भारतीय मूल की ब्रिटिश प्रोफेसर को बंगलुरू हवाई अड्डे से डिपोर्ट किया गया

नई दिल्ली। बंगलुरू में आयोजित एक कार्यक्रम में हिस्सा लेने आयी कश्मीरी मूल की एक ब्रिटिश नागरिक को बंगलुरू हवाई अड्डे से ही वापस भेज दिया गया। ऐसा केंद्र सरकार के आदेश पर किया गया है। 

भारतीय मूल की ब्रिटिश लेखिका निताशा कौल लंदन स्थित यूनिवर्सिटी ऑफ वेस्टमिंस्टर में राजनीति विज्ञान की प्रोफेसर हैं। उन्होंने अपने एक्स पोस्ट में कहा कि उन्हें शुक्रवार को देश में प्रवेश करने से मना कर दिया गया और बंगलुरू हवाई अड्डे से केंद्र सरकार के आदेश पर लोकतांत्रिक और संवैधानिक मूल्यों के पक्ष में बोलने पर डिपोर्ट कर दिया गया। 

कौल को कर्नाटक की कांग्रेस सरकार ने शनिवार और रविवार को आयोजित ‘संविधान और राष्ट्रीय एकता कन्वेंशन’ में बोलने के लिए आमंत्रित किया था उनका विषय था ‘संविधान और लोकतंत्र’। बंगलुरू में उतरने के बाद वैध वीजा होने के बावजूद उन्हें हवाई अड्डे के बाहर नहीं जाने दिया गया।

पैदाइश से कश्मीरी पंडित कौल को आरएसएस के आलोचक के तौर पर जाना जाता है। कौल प्रवासी भारतीय हैं। इमिग्रेशन नियमों के मुताबिक भारत में पैदा होने वाले विदेशियों को देश में अनिश्चित काल तक रहने और काम करने की छूट है।

कौल 2019 में विदेश मामलों की यूनाइटेड स्टेट्स हाउस कमेटी के सामने एक मुख्य गवाह के तौर पर पेश हुई थीं जिसमें अनुच्छेद 370 समाप्त होने के बाद कश्मीर में मानवाधिकारों के हनन का परीक्षण होना था। उन्होंने कहा कि “मुझे इमिग्रेशन द्वारा कोई कारण नहीं बताया गया। ‘हम कुछ नहीं कर सकते हैं आदेश दिल्ली से है’” कौल ने एक्स पर कहा। मुझे कोई नोटिस भी नहीं मिला। या फिर दिल्ली से कोई पहले सूचना मिली हो कि मुझे जाने की इजाजत नहीं है। ऐसा कुछ नहीं हुआ। उन्हें ब्रिटिश एयरवेज की फ्लाइट से उनके उतरने के 24 घंटे के बाद लंदन भेज दिया गया।

कौल ने आरोप लगाया कि वह कई घंटे इमिग्रेशन पर इंतजार करती रहीं। और स्थिति के बारे में उन्हें कुछ सूचना नहीं दी गयी और उसके बाद एक सेल में सीसीटीवी की निगरानी में 24 घंटे के लिए रख दिया गया। वह केवल सेल के भीतर ही घूम सकती थीं। जहां भोजन और पानी तक उनकी पहुंच से दूर था। और सोने के लिए एक छोटी पैच थी।

कौल ने एक्स पर कहा कि तकिया और कंबल जैसी बुनियादी चीजों के लिए मैंने दर्जनों काल हवाई अड्डे को किया लेकिन उन्होंने देने से इंकार कर दिया।

उन्होंने आरोप लगाया कि अधिकारी औपचारिक तौर पर मेरे द्वारा की जाने वाली आरएसएस की आलोचना का हवाला दिए। मैंने भारत की कई बार यात्रा की है। मुझे राज्य सरकार द्वारा आमंत्रित किया गया था लेकिन केंद्र द्वारा इंकार कर दिया गया।

कौल ने कहा कि सालों से दक्षिणपंथी हिंदुत्व ट्रोलों द्वारा उनको बलात्कार और हत्या की धमकी दी जा रही है। लेकिन मैंने उनकी कभी परवाह नहीं की। रविवार को उन्होंने अपनी निजी सुरक्षा को लेकर चिंता जाहिर की। उन्होंने कहा कि अगर मेरे साथ कोई दुर्घटना घटती है तो शायद उसकी गहरी छानबीन होनी चाहिए।

कौल ने खुद की तुलना तिब्बती और यूक्रेन शरणार्थियों के साथ की और कहा कि अभी तक के इतिहास में इस तरह के और भी लोग हैं जिन्हें निर्मम सत्ताओं का सामना करना पड़ा है।  

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