बनारस में हिन्दू युवा वाहिनी के जुलूस में लहराई गई नंगी तलवारें, लगाए गए उन्मादी नारे

उत्तर प्रदेश के बनारस में हिन्दू युवा वाहिनी (हियुवा) और त्रिशक्ति सेवा फाउंडेशन ने हिन्दू नव वर्ष की पूर्व संध्या पर देर शाम शहर के बीचो-बीच जुलूस निकाला और धार्मिक व उत्तेजक नारे लगाए। भगवा गमछा डाले कई कार्यकर्ता अपने हाथों में नंगी तलवारें लिए हुए थे। हिन्दू संवत्सवर के अवसर पर निकाले गए इस सनसनीखेज जुलूस और शोभायात्रा में उन्मादी नारे लगाने वालों में महिलाएं भी शामिल थीं, जो ज्ञानवापी केस में वादी हैं। इनके वीडियो और फोटोग्राफ सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहे हैं। यह स्थिति तब है जब लोकसभा चुनाव के मद्देनजर देश भर में आचार संहिता लागू हो चुकी है और यूपी में दफा 144 भी लागू है। खास बात यह है कि ज्ञानवापी मस्जिद तिराहे के पास पुलिस की मौजूदगी में आपत्तिजनक नारे लगाए गए और नंगी तलवारें भांजी गईं। इस मामले में पुलिस प्रशासन की ओर से अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई हैं, जिसके चलते चुनाव आयोग और नौकरशाही की नीयत पर गंभीर सवाल खड़े हुए हैं।

तलवार लहराता विहिप का कार्यकर्ता

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ हिन्दू युवा वाहिनी (हियुवा) के मुखिया रहे हैं। पिछले साल उन्होंने इस संगठन को भंग करने का ऐलान किया था, लेकिन इनका संगठन पहले की तरह चल रहा है और हियुवा से जुड़े कार्यकर्ताओं का आतंक तनिक भी कम नहीं हुआ है। हियुवा से जुड़े कई मनबढ़ युवकों ने 07 अप्रैल 2024 को श्री काशी विश्वनाथ मंदिर के समीपवर्ती गोदौलिया चौराहे पर दशाश्वमेध थाने के एक दरोगा आनंद प्रकाश को लात-घूसों से पीटा, गाली-गलौच और धक्का-मुक्की भी की। भगवा गमछा डाले अराजकतत्वों ने दरोगा का बैच और स्टार भी नोच डाला। साथ ही सरकारी गाड़ी को क्षतिग्रस्त कर दिया। पुलिस पर हमला करने वाले बगैर नंबर प्लेट की एक बाइक पर सवार थे। दरोगा ने पूछताछ की नीयत से उनकी बाइक रोक दी थी। लोकसभा चुनाव के मद्देनजर बनारस पुलिस इन दिनों बड़े पैमाने पर वाहनों की चेकिंग कर रही है। अचरज की बात यह है कि पुलिस ने जिन पांच अभियुक्तों को संगीन धाराओं में गिरफ्तार किया था, उन्हें कुछ ही घंटों के अंदर थाने से ही छोड़ देना पड़ा।

दशाश्वमेध थाने का वह दरोगा जिसका बिल्ला नोच लिया गया

हिन्दू युवा वाहिनी और त्रिशक्ति सेवा फाउंडेशन ने हिन्दू नववर्ष की पूर्व संध्या पर 08 अप्रैल 2024 की शाम बनारस शहर के मैदागिन से जुलूस और शोभायात्रा निकाला। हियुवा से जुड़े कार्यकर्ता नंगी तलवारें भांज रहे थे और धार्मिक व उत्तेजक नारे भी लगा रहे थे। नंगी तलवारें भांजते और उत्तेजक नारे लगाते हुए भगवा गमछा डाले कार्यकर्ता शाम करीब 8.15 बजे श्री काशी विश्वनाथ मंदिर के गेट नंबर-चार (ज्ञानवापी क्रासिंग) के पास पहुंचे तो वहां नारेबाजी तेज हो गई। जुलूस में शामिल लोगों का नारा था, “एक धक्का और दो-ज्ञानवापी तोड़ दो…।”

आरोप है कि नारेबाजी करने वालों वो चारो महिलाएं मंजू व्यास, रेखा पाठक, सीता साहू आदि भी शामिल थी जो ज्ञानवापी केस में वादी हैं। मजे की बात यह है कि पुलिस और खुफिया एजेंसियों के सामने काफी देर तक नारेबाजी, हंगामा और नंगी तलवारें भांजी जाती रही, लेकिन किसी ने ऐसा करने से रोकने की हिम्मत नहीं जुटाई। इस घटना के बाद से मुस्लिम समुदाय के लोग दहशत में हैं। शहर में तरह-तरह की अफवाहों का बाजार गर्म है और थाना पुलिस हाथ पर हाथ धरे बैठी हुई है। ज्ञानवापी मस्जिद की देखरेख करने वाली संस्था अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी ने चुनाव के वक्त नंगी तलवारें भांजने और धार्मिक उन्माद पैदा करने के लिए नारे लगाने वालों के खिलाफ चुनाव आयोग से सख्त एक्शन की मांग की है।

किसकी शह पर लहराई तलवारें?

02 जनवरी 2022 को बनारस के मुस्लिम बहुल क्षेत्र लल्लापुरा, कोयलाबाजार, ज्ञानवापी मोड़ समेत शहर के कई संवेदनशील इलाकों में हिन्दू युवा वाहिनी के कार्यकर्ताओं ने अपत्तिजनक नारे लगाए थे। कुछ स्थानों पर नंगी तलवारें लहराई गईं, जिससे शहर में सनसनी फैल गई थी। अबकी चुनाव के वक्त नंगी तलवारें भांजे जाने से मुस्लिम समुदाय के लोग दहशत में हैं। घटना के एक प्रत्यक्षदर्शी मुस्लिम युवक ने “जनचौक” से कहा, “हिन्दू युवा वाहिनी के जुलूस के चलते घंटों शहर जाम से कराहता रहा। जैसे ही यह जुलूस ज्ञानवापी तिराहे पर पहुंचा, भगवाधारी लोग अपने हाथों में नंगी तलवारें लेकर जोरों से उन्मादी नारे लगाने लगे। कुछ लोगों के हाथों में नंगी तलवारें थी तो कुछ लाठियां चमकाते हुए चल रहे थे। देर शाम यह हियुवा का यह जुलूस चितरंजन पार्क पहुंचकर समाप्त हो गया। यह पता नहीं चला सका है कि उन्मादी जुलूस निकालने के लिए की अनुमति किसकी शह पर दी गई थी।”

हियुवा के जुलूस को देख जाहिद आलम नामक एक व्यक्ति ने कहा, ” ईद सिर पर है। उन्मादी नारेबाजी से हम दहशत में हैं। पता नहीं, ये लोग कब उपद्रवियों को हवा दे दें और दंगा-कर्फ्यू में हमारे सामने भूखों मरने की नौबत पैदा हो जाए। शहर में हियुवा के लोग गुंडों की शक्ल में आ रहे हैं और प्रशासन आंख बंद किए बैठा है। हमें हैरानी तो तब हुई जब पुलिस के सामने एक धक्का और दो…के नारे लगाए जा रहे थे। मंदिर के सामने से जुलूस गुजरा तो पुलिस वाले भी देखने पहुंचे, लेकिन वो तमाशबीन ही बने रहे। जुलूस के साथ एक भी पुलिसकर्मी नहीं था। हाथों में नंगी तलवारें लेकर जिस तरह से बाहुबल का प्रदर्शन किया गया, वह धमकी भरा संदेश समूचे पूर्वांचल में पहुंचा है।”

हियुवा के जुलूस में नंगी तलवारें लहराने और उन्मादी नारेबाजी का जो वीडियो वायरल हो रहा है कार्यकर्ता धर्म विशेष के खिलाफ न सिर्फ नारेबाजी कर रहे थे, बल्कि धमकाते नजर आ रहे थे। खुलेआम नंगी तलवारें भांजते हुए उन्मादी नारेबाजी के साथ जुलूस निकाले जाने से शहर का प्रबुद्ध तबका हतप्रभ है। प्रबुद्धजनों का कहना है कि हिन्दू युवा वाहिनी के मुखिया यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ रहे हैं। अगर इस संगठन को उन्होंने भंग कर दिया है तो किसके इशारे पर शोभायात्रा निकाली गई और जुलूस भी। चुनाव के वक्त नंगी तलवारों को लहराने का मतलब क्या है?

ज्ञानवापी मस्जिद की देखरेख करने वाली संस्था अंजुमन इंतेज़ामिया मसाजिद कमेटी के संयुक्त सचिव सैयद मोहम्मद यासीन कहते हैं, “हिन्दू युवा वाहिनी के लोग चाहते हैं कि हम अपना धैर्य खो दें और जिससे वह फायदा उठा सकें। बनारसियों को उकसाने की यह कोई नई घटना नहीं है। अब से पहले यहां बहुत कुछ हो चुका है। इस समय कानून व्यवस्था चुनाव आयोग के हाथ में है और ऐसे समय में बनारस में नंगी तलवारें लहराते हुए जुलूस निकाला जाना कोई मामली घटना नहीं है। हमने तमाम आला अफसरों को आगाह कर दिया है। हम कुछ बोल देंगे तो वो अपने मकसद में कामयाब हो जाएंगे, इसलिए चुप होकर आराजक तत्वों का नंगा-नाच देख रहे हैं। खबर तो यह भी है कि रामनवमी पर इसी तरह का एक और जुलूस निकालने की तैयारी की जा रही है।”

सोची-समझी साज़िश

श्री काशी विश्वनाथ मंदिर के पूर्व महंत राजेंद्र तिवारी कहते हैं कि हियुवा के लोग यह भूल गए हैं कि बनारस कबीर और नजीर का शहर है। इस शहर की गंगा-जमुनी तहजीब को जिस तरह मसला जा रहा है उसके दूरगामी नजीजे भयावह हो सकते हैं। आतंक फैलाने वाले जुलूस के वीडियो क्लिप वायरल किए जा रहे हैं। दुनिया की धार्मिक और सांस्कृति राजधानी बनारस में यह सब क्यों किया जा रहा है? इसके जवाब में पूर्व महंत राजेंद्र तिवारी कहते हैं, “धार्मिक उन्माद फैलाना भाजपा का पुराना एजेंडा रहा है। बनारस में नंगी तलवारें लहराने और भड़काऊ नारेबाजी व विवादित भाषण हियुवा की सोची-समझी साजिश का नतीजा है। सभी को मालूम है कि हरिद्वार की धर्म संसद में भाजपाई संतों ने जब राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के खिलाफ जहर उगला तब भी उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई।”

“लोकसभा चुनाव जैसे-जैसे नजदीक आ रहा है, हिन्दू आतंकवाद सामने आने लगा है। सूबे के मुखिया धार्मिक ताने-बाने में हों, उनके संगठन के लोग नंगी तलवारें भांज रहे हैं तो यह कोई हैरत की बात नहीं है। गनीमत है कि अभी वो सिर्फ नंगी तलवारें लेकर ही चल रहे हैं। तलवार से सिर्फ आतंक का संदेश निकलता है, अहिंसा का नहीं। हमें लगता है कि अगर वो असाल्ट राइफल-एके 47 और एके 56 लेकर चलेंगे तब भी बोलने वाला कोई नहीं होगा। सांप्रदायिक सद्भाव बिगाड़ने के लिए बनारस में जिस तरीके और जिस तंत्र का इस्तेमाल किया जा रहा है, वह रास्ता आतंकवाद का है। सनातन हिन्दू धर्म में उग्रवाद के लिए कोई जगह नहीं है, लेकिन सियासी मुनाफे के लिए यूपी में हर तरह के हथकंडे अपनाए जा रहे हैं।”

“सभी को मालूम है कि हियुवा के लोग तलवार दिखाकर किसे डरा रहे हैं? अभी मुसलमानों और ईसाइयों को डराया जा रहा है और आगे चलकर सिखों व जैनियों को भी धमकाया जाएगा। अभी जो कट्टरता है, वो सरकारी शह पाकर बड़ा होगी और आगे बढ़ जाएगी। जब एक खास तबके को उग्रवाद का जहर पिलाया जाएगा तो अयोध्या की तरह न जाने कितने पूजा स्थलों का सफाया हो जाएगा। हमें तो लगता है कि यह सब सियासी मुनाफे के लिए तय रणनीति के तहत दुर्भावना का संदेश फैलाया जा रहा है।”

पूर्व महंत राजेंद्र तिवारी यह भी कहते हैं, ” लोकसभा चुनाव के वक्त नंगी तलवारें चकमाना और हिन्दुओं को उकसाना सामान्य बात नहीं है। कोई भी सभ्य समाज असहिष्णु भाषण बर्दाश्त नहीं करता। मुस्लिम बहुल इलाके में तलवार लहरते हुए भड़काऊ नारेबाजी को नज़रअंदाज़ नहीं किया जाना चाहिए। यह समय चौंकने का नहीं, बल्कि सक्रिय रूप से कट्टरवाद का मुक़ाबला करने का है। मुस्लिम समुदाय के लोगों को नंगी तलवारें दिखाए जाने पर भी सरकार के आंखें मूंद लेने की हम कड़ी निंदा करते हैं। असामाजिक तत्व तेज़ी से मुख्यधारा बन रहे हैं और वो घोर नफ़रत भरे और सांप्रदायिक भाषण देने में सक्षम हैं। पुलिस, राज्य और केंद्र सरकार की यह परीक्षा है और हम देखेंगे कि आयोजकों के ख़िलाफ़ क्या कार्रवाई की जाती है? हमने जो देखा और सुना, उससे बदतर कोई नफ़रत भरा भाषण नहीं हो सकता था। एक तरह से यह नरसंहार का सीधा आह्वान है।”

‘उन्मादियों पर सख्त एक्शन हो’

उत्तर प्रदेश बार काउंसिल के पूर्व अध्यक्ष हरिशंकर सिंह कहते हैं, “भारत धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र है। सभी धर्मावलंबियों को समान रूप से रहने का अधिकर है। तलवार लहराने और विवादित भाषणबाजी की घटना समुदायों के बीच शत्रुता फैलाने से संबंधित है। इस तरह के मामलों में कम से कम तीन साल तक के कारावास का प्रावधान है। उन्मादियों के खिलाफ किसी तरह की कार्रवाई न किया जाना प्रशासन की अक्षमता को उजागर करता है। हियुवा के जुलूस में तलवार लहराने की घटना देख की एकता-अखंडता और शांति-सद्भावना के लिए ख़तरा है। उन्माद फैलाने की छूट किसी को नहीं दी जानी चाहिए। शांति और सद्भाव तो पुलिस के रवैये से तय होता है। वाराणसी थाना पुलिस को शरारतीतत्वों को तत्काल गिरफ़्तार कर लेना चाहिए था, जिन्होंने शहर में घूमकर नंगी तलवारें लहराई थी। अगर सख्ती के साथ कार्रवाई की जाती है तो यह दूसरे लोगों के लिए भी एक सबक़ होता, लेकिन पुलिस की चुप्पी बता रही है कि वह आने वाली सुनामी का इंतजार कर रही है। सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध करता हूं कि वह इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना को स्वतः संज्ञान में ले।”

एडवोकेट सिंह यह भी कहते हैं, “नंगी तलवारें भांजना और उत्तेजक जयकारा लगाया जाना संविधान विरोधी कार्य है। इस मामले में धर्म, मूलवंश, भाषा, जन्म-स्थान, निवास-स्थान, इत्यादि के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच शत्रुता का संप्रवर्तन और आपसी सौहार्द्र के माहौल पर प्रतिकूल प्रभाव डालने वाले कानूनों के तहत मामला दर्ज किया जाना चाहिए। भारतीय कानून में इस बात का स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया है कि बोले गए या लिखे गए शब्दों या संकेतों के द्वारा विभिन्न धार्मिक, भाषाई या जातियों और समुदायों के बीच सौहार्द्र बिगाड़ना या शत्रुता, घृणा या वैमनस्य की भावनाएं पैदा करना संगीन अपराध की श्रेणी में आता है। इस तरह के मामलों में धारा 153ए आईपीसी के साथ अन्य संगीन धाराओं के तहत कार्रवाई होनी चाहिए। अगर आरोपितों के खिलाफ कार्रवाई नहीं होती है तो माना जाएगा कि राजनीतिक दबाव में काम कर रही है। जिन जुलूसों में नंगी तलवारें लहराई गई हैं और उत्तेजक नारे लगाए हैं उनकी ऑडियो क्लिप सार्वजनिक हो चुकी है। पुलिस को वीडियो और फोटोग्राफ का सत्यापन करते हुए तत्काल एक्शन लेना चाहिए।”

“बीते पांच सालों में तलवारें लहराने की जरूरत उन्हें नहीं पड़ी। अब चुनाव की अधिसूचना जारी हो चुकी है तो वो ऐसा कर रहे हैं। जिन लोगों ने जनता का कोई काम नहीं किया है,  वह सोच रहे हैं किस मुंह से जनता का सामना करेंगे? सबसे अच्छा उपाय यही है कि धर्म की चादर ओढ़ लीजिए, तो कोई नहीं बोलेगा। हिन्दू समाज के कुछ लोग बोलेंगे भी तो लोग यही कहेंगे देखिए धर्म के ख़िलाफ़ बोल रहे हैं। इस समय जनता की असली समस्या बेरोज़गारी, महंगाई, स्वास्थ्य है, लेकिन इन मुद्दों पर सत्तारूढ़ दल का कोई नेता बात नहीं करना चाहता। विकास के झूठ को धर्म की चाशनी में लपेट कर लोगों को परोसने की कोशिश की जा रही है। भाजपा और उसके अनुषांगिक संगठनों का पुराना एजेंडा तो यही है।”

ये है बीजेपी की पुरानी स्टाइल

वरिष्ठ पत्रकार विनय मौर्य कहते हैं, “विवादित भाषण और नंगी तलवारों का लहराया जाना कोई नई घटना नहीं है। साल 2014 में मोदी जब चुनाव लड़ रहे थे तब उन्होंने धर्म और विकास की बात की थी। ज्ञानवापी मस्जिद के तहखाने में पूजा शुरू कराकर बीजेपी सरकार ने फ़ेज़ एक का काम पूरा कर दिया है। अब बच जाता है फ़ेज़ दो। तो वो क्या होगा? फे़ज़ दो मस्जिद है। योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनाने के बाद अदालत में ज्ञानवापी मस्जिद की ज़मीन के लिए के लिए ताबड़तोड़ मुकदमें दाखिल होने लगे हैं। भाजपा तो साल 1980 के दशक में आरएसएस के बनाए हुए एजेंडे पर चल रही है। हम लोग हैं जो पुराने एजेंडे को भूल जाते हैं। आप जब धर्म और राजनीति का घालमेल करते हैं तो इंसाफ की लकीरें धुंधली पड़ने लगती हैं। हम बोलेंगे तो राष्ट्रद्रोही हो जाएंगे और वो कुछ भी बोल देंगे तो उनका बाल बांका भी नहीं होगा। बीजेपी के लिए धर्म संजीवनी की तरह है जिसके दम वह सियासत में खम ठोंकती आ रही है। मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए बनारस के संवेदनशील इलाकों में नंगी तलवारें लहराई जा रही हैं।”

बनारस में जिस समय हियुवा जुलूस और शोभायात्रा निकाल रही थी, उस समय बीजेपी के कार्यकर्ता बनारस के चितईपुर थाने में इंस्पेक्टर के साथ बदसलूकी, हंगामा और नारेबाजी कर रहे थे। भाजपाइयों का कहना था कि पुलिस उनके एक कार्यकर्ता की रिपोर्ट लिखने में हीलाहवाली कर रही थी। आरोप है कि भाजपा नेता अशोक पटेल, अभिषेक मिश्रा, शत्रुधन पटेल, विक्रम विज, मंचल मिश्र, राकेश पटेल के साथ बड़ी तादाद में कार्यकर्ताओं ने चितईपुर थाने के इंस्पेक्टर के साथ बदसलूकी की।

इससे एक दिन पहले गोदौलिया चौराहे पर वाहन चेकिंग के दौरान दरोगा आनंद प्रकाश की लात-घूसों से जमकर पिटाई करने वाले नितीश सिंह, नितेश नरसिंघानी, राहुल सिंह, सन्नी गुप्ता, गप्पू सिंह और 15 अज्ञात के खिलाफ आईपीसी की धारा 147 (दंगा करना), 332, 353 (पब्लिक सर्वेंट को अपना काम करने से रोकना), 307 (हत्या के इरादे से नुकसान पहुंचाना), 504 (किसी को अपराध के लिए उकसाना), 506 (आपराधिक धमकी देना), 427 (व्यक्ति को तंग करने के लिए उसकी किसी भी वस्तु का 50 रुपये से ज्यादा का नुकसान करना) के तहत मामला दर्ज किया। आरोप है कि सत्ता के दबाव में गिरफ्तार किए गए लोगों को कमिश्नर थाना पुलिस ने कुछ ही देर में छोड़ दिया।

पुलिस के नुमाइंदों के साथ मारपीट और बदसलूकी के अलावा धार्मिक उन्माद फैलाने के लिए की गई नारेबाजी पर कई राजनीतिक दलों ने बीजेपी के आड़े हाथ लिया है। समाजवादी पार्टी, राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने एक्स हैंडल पर बीजेपी पर निशाना साधा है।

चितईपुर के थानेदार के साथ भाजपा नेताओं की अभद्रता का वीडियो पोस्ट करते हुए कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय राय ने कहा कि, “आरएसएस मनबढ़ लोगों संरक्षण दे रही है? डबल इंजन की भाजपा सरकार में कानून के रखवाले भी सुरक्षित नहीं है।”

(लेखक बनारस के वरिष्ठ पत्रकार हैं)

0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest
0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments