कांग्रेस स्थापना दिवस पर बोले राहुल गांधी, कहा- यह सत्ता की नहीं, दो विचारधाराओं की लड़ाई है

नई दिल्ली। 2024 के चुनाव में महाराष्ट्र की भूमिका काफी अहम रहने वाली है। एनडीए और इंडिया गठबंधन दोनों में मुख्य रस्साकशी महाराष्ट्र, बिहार और पश्चिम बंगाल की लोकसभा सीटों को लेकर रहने वाला है। इंडिया गठबंधन यदि इन तीन राज्यों को साधने में कामयाब रहती है, तो यह भाजपा के लगातार तीसरी बार सत्ता की बागडोर को हाथ में लेने की राह में बड़ी बाधा साबित हो सकती है।

कांग्रेस के केंद्रीय नेताओं ने संभवतः इसी बात को ध्यान में रखते हुए 28 दिसंबर 2023 को “हैं तैयार हम” के उद्घोष के साथ नागपुर में कांग्रेस पार्टी के 139 वें स्थापना दिवस को मनाने की घोषणा की है, जिसे वैसे भी आरएसएस की जन्मभूमि और गढ़ माना जाता है। महाराष्ट्र प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले और राज्य कांग्रेस के द्वारा आयोजन की मेजबानी के लिए काफी तैयारी की गई लगती है। इस आयोजन में कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे सहित राहुल गांधी और हिमाचल प्रदेश एवं तेलंगाना राज्य के नवोदित मुख्यमंत्री उपस्थित थे।

राहुल गांधी ने अपने भाषण को विचारधारा की लड़ाई पर केंद्रित रखा। राहुल ने दो टूक शब्दों में कहा, “कई लोगों को लगता है कि यह राजनीतिक लड़ाई है, सत्ता की लड़ाई है। लेकिन यह लड़ाई असल में दो परस्पर विरोधी विचारधारा की लड़ाई है। दिखने में यह लड़ाई एनडीए और इंडिया गठबंधन के बीच की लग सकती है, लेकिन यह दो विचारधाराओं के बीच की लड़ाई है।”

इसके उदाहरण में राहुल गांधी ने बताया, “कुछ दिन पहले भाजपा के एक सांसद मुझसे लोकसभा में मिले। बीजेपी में बहुत से सांसद कभी कांग्रेस में हुआ करते थे। उन्हीं में से ये भी थे। यह सांसद मुझसे चुपके से छुपकर मिला, और उसने कहा कि राहुल जी आपसे बात करनी है। मैंने पूछा कि तुम तो बीजेपी में हो, मुझसे क्या बात करनी है? क्या घर में कोई बीमार है या कोई दुर्घटना तो नहीं हो गई? तो उसने कहा, ‘नहीं, राहुल जी! असल में बीजेपी में अब सहा नहीं जाता। मैं हूं बीजेपी में लेकिन मेरा दिल कांग्रेस में है।’ मैंने कहा, ‘मन क्यों नहीं लगता वहां? आप एमपी हो।’ उसका कहना था, ‘बीजेपी में गुलामी चलती है। जो ऊपर से आर्डर आता है, उसे बिना सोचे-समझे लागू करना पड़ता है। हमारी कोई सुनता नहीं है।”

राहुल ने भाजपा से कांग्रेस में आये अपने प्रदेश अध्यक्ष पटोले का उदाहरण देते हुए भाषण में बताया कि किस प्रकार नाना पटोले ने पीएम मोदी से किसानों के मुद्दे पर एक सवाल पूछ लिया था, जिसमें उनका सवाल था कि जीएसटी में किसानों का क्या हिस्सा होगा? मोदी जी को सवाल अच्छा नहीं लगा और पटोले जी बीजेपी से बाहर हो गये।

राहुल गांधी ने भाजपा की विचारधारा को राजतंत्र की विचारधारा बताते हुए अपने भाषण में कहा, “वहां पर किसी की नहीं सुनी जाती, सिर्फ आदेश दिया जाता है, जिसका पालन करना होता है। कांग्रेस पार्टी में आवाज नीचे से आती है। हमारा छोटे से छोटा कार्यकर्ता भी किसी को टोक सकता है। हमारे कार्यकर्ता मेरे सामने आकर मुझे कहते हैं कि ये आपने जो किया है, मुझे अच्छा नहीं लगा। मैं उनकी सुनता हूं। उनकी आवाज की कद्र करता हूं, लेकिन साथ ही यह भी कह देता हूं कि मैं आपकी बात से सहमत नहीं हूं, लेकिन उसकी बात की रिस्पेक्ट करता हूं।”

अपने भाषण के माध्यम से राहुल गांधी ने गुलाम भारत में कांग्रेस की भूमिका पर रोशनी डालते हुए बताया कि आजादी से पहले देश में अंग्रेजों के अलावा 500-600 राजा थे। राजाओं को तोपों की सलामी दी जाती थी। किसी को 19 तो किसी को 21 तोपों की सलामी दी जाती थी। लेकिन जनता को इस देश में कोई अधिकार नहीं था।

उन्होंने कहा कि गरीब व्यक्ति की जमीन अगर राजा को अच्छी लगी तो एक सेकंड में उससे छीनी जा सकती थी। आज ये सारे अधिकार की रक्षा हमारे देश का संविधान करता है, जिसे अम्बेडकर, गांधी और नेहरू जी ने अपना खून-पसीना देकर बनाया, यह कांग्रेस ने दिया है। आरएसएस के लोग इसके खिलाफ थे। आज जिस तिरंगे को आरएसएस के लोग सैल्यूट मारते हैं, उसे सालों-साल तक उन्होंने मानने से इंकार किया हुआ था।

राहुल ने अपने भाषण में गुलाम भारत में राजाओं और अंग्रेजों की पार्टनरशिप का जिक्र करते हुए कहा, “लोग इस बात को भूल जाते हैं और सोचते हैं कि आजादी की लड़ाई सिर्फ अंग्रेजों के खिलाफ थी। लेकिन ऐसा नहीं है। आजादी की लड़ाई अंग्रेजों के साथ-साथ राजशाही के भी खिलाफ थी। कांग्रेस ने देश की गरीब जनता के लिए यह लड़ाई लड़ी। आजादी से पहले हिंदुस्तान की जनता के पास कोई अधिकार नहीं थे, महिलाओं के पास कोई अधिकार नहीं था, दलितों को छुआ नहीं जाता था। ये सब आरएसएस के विचार हैं।”

उन्होंने आरएसएस-बीजेपी पर आक्रमण करते हुए कहा, “आज फिर हिंदुस्तान को आजादी से पहले की अवस्था में ले जाने की कोशिशें हो रही हैं। संविधान प्रदत्त वोट के अधिकार से विभिन्न संस्थाएं बनाई गई हैं। ये सब आपकी संस्थाएं हैं, जिसमें सर्वोच्च न्यायालय, चुनाव आयोग शामिल हैं। इन सारी संस्थाओं पर कब्जा किया जा रहा है।

उन्होंने कहा कि उदाहरण के लिए आप भारत के विश्वविद्यालयों को देख लीजिए। सब पर उनका कब्जा हो रहा है। इनको कुछ नहीं आता। विश्वविद्यालय के उप-कुलपति आज मेरिट पर नहीं बनाये जाते। यदि आप किसी खास संगठन से है, तभी कुलपति बन सकते हैं। इस प्रकार देश की संस्थाओं जिससे देश चलता है, इन सब पर इनका कब्जा हो रहा है। इसी प्रकार मीडिया को देश के लोकतंत्र का रखवाला माना जाता है। क्या आपको लगता है कि देश की मीडिया लोकतंत्र की रक्षा कर रहा है? सीबीआई, ईडी जैसी संस्थाएं क्या स्वतंत्र अस्तित्व में अपना काम कर रही हैं।”

उन्होंने आगे कहा, “हम देश की जनता को देश की शक्ति थमाना चाहते हैं। लोग कहते हैं कि कांग्रेस ने देश में श्वेत क्रांति लाने का काम किया। हम कहना चाहते हैं कि यह काम कांग्रेस ने नहीं बल्कि आनंद की महिलाओं, देश की नारी शक्ति ने किया। हरित क्रांति भी देश के किसानों, किसान शक्ति की मेहनत का परिणाम है। इसी प्रकार आईटी क्रांति देश के युवाओं ने की। कांग्रेस ने इसमें सिर्फ मदद की, विजन प्रदान करने का काम किया।”

राहुल ने कहा कि “मैं आपसे पूछना चाहता हूं कि नरेंद्र मोदी ने पिछले 10 वर्षों में कितने युवाओं को रोजगार दिया? पिछले 40 वर्षों में आज देश में सबसे अधिक बेरोजगारी है। आज देश का युवा नौकरी नहीं करता, बल्कि 7-8 घंटे मोबाइल पर कभी इंस्टाग्राम तो कभी अन्य सोशल मीडिया एप्प पर खुद को व्यस्त रखता है। उसकी ऊर्जा जाया हो रही है। एक तरफ किसानों और युवाओं पर आक्रमण हो रहा है तो दूसरी तरफ देश के दो-तीन अरबपतियों को देश का सारा धन सौंपा जा रहा है”।

राहुल गांधी ने अग्निवीर योजना के मुद्दे पर एक घटना का जिक्र करते हुए कहा, “कुछ दिन पहले मेरे पास कुछ युवा आये। उन्होंने बताया कि अग्निवीर योजना से पहले ही हमें आर्मी में ले लिया गया था। एक लाख पचास हजार युवाओं को हिंदुस्तान की सेना और वायुसेना ने स्वीकार लिया था, उन्होंने फिजिकल टेस्ट तक पास कर लिया था। लेकिन इसी बीच मोदी सरकार ने अग्निवीर योजना लागू कर दी और इन 1.5 लाख युवाओं को आर्मी और एयरफोर्स में नहीं आने दिया”।

उन्होंने कहा कि इन युवाओं में देश प्रेम की भावना थी। मेरे सामने वे रो रहे थे। उनका कहना था कि सरकार ने हमारी जिंदगी बर्बाद कर दी। हमारा मजाक उड़ाया जाता है। गांव में हमें झूठे सैनिक कहा जाता है। इतनी भी इज्जत नहीं रखी। उनको अग्निवीर योजना में भी नहीं आने दिया। इतना करने के बावजूद वे कहते हैं कि हम देशभक्त हैं”।

जाति जनगणना के प्रश्न को दोहराते हुए राहुल ने एक बार फिर दोहराया, “मैंने संसद में बीजेपी से पूछा कि देश को 90 अधिकारी चलाते हैं। देश के पूरे बजट को वे बांटते हैं। मैंने संसद में सवाल किया कि इनमें से दलित, ओबीसी और आदिवासी कितने हैं? देश में ओबीसी कम से कम 50%, दलित 15% और आदिवासी 12% हैं। लेकिन देश की सर्वोच्च नौकरशाही में 90 अधिकारियों में मात्र 3 ओबीसी हैं। फिर यह कैसी ओबीसी सरकार चल रही है? उन्हें कोने में बिठा देते हैं और छोटे-छोटे विभाग पकड़ा देते हैं”।

राहुल ने कहा कि हिंदुस्तान की टॉप 100 प्राइवेट कंपनियों की लिस्ट दिखा दो, और बता दो कि इनमें कितने ओबीसी दलित और आदिवासी हैं? भागीदारी कहीं पर भी नहीं? टॉप कंपनी के नाम निकालो और मुझे दिखा दो। मैं सिर्फ आईएएस की बात नहीं कर रहा हूँ, हर फील्ड में यही हाल है। जाति जनगणना होनी चाहिए, कि देश में ओबीसी कितने हैं।”

उन्होंने कहा कि “लेकिन इसके बाद नरेंद्र मोदी के भाषण बदल जाते हैं। अब कहते हैं हिंदुस्तान में तो सिर्फ एक जाति है वह है गरीब। मेरा सवाल है कि अगर हिंदुस्तान में एक जाति है तो आप ओबीसी कैसे बन गये?”

अपने भाषण के अंत में राहुल गांधी ने ऐलान किया, “हमने फैसला कर रखा है कि जैसे ही दिल्ली में हमारी सरकार आएगी हम जाति जनगणना करके दिखा देंगे। जैसा कि मैंने शुरुआत में कहा कि यह विचारधारा की लड़ाई है। आज करोड़ों लोगों को बीजेपी की सरकार ने गरीबी की रेखा में वापस धकेल दिया है। जिस काम को हमने मनरेगा, भोजन के अधिकार जैसे कार्यक्रमों के माध्यम से शुरू किया था, बीजेपी की नीतियों ने फिर से बड़ी संख्या में देश को गरीबी के दलदल में धकेल दिया है।”

राहुल ने कहा कि “हमें अरबपतियों, मीडिया और सेल-फोन वालों के सपनों का हिंदुस्तान नहीं बनाना। उसमें सच्चाई नहीं है। हिंदुस्तान के युवा सोशल मीडिया से नहीं जी सकते, कमाई नहीं कर सकते। उन्हें रोजगार चाहिए। यह काम मोदी और एनडीए नहीं कर सकती, इस काम को इंडिया गठबंधन कर सकता है। इसके लिए हिंदुस्तान के लोगों की आवाज सुननी होगी। नफरत मिटानी होती। हम कन्याकुमारी से लेकर कश्मीर तक 4000 किमी चले। ‘नफरत के बाज़ार में मोहब्बत की दुकान’ को खोलना होगा। कांग्रेस की विचारधारा को आप इस एक लाइन से समझ सकते हैं।”

(रविंद्र पटवाल जनचौक की संपादकीय टीम के सदस्य हैं।)

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