महाराष्ट्र सरकार के निशाने पर नाबालिग, औरंगजेब की तस्वीरें पोस्ट करने पर कई गिरफ्तार

महाराष्ट्र में मुगल शासक औरंगजेब को लेकर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। इस विवाद को लेकर नाबालिग युवक हिंदूवादी संगठनों और महाराष्ट्र सरकार के निशाने पर आ गए हैं। सोशल मीडिया पर औरंगजेब की तस्वीरें पोस्ट करने के आरोप में बीड के एक 14 वर्षीय लड़के समेत राज्य भर में कई नाबालिगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है। इस मामले में कम से कम पांच नाबालिगों को गिरफ्तार कर कोल्हापुर के एक किशोर केंद्र में रखा गया है।

कोल्हापुर और बीड में पुलिस ने औरंगजेब और मैसूर के शासक टीपू सुल्तान की तस्वीरें अपलोड करने के लिए नाबालिगों के खिलाफ मामला दर्ज किया है। वहीं राज्य भर में इसी तरह के मामलों में जिन युवाओं के खिलाफ मामले दर्ज किए गए हैं उनकी उम्र 18-25 साल है।

इन युवाओं की अधिकांश पोस्ट औरंगजेब और टीपू सुल्तान की शिवाजी महाराज से तुलना से संबंधित हैं और उस दिन के आसपास अपलोड की गई हैं जब पूरे राज्य में मराठा नेता छत्रपति शिवाजी महाराज का राज्याभिषेक मनाया जा रहा था।

नाबालिग युवाओं की इन पोस्ट को लेकर हिंदू संगठनों के कार्यकर्ताओं ने पुलिस में शिकायत की थी और मांग की थी कि दूसरे समुदाय के युवकों द्वारा अपलोड किए गए इन सोशल मीडिया पोस्ट के खिलाफ कार्रवाई की जाए। उन्होंने इलाके में आधे दिन के बंद का ऐलान भी किया। लेकिन विडंबना यह है कि एक अधिकारी ने कहा कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर औरंगज़ेब की जो दो तस्वीरें साझा की गई हैं उनमें से एक एनसीईआरटी की पाठ्यपुस्तक से है।

बीड में पुलिस ने 8 जून को जिस 14 वर्षीय युवक के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की उसने औरंगजेब की तस्वीर के साथ ‘बाप तो बाप रहेगा’ लिखकर एक पोस्ट साझा की थी। यह युवक नौवीं कक्षा का छात्र है और स्कूल की छुट्टियों के दौरान एक रिश्तेदार के यहां मुंबई आया था। जब उसने देखा कि उसकी पोस्ट को लेकर विवाद हो रहा है तो उसने माफी मांगते हुए एक वीडियो भी अपलोड कर दिया था।

बीड एसपी नंदकुमार ठाकुर ने कहा,”युवक के वापस आने के बाद, हम उसे पूछताछ के लिए बुलाएंगे और प्रक्रिया के तहत उसे किशोर अदालत में पेश किया जाएगा।” लड़के का परिवार इस मुद्दे पर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहता। वहीं कोल्हापुर पुलिस ने बीड की घटना से दो दिन पहले पांच नाबालिगों को गिरफ्तार किया था।

एक अधिकारी ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा कि कोल्हापुर में एक नाबालिग द्वारा औरंगजेब पर एक पोस्ट डालने के बाद, हिंदू समूहों ने कार्रवाई की मांग करते हुए पुलिस से संपर्क किया था। पुलिस ने प्राथमिकी दर्ज की, लेकिन उसे तुरंत गिरफ्तार नहीं किया जा सका, क्योंकि वह एक किशोर था। इसके चलते दूसरे पक्ष ने अगले दिन विरोध प्रदर्शन और पथराव किया, जिसके कारण पुलिस को लाठीचार्ज का सहारा लेना पड़ा।

वर्तमान में किशोर गृह में बंद पांच नाबालिगों में से एक ने 6 जून के बाद से अपने माता-पिता से मुलाकात नहीं की है। उनके पिता ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया, “आज हम उनसे मिलने गए थे, लेकिन चूंकि सीएम आज कोल्हापुर में रहेंगे, इसलिए हमें बुधवार को आने के लिए कहा गया।”

घरवालों ने लॉकडाउन के दौरान ऑनलाइन क्लास अटेंड करने के लिए लड़के को फोन दिया था। पिता ने कहा “मैंने करीब 2000-3000 रुपये खर्च किए और उसे फोन दिया। लॉकडाउन हटने के बाद से वह फोन का इस्तेमाल नहीं कर रहा है। लेकिन उसने अपना इंस्टाग्राम अकाउंट बना लिया था और इसे अपने दोस्त के फोन से इस्तेमाल कर रहा था। हमें नहीं पता कि इंस्टाग्राम क्या है और किसी ने भी स्पष्ट रूप से नहीं कहा है कि उसने क्या अपराध किया है।”

पिता ने कहा कि “अगर उसने कुछ गलत किया है तो वह माफी मांगेंगा। हम भी माफी मांगने को तैयार हैं। यह कोल्हापुर है और हम कभी भी एक-दूसरे को चोट नहीं पहुंचाते हैं और भविष्य में भी शांति से रहना चाहते हैं।“

कोल्हापुर पुलिस द्वारा पकड़े गए एक और 15 वर्षीय लड़के के मामले में उसका परिवार उस समय सदमे की स्थिति में था जब पुलिस औरंगजेब का वीडियो साझा करके हिंदुओं की भावनाओं को आहत करने के आरोप में उसे गिरफ्तार करने के लिए उसके घर पहुंची था। परिवार हैरान था कि एक 15 साल का बच्चा पूरे समुदाय का अपमान कैसे कर सकता है।

इस लड़के के चाचा ने कहा कि “लड़के का अपनी मां के मोबाइल पर एक इंस्टाग्राम अकाउंट है। उसने एक रील साझा की, जिसे उसने एक मित्र की टाइमलाइन पर देखा था। 15 साल के लड़के को इस बात का अंदाजा नहीं था कि इससे हिंदुओं की भावनाएं आहत होंगी।“ परिवार के एक अन्य सदस्य ने कहा, “जैसे ही हमें इसके बारे में पता चला, हमने तुरंत इस पोस्ट का हटा दिया। बाद में उसने अपनी सभी पोस्ट को भी हटा दिया।“

प्राथमिकी के अनुसार, तीन से पांच नाबालिगों के इंस्टाग्राम अकाउंट में ‘बाप तो बाप रहेगा’ नारे के साथ औरंगजेब और टीपू सुल्तान की रील को दिखाया गया है, जबकि कुछ वीडियो में ‘बाप- हर घर का सच्चा राजा’ के साथ औरंगजेब की तस्वीर पोस्ट की गई थीं।

शाहुपुरी पुलिस स्टेशन में दर्ज प्राथमिकी में कहा गया है, “वीडियो छत्रपति शिवाजी महाराज के राज्याभिषेक की 350वीं वर्षगांठ पर प्रसारित किया गया था, जो हिंदुओं की भावनाओं को ठेस पहुंचाने और दो समुदायों के बीच दुश्मनी पैदा करने के इरादे प्रसारित किया गया।”

प्राथमिकी के अनुसार, पुलिस ने 295 (ए) (जानबूझकर दुर्भावनापूर्ण कार्य, किसी समुदाय के धर्म या धार्मिक विश्वासों का अपमान करके उसकी धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने का इरादा), 505(2) (जो कोई भी किसी वर्ग या समुदाय को भड़काने के इरादे से कोई बयान, अफवाह या रिपोर्ट बनाता है, उसे प्रकाशित या प्रसारित करता है) के तहत मामला दर्ज किया है।

वास्तव में औरंगाबाद का नाम बदलने के कुछ हफ़्तों के भीतर इस तरह की प्रवृत्ति देखी गई थी। 17 मार्च को कोल्हापुर जिले के सरवदे गांव के दो युवकों मोहम्मद मोमिन (19) और फैजान सौदागर (23) पर आरोप लगाया गया कि इन्होंने अपने व्हाट्सएप स्टेट्स में औरंगजेब की प्रशंसा की और जिले के नाम परिवर्तन की आलोचना की।

इन युवकों के घरों के बाहर गुस्साई भीड़ जमा हो गई, जिसके बाद दोनों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई। जूट बैग विक्रेता मोमिन को गिरफ्तार कर लिया गया, जबकि टेम्पो चालक सौदागर लापता हो गया। मोमिन को करीब एक सप्ताह सलाखों के पीछे बिताना पड़ा, वहीं सौदागर को अग्रिम जमानत मिल गई।

8 जून को अहमदनगर की मिराजगांव पुलिस ने असीम पठान को सोशल मीडिया प्रोफाइल पर औरंगज़ेब की तस्वीर साझा करने के लिए बुक किया था। स्थानीय हिंदू संगठनों ने इलाके में आधे दिन का बंद कर पुलिस पर दबाव बनाया था।

एक वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी ने कहा, “चूंकि ज्यादातर युवा सोशल मीडिया अकाउंट्स का उपयोग कर रहे हैं, इसलिए ऐसे मामलों में जिन लोगों पर मामला दर्ज किया गया है, उनमें से कई युवा हैं। इनमें से अधिकांश मामलों में स्थानीय धार्मिक संगठन ही किसी भी पक्ष से मामला दर्ज कराने के लिए हमसे संपर्क करते हैं। हिंदू समूह अपेक्षाकृत अधिक सक्रिय हैं। अगर कोई कार्रवाई नहीं की गई तो कानून व्यवस्था की स्थिति और खराब हो सकती है, इसलिए हम आवश्यक कार्रवाई करते हैं।”

(इंडियन एक्सप्रेस में प्रकाशित खबर पर आधारित।)

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