DMK सुप्रीमो स्टालिन ने कार्यकर्ताओं से कहा- सनातन धर्म पर बहस के बजाए BJP के भ्रष्टाचार को उजागर करें

नई दिल्ली। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने बुधवार 14 सितंबर को डीएमके के पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा है कि वे उनके बेटे और राज्य मंत्री उदयनिधि स्टालिन की सनातन धर्म को लेकर की गई टिप्पणी पर भाजपा द्वारा अपनाई जा रही भटकाने वाली रणनीति के झांसे में आकर इसे और तूल देने के बजाए, महंगाई, मणिपुर हिंसा, अडानी विवाद और मोदी सरकार की विफलताओं पर अपने ध्यान को केंद्रित रखें।

लेकिन वास्तव में देखें तो ऐसा लगता है कि स्टालिन की ओर से अपने पार्टी पदाधिकारियों और समर्थकों को सनातन धर्म को लेकर की जा रही बयानबाजी को कम करने के लिए कहने के पीछे, विपक्षी गठबंधन इंडिया के कुछ सहयोगी पार्टियों की इस मुद्दे के प्रति संवेदनशीलता एक प्रमुख कारण है। इनमें प्रमुख रूप से शिवसेना (उद्धव गुट), तृणमूल कांग्रेस और उत्तर भारत में कांग्रेस पार्टी के नेताओं की स्थिति असहज हो गई है, क्योंकि डीएमके के गठबंधन का साझीदार दल होने के नाते भाजपा द्वारा इन दलों को निशाने पर लिया जा रहा है।

इस माह की शुरुआत में जबसे उदयनिधि स्टालिन का एक सनातन विरोधी कार्यक्रम की वीडियो सोशल मीडिया के माध्यम से वायरल हुई थी, और भाजपा सहित हिंदुत्ववादी संगठनों की ओर से उदयनिधि के खिलाफ धमकियां और देशभर में मुकदमे दायर किये जाने लगे थे, तो डीएमके की ओर से उनके पक्ष में मजबूती से बचाव और जवाबी हमले जारी थे। पार्टी के विभिन्न नेताओं द्वारा सनातन धर्म की तुलना जूनियर स्टालिन के मलेरिया और डेंगू की बजाए ए. राजा द्वारा एड्स और कुष्ठरोग से तुलना ने आग में घी डालने का काम किया।

लेकिन दक्षिणी राज्यों में द्रविड़ राजनीति में जिस प्रकार से हिंदू धर्म में जातीय व्यवस्था के खिलाफ सतत संघर्ष और पिछड़े वर्गों का दबदबा दशकों से कायम रहा है, और वहां पर सनातन धर्म की आलोचना सामाजिक दायरे में एक स्तर पर ग्राह्य बन चुकी है, की तुलना में देश के अन्य हिस्सों में स्वीकार्य नहीं है। इसी के चलते इस विवाद के बढ़ने से इंडिया गठबंधन के विभिन्न सहयोगी दल असहज स्थिति में आ गये हैं।

ऐसा माना जा रहा है कि डीएमके नेता उदयनिधि की इस टिप्पणी ने भाजपा की मुसीबतों को अनायास ही बढ़ाने के बजाए बड़ी राहत पहुंचा दी है, और उसके लिए एक बार फिर से हिंदुत्व के विचार को एक बार फिर बहस के केंद्र में लाने का अवसर प्रदान कर दिया है।

मुख्यमंत्री स्टालिन की ओर से जारी इस बयान के पीछे राज्य के मंत्री के पोंमुडी का यह दावा कि इंडिया गठबंधन को सनातन धर्म के विरोध में बनाया गया है, को बताया जा रहा है। भाजपा के साथ इस वाकयुद्ध में कहीं इंडिया गठबंधन को ही भारी नुकसान न हो जाये, इसे सुनिश्चित करने के लिए ही लगता है कि मुख्यमंत्री एमके स्टालिन की ओर से इस पहलकदमी को लिया गया है।

सोशल मीडिया साईट X पर (ट्विटर) स्टालिन ने अपनी टिप्पणी में कहा है, “एक तरफ जहां प्रधानमंत्री आम लोगों की रोजमर्रा की जिंदगी को प्रभावित करने वाले मुद्दों पर चुप्पी साधे हुए हैं, वहीं दूसरी तरफ उनका मंत्रिमंडल कुछ मीडिया समूहों की मदद से  सनातन धर्म को केंद्र में रखकर झूठा नैरेटिव गढ़ने और प्रसारित करने पर लगा हुआ है। मैं अपने डीएमके के साथियों और कार्यकर्ताओं से अपील करता हूं कि वे इस प्रकार की भटकाने वाली रणनीति पर टिप्पणी करने से बचें”

स्टालिन ने कार्यकर्ताओं से कहा कि “अपने फोकस को भाजपा के खिलाफ मणिपुर हिंसा, अडानी-हिंडनबर्ग, सीएजी रिपोर्ट में सामने आई 7.5 लाख करोड़ रुपये के भारी घपलेबाजी, 9 वर्षों के भाजपा राज की विफलताओं सहित अन्य जरूरी मुद्दों पर केंद्रित रखें। हम ये सवाल बराबर उठाते रहने वाले हैं, और इंडिया भी इन मुद्दों को उठाता रहेगा।”

जबकि एक सप्ताह पूर्व जब पीएम मोदी की ओर से अपने पार्टी नेताओं को ताकीद दी गई थी कि सनातन के मुद्दे पर उनकी ओर से यथोचित जवाब दिया जाना चाहिए, तब स्टालिन ने अपने बेटे की टिप्पणी पर खुद आगे आकर उनके बचाव में बयान दिए थे।

तब डीएमके के खिलाफ लगाए जा रहे आरोपों पर मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने X पर अपने जवाब में कहा गया था कि “माननीय मंत्री उदय स्टालिन ने नरसंहार की बात नहीं कही है, जैसा कि भाजपा द्वारा बयान को तोड़-मरोड़कर पेश किया जा रहा है। उन्होंने सिर्फ भेदभाव के खिलाफ अपनी टिप्पणी दी है। यह देखना बेहद निराशाजनक है कि ‘जिम्मेदार’ माननीय प्रधानमंत्री, केंद्रीय मंत्रियों और भाजपा के मुख्यमंत्रियों के पास सभी तथ्यों की तह में जाने के लिए सभी संसाधन मौजूद होने के बावजूद भी तथ्यों की अनदेखी कर फेक नैरेटिव को आगे बढ़ाया जा रहा है।” अपने इस पोस्ट में स्टालिन के द्वारा एक-एक पहलू पर आरोपों का जवाब दिया गया था।

आज की स्थिति में देखें तो सनातन धर्म पर अपनी कथित टिप्पणी के चलते उदयनिधि स्टालिन के खिलाफ देश के कई राज्यों में प्राथमिकी दर्ज की जा चुकी हैं, जिसमें ताजातरीन एफआईआर 13 सितंबर को मुंबई में दर्ज की गई है।

गुरुवार को भी मध्य प्रदेश के सीधी में एक जनसभा को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने सनातन धर्म पर उदयनिधि के कथित बयान की तीखी आलोचना करते हुए देश के स्वतंत्रता सेनानियों का उदाहरण देते हुए उनका नाता सनातन धर्म से जोड़कर विपक्षी इंडिया गठबंधन को घमंडिया और इंडी कहकर पार्टी कार्यकर्ताओं और देश को इनसे सावधान रहने के लिए चेताया है।

देखना है कि एमके स्टालिन की ओर से जारी दिशानिर्देश और अपील के बाद डीएमके नेताओं के सुर में कितना परिवर्तन आता है, और विभिन्न सहयोगी दलों की इंडिया गठबंधन का स्वरूप किस प्रकार से आगे की रणनीति पर काम करता है?

(रविंद्र पटवाल जनचौक की संपादकीय टीम के सदस्य हैं।)

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