जी-20 शिखर सम्मेलन: वैश्विक मुद्दों पर आम सहमति के आसार कम

देश की राजधानी नई दिल्ली में 8 से 10 सितंबर को जी-20 शिखर सम्मेलन होने जा रहा है। भारत इस शिखर सम्मेलन की मेजबानी कर रहा है। जी-20 समूह में 20 देश शामिल हैं जबकि सम्मेलन में 17 देश ही शामिल होंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार 3 सितंबर को समाचार एजेंसी पीटीआई को एक इंटरव्यू दिया है जिसमें उन्होंने पूरी दुनिया से अपील की है कि जी-20 सम्मेलन में दुनिया की प्रमुख समस्याओं पर आम सहमति बनाएं। पीएम मोदी ने कहा है कि आप लोग जिस मकसद से यहां आ रहे हैं उस मकसद पर आम सहमति बनाई जाए।

पीएम को क्यों करनी पड़ी अपील?

गौर करने की बात ये है कि इसके लिए पीएम मोदी को सभी देशों से अपील क्यों करनी पड़ी। कहीं इसका अर्थ ये तो नहीं कि दुनिया भर की समस्याओं पर आम सहमति बनाना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन हो गया हो। सात सितंबर से सभी देशों के नेता और प्रतिनिधि भारत आने लगेंगे और अभी तक जो हर बड़े सम्मेलन के बाद एक साझा घोषणा पत्र जारी किया जाता है उस पर भी आम सहमति नहीं बन पाई है और ना बनने की कोई संभावना दिख रही है।

इससे पहले जी-20 को लेकर भारत ने कई मुद्दों पर अलग-अलग बैठकों का आयोजन किया जिनमें जलवायु परिवर्तन, कर्ज का संकट, विकास के मुद्दों पर चर्चा की गई लेकिन किसी में भी आम सहमति नहीं बन सकी। सभी बैठकों में बिना कोई साझा बयान जारी किये बैठकों को खत्म होना पड़ा। इसकी एक सबसे बड़ी वजह है यूक्रेन का युद्ध। पश्चिमी देश इस बात पर अड़े हुए हैं कि साझा बयान में यूक्रेन के युद्ध का जिक्र ज़रूर होना चाहिए और यूक्रेन पर हमले के लिए रूस की निंदा होनी चाहिए।

चूंकि जी-20 में रूस भी शामिल है और चीन भी शामिल है जो यूक्रेन के युद्ध को बिल्कुल अलग नजरिये से देखता है। इसलिए इस मुद्दे पर कि साझा बयान पर यूक्रेन युद्ध का जिक्र किया जाए इस बात से रूस सहमत नहीं है। इस मुद्दे पर चीन भी सहमत नहीं होगा क्योंकि चीन यूक्रेन युद्ध को अलग नजरिये से देखता है। कर्ज संकट के सवाल पर भी पश्चिमी देशों की सहमति नहीं बन पाई है।

पीएम के अपील का कितना होगा असर?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अपील का दुनिया पर खासा असर पड़ता नहीं दिख रहा है। यहां गौर करने वाली बात ये है कि सम्मेलन में तीन देशों के नेता पहले ही आने से मना कर चुके हैं। सबसे पहले रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने शिखर सम्मेलन में आने से मना कर दिया है। चीन के राष्ट्रपति शी जिंनपिंग और मैक्सिको के राष्ट्रपति एंग्लो ने भी आने से मना कर दिया है। इसका मतलब ये है कि सम्मेलन में 17 देशों के नेता शामिल हो रहे हैं।

इन बड़े नेताओं का सम्मेलन में न आने का मतलब ये है कि ये देश जी-20 की बैठक को ज्यादा अहमियत नहीं दे रहे हैं। इससे पहले रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ब्रिक्स की बैठक में भी हिस्सा लेने नहीं गए थे लेकिन उन्होंने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये ब्रिक्स सम्मेलन की हर बैठक में भाग लिया था। लेकिन मित्र देश होने के बावजूद रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने जी-20 सम्मेलन में शिरकत करने के लिए भारत आना ज़रूरी नहीं समझा और चीन ने भी यही फैसला किया।

इससे जी-20 शिखर सम्मेलन की चमक पहले ही फीकी पड़ गई है। अब उसके बाद साझा बयान पर भी आम सहमति बनने की कोई उम्मीद नहीं है। ऐसे में प्रधानमंत्री की अपील का दुनिया भर के नेताओं पर कोई असर पड़ता नहीं दिख रहा है।

(वरिष्ठ पत्रकार सत्येन्द्र रंजन के साथ बातचीत पर आधारित।)

0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest
0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments