कंपनी के फंड की हेराफेरी के आरोप में सेबी ने जी प्रवर्तक सुभाष चंद्रा और पुनीत गोयनका को डायरेक्टर और महत्वपूर्ण प्रबंधकीय भूमिका से प्रतिबंधित कर दिया है। एस्सेल ग्रुप के सुभाष चंद्रा और जी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) पुनीत गोयनका को सेबी ने जी एंटरटेनमेंट इंटरप्राइजेज लिमिटेड के फंड्स की चोरी के आरोप में इसकी किसी भी सूचीबद्ध कंपनी या इसकी सहायक कंपनियों में किसी भी प्रकार के डायरेक्टर या महत्वपूर्ण पदों पर बने रहने को अगले आदेश तक के लिए प्रतिबंधित कर दिया है।
जी को 7 दिनों के भीतर इस आदेश को बोर्ड के समक्ष पेश करने का निर्देश भी दिया गया है। सेबी का यह निर्देश तब आया है जब रेगुलेटर ने पाया कि सुभाष चंद्रा और पुनीत गोयनका द्वारा सूचीबद्ध कंपनी जी से अपने लाभ की खातिर धन निकाला जा रहा था।
यह अंतरिम आदेश ऐसे वक्त आया है जब कंपनी सोनी पिक्चर्स नेटवर्क्स इंडिया के साथ कंपनी के विलय के लिए वैधानिक मंजूरी की दिशा में जा रही थी, जिसके बारे में क़ानूनी विशेषज्ञों का मत है कि यह घटना कंपनी के लिए एक बड़ा आघात साबित होने जा रहा है।
सेबी ने 7 दिनों के भीतर इस निर्देश को कंपनी के बोर्ड के सामने पेश करने के लिए कहा है। इसके साथ ही सेबी ने सुभाष चंद्रा और पुनीत गोयनका को इस मामले में अपना जवाब या आपत्तियां दाखिल करने का वक्त दिया है।
सेबी द्वारा इस प्रकार का अंतरिम आदेश तब दिया जाता है जब उसके पास किसी प्रकार के गलत कार्यों के बारे में प्रथमदृष्टया प्रमाण होता है। सेबी के आदेश में कहा गया है: “चंद्रा और गोयनका को नोटिस दी गई है और उन्हें अगले आदेश तक किसी भी सूचीबद्ध कंपनी या इसकी सहायक कंपनियों में डायरेक्टर या महत्वपूर्ण प्रबंधकीय पदों पर बने रहने को प्रतिबंधित करते हैं।”
सेबी के राडार पर चंद्रा और गोयनका तब आये थे जब जी के दो स्वतंत्र निदेशक, सुनील कुमार और नेहारिका वोहरा ने 2019 में बोर्ड से अपना इस्तीफ़ा दे दिया था। अपने इस्तीफे के पीछे उन्होंने यस बैंक द्वारा जी की सावधि जमा राशि को हस्तगत करने सहित कई चिंताओं का हवाला दिया था, जिसने सेबी को इस मामले में जांच शुरू करने के लिए प्रेरित किया था।
इस्तीफ़ा देते हुए अपने पत्र में नेहारिका वोहरा ने लिखा था, “17 अक्टूबर, 2019 को हुई बैठक में बोर्ड को संबंधित बैंक से प्राप्त एक पत्र से यह खुलासा हुआ था कि एक सहायक कंपनी को बोर्ड की मंजूरी के बगैर ही गारंटी दे दी गई है। जिस टीम के पास इसके संचालन का कार्यभार था, उसने इस मुद्दे को बेहद मामूली तरीके से लिया।”
सेबी के आदेश के मुताबिक, सुभाष चंद्रा ने एस्सेल ग्रुप मोबिलिटी को 200 करोड़ लोन के लिए एलओसी मुहैया कराई थी, और जांच में पाया गया है कि यह एलओसी बिना बोर्ड की अनुमति के चंद्रा ने दी थी। सेबी के आजीवन सदस्य अश्वनी भाटिया ने अपने 16 पेज के आदेश में लिखा है, “ये सुबूत सुभाष चंद्रा और पुनीत गोयनका को प्रथमदृष्टया मामले के रूप में एक सूचीबद्ध कंपनी के डायरेक्टर/महत्वपूर्ण प्रबंधकीय पद पर रहते हुए अपने पद का दुरुपयोग कर अपने लाभ के लिए कंपनी के वित्तीय मामले में हेराफेरी को दर्शाते हैं।”
सेबी ने खुलासा किया है कि वोहरा के जी के बोर्ड चेयरमैन को लिखे त्यागपत्र से पता चलता है कि प्रबंधन के भीतर भी कुछ व्यक्तियों को ही एलओसी के बारे में जानकारी थी, यहां तक कि जी के बोर्ड तक को इस बारे में कोई सूचना नहीं थी। इस एलओसी के चलते, Yes Bank ने जी के 200 करोड़ रूपये से अपनी 7 सहायक संस्थाओं की जिम्मेदारियों को निपटाया, जिनके नाम हैं – पैन इंडिया इंफ़्राप्रोजेक्ट्स, एस्सेल ग्रीन मोबिलिटी, एस्सेल कॉर्पोरेट रिसोर्सेज, एस्सेल यूटिलिटीज डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी, एस्सेल बिजनेस एक्सेलेंस सर्विसेज, पैन इंडिया नेटवर्क इंफ़्रावेस्ट और लिविंग एंटरटेनमेंट इंटरप्राइजेज। सेबी ने अपनी जांच में पाया है कि ये सभी सहायक कंपनियों का मालिकाना सुभाष चंद्रा और पुनीत गोयनका के परिवार के सदस्यों के पास है।
जी कंपनी की वित्तीय वर्ष 2019-20 की वार्षिक रिपोर्ट बताती है कि इन सहायक संस्थाओं को कंपनियों के तौर पर जिक्र किया गया है, क्योंकि इन कंपनियों को सुभाष चंद्रा एवं पुनीत गोयनका या उनके रिश्तेदारों द्वारा नियंत्रित किया जा रहा था। सेबी के द्वारा जब इस मामले की जांच शुरू की गई तो जी की ओर से तथ्य रखा गया कि 200 करोड़ रुपये मूल्य की एफडी जिसे Yes Bank द्वारा भुनाया गया था, वह कंपनी को सहायक संस्थाओं से सितंबर/अक्टूबर 2019 में प्राप्त हुआ था। लेकिन चूंकि चंद्रा और गोयनका ने जी या इसके बोर्ड के सदस्यों को बगैर सूचित किये या सलाह और मंजूरी लिए ही एलओसी जारी कर दी थी, जो कि सेबी के नियमों का उल्लंघन करता है, इसलिए सेबी ने इस मामले की छानबीन शुरू करने का फैसला लिया।
जी के बैंक स्टेटमेंट की जांच में सेबी ने पाया कि हालांकि जी के इन सहायक संस्थाओं से 200 करोड़ रुपये प्राप्त करने का दावा सही है लेकिन असल में इसमें से बड़ा हिस्सा जी या एस्सेल ग्रुप की सूचीबद्ध कंपनियों से ही निकालकर लगाया गया है। इस प्रकार फण्ड को घुमाया गया है, जो प्रमोटर फैमिली और उनके द्वारा नियंत्रित संस्थाओं के माध्यम से कई परतों के जरिये जी लिमिटेड में स्थानांतरित किया गया। इस प्रकार जी लिमिटेड के लिए भुगतान की जिम्मेदारियों को सहायक संस्थाओं के द्वारा निर्वहन की जरूरत को दिखाया गया।
सेबी के मुताबिक, इससे यह स्पष्ट संकेत मिलते हैं कि जी लिमिटेड को वास्तविक रूप में कोई शुद्ध फंड हासिल नहीं हुआ, ये एंट्री सिर्फ खाता-बही का पेट भरने की एक कवायद थी। सेबी के अनुसार, “ऐसा प्रतीत होता है कि एस्सेल ग्रुप की कंपनियों में जी एवं अन्य सूचीबद्ध कंपनियों से फंड निकाला गया है, जिसने अंततः प्रोमोटर फैमिली को लाभ हुआ है, क्योकि जी के द्वारा अपने कर्ज की अदायगी के तौर पर yes bank को दी गई 200 करोड़ रुपये की एफडी के लाभार्थी सहायक संस्थाओं का स्वामित्व जी के प्रमोटर परिवार के पास है।”
सेबी ने आगे कहा है, “फंड में हेराफेरी एक सुनियोजित योजना के तहत प्रतीत होती है, और कुछ उदाहरणों में तो लेन-देन की तह में दो-तीन दिनों के भीतर ही 13 संस्थाओं के जरिये लेनदेन की प्रक्रिया हुई है।” इस प्रकार के लेनदेन के उदाहरण एवं बदतर कॉर्पोरेट पालिसी के चलते ही कंपनी के स्टॉक में भारी गिरावट देखने को मिली है। वित्त वर्ष 2018-19 से लेकर 2022-23 के बीच में जी के शेयरों में एक तिहाई की गिरावट देखने को मिली है।
इसके साथ ही सेबी का मानना है कि फंड ट्रांसफर में सुभाष चंद्रा का प्रत्यक्ष भूमिका है, क्योंकि वे उस दौरान जी सहित ग्रुप कंपनी के चेयरमैन थे, जबकि पुनीत गोयनका जी के प्रबन्धक निदेशक के साथ-साथ सीईओ थे। इसी के मद्देनजर सेबी का कहना है कि चंद्रा और गोयनका की सक्रिय भूमिका के बिना ये लेनदेन संभव नहीं था।
सेबी के इस कदम की घोषणा से शेयर बाजार में जी एंटरटेनमेंट इंटरप्राइजेज के भाव में 6% की गिरावट आ गई है। सुभाष चंद्रा और गोयनका का आरएसएस से काफी पुराना नाता है, जिसे उन्होंने अपनी किताब में भी दर्ज किया है। मूलतः हरियाणा के रहने वाले सुभाष चंद्रा एक बार राज्यसभा के सदस्य भी रह चुके हैं, लेकिन पिछली बार राजस्थान से भाजपा समर्थित स्वतंत्र उम्मीदवार के तौर पर बेहद करीबी अंतर से उन्हें हार का मुह देखना पड़ा था। जी परिवार के ऊपर उठाये गये सेबी के इस कदम से आने वाले दिनों में कुछ हलचल देखने को मिल सकती है। फ़िलहाल जी एंटरटेनमेंट इंटरप्राइजेज की ओर से सेबी के इस अंतरिम आदेश पर उचित क़ानूनी सलाह लिए जाने की बात कही जा रही है।
(रविंद्र पटवाल जनचौक की संपादकीय टीम के सदस्य हैं।)