नई दिल्ली। जयपुर के पुराने शहर में 17 वर्षीय एक युवक की हत्या के बाद शनिवार को तनाव फैल गया। पुलिस का दावा है कि यह हत्या सड़क पर झगड़े के बाद हुई गलतफहमी थी। जयपुर के पुलिस आयुक्त बीजू जॉर्ज जोसेफ के मुताबिक घटना शुक्रवार देर रात सुभाष चौक पुलिस थाने की सीमा के अंतर्गत हुई। “दो मोटरसाइकिलें आपस में टकरा गईं और दो व्यक्ति, जो इसे देखने के लिए रुके थे, स्थानीय लोगों ने उनपर हमला कर दिया। जिसमें 17 वर्षीय इकबाल की मौत हो गई। पुलिस के अनुसार, इकबाल कथित तौर पर बाइक सवारों के गिरने के बाद उनकी मदद करने के लिए रुका था।
माणक चौक के एसएचओ भूपेन्द्र सिंह ने कहा कि, “टक्कर लगने वाले दोनों लोगों के बीच कुछ बहस हुई थी लेकिन मामला सुलझ गया और वे चले गए।” वहीं, मौके पर मौजूद इकबाल की कथित तौर पर दूसरे समुदाय के एक स्थानीय व्यक्ति से बहस हो गई। इसके बाद कुछ स्थानीय लोगों ने इकबाल पर लाठी-डंडों से हमला कर दिया। इकबाल बेहोश हो गया और उसे एसएमएस अस्पताल ले जाया गया जहां इलाज के दौरान शुक्रवार देर रात उसकी मौत हो गई।
पुलिस कमिश्नर जोसेफ ने कहा कि इस मामले में एफआईआर दर्ज कर ली गई है और हत्या में शामिल ज्यादातर लोगों को पकड़ लिया गया है। पुलिस महानिदेशक के कार्यालय की ओर से जारी एक बयान के अनुसार, पुलिस ने लगभग 15 लोगों को हिरासत में लिया है।
शनिवार की सुबह, गुस्साए स्थानीय लोग विरोध करने के लिए जमा हुए और सुभाष चौक और रामगंज के कुछ हिस्सों में दुकानें बंद करा दीं, साथ ही सड़कें जाम कर दीं। कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए अतिरिक्त पुलिस तैनात करनी पड़ी, जबकि स्थानीय विधायक अमीज कागजी और रफीक खान को भी गुस्सा शांत करने का काम सौंपा गया।
जयसिंहपुरा की रहने वाली इकबाल की मां नईमा खातून ने कहा कि, “वह अपने भाई के साथ दावत के लिए अपनी दादी के घर गया था। मैं चाहती हूं कि जिन लोगों ने मेरे बच्चे को मारा, उन्हें उसी जगह फांसी दी जाए, जहां उन्होंने उसे मारा। उनका जन्म 14 साल की मन्नत के बाद हुआ था और वह अभी 18 साल का भी नहीं हुआ था। वह सिर्फ 17 साल का था।“
कागजी ने कहा कि अनुग्रह राशि के रूप में 50 लाख रुपये का चेक परिवार को सौंप दिया गया है, जबकि इकबाल के भाई अदनान को नियमों के अनुसार संविदा पर नौकरी दी जाएगी। साथ ही इकबाल के पिता अब्दुल मजीद को एक डेयरी बूथ आवंटित किया जाएगा।
हालांकि, मजीद ने 1 करोड़ रुपये के मुआवजे की मांग की। उन्होंने कहा कि, “संविदा के बजाय सरकारी नौकरी दी जानी चाहिए। सभी दोषियों को गिरफ्तार किया जाना चाहिए और फांसी दी जानी चाहिए। हम यह भी चाहते हैं कि घटना के सभी मूल सीसीटीवी फुटेज हमारे साथ साझा किए जाएं ताकि बाद में कोई बदलाव न हो।”
(जनचौक की रिपोर्ट।)