नई दिल्ली। हमास और इजरायली सेना के बीच जारी संघर्ष पर रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने इजरायल और गाजा पट्टी में हताहत नागरिकों की संख्या में “विनाशकारी वृद्धि” को लेकर चिंता व्यक्त की है। इसके साथ ही रूस के राष्ट्रपति ने मंगलवार को मध्य-पूर्व में अमेरिका की नीति पर भी निशाना साधा, जिसके बारे में उन्होंने कहा है कि फिलिस्तीनियों की जरूरतों को ध्यान में नहीं रखने की वजह से अमेरिकी नीति बेअसर साबित हो गई है। यह बात उन्होंने तुर्की के नेता रेसेप तैयप एर्दोगन के साथ फोन पर बातचीत के दौरान कही है।
क्रेमलिन की ओर से जारी वक्तव्य में कहा गया है कि दोनों नेताओं ने “तत्काल युद्धविराम” और “बातचीत की प्रक्रिया को फिर से शुरू करने” की आवश्यकता को दोहराया है। उधर तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोगन के अनुसार, “नागरिक प्रतिष्ठानों को निशाना बनाना खेदजनक है और तुर्की इस तरह के कृत्यों की निंदा करता है”। इससे पहले मंगलवार को पुतिन ने फिलिस्तीनी राज्य के निर्माण को “आवश्यक” बताया और क्षेत्र में हिंसा के नवीनतम विस्फोट के लिए अमेरिकी पालिसी को जिम्मेदार ठहराया था।
उधर ‘तेहरान टाइम्स’ की खबर के अनुसार, गाजा में सरकारी मीडिया कार्यालय ने मंगलवार को सात पत्रकारों के हताहत होने की घोषणा की है। गाजा में इजरायली हवाई हमले की शुरुआत के बाद से मारे गए पत्रकारों और मीडियाकर्मियों की सूची इस प्रकार से है-
ऐन मीडिया कंपनी में फोटोग्राफर इब्राहिम लाफी; स्मार्ट मीडिया ऑफिस के फोटोग्राफर मुहम्मद जारघोन; फ्रीलांसर मुहम्मद अल-सलही; फ्रीलांसर असद शामिख़; अलखमीसा न्यूज़ नेटवर्क के संपादक सईद अल-तवील और ख़ब्र प्रेस में फ़ोटोग्राफ़र मुहम्मद सुभ अबू रिज़्क और हिशाम अल-नवाजाहा इन हमलों में मारे गए हैं। इसके अलावा करीब 10 से ज्यादा पत्रकार घायल बताये जा रहे हैं और पत्रकार निदाल अल-वाहिदी और हैथम अब्देल-वाहिद के साथ आधिकारिक संपर्क टूट चुका है।
तेहरान टाइम्स की खबर के मुताबिक इजराइल द्वारा गाजापट्टी के भीतर फंसे फिलिस्तीनियों को इंटरनेट सहित अन्य सभी माध्यमों से कट-ऑफ करने की योजना बन रही है, इसके बाद जमीनी हस्तक्षेप की पहल की आशंका है। नेतन्याहू की सेना का लक्ष्य सबसे पहले सभी संचार माध्यमों को नष्ट करने का है, जिसमें बिजली, इंटरनेट और टेलीकॉम तक को नष्ट करना है, ताकि गाजापट्टी में विनाश की तस्वीर शेष विश्व तक न पहुंच सके।
सोमवार को इजरायली रक्षा मंत्री योअव गैलेंट ने गाजापट्टी पर पूर्ण आधिपत्य की बात कहते हुए आदेश दिया था कि, “हमारी लड़ाई पाशविक मनुष्यता से है, इसलिए हम उसी के अनुसार इसे अंजाम देंगे और इसके लिए इस क्षेत्र के भीतर पानी, बिजली, भोजन और इंधन की आपूर्ति प्रतिबंधित की जाती है।”
विभिन्न रिपोर्टों से पता चल रहा है कि यह प्रतिबंध लागू भी हो गया है, और गाजापट्टी में सिर्फ दो दिनों के लिए डीजल की उपलब्धता बची है, जिसके बगैर पूरा इलाका अन्धकार में डूब सकता है। अस्पतालों में इलाज और ऑपरेशन ठप होने की स्थिति में हजारों मरीजों और घायलों के बेमौत मारे जाने का खतरा उत्पन्न हो गया है।
उधर संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने इजराइल द्वारा गाजापट्टी की पूर्ण घेराबंदी पर अफ़सोस जताते हुए कहा है कि इससे हालात और भी बदतर हो सकते हैं। अंतोनियो गुट्रेस के अनुसार इजराइल-गाजा के बीच में नवीनतम दौर का संघर्ष कोई अचानक से नहीं हो गया है, बल्कि इसके पीछे दशकों से चली आ रही कब्जे की नीति है, जिसका कोई समाधान नहीं निकाला गया है।
अपने बयान में उन्होंने जोर देते हुए कहा है कि, “केवल बातचीत के माध्यम से शांति-बहाली के जरिए फिलिस्तीनियों और इजरायलियों की वैध राष्ट्रीय आकांक्षाओं को पूरा किया जा सकता है, जिसमें उनकी सुरक्षा के साथ-साथ संयुक्त राष्ट्र के अनुरूप संकल्प दो-राज्य की लंबे समय से चली आ रही परिकल्पना वाले समाधान द्वारा इस क्षेत्र एवं मध्य-पूर्व के लोगों के लिए दीर्घकालिक स्थिरता का मार्ग प्रशस्त किया जा सकता है।”
इधर भारतीय समाचार पत्रों के हवाले से नवीनतम समाचार यह हैं कि इजराइल और हमास की जंग में अब तक 2,150 लोगों की मौत हो चुकी है। इनमें से करीब 1,200 इजराइली और करीब 950 फिलिस्तीनियों को अपनी जान गंवानी पड़ी है। इसके साथ ही गाजा पर इजरायली हमले से संयुक्त राष्ट्र के भी 9 कर्मचारियों के हताहत होने की खबर बताई जा रही है। खबर यह भी है कि मंगलवार की रात को अमेरिका का पहला ट्रांसपोर्ट प्लेन गोला-बारूद के साथ इजराइल के नेवातिम एयरबेस पर पहुंच गया था।
गाजापट्टी का क्षेत्रफल 40 किमी x 8 किमी के दायरे में है, जिसकी एक तरफ की सीमा इजराइल तो दूसरी ओर भूमध्यसागर में जाकर खुलती है, और दोनों तरफ इजरायली सेना का आधिपत्य है। 8 किमी की जिस सीमा से मिस्र की सीमा मिलती है, वहां पर भी भारी नाकेबंदी होने से गाजापट्टी को दुनिया की सबसे बड़ा खुला जेल खाना भी कहा जाता है।
इजराइल के लिए गाजापट्टी में मौजूद 23 लाख लोगों के नरसंहार के लिए एक तरह से खुली छूट मिली हुई है, क्योंकि अमेरिका ने रविवार के दिन ही खुली चेतावनी जारी कर दी थी कि यदि किसी भारी तत्व द्वारा हस्तक्षेप की कोशिश की जाती है तो अमेरिका उसका माकूल जवाब देगा। इसके साथ ही अपने एयरक्राफ्ट-कैरियर युद्धपोत के साथ भूमध्यसागर पर पैर जमाकर बैठने से अमेरिका ने इजराइल को एक तरफ से गाजापट्टी में खुलकर नरसंहार करने की छूट दे दी है, जिसको लेकर रूस और तुर्की की ओर से तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की जा चुकी है।
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन द्वारा पहली बार जंग को लेकर बयान दिया गया है। उन्होंने कहा- यह युद्ध अमेरिकी विदेश नीति की विफलता है और अमेरिका फिलिस्तीनियों के हित को नजरअंदाज कर रहा है। अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन के इजराइल रवाना होने की खबर आ रही है, जो गुरुवार को इजराइल पहुंच सकते हैं।
यह साफ़-साफ़ दर्शाता है कि अमेरिका युद्ध के शांतिपूर्ण समाधान तलाश करने के बजाय उस इजरायली नीति को हवा दे रहा है, जिसके अमानवीय एवं भेदभावपूर्ण नीति के चलते ही पिछले सात दशकों से इजराइल-फिलिस्तीन संघर्ष का समाधान नहीं निकाला जा सका है, और पीएलओ की बजाय हमास जैसे उग्रवादी संगठनों को फिलिस्तीनियों के बीच में बड़ा आधार हासिल करने में सफलता प्राप्त हुई है।
खबर यह भी आ रही है कि इस बीच इजराइल ने गाजापट्टी पर फास्फोरस बम से हमला किया है। फिलिस्तीन की न्यूज एजेंसी ‘वाफा’ के मुताबिक, इजराइली सेना ने गाजा से सटे अल-करामा शहर पर प्रतिबंधित फास्फोरस बम का इस्तेमाल किया है। इस बम के बारे में बताया जा रहा है कि ये जिस इलाके में गिरते हैं वहां पर ऑक्सीजन लेवल काफी कम हो जाता है। इसके कण इतने छोटे होते हैं कि ये बेहद आसानी से मानव शरीर के भीतर घुस जाते हैं। इसका धुआं बेहद जहरीला होता है और फास्फोरस का तापमान 2,760 डिग्री सेल्सियस से भी अधिक होता है। इसके संपर्क में आने से बेहद जलन महसूस होती है और तत्काल मौत हो सकती है।
इसके अलावा यह भी खबर है कि इजरायली एयरफोर्स ने कल रात तक गाजापट्टी में 200 ठिकानों पर हमले किए। हमास के कमांडर मोहम्मद देइफ के पिता के घर पर भी हवाई हमला किया गया है। टाइम्स ऑफ इजराइल की रिपोर्ट के मुताबिक इस हमले में देइफ के भाई की मौत हुई है। बता दें कि मोहम्मद देइफ को इजराइल पर हुए घातक हमले के लिए मुख्य मास्टरमाइंड माना जा रहा है।
इससे पहले भी इजराइल की सेना ने करीब 7 बार देइफ को नेस्तानाबूद करने की कोशिश की थी, लेकिन हर बार वह बच निकलने में कामयाब रहा है। आज से 9 साल पहले एक हमले में उसके बेटे और पत्नी की मौत हो गई थी। एक आंख और विकलांग होने के बावजूद देइफ हमास के लिए अपनी इंजीनियरिंग की दक्षता का भरपूर इस्तेमाल करते हुए गोला-बारूद और मिसाइल निर्माण की तकनीक को विकसित करने में कामयाब रहा है।
इजराइल पर हमले से पूर्व एक रिकार्डेड बयान जारी कर देइफ ने अपने इरादे जाहिर कर दिए थे। इजरायली सेना के लिए गाजापट्टी में तबाही के पीछे देइफ के खात्मे का भी मकसद शामिल है, लेकिन देइफ क्या वहां पर मिलेगा, इस बारे में कोई पुख्ता जानकारी किसी के पास नहीं है।
(रविंद्र पटवाल जनचौक की संपादकीय टीम के सदस्य हैं।)