जींद में प्रधानाध्यापक के खिलाफ महापंचायत, 60 नाबालिग छात्राओं के साथ अश्लील हरकत

हरियाणा के जींद जिले में उचाना वरिष्ठ माध्यमिक बालिका विद्यालय के प्रिंसिपल की काली करतूतों का अंत आखिर एक सप्ताह पूर्व उसकी गिरफ्तारी में जाकर हुआ। लेकिन इसके लिए स्कूल की छात्राओं को किन-किन यातनाओं के बीच गुजरना पड़ा और अपनी बदनामी के डर का सामना करते हुए उनपर आज भी क्या बीत रही है, इस दास्तां को बयान करना संभव नहीं है।

इस बारे में चंडीगढ़ में राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष रेणु भाटिया को पहले-पहल खबर 13 सितंबर, 2023 को तब लगी, जब डाक में उन्हें उचाना स्कूल की 15 लड़कियों की ओर से लिखित शिकायत प्राप्त हुई। यह शिकायती पत्र इन छात्राओं ने देश की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी लिखा था। इसे सौभाग्य की बात ही कहा जाना चाहिए कि राज्य महिला आयोग ने इस मामले में पहल ली और 14 सितंबर को ही संबंधित पुलिस विभाग को इसकी शिकायत देते हुए कार्रवाई करने की मांग की थी।

हाथ पर हाथ धरे बैठा रहा हरियाणा का पुलिस प्रशासन

लेकिन हरियाणा पुलिस प्रशासन इस बारे में हाथ पर हाथ धरे बैठा रहा। इस बात की पुष्टि खुद राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष रेणु भाटिया ने अपने कार्यालय में हरियाणा, चंडीगढ़ के पत्रकारों को बुलाकर प्रेस कांफ्रेंस में कही। असल में पूरे घटनाक्रम को देखा जाए तो इसी प्रेस वार्ता के बाद जाकर हरियाणा पुलिस हरकत में आई, क्योंकि आयोग की अध्यक्षा ने अपने बयान में पुलिस अधिकारियों और जिला शिक्षा अधिकारी का नाम लेकर आरोप लगाये थे कि उनकी ओर से इतने गंभीर और संवेदनशील मामले में कोई कार्रवाई नहीं की गई।

उन्होंने अपने बयान में कहा, “ मेरे पास कुल 60 शिकायतें आईं हैं, इसमें से 50 छात्राओं ने लिखित रूप में कहा है कि उनके साथ शारीरिक तौर पर छेड़छाड़ की गई थी, जबकि 10 अन्य ने इसकी पुष्टि करते हुए बताया है कि व्यक्तिगत रूप से उनके साथ यह दुर्घटना नहीं हुई है, लेकिन वे इस बारे में जानती हैं। यह कोई छोटी बात नहीं है। हम बेटी पढ़ाओ-बेटी बचाओ वाले राज्य से आते हैं।”

भाटिया का आगे कहना था, “इस आरोपी के बारे में जांच से पता चला है कि इससे पहले भी दो स्कूलों में इसके खिलाफ लड़कियों के साथ बदसलूकी की शिकायत पाई गई है। इस स्कूल में भी इसने अपने कमरे में काले शीशे लगाये हुए थे, जिसमें वह लड़कियों को बुलाता था। अब उसे हटा दिया गया है।”

जिला शिक्षा अधिकारी ने शिकायत मिलने पर नहीं की कार्रवाई

विजय लक्ष्मी नामक जिला शिक्षा अधिकारी के सामने शिकायत आने के बावजूद उन्होंने कोई कार्यवाही नहीं की। उनके स्थान पर नए डीईओ की नियुक्ति के बाद जाकर जमीनी स्तर पर स्कूल में छात्राओं से पूछताछ और उक्त प्रधानाध्यापक के खिलाफ कार्रवाई की शुरुआत हो सकी। करतार सिंह चहल नामक इस प्रिंसिपल के बारे में जानकारी मिली है कि 2018 में इस स्कूल में इसकी नियुक्ति हुई थी। यह भी एक अचरज की बात है कि 5 साल में कोई ट्रांसफर नहीं हुआ, जबकि स्कूल के अन्य स्टाफ में अधिकांश को कई बार ट्रांसफर किया जा चुका है।

अभी अधिकांश स्टाफ एक साल पहले ही आया है, और उसे भी लगा कि प्रिंसिपल के कमरे में काला शीशा पहले से लगा होगा। लेकिन यह काम 2018 में करतार सिंह के आने के बाद ही हुआ था। कई अखबारों में खबर है कि उक्त प्रिंसिपल के उच्च राजनीतिक संबंध थे, जिसकी वजह से कोई उसके खिलाफ कार्रवाई नहीं कर रहा था। इस स्कूल से पहले भी पिछले स्कूलों में वह ये हरकतें कर चुका है।

द प्रिंट की सागरिका किस्सू ने अपने 10 नवंबर की रिपोर्ट में स्कूल की जमीनी रिपोर्ट साझा की है, जिसमें उन्होंने स्कूल की छात्राओं के साथ इंटरव्यू किया है। इस रिपोर्ट में विस्तार से जानकारी मिलती है कि किस प्रकार 11 वर्ष से लेकर 15-16 वर्ष की इन छात्राओं को प्रिंसिपल किसी न किसी गलती के आधार पर अपने रूम में बुलाता था और हाथ, कमर को छूने की कोशिश करता था। काले शीशे से बाहर की हलचल तो दिख जाती थी, लेकिन कमरे के भीतर क्या हो रहा है के बारे में बाहर खड़े व्यक्ति को कोई अंदाजा नहीं लग सकता था।

राज्य महिला आयोग की अध्यक्षा के अनुसार, 13 सितंबर को हमारे पास शिकायत आई थी हमने तत्काल 14 सिंतबर को इस पर कार्यवाही की, लेकिन संबंधित विभाग ने 29 अक्टूबर तक इस मामले में कोई कार्यवाही नहीं की। यह बात उनके संज्ञान में तब आई, जब डेढ़ महीने बाद छात्राओं ने उनसे दोबारा संपर्क साधा। हमने तत्काल एसपी सुमित कुमार एसपी को 24 घंटे के भीतर एक्शन लेने के निर्देश दिए।

60 छात्राओं के लिखित बयान के बाद भी कार्रवाई में देरी

इतना ही नहीं, उन्होंने सभी 60 छात्राओं के लिखित बयान प्रेस कांफ्रेंस में उपस्थित पत्रकारों को दिखाए। उन्होंने कहा कि सभी बच्चियां नाबालिग हैं, आरोपी पर पोस्को एक्ट लगाया गया है। लेकिन उनका कहना था कि, “पुलिस प्रशासन की कार्यवाई से वे बिल्कुल भी संतुष्ट नहीं हैं, क्योंकि प्रशासन को तत्काल कार्रवाई के निर्देश के बाद स्कूल में जाकर किसी ने इन बच्चियों को दबाव में लेने की कोशिश की थी। मैं सुमित कुमार से जानना चाहूंगी। आपका डीएसपी वहां पर बैठा हुआ था। फिर ऐसे में कौन स्कूल में दबाव डालने गया? मैं डीजीपी कपूर साहब से जानना चाहूंगी कि क्यों उसे भागने का मौका मिला?”

सबसे हैरानी की बात यह है कि इन बच्चियों ने यह शिकायत असल में 31 अगस्त को ही लिख दी थी। लेकिन महिला आयोग की डाक में यह 12 सितंबर को पहुंची। आयोग के 13 सितंबर की डायरी में इसे दर्ज किया गया, और 14 को आयोग ने पुलिस प्रशासन को इसे भेज दिया। लेकिन 29 अक्टूबर को जब बच्चियों की ओर से फिर शिकायत की गई तो आयोग ने इस पर कड़ा रुख लिया तो पता चला कि स्कूल का प्रिंसिपल तो भाग गया है। आयोग की अध्यक्षा आरोप लगाते हुए कहती हैं कि वह भाग गया, या भगा दिया गया?

आरोपी को 341, 354 में पोक्सो एक्ट के तहत आरोपी बनाया गया

उन्होंने अपने बयान में कहा, “कल फिर से फोन आये हैं कि उन पर दबाव डाला जा रहा है कि तुम क्यों इस पचड़े में पड़ती हो, तुम्हें क्या फायदा होगा, तुम्हें महिला आयोग के चक्कर लगाने पड़ेंगे। इसके साथ ही आरोपी के पास 5 अज्ञात फोन नंबर पाए गये हैं, जिनमें से सिर्फ 2 नंबर ही उसके परिवार की जानकारी में हैं। उन 3 फोन से वह छात्राओं को फोन, मैसेज और चैट किया करता था। ऐसे प्रिंसिपल को तत्काल प्रभाव से जेल भेजा जाना चाहिए। इन्हीं वजहों से सरकार बदनाम होती हैं।”

आरोपी को 341, 354 में पोक्सो एक्ट के तहत आरोपी बनाया गया था, और एक सप्ताह पूर्व गिरफ्तार किया जा चुका है। इस मामले में पूर्व DEO के खिलाफ भी जांच की जा रही है और एक महिला अध्यापिका के भी इसमें शामिल होने की आशंका जताई जा रही है।

बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ की बात सिर्फ नारों में

बड़ा सवाल यह है कि एक छोटे से कस्बे में 60 से अधिक नाबालिग छात्राओं के साथ पिछले कई वर्षों से अश्लील हरकत करने वाले प्रिंसिपल को बर्दाश्त करने वाले समाज में वे कौन सी ताकतें काम कर रही हैं, जो ऐसे अपराधों पर पूरी तरह से चुप्पी साध लेती हैं? धर्म की रक्षा के नाम पर लव जिहाद सिद्धांत की ईजाद करने वाले राजनीतिक दल की सरकार पिछले 9 साल से हरियाणा में राज कर रही है।

‘बेटी बचाओ-बेटी पढाओ’ के नारे की असलियत तो राज्य में खेल मंत्री और हरियाणा की ही नामचीन महिला पहलवानों ने देश और दुनिया में उजागर कर दी है। उक्त प्रिंसिपल के जाट समुदाय को इसकी एक वजह बताया जा रहा है। यह आशंका जताई जा रही है कि यदि राज्य सरकार ने अपनी ओर से कारवाई की होती तो जाट बिरादरी पूरी तरह से नाराज हो जाती, और इसका खामियाजा चुनाव में भाजपा को भुगतना पड़ता।

हर चीज चुनावी फायदे-नुकसान को ध्यान में रखकर करने की परंपरा

देश में हर चीज चुनावी फायदे-नुकसान को ध्यान में रखकर करने की परंपरा अब गहरे जड़ जमा चुकी है। चुनावी नुकसान को ध्यान में रखने के कारण ही महिला पहलवानों की शिकायत को ध्यान नहीं दिया जाता, चाहे देश की दुनियाभर में थू-थू हो। मणिपुर का उदाहरण हमारे सामने आज भी स्मृति से ओझल नहीं हुआ है। अगर सब चुनाव को ही ध्यान में रखकर किया जा रहा है तो साफ़ समझना चाहिए कि देश में नेताओं के सारे आयोजन, मूर्तियों-मंदिरों की स्थापना, संसद निर्माण, मेडिकल की स्थापना के लिए लगाये गये पत्थर से लेकर चुनावी राज्यों में हजारों करोड़ रूपये की घोषणा जैसी सारी बातें बेमानी हैं, झूठ हैं और आपके हाथ में ठेंगे के सिवाय कुछ नहीं आने वाला है।

जींद में महापंचायत कर किसानों का ऐलान

कल जींद में महापंचायत कर किसानों ने ऐलान किया है कि उक्त प्रधानाध्यापक का केस कोई वकील नहीं लेगा। यह ही एक तालिबानी फैसला है। पहले तो हम पूरा जोर लगाकर ऐसे मामलों को दबाते हैं, और चाहते हैं कि हमारी लड़कियां परिवार की इज्जत की खातिर चुपचाप सहन कर लें।

आज भी कई लोग इन छात्राओं को ही सरकार द्वारा वितरित किये गये टैब का दुरूपयोग सोशल मीडिया साईट को इंस्टाल कर बिगड़ने को दे रहे हैं। उन्हें उक्त 57 वर्षीय प्रिंसिपल से शायद उतनी शिकायत नहीं, क्योंकि हमारे जेहन में वह गुरु, टीचर नहीं एक प्राकृतिक आदम है, जिसका स्वाभाविक स्वभाव आखेट का है। असल में महिला को ही संभल कर रहना होगा, हो सके तो स्कूल, नौकरी से तौबा कर लेना चाहिए। घर के अंदर ढोर-डंगर का जीवन जीने और पल्लू से खुद को ढंक कर हम आईने में खुद को देखकर भी नहीं देख पाते कि एक तालिबानी और हममें क्या फर्क है?

(रविंद्र पटवाल जनचौक के संपादकीय टीम के सदस्य हैं।)

0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest
0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments