मणिपुर फाइल्स: दो कुकी लड़कियों के बलात्कार और हत्या में मैतेई भीड़ ने बर्बरता की हर सीमा पार की

नई दिल्ली। हाल ही में मीडिया से बातचीत के दौरान तैश में मणिपुर के मुख्यमंत्री ने जब महिला पत्रकार को टोकते हुए ऐलान किया था कि यहां पर यही एकमात्र घटना नहीं हुई, बल्कि ऐसे सैकड़ों मामले हैं और इसीलिए राज्य में इंटरनेट पर प्रतिबंध लगाया गया है, तभी से देश में असंख्य नागरिक आशंकित थे कि हो न हो ऐसी और भी कई भयावह घटनाएं मणिपुर से देखने को मिल सकती हैं।  

उक्त वायरल वीडियो के प्रकाश में आने के दो दिन बाद ही एक और बेहद भयावह मामला प्रकाश में आया है जिसने अकथनीय बर्बरता की सारी सीमाएं लांघ दी है। यह घटना भी 4 मई की है, जिसमें इंफाल में एक कार वाश वर्कशॉप में कार्यरत दो कुकी लड़कियों के साथ भारी संख्या में आई मैतेई भीड़ द्वारा बलात्कार और हत्या की घटना को अंजाम दिया गया था। दोनों लड़कियों की उम्र 21 और 24 बताई जा रही है, और इनमें से छोटी लड़की पिछले 2 वर्ष से वर्कशॉप पर काम कर रही थी। महज 5,000 रूपये मासिक पगार पर काम कर वह गांव में रह रहे अपने परिवार का सहारा थी। 

16 मई को पीड़िताओं में से एक की मां ने उनके साथ बलात्कार और बर्बरता के बाद निर्मम तरीके से हत्या करने का आरोप लगाते हुए प्राथमिकी दर्ज की थी। मणिपुर में मैतेई-कुकी के बीच संघर्ष छिड़ने के एक दिन बाद 4 मई को दो और महिलाओं, जिनका वायरल वीडियो पूरे देश और दुनिया भर ने देखा की घटना दूसरे जिले में हुई थी, जिन्हें भीड़ द्वारा जबरन नग्न कराकर सड़क पर परेड कराई गई थी और एक के साथ सामूहिक बलात्कार की घटना प्रकाश में आई थी।  

इस घटना में कम उम्र की पीड़िता की मां ने उक्त घटना के दो सप्ताह बाद कंगपोकपी जिले के सेकुल पुलिस स्टेशन में जीरो एफआईआर दर्ज कराई थी, क्योंकि उस दौरान हमले और आगजनी में अपनी जान बचाने के लिए कुकी परिवारों को कई दिनों तक पैदल ही पलायन करने के लिए मजबूर होना पड़ा था। लेकिन प्राथमिकी दर्ज किये जाने के दो महीने बाद भी इस बात का कोई प्रमाण नहीं मिलता कि पुलिस ने इस बारे में कोई कार्रवाई की है।   

अपनी एफआईआर में पीड़िता की मां ने मैतेई लीपुन, मैतेई यूथ ऑर्गनाइजेशन, अरम्बाई टैंगोल और कांगलेइपाक कांबा लुप (केकेएल) जैसे संगठनों से जुड़े अज्ञात लोगों के खिलाफ दोनों युवतियों की हत्या का आरोप लगाया। उनमें से एक पीड़िता की चचेरी बहन ने याद करते हुए बताया कि 4 मई को 100 से भी अधिक की संख्या में मैतेई लोगों की भीड़ ने कार वाश वर्कशॉप के कमरे से इन दोनों महिलाओं को ढूंढ निकाला था। 

उसका कहना था, “यह एक सुनियोजित हमला था…इस इलाके के मैतेई बखूबी जानते थे कि कार वाश वर्कशॉप में दो कुकी लड़कियां नौकरी करती हैं। उनके निशाने पर यही दोनों लड़कियां थीं। इससे पहले सुबह भी मैतेई लोगों का हुजूम कार वाश में उनकी तलाश में आया था, लेकिन दोनों के छिपे होने की वजह से वे वापस लौट गये थे। दोपहर के दौरान उन्होंने वहां से भागने की कोशिश की, लेकिन इंफाल शहर में भारी आगजनी के चलते हालात नहीं बन पा रहे थे। द टेलीग्राफ अखबार के संवाददाता से फोन पर बात करते हुए चचेरी बहन ने बताया, “दोपहर 4 बजे के आसपास भीड़ दुबारा आई और वहां पर काम करने वाले सभी लड़कों को उन्होंने वर्कशॉप से बाहर कर सड़क पर निकाल दिया। उन्होंने लड़कों को धमकी दी कि यदि उन्होंने दोनों लड़कियों के बारे में नहीं बताया तो वे उन्हें मार डालेंगे।”

चचेरी बहन के अनुसार, उनमें से एक कम-उम्र के कर्मचारी ने घबराकर हमलावरों को कार वाश के भीतर छिपी दोनों युवतियों के बारे में जानकारी दे दी। नारे लगाते हुए भीड़ ने वर्कशॉप के भीतर प्रवेश किया। वहां पर मौजूद मैतेई महिलाओं ने भीड़ में मौजूद पुरुष हमलावरों को उकसाते हुए उनसे लड़कियों से बलात्कार करने और हत्या करने का निर्देश दिया।” 

उसने आगे बताया, “करीब 5 बजे के आसपास वे वर्कशॉप के भीतर घुसे और बारी-बारी से उन्होंने उस कमरे में प्रवेश किया जहां वे बेचारी लडकियां खुद को छिपाए हुई थीं। बलात्कार से पहले उन्होंने उन्हें यातनायें दी। करीब दो घंटे बाद वे उन लड़कियों को कार वाश से बाहर लेकर आये… बाद में शाम को जाकर पुलिस ने मृतक देह को अपने कब्जे में लिया।”

4 मई की रात को इस घटना का स्वतः संज्ञान लेते हुए मणिपुर पुलिस ने पोरोम्पट पुलिस थाने में एक अन्य एफआईआर दर्ज कर दोनों महिलाओं की हत्या की पुष्टि की थी, लेकिन इसमें बलात्कार का कोई जिक्र नहीं था। एफआईआर में अनिर्दिष्ट हमले का हवाला देते हुए गंभीर रूप से घायल होकर मौत का जिक्र किया गया है। 

पुलिस के द्वारा दर्ज एफआईआर इस बात की ओर इशारा करती है कि पुलिस थाने से एक अधिकारी को इस मामले की जांच का काम सौंपा गया था। लेकिन पीड़िता की मां का इस बारे में कहना है कि पुलिस की ओर से उनके परिवारों से कोई मिलने नहीं आया था।

फिलहाल ये परिवार राहत शिविर में रह रहे हैं क्योंकि इनके गांव को जलाकर ख़ाक कर दिया गया था। पीड़िता की चचेरी बहन का इस बारे में कहना था, “आप हमारी राज्य पुलिस के बारे में कभी अंदाजा नहीं लगा सकते हैं…वे कार्रवाई करने के लिए आपसे बलात्कार और यातना का वीडियो सबूत मांग सकते हैं। उसने बताया कि 4 मई की दोपहर के दौरान उसकी पीड़िता के साथ मेसेज चैट पर बात हुई थी, लेकिन उसके बाद मैसेज का सिलसिला बंद हो गया।

इस घटना का सिलसिलेवार ब्यौरा उसे कार वाश के पुरुष कर्मचारियों में से एक लड़के से प्राप्त हुआ था, जिन्हें मैतेई पुरुषों ने दोनों महिलाओं के साथ बर्बर कृत्य के दौरान दूसरे कमरे में बंद कर रखा था। उक्त लड़के से चचेरी बहन ने 10 मई को बात की थी और सारे घटनाक्रम को फोन पर दर्ज कर लिया था। 

“उसने मुझे बताया कि मैतेई ग्रुप ने जब उन दोनों लड़कियों को कार वाश से बाहर निकाला था, उसी के बाद उन्हें आजाद किया गया… जब उन्होंने कमरे में प्रवेश किया तो फर्श, दीवारों और फर्नीचर को खून से सना देख वे सन्न रह गये थे। उन्होंने देखा कि लड़कियों के कपड़ों के चीथड़े बिखरे हुए थे। मुझे बताया गया कि उन्होंने बालों के गुच्छे देखे थे।” 

उसने आगे कहा, “मेरी चचेरी बहन की दोस्त के लंबे बाल थे। कल्पना कीजिये किस प्रकार की बर्बरता से उन्हें गुजरना पड़ा होगा।” शुक्रवार को मणिपुर में पीड़िता की चचेरी बहन और उस लड़के से हुई बातचीत की ऑडियो क्लिप सामने आई है।

केंद्रीय मंत्रालय के एक वरिष्ठ नौकरशाह जो उसी इलाके से आते हैं, ने द टेलीग्राफ को बताया, “24 वर्षीय महिला ने हाल ही में अपनी शिक्षा पूरी की थी, और उसकी योजना ब्यूटी सैलून खोलने की थी।। कार वाश वर्कशॉप का काम उसने तात्कालिक तौर पर स्वीकार किया था। लेकिन उसमें से छोटी लड़की वहां पर पिछले 2 वर्ष से कार्यरत थी। दोनों एक ही कुकी गांव की रहने वाली थीं, और अपने सपनों को पंख देने के लिए इंफाल में रह रही थीं। लेकिन गुंडों ने उनके साथ बलात्कार किया और उनकी हत्या कर दी।”

उन्होंने आगे कहा, “हम अपनी दोनों बहनों के लिए न्याय चाहते हैं और हम अपने आंदोलन को तेज करने जा रहे हैं।”

उन लड़कियों से व्यक्तिगत रूप से परिचित न होने के बावजूद रुंधे गले से अधिकारी ने आगे बताया, “उनका ठंडा और बेजान शरीर आज भी इंफाल के जवाहरलाल नेहरु इंस्टीट्यूट ऑफ़ मेडिकल साइंस में रखा हुआ है। प्रशासन ने परिवार वालों को अभी तक उनका मृत देह नहीं सौंपा है। जब कभी मैं इन दो युवा लड़कियों के साथ क्या गुजरी होगी की कल्पना करता हूं, तो हर बार मेरे भीतर कुछ मर रहा होता है। किसी को भी ऐसी स्थिति से न गुजरना पड़े।”

( द टेलाग्राफ (22 जुलाई) से साभार। अनुवाद रविंद्र पटवाल।)

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