ग्राउंड रिपोर्ट: नहरों, माईनर का जाल, फिर भी सिंचाई के लिए किसान बदहाल

मिर्ज़ापुर। “साहब! ई-पचे कुछ न करिहें, वोट लेवे बदे त दुआरे-दुआरे पे आई जात हैं, अऊर समस्या होखे पर हम पचे के इनकरे दुआरे दुहाई लगायत पड़त है।” आंखों में दर्द, कसक के साथ आक्रोश लिए किसान सुजीत कुमार सिंह यह कहते हुए कुछ देर के लिए थम जाते हैं, फिर एक लंबी सांस लेते हुए बोलते हैं चुनाव आवे वाला हौ, अहइऐ वोट मांगे त जवाब दिहल जाई।”

पटेहरा विकास खंड क्षेत्र के रहने वाले सुजीत कुमार सिंह ही एकलौते ऐसे किसान नहीं हैं जो जनप्रतिनिधियों से नाखुश नज़र आते हैं, बल्कि ऐसे अनगिनत लोग हैं जो विभिन्न समस्याओं से घिरे होने पर समाधान न होने से जनप्रतिनिधियों के प्रति खासे नाराज दिखाई देते हैं। उनकी इन समस्याओं में सबसे जटिल समस्या सिंचाई की है जिसे लेकर उन्हें हर सीजन में हाय-तौबा करना पड़ जाता है। जिसकी ओर से जनप्रतिनिधियों ने मानो कान में तेल डाल रखा है। जबकि किसानों की समस्याओं का समाधान तो प्राथमिकता के आधार पर होना चाहिए, वरना अन्नदाता ही जब समस्याओं से घिरे रहेंगे तो भला वह खेती कैसे व किन परिस्थितियों में करेंगे?”

कभी उत्तर प्रदेश के घोर नक्सल प्रभावित इलाकों में शुमार रहे मिर्ज़ापुर जिले का मड़िहान का इलाका सिंचाई के मामले में नहरों व बांध के पानी से लबालब हुआ करता था, यह तब की बातें हैं जब देश में सिंचाई के उतने निजी संसाधन नहीं थे, किसानों को फसलों की सिंचाई, खेतों की भराई के लिए नहरों, बांध, कुएं तथा तालाब पोखरों का सहारा लेना पड़ता था।

अब जब देश में नित्य नए कृषि संसाधनों की भरमार होती जा रही है, वैसे-वैसे किसानों की समस्याओं में भी इजाफा होता जा रहा है। दशकों पहले जो नहरें उनके लिए जीवनदायिनी हुआ करती थी अब वही उन्हें रुला रही हैं। वज़ह बताया जाता है संबंधित विभाग के अधिकारियों की मनमानी और लालफीता शाही भरा रवैया जिसका खामियाजा किसानों को भुगतना पड़ जा रहा है।

पूर्व के वर्षों में कभी कम बारिश तो कभी बिल्कुल भी नहीं होने के कारण अवर्षण की मार झेल चुके जनपद के किसानों की टूटी कमर अभी भी सीधी नहीं हो पाई है कि अब नहरों ने भी जुल्म ढाना शुरू कर दिया है। जिसका सीधा असर इलाके के धान की खेती करने वाले किसानों के खेतों में देखने को मिल चुका है।

नहर के पानी को लेकर किसानों में होता है विवाद

मिर्ज़ापुर में नहरों के पानी को लेकर अक्सर किसानों में टकराहट की नौबत बन आती है। इसके पीछे भी प्रशासन और नहर से लेकर सिंचाई विभाग की मंशा किसानों के हित में नज़र नहीं आती है। कहीं नहर में पानी न छोड़े जाने तो कहीं टेल तक पानी न आने के कारण किसान परेशान होते हैं। सर्वाधिक टकराहट की स्थिति तब बन पड़ती है जब जुताई-बुआई का समय होता है और नहरों में पानी नहीं होता है, यदि पानी छोड़ा भी जाता है तो पर्याप्त मात्रा में न छोड़ कर थोड़ा बहुत जो टेल तक पहुंचने से रह जाता है।

ऐसे में किसान अपने एरिया में पानी का रूख मोड़ कर नहरों पर पहरा देने को विवश हो जातें हैं जिससे किसानों में टकराहट की स्थिति उत्पन्न हो जाती है। जैसा कि पूर्व में सोनभद्र और मिर्ज़ापुर के किसान नहर के पानी को लेकर आमने-सामने हो गए थे। तत्कालीन सांसद रहे बालकुमार पटेल, मड़िहान विधायक रहे ललितेशपति त्रिपाठी तथा सोनभद्र के जनप्रतिनिधि और प्रशासन के लोग अड़ गए थे अपने-अपने इलाकों के किसानों को होने वाली सिंचाई की समस्या को लेकर, बाद में बालकुमार पटेल की पहल पर बात बनी थी और रोस्टर तैयार कर सोनभद्र और मिर्ज़ापुर के किसानों को पर्याप्त मात्रा में सिंचाई के लिए पानी छोड़े जाने की सहमति बनी थी। लेकिन कुछ दिनों तक तो सबकुछ ठीक-ठाक चलता रहा है, बाद में बनी हुई सहमति टूट कर चकनाचूर हो गई और फिर से किसानों को पानी को लेकर नहरों पर कहीं पहरा देना पड़ जा रहा है तो कहीं रतजगा करने को विवश होना पड़ रहा है।

बीते माह राजगढ़ विकास खंड क्षेत्र में सूखे की आसन्न समस्या और धान की सूखती फसल, किसानों में बढ़ते हुए आक्रोश को देखते हुए सोनभद्र के धधरौल बांध से 1 नवंबर 2023 को नहर में पानी छोड़ा तो जरूर गया पर नहर में पानी आने से जगह-जगह कैनाल, माइनरों पर पुलिस प्रशासन का पहरा, सिंचाई विभाग के ठेकेदार बैठकर खुद निगरानी कर रहे है। आलम यह रहा कि विभिन्न रजवाहा से निकली नहरों में पानी न आने से किसान परेशान होते रहे और अपनी धान की फसल को किसी तरह से बचाने के लिए निजी संसाधनों और ऊंचे दामों पर सिंचाई करने को मजबूर हुए हैं।

बिजली की आंख मिचौली किसी से छुपी नहीं है सो महंगे डीजल इंजन से सिंचाई कर धान की फसल को बचाने में जुटे रहे हैं। राजगढ़ के किसान बाबू नंदन सिंह, मनोज भारती, कृष्ण कुमार सिंह, सुभाष सिंह, अखिलेश सिंह व कृष्ण त्यागी प्रशासन और सिंचाई विभाग पर दोहरा रूप अपनाते हुए किसानों को रूलाने का आरोप लगाते हैं।

वो कहते हैं “किसान दिन भर नहर पर टकटकी लगाए बैठे रहे हैं कि उनके एरिया का फाटक कब खुलेगा और खेतों में पानी कब तक आ जाएगा।” बताते हैं बीते दिनों काफी संख्या में किसान सेमरा रजवाहा पर इकट्ठा हुए और जैसे ही नहर खोलना चाहा मौके पर नहर विभाग के ठेकेदार अधिकारी पहुंच गए। किसानों ने कहा कि “नहर में पानी न होने से फसलों पर सूखे का जहां असर देखा जा रहा है वहीं खेतों में दरार पड़ गई है। अगर सिंचाई नहीं हुआ तो धान की पक कर तैयार होने को फसल आधे से ज्यादा खराब हो जाएंगी और खाने के लाले पड़ जाएंगे। ऐसे में पशुओं के चारे की व्यवस्था कहां से होगी?”

क्षतिग्रस्त जर्जर नहरें भी बनी हुई हैं मुसीबत

राजगढ़, मड़िहान की नहरों में जहां पर्याप्त पानी न छोड़ा जाना चिंता का विषय बना हुआ है, तो किसानों में यह टकराहट का कारण भी बन रहा है। पूर्व में नहर के पानी को लेकर काफी बहस होने लगी तो कुछ लोगों ने डायल 112 को बुला लिया था। बावजूद इसके समाधान न होने और नहर नहीं खुलने से किसान वहां से मायूस लौटने को विवश हुए थे।

नहर माइनरों के समीप घर-मकान बनाकर क्षतिग्रस्त कर दिए गए हैं। पुरैनिया में नाली को क्षतिग्रस्त कर दिया गया है जिससे खेतों में समुचित ढंग से पानी नहीं पहुंच पाता है। नहरों की बराबर साफ-सफाई न होने से टेल तक पानी पहुंचना मुश्किल हो जाता है। इलाके के किसान रविंद्र सिंह, अनिल कुमार, सुनील कुमार, संजय ने बताया कि 1 किलोमीटर के आसपास नहर से निकली नाली के क्षतिग्रस्त होने से खेतों की सिंचाई बाधित है। फसलों की लागत दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। ऐसी स्थिति में किसानों को निजी संसाधनों से सिंचाई करना पड़ रहा है।

टेल तक पानी पहुंचाने के दावे की निकल रही हवा

मिर्ज़ापुर के पटेहरा विकास खंड क्षेत्र में सिंचाई के लिए धधरौल बांध के मड़िहान ब्रांच टेल पर बीते महीने चार सप्ताह बाद भी पानी नहीं पहुंच पाने से किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें उभर आई थी। दिसंबर प्रारंभ होने के बाद भी स्थिति बरकरार होनी बताई जा रही है ऐसे में किसानों में असंतोष भी गहराता दिखलाई देता है।

इलाके के किसानों की माने तो पटेहरा विकास खण्ड क्षेत्र के दो तिहाई भू-भाग की सिंचाई कराने वाली मिर्ज़ापुर नहर प्रखंड की मड़िहान ब्रांच में एक महीने बाद भी पानी न छोड़ा गया। किसानों का कहना है कि धधरौल बांध का सारा पानी सोनभद्र जिले के बाद मिर्ज़ापुर के लूसा सेंक्शन तक ही सिमट कर रह जाता है। जबकि मिर्ज़ापुर नहर प्रखंड से 17 अक्टूबर से ही टेल तक सिंचाई के लिए प्रथम रेगुलेशन खोला गया था।

मड़िहान ब्रांच की कुल लंबाई 58-50 किलोमीटर है, यदि किलोमीटर 33 पर लगे गेज में 5 फीट से ऊपर पानी होता है, तब मड़िहान ब्रांच के टेल के पुरवा माइनर में पानी पहुंचता है। नहर विभाग के एक अभियंता ने नाम न छापे जाने की शर्त पर बताते हैं कि “बीते महीने केवल एक रात को वह भी कुछ देर के लिए मड़िहान के लिए पानी छोड़ा गया था, जिससे मड़िहान ब्रांच के 41 किलोमीटर तक नहर की तली में पानी दौड़ा था। जिससे सिंचाई किसी भी माइनर से संबंधित खेतों में नहीं हो पाई थी। टेल जो 25 किलोमीटर दूर था वहां तक पानी पहुंच ही नहीं सका था। इससे साफ अंदाजा लगाया जा सकता है कि टेल तक पानी पहुंचाने की कवायद और दावे सिर्फ हवा-हवाई और कागजों तक सीमित है।”

किसानों का कहना है कि एक दशक पहले वर्ष में एक बार धधरौल बांध का पानी मिल जाता रहा था तो किसान धान की खेती की सिंचाई के बाद पलेवा भी कर लिया करते थे। किसान आरोप लगाते हैं कि अंग्रेजों के समय से ही पहले टेल की सिंचाई कराई जाती है, किंतु इधर एक दशक से टेल की सिंचाई अंतिम में कराई जाती है। जिसका खामियाजा यह है कि मड़िहान ब्रांच का पानी खेतों से बहकर और बेलन में उफान मारता है और टेल तक पानी नहीं पहुंच पाता है।

नहर में पानी छोड़ने को लेकर किसान कर चुके हैं प्रदर्शन

मड़िहान तहसील क्षेत्र में सिंचाई के पानी के अभाव में लगभग 15 हजार हेक्टेयर पर रोपी गई धान की फसल सूख रही थी। 17 हजार हेक्टेयर पर रवि की बुआई के लिए किसान परेशान रहे हैं। बावजूद इसके धंधरौल बांध में पानी रहते हुए भी मुख्य घाघर नहर में पानी नहीं छोड़ा गया था। जिससे मड़िहान ब्रांच के किसानों के फसल से निकलने वाली बालियां सूख रही थी। यही कारण था कि किसानों के सब्र का बांध टूट गया। 28 सितंबर को इलाके के किसानों ने मिर्जापुर-शक्तिनगर मार्ग को दो घंटे जाम कर दिया था। तब उपजिलाधिकारी मड़िहान युगांतर त्रिपाठी ने नहर में पानी छुड़वाने का आश्वासन दिया था, तब जाकर किसानों ने जाम खोला था।

बावजूद इसके किसान नहर में पानी आने का इंतजार करते रहे हैं, लेकिन नहर में पानी नहीं छोड़ा गया। थक हारकर 12 अक्टूबर को किसानों का प्रतिनिधि मंडल एसडीएम से मिलकर अपनी समस्या के समाधान की आवाज उठाते हुए पत्रक देकर चेतावनी दिया था कि तीन दिन के अंदर घाघर नहर में पानी छोड़ कर टेल तक पानी नहीं पहुंचा तो किसान तहसील पर प्रदर्शन करते हुए मिर्जापुर-शक्तिनगर मार्ग को जाम करेंगे। किसानों द्वारा दिए गए चेतावनी के बाद सिंचाई विभाग के अधिकारियों के कान पर जूं नहीं रेंगा था। जिससे आक्रोशित किसानों ने दूसरे दिन सैकड़ों ट्रैक्टर के साथ हाथ में तिरंगा लहराहते हुए हरिहरा गांव से सड़क पर पैदल चलते हुए सरकार व जिला प्रशासन विरोधी नारा लगाते हुए किसान मुख्यालय पहुंच गए थे।

तहसील परिसर में पहुंचे किसानों का भारी हुजूम और आक्रोश देखते हुए एसडीएम ने जिले के अधिकारियों को अवगत कराया था कि किसान सिंचाई विभाग एक्सईन, बिजली विभाग एक्सई व बीमा कंपनी के अधिकारियों को बुलाने पर अड़े हैं। एक घंटे बाद प्रदर्शन स्थल पर सहायक अभियंता सिंचाई मोहम्मद परवेज, अवर अभियंता गुलाब सिंह राजपूत ने पहुंचकर 19 अक्टूबर तक टेल तक पानी पहुंचाने की जिम्मेदारी ली थी। वहीं एसडीओ ने विद्युत आपूर्ति में सुधार करने का आश्वासन दिया था। जिसके बाद प्रदर्शनरत किसान माने थे। किसानों का आरोप रहा है कि आनन फानन में किसानों को आश्वस्त तो कर दिया गया, लेकिन व्यवस्था पुनः बेपटरी हो उठी है। जैसे-तैसे धान की खेती कर चुके किसानों को अब रवि की फसल को लेकर चिंता सताने लगी है कि गेहूं की खेती कैसे होगी? जब नहरे सूखी और बदहाल बनी हुई हैं।”

सोनभद्र-मिर्जापुर में होती है टकराहट

मड़िहान तहसील क्षेत्र के दस हजार हेक्टेयर क्षेत्रफल में नहरों के पानी से खेतों की सिंचाई होती है। जिनमें सिरसी, अदवा बांध, घाघर नहर के अलावा सोनभद्र का धधरौल बांध प्रमुख है। इनमें बेलन-बकहर पोषक नहर से मड़िहान तहसील क्षेत्र के 25 किलोमीटर एरिया की सिंचाई की जाती है।

सोनभद्र जिले के सोन लिफ्ट का पानी इधर न आने से मिर्ज़ापुर के मड़िहान क्षेत्र के किसानों को घोर सिंचाई की समस्या से जूझना पड़ जाता है। सिंचाई के पानी के अभाव में रवि की खेती पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं। किसानों का कहना है कि खेतों के पलेवा से लेकर कई कृषि कार्य बाधित होने के आसार बढ़ चले हैं।

पूर्वांचल किसान कल्याण समिति के अध्यक्ष पूर्व प्रधान राधारमन सिंह समेत कई नेताओं और प्रदेश उपाध्यक्ष सत्येन्द्र सिंह इत्यादि ने नहरों की बदहाली पर आक्रोश जताते हुए बताया है कि “जिन नहरों से दशकों पूर्व पूरे एरिया की बेहतर ढंग से सिंचाई हो पाती थी अब उन्हीं की सिंचाई के लिए किसानों को परेशान होना पड़ रहा है। जबकि नहरों की बेहतरी के साथ ही सिंचाई के बेहतर प्रबंध देने की बात सरकारें करती हैं, बावजूद इसके किसान सिंचाई के पानी के लिए परेशान और बदहाल नजर आ रहे हैं।”

संजीदा नहीं हैं सांसद-विधायक

कहने को तो जनता द्वारा चुने गए जनप्रतिनिधि जनता की नुमाइंदगी करते हैं, लेकिन ऐसा कुछ नहीं है। मिर्ज़ापुर के अति पिछड़े हुए इलाके में शुमार मड़िहान क्षेत्र में सांसद विधायक के प्रति लोगों में असंतोष देखने को मिला है। खासकर किसान खफा नजर आते हैं। किसानों का कहना है कि उनकी सिंचाई की होने वाली समस्या को लेकर सांसद विधायक दोनों गंभीर नहीं है। न तो कभी यह किसानों के साथ खड़े होकर सिंचाई की समस्या को हल कराते हुए नज़र आए हैं। ऐसे में भला इनसे क्या उम्मीद की जा सकती है। दु:की मन से कई किसान कहते हैं कि इस बार उपयुक्त समय आने पर हम किसान भी ठोक बजाकर निर्णय (मतदान) करेंगे, ताकि उन्हें दोबारा पछताना ना पड़े।

(मिर्ज़ापुर से संतोष देव गिरी की ग्राउंड रिपोर्ट)

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