जो काम समूचा विपक्ष न कर सका, वह काम महाराष्ट्र के यवतमाल जिले की खेतिहर मजदूर कलावती के एक बयान ने कर दिखाया है। संसद के मानसून सत्र के दौरान 9 अगस्त 2023 को मणिपुर मुद्दे पर विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव पर अपने जवाब में गृहमंत्री अमित शाह ने 2 घंटे से भी अधिक समय तक भाषण देकर नया इतिहास रच डाला था।
मणिपुर पर बोलने के बजाय अमित शाह ने राहुल गांधी को निशाने पर लेना बेहतर समझा और इसी संदर्भ में उन्होंने कलावती नाम की एक कृषक महिला का जिक्र करते हुए एक ऐसा बयान दे डाला, जिस पर ट्रेजरी बेंच की ओर से भी जमकर हंसी-ठट्ठा और तालियां पीटते हुए मोदी-मोदी का जयकारा लगाया था। लेकिन देश के सभी चैनल गृहमंत्री के सदन में दिए गये बयान और उसके जवाब में कलावती के बयान को चलाने से खुद को रोक नहीं पा रहे हैं।
क्या गृहमंत्री अमित शाह ने संसद के जरिये देश को गुमराह करने का प्रयास किया? या उन्हें आईटी सेल से भ्रामक सूचना दी गई, जिसका उन्होंने सत्यापन करने के बजाय पूरे आत्मविश्वास के साथ सदन में जिक्र कर दिया, और इंडिया गठबंधन के मणिपुर हिंसा पर सदन में चर्चा की जिद को भोथरा बनाने और राहुल गांधी के तीखे प्रश्नों को बेअसर करने के लिए 17 वर्ष पहले जब यूपीए शासन के दौरान राहुल गांधी ने एक गरीब महिला से मुलाक़ात की थी, की असलियत देश को बताकर अपरोक्ष रूप से मणिपुर हिंसा पर विपक्ष के दावों पर मट्ठा डालने की योजना के तहत अपने भाषण में शामिल किया था?
गृहमंत्री ने कलावती और बुंदेलखंड का जिक्र सदन में किया। लेकिन कलावती महाराष्ट्र के यवतमाल की रहने वाली थीं, बुन्देलखंड की महिला का नाम कुछ और हो, और ग्राउंड पर जाकर यदि कल भाजपा की आईटी सेल उसे अपने सर्वोच्च नेताओं को दे तो संभवतः उन्हें इस प्रकार अपनी और पार्टी की फजीहत से बचाया जा सकता है।
आत्मविश्वास से लबरेज गृहमंत्री अमित शाह ने अपने भाषण में कहा, “इस सदन में एक ऐसे नेता हैं जिनको आज तक कुल 13 बार राजनीति में लांच किया गया है। (ट्रेजरी बेंच समझ गया कि किसकी बात हो रही है, साथ ही हंसी-ठट्ठा) और 13 ही बार फेल गये हैं। (पीछे से हाहाहा) उनका एक लॉन्चिंग मैंने देखा है। उनका एक लॉन्चिंग यहां सदन में हुआ था। एक गरीब मां कलावती या कुछ ऐसा ही नाम था। कलावती बुन्देलखंड की बहन कलावती, उसके घर ये नेता भोजन करने गये, और यहीं पीछे बैठकर (ट्रेजरी बेंच की ओर इशारा करते हुए) गरीबी का बड़ा दारुण (करुणा से भरा) वर्णन, द्रवित कर देने वाला वर्णन पेश किया।”
अमित शाह आगे कहते हैं, “भाई अच्छा किया, आप इतने बड़े व्यक्ति होकर गरीब कलावती के घर पर भोजन करने गये, उसका भोजन कर लिया और उसकी वेदना को यहां पर बांचा (आवाज) दे दी। बाद में उनकी सरकार 6 साल चली। मैं पूछना चाहता हूं कि वो कलावती का क्या करा? वो कलावती को घर, गैस, बिजली, शौचालय, अनाज, स्वास्थ्य ये सब देने का काम नरेंद्र मोदी ने किया। इसलिए, जिस कलावती के घर पर आप भोजन पर गये हो, इसको भी मोदी पर अविश्वास नहीं है, वह आज मोदी जी के साथ खड़ी है।”
इस मामले पर बीबीसी ने 10 महीने पहले भी कलावती के पास जाकर बातचीत की थी, जब राहुल गांधी कन्याकुमारी से कश्मीर की यात्रा के दौरान महाराष्ट्र की यात्रा पर थे। बीबीसी ने एक बार फिर से कलावती का पक्ष जानने के लिए उनसे संपर्क किया, जिसमें कलावती ने कहा है, “अमित शाह ने जो कहा है, वह सब खोटा (झूठ) है। मुझे ये सब राहुल गांधी ने दिया है। बिजली, पानी, घर और वित्तीय मदद सब कुछ राहुल गांधी की तरफ से दिया गया है। वो जो कुछ कह रहे हैं, सब झूठ है। राहुल गांधी जब मुझसे मिलने आये थे तो मुझे वित्तीय मदद दी थी। मुझे राशन मिलना भी शुरू हो गया था।”
कलावती आगे कहती हैं, “राहुल गांधी ने मेरे घर पर बिजली का कनेक्शन लगवा दिया था। ये मकान जो आप देख रहे हैं, इसकी मंजूरी भी उन्होंने दी है। ये सब आज नहीं बल्कि 2013-14 में हो गया था। ये मदद मुझे तब मिली, जब राहुल गांधी मुझसे मिलने आये। जबसे मोदी सत्ता में आये हैं, तब से मुझे खास तौर पर कोई वित्तीय मदद नहीं दी गई है। जैसे सभी को दो हजार रुपये मिलते हैं, मुझे भी दो-तीन बार मिले हैं। मुझे स्कीम के जरिये गैस कनेक्शन नहीं मिला है। मैंने इसे खरीदा है। अमित शाह ने जो कुछ बोला है वह सब झूठा (खोटा) है”।
आइये जानते हैं कि कलावती कौन हैं और उन्होंने खुद आज से 10 महीने पहले नवंबर 2022 में बीबीसी को अपने बयान में क्या कहा और संसद के भीतर अमित शाह के बयान पर कल उन्हें जब बीबीसी सहित अन्य मराठी न्यूज़ चैनलों ने संपर्क साधा तो उनकी क्या प्रतिक्रिया थी?
बता दें कि कलावती बांदुरकर महाराष्ट्र के विदर्भ क्षेत्र के यवतमाल जिले के जालका गांव की रहने वाली कृषक महिला हैं, जिनका अधिकांश जीवन खेतिहर मजदूरी करते हुए बीता है। कलावती के पति परशुराम ने करीब डेढ़ दशक पहले कर्ज न चुका पाने के दबाव में आत्महत्या कर ली थी। कलावती की 7 बेटियां और 2 बेटे हैं। उस वक्त उनका परिवार बेटियों की शादी और शिक्षा को लेकर परेशान रहता था। पहली शादी के बाद ही परिवार पर भारी कर्ज का बोझ आ गया था।
उस वक्त यूपीए शासन में था, पति की मौत के बाद जब राहुल गांधी ने कलावती से मुलाकात की तो उसके बाद वे सुर्ख़ियों में आ गईं, और उन्हें देशभर से आर्थिक मदद मिलनी शुरू हो गई थी। आज से 10 महीने पहले जब बीबीसी ने उनसे मुलाकात की तो उन्होंने कहा था, “राहुल भाऊ मुझे मिले थे, और उन्होंने मेरी गरीबी दूर कर दी। अब मैं संतुष्ट हूं। पहले उन्होंने मुझे 3 लाख रुपये का चेक दिया था। फिर बैंक खाते में 30 लाख रुपये ट्रान्सफर करा दिए थे।”
उन्होंने आगे कहा, “राहुल गांधी ने मुझे पैसे दिए, यह सोचकर मैं सिर्फ बैठकर नहीं खा सकती। नहीं तो कल के लिए क्या बचेगा? मैं यूं ही खाली नहीं बैठ सकती। कोई एक गिलास पानी नहीं देगा। अगर आप ऐसा करने लगते हैं तो कोई रिश्तेदार तक आपको पसंद नहीं करता है। मेरे पति की वर्ष 2005 में मौत हो गई थी। उस वक्त मेरी जिंदगी बेहद खराब थी।”
उनकी बेटी सोनिया उन दिनों को याद करते हुए कहती हैं, “तब तक दो या तीन बड़ी बहनों की शादी हो चुकी थी। चौथी की शादी होने ही वाली थी। उस साल खेत में कुछ नहीं उग पाया था। मेरे पिता बेहद दबाव में थे क्योंकि शादी के लिए पहले ही कर्ज लिया था। वे चौथी शादी के कर्ज से परेशान थे। इसी के चलते उन्होंने आत्महत्या कर ली।
बीबीसी ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि कलावती को सपने में भी आभास नहीं था कि राहुल गांधी आकर उनसे मुलाकात करेंगे। लेकिन उन्होंने बताया कि इस मुलाक़ात ने उनकी जिंदगी बदलकर रख दी है। पहले जहां वे झोपड़ी में रहा करती थीं, वहां अब उनके पास अच्छा-ख़ासा घर है, बिजली-पानी का कनेक्शन भी है। लेकिन आज भी कलावती बतौर खेतिहर मजदूर के तौर पर खेतों में काम करती हैं।
कलावती ने बताया, “मैंने मजदूरी करना नहीं छोड़ा है। मैं खेत में काम करती हूं। क्योंकि मुझे अपने बच्चों का पेट भरना है। मैं सुबह 5 बजे से काम पर जाती थी तो कभी 7 बजे। मेरी 7 बेटियां और 2 बेटे हैं जिनकी देखभाल की जिम्मेदारी मुझ पर थी।”
बीबीसी संवावदाता ने जब कलावती से राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा का जिक्र किया, जो उस दौरान महाराष्ट्र से गुजर रही थी तो उन्होंने राहुल से मुलाक़ात करने की इच्छा व्यक्त की थी। उनका कहना था, “मैं इस यात्रा में जाकर राहुल गांधी से मिलना चाहती हूं। चाहे वो कहीं भी हों। मुझे नहीं पता कि मेरा स्वास्थ्य कैसा रहेगा क्योंकि पिछले 2 साल से स्वास्थ्य ठीक नहीं चल रहा है, लेकिन एक बार मैं उनसे मिलना चाहती हूं।”
अब जबकि कलावती का बयान और सच्चाई सारे देश को पता चल गई है। कलावती के परिवार की खुशहाली का राज बीबीसी सहित तमाम मराठी चैनलों में ही नहीं बल्कि हिंदी और अंग्रेजी के चैनलों और सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर करोड़ों लोगों को सर्व-सुलभ है, ऐसे में क्या गृहमंत्री अपने बयान को वापस लेंगे?
राहुल गांधी के प्रयास से एक कलावती का परिवार बर्बादी से बचकर आज खुशहाल जीवन जी रहा है, और गृहमंत्री इसकी उपलब्धि भी पीएम मोदी के नाम कर रहे हैं, यह देखकर देश की प्रतिक्रिया क्या हो सकती है? उसे भी गहराई से अहसास हो रहा है कि विश्व की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के दावे और उसकी थाली में भोजन की घटती मात्रा के बीच में एक अदृश्य सा रिश्ता कहीं न कहीं मौजूद है, जिसमें आंखों की सुनहली तस्वीर तो जरूर है, लेकिन पेट की भूख ने अंतड़ियों में ऐंठन पैदा कर दी है जो लाख चाहने पर भी चेहरे में मुस्कान लाने में विफल है।
(रविंद्र पटवाल ‘जनचौक’ की संपादकीय टीम के सदस्य हैं।)
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