गुजरात हाईकोर्ट ने तीस्ता सीतलवाड़ की जमानत याचिका खारिज की, ‘तुरंत आत्मसमर्पण’ करने को कहा

नई दिल्ली। गुजरात उच्च न्यायालय ने शनिवार को सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ को उनकी नियमित जमानत याचिका खारिज करने के बाद “तुरंत आत्मसमर्पण” करने का निर्देश दिया, जो उन्होंने पिछले साल दायर की थी। सीतलवाड़ पर 2002 के गुजरात दंगों से जुड़े सबूत गढ़ने का आरोप है।

सितंबर 2022 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दी गई अंतरिम जमानत के जरिए सीतलवाड़ को अब तक गिरफ्तारी से सुरक्षा मिली हुई थी, जिसके बाद उन्हें इस मामले में न्यायिक हिरासत से रिहा कर दिया गया था।

वरिष्ठ वकील मिहिर ठाकोर ने सीतलवाड़ की जमानत याचिका पर न्यायमूर्ति निरजर देसाई द्वारा फैसला सुनाए जाने के बाद अदालत से 30 दिनों की अवधि के लिए फैसले के क्रियान्वयन पर रोक लगाने का अनुरोध किया, लेकिन न्यायमूर्ति देसाई ने अनुरोध खारिज कर दिया।

सीतलवाड़ को 2002 के गुजरात दंगों के सिलसिले में निर्दोष लोगों को झूठा फंसाने की साजिश रचने के कथित आरोप में अहमदाबाद डिटेक्शन ऑफ क्राइम ब्रांच (डीसीबी) की एक एफआईआर पर 25 जून, 2022 को गुजरात पुलिस ने गिरफ्तार किया था। उन्हें सात दिनों तक पुलिस रिमांड में रखा गया और 2 जुलाई को न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया।

सह-आरोपी पूर्व आईपीएस आरबी श्रीकुमार के साथ उनकी गिरफ्तारी 25 जून को हुई थी। जबकि इसके एक दिन पहले 24 जून,2022 को सुप्रीम कोर्ट ने विशेष जांच दल (एसआईटी) के खिलाफ दंगों में मारे गए कांग्रेस सांसद अहसान जाफरी की पत्नी जकिया जाफरी की याचिका खारिज कर दिया था। विशेष जांच दल (एसआईटी) ने गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी और अन्य को दंगों में साजिश रचने के आरोपों पर क्लीन चिट दे दी थी।

सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि कार्यवाही “स्पष्ट रूप से, गुप्त इरादे के लिए, बर्तन को उबालने के लिए” की गई थी और कहा था कि “प्रक्रिया के इस तरह के दुरुपयोग में शामिल सभी लोगों को कटघरे में खड़ा होना चाहिए और कानून के अनुसार आगे बढ़ना चाहिए।”

एसआईटी द्वारा दायर आरोप पत्र में आरोप लगाया गया है कि सीतलवाड़ ने बड़े पैमाने पर हुई मौतों के लिए “तत्कालीन मुख्यमंत्री (और अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी) और राज्य सरकार के उच्च अधिकारियों और भाजपा के शीर्ष नेताओं” को फंसाने की कोशिश की। 2002 के सांप्रदायिक दंगों में “मौत की सज़ा” के साथ, “झूठे सबूतों के साथ झूठा मामला” स्थापित करने की “साजिश” रची गई।

(जनचौक की रिपोर्ट।)

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