टमाटर रुला रहा प्याज के आंसू, महंगी सब्जियों ने बिगाड़ा रसोई का बजट

रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) गवर्नर शशिकांत दास के महंगाई घटाने के दावे लगता है 10 दिन में ही मुंह चिढ़ाने लगे हैं। आलू, प्याज तो फिलहाल 20-25 रुपये प्रति किलो के खुदरा भाव पर बिक रहे हैं, लेकिन टमाटर सारे बंधन तोड़कर रिकॉर्ड पर रिकॉर्ड बनाता जा रहा है। पिछले सप्ताह तक दिल्ली के खुदरा बाजार में 20-25 रुपये प्रति किलो बिकने वाला टमाटर अब 80-100 रुपये प्रति किलो की उछाल के साथ आम लोगों की थाली से दूर होता जा रहा है। वैसे भी भारतीय उपभाक्ताओं के लिए भोजन में शामिल सब्जियों में आलू, टमाटर और प्याज हमेशा से बेहद संवेदनशील मुद्दा रहा है।

महंगाई को काबू में कर लेने के सरकार के दावे की धज्जियां बिखेरने में टमाटर सबसे बड़ा गुनहगार बनकर उभरा है। आरबीआई के दावों पर अब सवाल उठने शुरू हो गये हैं। अमेरिकी फेडरल बैंक सहित यूरोप में ब्याज दरों में लगातार बढ़ोत्तरी के दबाव में रिजर्व बैंक ने भी ब्याज दरों में बढ़ोत्तरी कर मुद्रास्फीति को रोकने की मुहिम कुछ महीनों से चला रखी थी। पिछले वर्ष के 7% महंगाई की तुलना में करीब 260 वस्तुओं के औसत मूल्य निर्धारण के आधार पर आरबीआई ने हाल ही में दावा किया था कि भारत में मुद्रास्फीति को 5% से नीचे लाने में वह सफल रही है। आरबीआई की ओर से मई माह में मुद्रास्फीति 4.25% आंकी गई है।

लेकिन तब भी यह सवाल उठ रहा था कि 80% आबादी द्वारा इस्तेमाल में लाई जाने वाली खाद्य वस्तुओं के दामों में तो यह गिरावट नजर नहीं आ रही है, फिर आरबीआई कैसे महंगाई पर काबू पाने का दावा कर रही है? असल बात तो यह है कि पिछले कई महीनों से यदि सब्जियों, खाद्य तेल और चना दाल को छोड़ दें तो बाकी सभी चीजों के दाम पिछले वर्ष की तुलना में काफी अधिक बने हुए थे।

उदाहरण के लिए इस बार गेहूं के दाम में फसल की बिकवाली के बावजूद कोई कमी नहीं देखने को मिली। उल्टा मई माह में दाम कम होने के बजाय कीमतें बढ़ रही थीं। खुद सरकार को न्यूनतम समर्थन मूल्य पर गेहूं उपलब्ध नहीं हो सका।

लेकिन टमाटर की कीमतों में उछाल तो वास्तव में अप्रत्याशित है। चेन्नई का ही उदाहरण लें तो खबर है कि किसानों को 1 किलो टमाटर पर मात्र 7 रुपये की कीमत मिल रही थी। नतीजतन इस वर्ष खेती का रकबा घट गया। 25 जून को चेन्नई में टमाटर 40 रुपये किलो, 26 जून 50 रुपये और 27 जून को सीधे 100% बढ़कर 100 रुपये किलो बिक रहा है।

आजतक ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि दिल्ली में टमाटर के भाव 100-110 रुपये प्रति किलो है। गाजियाबाद नोएडा हाउसिंग सोसाइटी के आसपास की दुकानों में भाव 120 रुपये किलो तक पहुंच गया है। जबकि 1 जून तक टमाटर का थोक भाव आजादपुर मंडी में जहां 720 रुपये क्विंटल, अर्थात 7.20 रुपये प्रति किलो था, वह 24 जून को 5,200 रुपये क्विंटल तक पहुंच चुका था। मदर डेरी की रिटेल शॉप में फिलहाल टमाटर 80 रुपये प्रति किलो की दर से बिक रहा है। ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म बिग बास्केट पर भी 85 रुपये किलो बिक रहा है।

दिल्ली ही नहीं देश के सभी महानगरों में टमाटर के दाम असमान छू रहे हैं। यूपी में भी हाल बुरा है। सभी सब्जियों में औसतन 40% की वृद्धि हो चुकी है। बारिश के कारण सप्लाई बाधित हुई है। अच्छा टमाटर 120 रुपये किलो और औसत या कम क्वालिटी वाला टमाटर 50-70 रुपये किलो बिक रहा है। बाकी सब्जियों के दाम भी दोगुने हो गये हैं। धनिया जो 15-20 रुपये पाव बिक रहा था आज 50 रुपये में 250 ग्राम के भाव पर बिक रहा है।

अदरक पिछले कई माह से काफी महंगा था, लेकिन पिछले 5-6 महीने से 200 रुपये किलो के भाव पर बिकने वाले अदरक की खपत में भारी गिरावट के बावजूद आज के दिन दाम 300-320 रुपये प्रति किलो चला गया है। चाय में अदरक के जायके के बिना ही आम भारतीय घरों में आजकल चाय पी जा रही है।

लेकिन भोजन में टमाटर वह प्रमुख तत्व है, जिससे खाने को जायकेदार बनाया जाता है। ऐसे में पनीर, चिकन, मटन की खपत पर भी इसका असर देखने को मिल सकता है। लखनऊ में भी टमाटर 120 रुपये किलो बिक रहा है। ऐसा माना जा रहा है कि कड़ी धूप और गर्मी पड़ने से भी टमाटर की फसल प्रभावित हुई है।

कर्नाटक में पिछले सप्ताह तक 40 रुपये किलो बिकने वाला टमाटर आज 100 रुपये किलो के भाव से बिक रहा है। मध्य प्रदेश में टमाटर का भाव 110 रुपये किलो बिक रहा है। उपभोक्ता मामलों का आंकड़ा रखने वाले विभाग की ओर से कहा गया है कि अखिल भारतीय स्तर पर 27 जून तक टमाटर की औसत कीमत 46 रुपये किलो थी। इसके अनुसार टमाटर का औसत मूल्य 50 रुपये और अधिकतम मूल्य 122 रुपये किलो है।

विभाग के मुताबिक, चार महानगरों में टमाटर के भाव इस प्रकार से हैं: दिल्ली में 60 रुपये किलो, मुंबई में 42 रुपये किलो, कोलकाता में 75 रुपये किलो और चेन्नई में 67 रुपये किलो। वहीं बेंगलुरु में 52 रुपये किलो, जम्मू में 80 रुपये किलो, लखनऊ में 60 रुपये किलो, शिमला में 88 रुपये किलो, रायपुर 99 रुपये और भुवनेश्वर में 100 रुपये किलो टमाटर बिक रहा है। गोरखपुर और कर्नाटक के बेल्लारी में सर्वाधिक 122 रुपये किलो का भाव चल रहा है।

टमाटर की कीमतों में आग लगने के पीछे विभिन्न कारण गिनाये जा रहे हैं। उत्तर भारत में भारी बारिश से फसल प्रभावित हुई है। दक्षिणी राज्यों में तेलंगाना और कर्नाटक में कम बारिश और हीटवेव के कारण टमाटर की खेती को नुकसान हुआ है। इसके साथ ही लगातार टमाटर की फसल पर भारी नुकसान के कारण इस बार किसानों ने टमाटर की बजाय दूसरी फसलों का रुख किया था, जिसका नतीजा अब टमाटर की भारी किल्लत और महंगाई में दिख रहा है।

हिमाचल और उत्तराखंड से टमाटर की आपूर्ति में बाधा आने से भी कीमतों में उछाल आया है। आजादपुर मंडी के थोक व्यापारियों के अनुसार, आमतौर पर मॉनसून के सीजन में सब्जियों की आवक बाधित होने से महंगाई होती रही है। लेकिन इस वर्ष टमाटर के दाम जिस प्रकार से असमान छू रहे हैं, वह देखने को नहीं मिलता था।

टमाटर के दामों में भारी वृद्धि के कारण शहरी उपभोक्ताओं के घरों में महंगाई फिर से एक बड़ा मुद्दा बनकर उभरा है। आगामी लोकसभा चुनावों के मद्देनजर केंद्र की मोदी सरकार के लिए टमाटर एक बड़ी मुसीबत साबित होने जा रहा है। इसी को ध्यान में रखते हुए उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय की ओर से ऐलान किया गया है कि जल्द ही टमाटर के दाम नीचे आ जायेंगे, और अगले 5-6 दिनों में टमाटर सामान्य कीमत पर देश में उपलब्ध हो जायेगा।

उपभोक्ता मामलों के सचिव रोहित कुमार सिंह ने बताया कि आज इस मुद्दे पर कैबिनेट की बैठक हुई है। उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के इस ऐलान का आधार टमाटर की आपूर्ति, और जुलाई में नई फसल पर आधारित लगता है। लेकिन इसका ठोस आधार क्या है, इस बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई है।

देखने में आया है कि मॉनसून को लेकर भी सरकारी बयान इसी प्रकार झूठे आशावाद पर आश्रित थे। मॉनसून को लेकर सरकार की एजेंसी भारतीय मौसम विभाग का पूर्वानुमान सामान्य या सामान्य से कुछ कम बारिश का था, जबकि स्काईमेट सामान्य से 10% कम की भविष्यवाणी कर रहा था। आज स्थिति यह है कि मॉनसून की गति बिल्कुल उलट है। जिन राज्यों में धान की खेती पर सबसे अधिक निर्भरता है और जहां सामान्य तौर पर मॉनसून का आगाज होता है, वहां 40-60% बारिश कम हुई है।

राजस्थान, दिल्ली सहित उत्तर भारतीय राज्यों में अच्छी बारिश देखने को मिल रही है। कई क्षेत्रों में बारिश सामान्य से कम हुई है, लेकिन कम समय में इतनी बारिश हुई है कि फसलें खराब हो गई हैं। टमाटर भी इसी का नतीजा है। लेकिन तब सरकार ने भारतीय मौसम विभाग पर न सिर्फ भरोसा जताया, बल्कि देश को आश्वस्त किया था।

असल मुद्दा तो यह है कि टमाटर सहित कई उपभोक्ता वस्तुएं भारी मुद्रास्फीति से गुजर रही हैं। अदरक का भाव 80 रुपये पाव है। अरहर दाल 6 महीने में 37% महंगी हो गई है। बाजार भाव 100 रुपये प्रति किलो से बढ़कर अब 145-160 रुपये प्रति किलो तक पहुंच गई है। बिग बास्केट 219 रुपये तो ग्रोफ़र्स 192 रुपये प्रति किलो की दर पर अरहर दाल बेच रहा है। अमेज़न पर अडानी के ब्रांड फार्च्यून द्वारा अरहर दाल सबसे सस्ती 159 रुपये प्रति किलो की दर पर बिक रही है। अन्य ब्रांड 190-220 रुपये प्रति किलो पर बेच रहे हैं।

चना दाल भी 70 रुपये प्रति किलो से बढ़कर 100-110 रुपये किलो के भाव से बिक रहा है। गेहूं, चावल में तेजी आम उपभोक्ता के लिए दुःस्वप्न साबित हो रही है।

हालत यह है कि तमिलनाडु सरकार ने टमाटर की कीमत में 100 रुपये किलो से अधिक की उछाल को देखते हुए आज से सरकारी आउटलेट पर 60 रुपये प्रति किलो की दर से टमाटर की बिक्री की शुरुआत कर दी है।

केंद्र सरकार के उपभोक्ता मामलों के दावे पर अब समाचारपत्र भी सवाल उठा रहे हैं। इस सिलसिले में दैनिक भास्कर ने देश के 8 शहरों में टमाटर के दामों की सूची जारी करते हुए उपभोक्ता मामलों के द्वारा जिलों से खाद्य अधिकारियों द्वारा भेजी गई रिपोर्ट का हवाला देते हुए आधिकारिक कीमत की सूची जारी की है। यह साफ़ दिखाता है कि सरकारी आंकड़ों में आज भी टमाटर देश के अधिकांश हिस्सों में 30 रुपये किलो बिक रहा है। 

इसी मुद्दे पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी का ट्वीट काफी कुछ कहता है। “टमाटर: 140 रुपये/किलो, फूल गोभी: 80 रुपये/किलो, तुअर दाल: 148 रुपये/किलो, अरहर दाल: 219 रुपये/किलो और पकाने का गैस सिलेंडर 1,100 रुपये के पार। पूंजीपतियों की संपत्ति बढ़ाने और जनता से टैक्स वसूल करने में व्यस्त भाजपा सरकार, गरीब और मध्यमवर्गीय परिवारों को भूल ही गई। युवा बेरोज़गार हैं, रोज़गार है तो आय कम और महंगाई से बचत खत्म। गरीब खाने को तड़प रहे हैं, मध्यमवर्ग बचाने को तरस रहा है। कांग्रेस शासित राज्यों में हमने महंगाई से राहत के लिए गैस के दाम घटाए, आर्थिक सहायता के लिए गरीबों के खातों में पैसे डाले। नफ़रत मिटाने, महंगाई, बेरोज़गारी हटाने और समानता लाने का प्रण है भारत जोड़ो यात्रा- भाजपा को जनता के मुद्दों से ध्यान भटकाने नहीं देंगे। 9 साल का एक ही सवाल है! आखिर किसका है ये अमृतकाल?”

हालांकि, केंद्र सरकार को आभास है कि प्याज की तरह टमाटर भी एक बड़ा चुनावी मुद्दा है। आम भारतीय परिवार को सप्ताह में 2-3 किलो टमाटर की खपत की जगह 1 किलो पर गुजारा करने पर मजबूर होना पड़ रहा है। भोजन में टमाटर नहीं डाला गया, तो जहां यह एक तरह की बचत है, किंतु भोजन का स्वाद बिगड़ने की वजह जानने वाले मन की कचोट बहुत भारी पड़ सकती है।

पहले ही महंगाई, बेरोजगारी से जूझ रहा 25,000 रुपये मासिक से कम पर जिंदा 90% भारतीय कितने समय तक हिंदू-मुस्लिम गेम प्लान में उलझता रहेगा, यह तो समय ही बतायेगा। फ़िलहाल आरबीआई गवर्नर शशिकांत दास और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण टमाटर, दाल एवं अन्य खाद्य वस्तुओं की महंगाई पर अपने मूल्यवान विचारों को प्रकट करते हैं तो देश को राहत मिलेगी।

(रविंद्र पटवाल जनचौक की संपादकीय टीम के सदस्य हैं।)

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