संसद के मानसून सत्र में रिकॉर्ड संख्या में विपक्षी सांसदों का निलंबन, विपक्ष ने किया विरोध प्रदर्शन

आप सांसद राघव चड्ढा को राज्यसभा से निलंबित कर दिया गया है। इसकी घोषणा राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने की। उनका निलंबन तब तक जारी रहेगा जब तक विशेषाधिकार समिति किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंच जाती। इस मामले में 4 राज्यसभा सदस्यों ने दावा किया था कि राघव चड्ढा ने दिल्ली बिल पर उनकी सहमति के बिना उनके नाम शामिल कर दिए थे। फर्जी हस्ताक्षर कराने का इन पर आरोप है।

राज्यसभा में सभापति जगदीप धनखड़ ने कहा कि ‘यह अंतिम दिन है, आप सभी हमारी मदद करें ताकि एक बेहतर प्रस्ताव के साथ हम इस सत्र का समापन करें’। इस पर कांग्रेस के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि “हम तो इस बात पर विश्वास करते हैं कि जो काम कल करना है उसे आज करो। ‘काल करे सो आज कर, आज करे सो अब, पल में परलय होएगा बहुरी करेगा कब’। लेकिन जब लोकतंत्र में कुछ ऐसी बात होती है और डिबेट में छोटे-मोटे विषय आते हैं, और एक दूसरे के विषय में कुछ गलत कह जाते हैं। यदि यह बेहद असंसदीय है, किसी को दुखी करता है, तो उस वक्त हम कह सकते हैं कि यह असंसदीय है, ठीक नहीं है। लेकिन अधीर रंजन चौधरी को जिस बेबुनियाद आधार पर निलंबित किया गया है वह पूरी तरह से गलत है। उन्होंने सिर्फ इतना ही बोला- नीरव मोदी। नीरव मतलब शांत होता है। यदि कोई नीरव मोदी बोले तो आप इस बात पर सस्पेंड कर देते हैं?

राज्यसभा के सभापति ने कहा कि यह मामला दूसरे सदन का है। इस पर मल्लिकार्जुन खड़गे ने प्रतिवाद करते हुए कहा, “अरे सर मैं इस सदन के विपक्ष का नेता होने के नाते आपसे विनती कर रहा हूं। आपको लोकतंत्र की रक्षा करनी चाहिए, ऐसा निलंबन नहीं करना चाहिए, वे सदन की कई कमेटियों में हैं, पब्लिक अकाउंट कमेटी (पीएसी), बिजनेस एडवाइजरी कमेटी। सीबीआई और सीवीसी के चयन में उनकी भूमिका है। यानि उन्हें इन कमेटियों में शामिल होने से वंचित करने के लिए यह निलंबन किया जा रहा है।”

लोकसभा में अधीर रंजन चौधरी ने क्या कहा था?

इससे पहले लोकसभा में बोलते हुए अधीर रंजन चौधरी ने कहा था, “द्रौपदी का वस्त्र हरण तब संभव हुआ जब धृतराष्ट्र अंधे थे, आज भी राजा अंधे बैठे हैं (सदन में भारी हंगामा).. किसी का नाम नहीं लिया मैंने।.. तो इसीलिए जहां राजा अंधा बैठे रहते हैं, तो वहां द्रौपदी का वस्त्र हरण होता ही है। चाहे वो हस्तिनापुर में हो या चाहे वो मणिपुर में हो, यह होता ही रहता है।” 

सांसदों के निलंबन का विपक्षी दलों ने किया विरोध

विपक्ष ने संसद से बाहर निकलकर प्रदर्शन करते हुए, नारे लगाते हुए आंबेडकर की प्रतिमा के सामने लोकसभा और राज्यसभा में विपक्षी सांसदों के निलंबन का विरोध किया। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा, “आज हम डॉ आंबेडकर की प्रतिमा के सामने खड़े होकर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं, क्योंकि आज संविधान की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। और बीजेपी सरकार और खासकर मोदी जी संविधान के तहत सदन चलाना नहीं चाहते हैं। जितने भी नियम कानून हैं, बिजनेस एडवाइजरी कमेटी के जितने भी नियम हैं, उनको परे रखते हुए वे आज हर सदस्य को धमका रहे हैं। यह पहली बार देखने को मिल रहा है कि हर मेम्बर को सस्पेंड करके सेलेक्ट कमेटी में भेजा जा रहा है, ताकि वो मेम्बर बिजनेस एडवाइजरी कमेटी में भी शामिल न हो पाए।”

अपने वक्तव्य में उन्होंने आगे कहा, “हमारे अधीर रंजन चौधरी पीएसी के चेयरमैन हैं, और वो पीएसी में भी न आयें और सीएजी में भी न आयें क्योंकि वहां पर सरकार की कमियां बताई जाती हैं, सरकार की गलतियां सीएजी में बताई जाती हैं। इसके लिए कितने दिन तक उन्हें सस्पेंड किया गया है, यह भी नहीं बताया जा रहा है। जिस प्रकार से उन्होंने रजनी पाटिल को निलंबित किया था, उसी तरीके से आज उन्होंने यह निलंबन किया है।”

खड़गे ने कहा कि “वो डेमोक्रेसी को दबाना चाहते हैं, और संविधान के तहत चलना नहीं चाहते हैं। इसी के मद्देनजर आज हम यहां सभी पार्टी के लोग मिलकर विरोध कर रहे हैं, और ऐसे जो भी गैरकानूनी काम उनकी तरफ से किये जायेंगे, उसके खिलाफ हम लड़ते रहेंगे और सदन जब शुरू हो जायेगा तो उस वक्त भी हम अपनी बात रखेंगे।“

आम आदमी पार्टी के सांसद सुशील कुमार रिंकू को भी निलंबित किया गया है। संसद के बाहर खुद को जंजीरों में जकड़कर विरोध करने वाले सांसद सुशील कुमार रिंकू के बारे में एक अख़बार ने कैप्शन डालते हुए लिखा है, “ये जंजीरों में जकड़ा हुआ सांसद नहीं, बल्कि बीजेपी की तानाशाही सरकार द्वारा जकड़े गए ‘लोकतंत्र’ की तस्वीर है।”

ट्विटर पर अपनी टिप्पणी में पत्रकार रोहिणी सिंह ने कहा है, “संजय सिंह सस्पेंड, डेरेक सस्पेंड, अधीर रंजन सस्पेंड, राघव चड्ढा सस्पेंड। राजा की आंख में आंख डाल कर बोलने वाले किसी भी सांसद को संसद में बैठने का अधिकार नहीं है।”

2024 के चुनाव की पूर्व बेला पर सर्वशक्तिमान मोदी सरकार जिस प्रकार से अपने विपक्षियों के खिलाफ एक के बाद एक कदम उठा रही है और दूसरी तरफ मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति में छेड़छाड़ कर भारत में निष्पक्ष चुनाव होने पर अब गहरा शक पैदा हो गया है। अंतिम दिन अंग्रेजों द्वारा लाये गये देशद्रोह कानून को हटाने के नाम पर उसकी रि-ब्रांडिंग की जा रही है, वह भारतीय लोकतंत्र के लिए बेहद भयावह संकेत है।

(रविंद्र पटवाल ‘जनचौक’ की संपादकीय टीम के सदस्य हैं।)

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