कमलनाथ का एमपी सीएम पर सीधा हमला, कहा- ‘घोटाला’ सर्च करने पर आएगी शिवराज चौहान की तस्वीर

कांग्रेस ने मध्य प्रदेश की बीजेपी सरकार के खिलाफ भ्रष्टाचार को लेकर हमला तेज कर दिया है। पार्टी ने 18 अगस्त को भोपाल में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान राज्य की बीजेपी सरकार पर भ्रष्टाचार के कई आरोप लगाये। मध्य प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने भाजपा सरकार के कथित घोटालों को सूचीबद्ध करते हुए एक “घोटाला शीट” जारी किया। कमलनाथ ने कहा, “जल्द ही गूगल पर ‘घोटाला’ सर्च करने पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की तस्वीर निकल कर सामने आएगी।”

कमलनाथ ने कहा, “मध्य प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान सरकार ने अपने 18 साल के शासन के दौरान घोटालों का विश्व रिकॉर्ड बनाया है। सूची बहुत लंबी है और कांग्रेस ने ‘घोटाला सूची’ में कुछ बड़े घोटालों को ही शामिल किया है। ‘50% कमीशन राज’ ने राज्य को ‘घोटाला राज्य’ में बदल दिया है।”

कमलनाथ ने चुटकी लेते हुए कहा, “वह दिन दूर नहीं जब लोग गूगल पर ‘स्कैम’ खोजेंगे और शिवराज सिंह चौहान की तस्वीर दिखाई देगी।” यह पूछे जाने पर कि उनकी सरकार ने 2018 से 2020 के बीच सत्ता में रहते हुए इनमें से किसी भी घोटाले की जांच क्यों नहीं की, इस पर कामलनाथ ने कहा कि, “मैं 2018 मॉडल नहीं हूं, अब मैं 2023 मॉडल हूं।”

उन्होंने कहा, “मुझे सत्ता में केवल 15 महीने मिले और 2019 के लोकसभा चुनाव की आदर्श आचार संहिता के कारण ढाई महीने बर्बाद हो गए।” कमलनाथ ने कहा, “मेरा ध्यान भ्रष्टाचार-घोटालों की जांच की तुलना में मध्य प्रदेश को ‘निवेश डेस्टिनेशन’ के रूप में स्थापित करने पर अधिक था।”

कांग्रेस की ओर से जारी ‘घोटाला शीट’ में कुख्यात व्यापम घोटाला (2,000 करोड़ रुपये), अवैध खनन (50,000 करोड़ रुपये), ई-टेंडर घोटाला (3,000 करोड़ रुपये), आरटीओ घोटाला (25,000 करोड़ रुपये), शराब घोटाला (86,000 करोड़ रुपये), महाकाल लोक घोटाला (100 करोड़ रुपये) और बिजली घोटाला (94,000 करोड़ रुपये) सहित 254 घोटालों को सूचीबद्ध किया गया है। ‘घोटाला शीट’ की टैगलाइन है- “घोटाला ही घोटाला, घोटाला सेठ- 50% कमीशन रेट।”

कांग्रेस ने एक फोन नंबर भी जारी किया है, जिस पर मिस्ड कॉल देकर आम लोग पार्टी के इस अभियान से जुड़ सकते हैं।

वहीं कांग्रेस की प्रेस कॉन्फ्रेंस पर प्रतिक्रिया देते हुए, मध्य प्रदेश भाजपा अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा ने कमलनाथ को ‘भ्रष्टाचार नाथ’ कह कर संबोधित करते हुए कहा कि ‘उनके साथ जो जुड़ा है, वह 1984 के सिख विरोधी दंगों और कई अन्य मुद्दों का मॉडल है, न कि 2023 मॉडल’। शर्मा ने कहा कि ‘प्रेस कॉन्फ्रेंस में कांग्रेस द्वारा बांटे गये पर्चे में कोई क्रेडिट लाइन नहीं है’।

राज्य में इस साल के अंत तक विधानसभा चुनाव होने हैं। भाजपा ने गुरुवार को अपने उम्मीदवारों की पहली सूची जारी कर दी है, हालांकि चुनाव कार्यक्रम की घोषणा अभी नहीं की गई है।

कर्नाटक की भाजपा सरकार पर भी लगे थे भ्रष्टाचार के आरोप

इसके पहले कर्नाटक में भी भाजपा पर ‘40% कमीशन’ के आरोप लगे थे। भाजपा शासन के दौरान कर्नाटक राज्य ठेकेदार संघ की ओर से ‘40% कमीशन’ का आरोप लगाया गया था। राज्य की सिद्धारमैया सरकार ने जांच के लिए उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश एच.एन. नागामोहन दास की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया है। कमेटी को 30 दिन में रिपोर्ट देने को कहा गया है।

कर्नाटक सरकार का यह आदेश ऐसे समय आया है जब कांग्रेस के नेतृत्व वाली राज्य सरकार और ठेकेदार अलग-अलग विभागों में लंबित बिलों की मंजूरी को लेकर आमने-सामने हैं। कुछ विभागों में तो पिछले तीन साल से बिल लंबित हैं।

एसोसिएशन के अध्यक्ष डी. केम्पन्ना ने 2021 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और तत्कालीन मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई को पत्र लिखकर बताया था कि कैसे संपर्क-कर्ताओं को काम शुरू होने से पहले निर्वाचित प्रतिनिधियों और अधिकारियों को 25 से 30% रिश्वत (कमीशन) और अनापत्ति प्रमाण पत्र जारी करने के लिए 5 से 6% कमीशन देने के लिए मजबूर किया गया था। शिकायत में यह भी आरोप लगाया गया था कि भाजपा सरकार का रिश्वत पैकेज दूसरे राज्यों के ठेकेदारों को फायदा पहुंचा रहा है।

लोक निर्माण विभाग द्वारा गुरुवार को जारी जांच आदेश में कहा गया है, “हालांकि ये आरोप गंभीर प्रकृति के थे, लेकिन सरकारी स्तर पर कोई जांच नहीं की गई और नई सरकार शासन में पारदर्शिता लागू करने का इरादा रखती है।”

आदेश में यह भी कहा गया है कि समिति का गठन केम्पन्ना की शिकायत के आधार पर उन विभागों में पैकेज प्रणाली, निविदा प्रक्रिया, संशोधित अनुमान और अन्य प्रथाओं की जांच करने के लिए किया गया है, जहां बड़ी संख्या में परियोजनाएं शुरू की गई थीं। सरकार ने नागमोहन दास को तकनीकी सलाहकारों, वित्तीय सलाहकारों और अन्य लोगों की सहायता लेने का निर्देश दिया है।

आदेश में प्रशासनिक मंजूरी की प्रकृति, पूर्ण कार्यों की गुणवत्ता मूल्यांकन, लागत अनुमान, कार्यान्वयन के दौरान परियोजना लागत में भिन्नता, फर्जी बिल बनाने और अन्य की जांच करने का निर्देश दिया गया है। कुछ हफ्ते पहले, शहरी विकास विभाग ने बृहत बेंगलुरु महानगर पालिका (बीबीएमपी) में पिछले तीन वर्षों में स्वीकृत और निष्पादित परियोजनाओं की जांच के लिए चार विशेष जांच टीमों का गठन किया था।

कांग्रेस में लौट रहे हैं सिंधिया गुट के नेता

वहीं दूसरी ओर मध्य प्रदेश में बीजेपी के अंदर तनाव कम नहीं हो रहा है। मध्य प्रदेश के विधायक समंदर पटेल, जो 2020 में ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ भाजपा में शामिल हुए और कमलनाथ के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार को गिरा दिया था और अब वही समंदर पटेल सत्तारूढ़ दल में ‘घुटन’ का आरोप लगाकर शुक्रवार को कांग्रेस में वापस लौट आए हैं।

पटेल भाजपा कार्यालय में अपना इस्तीफा पत्र सौंपने के लिए अपने निर्वाचन क्षेत्र जावद से भोपाल गए और इस दौरान ‘1,200 कारों का काफिला’ उनके साथ था। पटेल सिंधिया के तीसरे ऐसे वफादार हैं, जो कांग्रेस में वापस चले गए हैं और वह भी ठीक उसी शैली में, विशाल कार रैलियों का उपयोग करके शक्ति प्रदर्शन करते हुए, जिस तरह से पहले भी दो नेता गए थे।

इससे पहले 14 जून को शिवपुरी के बीजेपी नेता बैजनाथ सिंह यादव भी सिंधिया से अलग हो गए थे। वो भी इसी तरह 700 कारों की रैली आयोजित की थी। भाजपा के पूर्व शिवपुरी जिला उपाध्यक्ष राकेश कुमार गुप्ता ने भी 26 जून को एक कार रैली का आयोजन किया था।

पटेल ने द इंडियन एक्सप्रेस से कहा कि “मैंने महाराज (सिंधिया) के साथ पार्टी छोड़ दी। जल्द ही, मुझे भाजपा के अंदर घुटन महसूस होने लगी। मुझे किसी भी कार्यक्रम में आमंत्रित नहीं किया गया। मुझे सम्मान और शक्तिशाली पद नहीं दिया गया।”

(‘द हिंदू’ और ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ में प्रकाशित खबर पर आधारित।)

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