमेल के जरिये सामने आया है। इंडियन एक्सप्रेस ने इस सिलसिले में एक आरटीआई लगायी थी जिसके जवाब में ये बातें सामने आयी हैं। इन रिकॉर्ड्स में यह बात भी कही गयी है कि एसपीएमसीआईएल ने पहले ही 8350 हजार रुपये के बॉन्ड प्रिंट कर दिए हैं और उन्हें एसबीआई को भेज दिए हैं।

इस तरह से कुल 22217 इलेक्टोरल बॉन्ड इस योजना में शामिल किए गए हैं। जिसमें बीजेपी को 8541 करोड़ रुपये हासिल हुए हैं जबकि कांग्रेस को 1950 करोड़ मिले हैं। तीसरे नंबर पर टीएमसी रही है उसे 1707.81 करोड़ हासिल हुए हैं। बीआरएस को मिले हैं 1407.30 रुपये।

बॉन्ड की प्रिंटिंग को रोकने के लिए दिए गए ई-मेल निर्देश का शीर्षक इलेक्टोरल बॉन्ड की प्रिंटिंग पर रोक-“इलेक्टोरल बॉन्ड योजना-2018”। इसकी तारीख 28 फरवरी है और यह एसबीआई से एसपीएमसीआईएल को भेजा गया है।

एसबीआई के असिस्टेंट जनरल मैनेजर जो उसके ट्रांजैक्शन बैंकिंग डिपार्टमेंट से जुड़े हैं, लिखते हैं: हमें 4 बक्सों में 8350 इलेक्टोरल बॉन्ड के सिक्योरिटी फार्म हासिल हुए हैं। यह ईमेल 23.02.2024 को जारी हुआ है…..माननीय सुप्रीम कोर्ट के फैसले के प्रकाश में हम आप से निवेदन करते हैं कि शेष 1650 इलेक्टोरल बॉन्ड की प्रिंटिंग को रोक दें जिसका बजट डिवीजन ने 12.01.2024 को अनुमोदन किया था। 

27 फरवरी का एक नोट इस बात को रिकॉर्ड पर दर्ज करता है कि 400 बुकलेट और 10000 इलेक्टोरल बॉन्ड और एसपीएमसीआईएल को आर्डर देने के लिए भारत सरकार का अनुमोदन आखिरी तौर पर 12 फरवरी को दिया जाता है।

एक दूसरा ई-मेल उसी दिन वित्त मंत्रालय के बजट सेक्शन से एसबीआई और वित्त मंत्रालय के दूसरे हिस्सों को यह कहते हुए जाता है कि स्टेट बैंक ऑफ इंडिया से यह निवेदन किया जाता है कि वह तत्काल एसपीएमसीआईएल को शेष 1650 इलेक्टोरल बॉन्ड की प्रिंटिंग पर रोक लगाने के लिए कहे जिसका पहले अनुमोदन किया गया था।

(इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट पर आधारित।)

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