मोदी सरनेम मामले में सुप्रीम कोर्ट पहुंचे राहुल गांधी

राहुल गांधी ने मोदी सरनेम मामले में गुजरात हाई कोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। उन्होंने सजा और दोष सिद्धि पर रोक लागने की मांग की है। राहुल गांधी को गुजरात हाईकोर्ट से झटका लगा था, कोर्ट ने मानहानि केस में दोष सिद्धि पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था। कांग्रेस नेता ने शनिवार, 15 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट में अपनी याचिका दायर की। मानहानि केस में सजा के कारण राहुल गांधी को इस साल की शुरुआत में लोकसभा सांसद के रूप में अयोग्य घोषित कर दिया गया था। इधर सुप्रीम कोर्ट में अपील उधर राहुल गांधी ने आज 15 जुलाई को पीएम मोदी पर मणिपुर को लेकर तीखा हमला बोला।

राहुल गांधी को 24 मार्च, 2023 को संसद सदस्य के रूप में अयोग्य घोषित कर दिया गया था, जब गुजरात की एक अदालत ने उन्हें दोषी ठहराया था और आपराधिक मानहानि के आरोप में दो साल की जेल की सजा सुनाई थी।राहुल गांधी ने 13 अप्रैल, 2019 को कर्नाटक के कोलार में एक चुनावी रैली के दौरान मोदी सरनेम से जुड़ी टिप्पणी की थी। ऐसे में राहुल गांधी की सजा पर रोक से लोकसभा सांसद के रूप में उनकी बहाली का रास्ता खुल जाएगा।हालांकि, उन्हें सेशन कोर्ट या गुजरात हाई कोर्ट से कोई राहत नहीं मिली है ।

पूर्व सांसद राहुल गांधी ने ‘मोदी चोर’ टिप्पणी मामले में आपराधिक मानहानि से जुड़े उनकी सजा पर रोक लगाने के लिए उनकी पुनरीक्षण याचिका को खारिज करने के गुजरात हाईकोर्ट के 7 जुलाई के आदेश को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है। आपराधिक मानहानि का मामला 2019 के लोकसभा अभियान के दौरान गांधी द्वारा की गई एक टिप्पणी पर दायर किया गया था। ललित मोदी और नीरव मोदी जैसे व्यक्तियों का जिक्र करते हुए गांधी ने पूछा था, “सभी चोरों का उपनाम एक जैसा क्यों है?”

यह आरोप लगाते हुए कि गांधी की टिप्पणी ने पूरे मोदी समुदाय को बदनाम किया है, भाजपा विधायक और गुजरात के पूर्व मंत्री पूर्णेश मोदी ने उनके खिलाफ आपराधिक मानहानि का मामला दायर किया था। गांधी ने कहा कि जब उन्होंने यह बयान दिया था तो उनका कोई गलत इरादा नहीं था। 23 मार्च, 2023 को सूरत के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत ने गांधी को दोषी ठहराया और 2 साल कैद की सजा सुनाई, जिसके बाद उन्हें लोकसभा के सदस्य के रूप में अयोग्य घोषित कर दिया गया। हालांकि, उनकी सजा निलंबित कर दी गई और उसी दिन उन्हें जमानत भी दे दी गई ताकि वह 30 दिनों के भीतर अपनी दोष सिद्धि के खिलाफ अपील कर सकें।

3 अप्रैल को, गांधी ने अपनी दोष सिद्धि पर आपत्ति जताते हुए सूरत सत्र न्यायालय का रुख किया और अपनी दोष सिद्धि पर रोक लगाने की मांग की, जिसे 20 अप्रैल को खारिज कर दिया गया। हालांकि, सूरत सत्र न्यायालय ने 3 अप्रैल को गांधी को उनकी अपील के निपटारे तक जमानत दे दी। गांधी की पुनरीक्षण याचिका को खारिज करते हुए गुजरात हाईकोर्ट ने कहा कि गांधी के खिलाफ मामला एक बड़े पहचान योग्य वर्ग (मोदी समुदाय) से संबंधित है, न कि केवल एक व्यक्ति से।

न्यायालय ने कहा कि भारत के सबसे पुराने राजनीतिक दल के वरिष्ठ नेता और “भारतीय राजनीतिक परिदृश्य के क्षेत्र में एक प्रमुख व्यक्ति” होने के नाते, गांधी का यह कर्तव्य है कि वे बड़ी संख्या में व्यक्तियों की गरिमा और प्रतिष्ठा सुनिश्चित करें। गुजरात हाईकोर्ट ने अपने निर्णय में कहा था, ” ऐसा प्रतीत होता है कि आरोपी ने माननीय प्रधानमंत्री के राजनीतिक दल से संबंधित निर्वाचन क्षेत्र के उम्मीदवार के चुनाव के परिणाम को प्रभावित करने के इरादे से, स्पष्ट रूप से सनसनी फैलाने के लिए माननीय प्रधानमंत्री का नाम सुझाया और फिर आरोपी यहीं नहीं रुका बल्कि उन्होंने आरोप लगाया कि ‘सारे चोरों के नाम मोदी ही क्यों है’। इस प्रकार, वर्तमान मामला निश्चित रूप से अपराध की गंभीरता की श्रेणी में आएगा।” 

गौरतलब है कि एचसी ने गांधी के खिलाफ लंबित अन्य शिकायतों पर भी ध्यान दिया, जिसमें पुणे कोर्ट में वीर सावरकर के पोते द्वारा दायर एक शिकायत भी शामिल थी। एचसी ने कहा कि कथित भाषण में गांधी ने कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी में वीर सावरकर के खिलाफ मानहानि के शब्दों का इस्तेमाल किया था।

इधर सुप्रीम कोर्ट में अपील उधर राहुल गांधी ने आज 15 जुलाई को पीएम मोदी पर मणिपुर को लेकर तीखा हमला बोला। राहुल का कहना है कि मणिपुर जल रहा है, प्रधानमंत्री चुप और अब जब इस पर यूरोपियन यूनियन की संसद ने चर्चा करके आलोचना की है, तब भी प्रधानमंत्री चुप हैं। पीएम मोदी इस समय विदेश यात्रा पर हैं। वो दो दिन की फ्रांस यात्रा के बाद यूएई की यात्रा पर हैं। राहुल गांधी का यह हमला विपक्षी एकता बैठक से पहले आया है। राहुल का बयान इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि फ्रांस भी यूरोपियन यूनियन का सदस्य है। देखा जाए तो यूरोपियन यूनियन की संसद ने मणिपुर पर जो प्रस्ताव पास किया है, उससे फ्रांस भी सहमत है।

बीजेपी ने राहुल गांधी के ट्वीट पर चुटकी लेते हुए कहा कि यह महज संयोग नहीं हो सकता कि राहुल गांधी के लंदन दौरे के तुरंत बाद ईयू संसद ने मणिपुर का मुद्दा उठाया। भाजपा प्रवक्ता अमित मालवीय ने कहा कि “राहुल गांधी लंदन जाते हैं और भारत के आंतरिक मामलों में विदेशी हस्तक्षेप की मांग करते हैं। फिर वह मणिपुर में दुर्भाग्यपूर्ण संघर्ष का राजनीतिकरण करते हैं, जो पूरी तरह से कांग्रेस की विरासत है। फिर वो (राहुल) मणिपुर का दौरा करते हैं और इसके बाद हम देखते हैं कि एक विदेशी शक्ति इस मुद्दे पर फैसला सुनाना चाहती है। यह भारत का आंतरिक मामला है। दिलचस्प बात यह है कि यूरोपीय संघ की संसद ने फ्रांस में हाल के दंगों पर कोई बहस या चर्चा नहीं की।”

पीएम मोदी अभी तक मणिपुर की हिंसा पर चुप हैं। हालांकि विपक्ष के प्रमुख नेता राहुल गांधी मणिपुर की यात्रा करके आ चुके हैं। पूरा विपक्ष प्रधानमंत्री के बयान की मांग कर रहा है। लेकिन मणिपुर पर बिना कुछ बोले पीएम मोदी 13 जुलाई को फ्रांस चले गए थे।

(वरिष्ठ पत्रकार जेपी सिंह की रिपोर्ट।)

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