निलंबित सांसदों का संसद भवन पर विरोध-प्रदर्शन, अब तक 141 सांसद निलंबित

नई दिल्ली। शीतकालीन सत्र के 12वें दिन भी संसद में सत्तारूढ़ दल और विपक्ष के बीच गतिरोध जारी है। मंगलवार को लोकसभा और राज्यसभा की कार्यवाही 3 बार स्थगित की गई, और सदन की कार्यवाही में बाधा डालने के लिए नेशनल कांफ्रेंस नेता नेता फारूक अब्दुल्ला, कांग्रेस नेता शशि थरूर, मनीष तिवारी, कार्ति चिदंबरम और एनसीपी सुप्रिया सुले सहित 49 लोकसभा सांसदों को निलंबित कर दिया गया। सोमवार को कुल 78 सांसदों (लोकसभा-33, राज्यसभा-45) को निलंबित किया गया था। पिछले हफ्ते भी 14 सांसदों निलंबित किया गया था। इस तरह अब कुल 141 सांसद सदन की कार्यवाही में हिस्सा नहीं ले सकेंगे। यही नहीं, लोकसभा की प्रश्नसूची से 27 सवाल भी हटा दिए गए हैं। ये सवाल निलंबित सांसदों की तरफ से पूछे गए थे।

आजादी के बाद पहली बार एक दिन में इतने सांसद निलंबित किए गए। इससे पहले 1989 में राजीव गांधी की सरकार में एक ही दिन में 63 सांसद निलंबित किए गए थे। संसद का शीतकालीन सत्र इस बार 4 दिसंबर को शुरू हुआ और इसके 22 दिसंबर तक चलने की संभावना है। इस तरह अभी संसद का शीतकालीन सत्र 3 दिन और शेष है, सत्तापक्ष चाहे तो तीन दिनों में बाकी विपक्षी सांसदों को भी निलंबित कर सकती है।

मंगलवार को भी संसद में विपक्षी सांसदों ने अपने निलंबन को लेकर अपना विरोध जारी रखा और संसद सुरक्षा उल्लंघन पर पीएम मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के बयान के लिए दबाव डाला। उन्होंने तख्तियां दिखाईं और नारे लगाए, “पीएम सदन में आओ, गृह मंत्री इस्तिफा दो।” इस बीच, संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा कि विपक्ष हालिया विधानसभा चुनावों में हार से नाराज है।

निलंबित सांसद संसद भवन के सामने धरना दे रहे हैं। मंगलवार को निलंबित टीएमसी सांसद कल्याण बनर्जी ने संसद के गेट पर सुबह राज्यसभा सभापति जगदीप धनखड़ की मिमिक्री की।

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने एक्स पर पोस्ट किया कि “निरंकुश मोदी द्वारा सभी लोकतांत्रिक मानदंडों को कूड़ेदान में फेंक दिया जा रहा है।”

कांग्रेस नेता जयराम रमेश, जो खुद राज्यसभा से निलंबित हैं, ने कहा कि निलंबन “लोकतंत्र की हत्या” है।

कांग्रेस नेता शशि थरूर ने मंगलवार को कहा कि सरकार से जवाबदेही की मांग करने पर उन्हें और उनकी पार्टी के सहयोगियों को अनुचित तरीके से लोकसभा से निलंबित कर दिया गया। उन्होंने एक्स पर लिखा , “मेरे लगभग 15 वर्षों के संसदीय करियर में पहली बार, मैं भी हालिया सुरक्षा उल्लंघन पर चर्चा के लिए एक तख्ती लेकर सदन के वेल में प्रवेश किया। मैंने अपने पार्टी के सहयोगियों के साथ एकजुटता दिखाते हुए ऐसा किया, जिन्हें सरकार से जवाबदेही की मांग करने के लिए अनुचित तरीके से निलंबित कर दिया गया। मुझे उम्मीद है कि निलंबन को वापस लिया जाएगा।”

लोकसभा में कांग्रेस के नेता सदन अधीर रंजन चौधरी सोमवार को संसद से निलंबित किए गए 78 विपक्षी सांसदों में से एक हैं। अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि मोदी सरकार “संसद नहीं चलाना चाहती” और उसे “संसदीय प्रणाली में रत्ती भर भी दिलचस्पी नहीं है”।

उन्होंने कहा कि यह मोदी सरकार के अहंकार के अलावा और कुछ नहीं है कि भाजपा जो चाहती है वह करती है, चाहे सदन चले या न चले और लोकतांत्रिक परंपराओं को जीवित रखा जा रहा हो या नहीं।

संसद से निलंबित किए जाने पर अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि “एक तरह से मैं खुश हूं। मुझे बुरा लग रहा था कि मेरे कई साथियों को सस्पेंड कर दिया गया और मैं अंदर बैठा हूं। लेकिन गंभीर बात यह है कि (प्रधानमंत्री) नरेंद्र मोदी विपक्षी सांसदों के निलंबन के मामले में शतक लगाने की ओर बढ़ रहे हैं। यह एक नया रिकॉर्ड होगा। मोदी सरकार की यह नई गारंटी होगी: “जब तक मोदी हैं, संसद में लोगों की आवाज नहीं सुनी जाएगी।”

राज्यसभा में सदन के नेता पीयूष गोयल ने जवाब दिया: “कांग्रेस और उसके मित्रवत सहयोगियों के अशिष्ट व्यवहार ने पूरे देश को शर्मिंदा किया है। आज अध्यक्ष और सभापति दोनों का अपमान किया गया।”

(जनचौक की रिपोर्ट।)

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