रुकिये! हरियाणा को आग में झोंकने का एजेंडा अभी खत्म नहीं हुआ है

नई दिल्ली। रविवार को नूंह जिले से सटे पलवल जिले के पोंडरी गांव में विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) और बजरंग दल सहित हिंदुत्व के विभिन्न संगठनों द्वारा आयोजित एक महापंचायत में ऐलान किया गया है कि वीएचपी के नेतृत्व में बृज मंडल जलाभिषेक यात्रा को 28 अगस्त से फिर से शुरू किया जायेगा। जैसा कि सारे देश को पता है कि 31 जुलाई को इसी यात्रा के नूंह जिले में पहुंचने पर सांप्रदायिक हिंसा भड़क उठी थी, और कुल 6 लोगों की मौत सहित भीषण आगजनी की घटना से सारा देश दहल उठा था।

राज्य सरकार द्वारा इस महापंचायत की अनुमति क्यों दी गई और हरियाणा राज्य प्रशासन की क्या मंशा है, के बारे में विभिन्न लोग और मीडिया समूह अभी कयास ही लगा रहे हैं। यात्रा को नूंह से फिर शुरू करने के लिए क्या तैयारियां की जाएंगी, के बारे में इस पंचायत के आयोजकों के विचार बेहद हैरान और चिंतित करने वाले हैं। पलवल के एसपी लोकेंदर सिंह के अनुसार हेट स्पीच पर प्रतिबंध सहित कई शर्तों के आधार पर इस महापंचायत की इजाजत दी गई थी।

विश्व हिंदू परिषद एवं बजरंग दल सहित विभिन्न हिंदू संगठनों के संयुक्त तत्वाधान में ‘सर्व हिंदू समाज’ के बैनर तले इस महापंचायत का आयोजन किया गया। यह भी बताया जा रहा है कि मूलतः इसका आयोजन नूंह जिले के किरा गांव में करने का विचार था, लेकिन जिले की शांति-व्यवस्था की स्थिति को देखते हुए राज्य प्रशासन ने इसकी अनुमति नहीं दी।

पुलिस का कहना है कि मीटिंग की वीडियो रिकॉर्डिंग उनके पास मौजूद है। वे इसका बारीकी से अध्ययन करेंगे, इसके बाद ही नतीजे पर पहुंचा जा सकता है। महापंचायत में सर्वसम्मति से 28 अगस्त से फिर से एक बार जलाभिषेक यात्रा निकालने का फैसला लिया गया है। यह अपने आप में एक असाधारण फैसला है, जिसके लिए हरियाणा प्रशासन से इजाजत नहीं ली गई है। इसके बारे में जब तमाम चैनलों के संवाददाताओं ने पूछा तो जवाब में कहा गया कि नूंह में हिंसा के चलते यात्रा अधूरी रह गई थी, जिसे पूरा करना है। कुछ ने तो यहां तक कहा कि क्या हिंदुओं को अपने धर्म-कर्म के लिए भी सरकार से पूछकर काम करना पड़ेगा?

28 अगस्त को सावन का अंतिम सोमवार होने के कारण इसका फैसला लिया गया है। इस बार 10-15,000 लोगों के साथ जलाभिषेक यात्रा की योजना बनाई गई है। रिपब्लिक भारत चैनल के संवाददाता द्वारा बार-बार पूछे जाने पर महापंचायत में मौजूद लोगों ने अपने जवाब में कहा है, “यात्रा अधूरी है, इसलिए उसे पूरा किया जाना चाहिए। 51 पंचायतें इसमें हिस्सा लेने आई थीं।”

महापंचायत के आयोजक अरुण जैलदार के अनुसार, महापंचायत में दिल्ली-अलीगढ़-आगरा से लोग शामिल हुए। मेवात के मुसलमानों को इंगित करते हुए उनका कहना था “हमारे गोत्र एक हैं, चार पीढ़ी पीछे जाकर देख सकते हैं। लेकिन गौ-माता की रक्षा के लिए हम किसी भी हद तक जाने को तैयार हैं। एक बार भारत खंडित हो चुका है, लेकिन अब नहीं होगा, सिर्फ जुड़ेगा।”

कहीं न कहीं तनाव को दुबारा से पैदा करने की कोशिश की जा रही है। 1,200 से अधिक मकान, दुकान बुलडोज किये गये।

बताया जा रहा है कि इस सभा के लिए प्रशासन ने अधिकतम 500 लोगों के भाग लेने की अनुमति दी थी, लेकिन सभा में 1,500 से अधिक लोग उपस्थित थे। सबसे ज्यादा जहर उगलने वाला भाषण हरियाणा गौ-रक्षक दल के आजाद सिंह आर्य का रहा, अपने भाषण में आर्य ने कहा, “रिवाल्वर मत खरीदो, सभी को राइफल खरीदनी चाहिए, ताकि दूर तक शूट किया जा सके। युवाओं को अपने खून को गर्म रखने की जरूरत है। पीएम मोदी जी, खट्टर को हटाकर योगी जैसा सीएम क्यों नहीं देते।”

इतना ही नहीं आर्य ने कहा, “नूंह हिंसा के दौरान मारे गये लोगों को मैं सैल्यूट करता हूं, और उन्हें भी सैल्यूट करता हूं जिन्होंने नासिर और जुनैद की हत्या की है।” बता दें कि फरवरी माह में मेवात के इन दो मुस्लिम युवाओं की कथित गौ रक्षकों द्वारा हत्या कर दी गई थी। भिवानी जिले में उनकी जली हुई कार के भीतर दोनों की लाश बरामद हुई थीं, जिसके लिए मोनू मानेसर नामक कथित गौ-रक्षक को मुख्य साजिशकर्ता माना जा रहा है।

राजस्थान पुलिस को मोनू की तलाश है, लेकिन वह खुलेआम वीडियो जारी कर रहा है, और उसी के वायरल वीडियो में दिए गये बयान के कारण मेवात में तनाव का माहौल बना था। कथित वीडियो में उसने ऐलान किया था कि जलाभिषेक यात्रा में वह खुद शामिल होगा, जिसके बाद से नूंह-मेवात के क्षेत्र में मुस्लिम समुदाय के युवाओं ने भी देख लेने की बात कही थी। 

महापंचायत की मुख्य मांगें:

  • 28 अगस्त से नूंह से फिरोजपुर झिरका की यात्रा।
  • नूंह जिले को खत्म कर, इसके तीन टुकड़े कर आसपास के जिलों में समायोजित किया जाये और सोहना जिला बनाया जाये।
  • हर गांव में 100-100 लाइसेंसी हथियार की खरीद।
  • नूंह हिंसा के मुकदमों को नूंह के बजाय गुरुग्राम या किसी अन्य जिले में स्थानांतरित किया जाए।
  • इलाके में गौ हत्या को पूरी तरह से प्रतिबंधित किया जाए।
  • नूंह हिंसा के मृतकों को 1 करोड़ रुपये का मुआवजा और परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी एवं घायलों को 50 लाख का मुआवजा दिया जाए।
  • बांग्लादेशी और रोहिंग्याओं को यहां से बाहर खदेड़ा जाए, और विदेशी घुसपैठियों के खिलाफ कानून बनाया जाए।

इसके अलावा इस पंचायत में भाजपा के स्थानीय विधायक संजय सिंह भी मौजूद थे। पलवल के पूर्व विधायक सुभाष चौधरी ने पिछले सप्ताह गुरुग्राम में हुई महापंचायत में मुस्लिम व्यवसायियों, फेरी वालों के सामाजिक-आर्थिक बहिष्कार की मांग पर एफआईआर दर्ज किये जाने का विरोध करते हुए कहा, “पुलिस अधिकारियों की ऐसा करने की हिम्मत कैसे हो गई? पुलिस को हमें रोकने का कोई अधिकार नहीं है। विधायक संजय सिंह यहां बैठे हैं। मैं उनसे कहता हूं कि वे तत्काल इस मामले को रफा-दफा करवाएं।”

इसके अलावा 31 जुलाई के दिन जलाभिषेक यात्रा से पहले वीएचपी की सभा में धर्म-कर्म की बातों और प्रवचन की जगह भड़काऊ भाषण दिया जा रहा था। वीएचपी की ओर से भड़काऊ भाषण और स्थानीय लोगों से कहीं अधिक संख्या में बाहरी लोगों के हिस्सा लेने की सूचना आ रही थी। सभा में बिट्टू बजरंगी के आने और नूंह के लोगों को ऐलान करने कि हम समय और लोकेशन बता के आ रहे हैं, फिर मत कहना कि बताया नहीं, या तुम्हारे जीजाजी आ रहे हैं, स्वागत की तैयारी रखना, जैसे बयान वायरल हो रहे थे, जिसने माहौल को विषाक्त बना डाला था।

नूंह के पुलिस अधीक्षक की अनुपस्थिति और पर्याप्त पुलिस बल की तैनाती के बजाय होमगार्ड्स और पीएसओ के भरोसे यात्रा का सुरक्षा बंदोबस्त हैरान करने वाला है। सवाल उठ रहे हैं कि क्या इतने बड़े आयोजन, सोशल मीडिया पर तनाव की जानकारी लोकल इंटेलिजेंस के माध्यम से राज्य प्रशासन के पास होने के बावजूद इस यात्रा के प्रति इतनी अगंभीरता खट्टर प्रशासन ने कैसे होने दी? लेकिन इस बारे में कोई जांच की जा रही है? नहीं।

लेकिन जांच दल के मुताबिक मुस्लिम बहुल नूंह-मेवात के इलाके में उस पैमाने पर हिंसा नहीं भड़की। इसके पीछे 2021 के किसान आंदोलन में मेव-जाट किसानों के बीच की एकता और मेवों के इतिहास से जुड़ी है, और किसान संगठनों के माध्यम से किसान नेता हरियाणा में शांति और सद्भाव कायम रखने के लिए सभाएं कर रहे हैं।   

हरियाणा में शांति और भाईचारा बढ़ाने के लिए महापंचायत

तस्वीर का दूसरा पहलू यह भी है कि हरियाणा के किसान नेता नूंह की हिंसा के बाद अपनी सामाजिक भूमिका के प्रति भी जिम्मेदार बन रहे हैं। वे किसी भी कीमत पर अपने भाईचारे में दरार आने और अपनी एकता को खत्म कर अपने भविष्य को दांव पर डाल देने के खिलाफ मुखर हो रहे हैं। भले ही हरियाणा में कुछ पंचायतों ने नूंह जिले में सांप्रदायिक दंगों के बाद मुसलमानों के बहिष्कार का आह्वान किया है, लेकिन राज्य में कुछ खाप ऐसे भी हैं जो दोनों समुदायों के बीच शांति स्थापित करने की योजना पर काम कर रही हैं।

हरियाणा में 90 से अधिक खाप हैं, और गांव-देहात के इलाकों पर इनका अच्छा-खासा असर होने के कारण आगामी विधानसभा एवं लोकसभा चुनावों पर इनका भारी असर इन्हें बेहद अहम बना देता है। इसी कड़ी में हिसार में कई खापों की एक सभा पिछले सप्ताह हुई थी, जिसे सर्वखाप पंचायत के झंडे तले आयोजित किया गया था। इसमें राज्य भर के सभी गांवों में विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) और बजरंग दल की गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाये जाने की मांग की गई थी।

पिछले सप्ताह बुधवार को हिसार के बास गांव में भारतीय किसान मजदूर यूनियन के बैनर तले एक महापंचायत का आयोजन किया गया था, जिसमें सांप्रदायिक सद्भाव और भाईचारे को मजबूत करने का आह्वान किया गया। महापंचायत का आयोजन करने वाले किसान नेता, सुरेश कोथ के अनुसार, “कुछ लोगों ने सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने की कोशिश की। कुछ लोग कह रहे हैं कि वे मुसलमानों को गांवों में प्रवेश नहीं करने देंगे। हम उन्हें चुनौती देते हैं कि वे यहां आएं और हमारे भाइयों को गांवों में प्रवेश करने से रोक कर दिखाएं।”

उन्होंने अपने बयान में कहा है कि मेवात में शांति बहाल करने के लिए महापंचायत में एक प्रस्ताव पारित किया गया, जिसमें निष्पक्ष जांच करने और मोनू मानेसर एवं बिट्टू बजरंगी को गिरफ्तार करने की मांग की गई। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि झड़पों को भड़काने के लिए भड़काऊ भाषण देने वालों और वीडियो साझा करने वालों के खिलाफ भी कार्रवाई की जानी चाहिए।

सर्वखाप पंचायत के राष्ट्रीय प्रवक्ता सूबे सिंह स्मैन के अनुसार, “जल्द ही खाप नेता नूंह का दौरा करने की योजना बना रहे हैं। लेकिन फिलहाल स्थानीय प्रशासन हमें इस बात की इजाजत नहीं दे रहा है। एक बार स्थिति सामान्य होने और अनुमति मिल जाने पर हम वहां जाएंगे और दोनों समुदायों के स्थानीय लोगों से बात कर उनके बीच शांति स्थापित करने का प्रयास करेंगे क्योंकि वे कई दशकों से शांति और सद्भाव से रह रहे हैं।”

सूबे सिंह ने कहा, “राज्य भर के सभी गांवों में विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) और बजरंग दल की गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाये जाने की जरूरत है। अगले साल विधानसभा और लोकसभा दोनों के चुनाव होने हैं, ऐसे में जो कुछ भी हुआ है वह असल में दोनों समुदायों को विभाजित करने और इस प्रकार राज्य के मतदाताओं का ध्रुवीकरण करने की एक बड़ी साजिश है।”

अब सवाल उठता है कि 31 जुलाई को बृज मंडल जलाभिषेक यात्रा को भड़काऊ बयानों, हथियारों के साथ यात्रा निकालने की इजाजत (जिसमें यात्रा की सुरक्षा के लिए बेहद अपर्याप्त इंतजाम किये गये थे) देकर जो गलती की गई थी, एक बार फिर से उसी गलती को 28 अगस्त की यात्रा को इजाजत देकर क्या राज्य प्रशासन उसे दोहराने का प्रयास करेगा? क्या 28 अगस्त की जलाभिषेक यात्रा को अनुमति देकर किसी अधूरे लक्ष्य को हासिल करने की मंशा तो नहीं है? ये सवाल सहज रूप से हर तर्कशील नागरिक के मन में कौंध रहे हैं?

पिछले सप्ताह दिल्ली के एक अधिकार संगठन ‘जन-हस्तक्षेप मंच’ की टीम ने नूंह-मेवात क्षेत्र का दौरा कर अपनी रिपोर्ट में जमीनी हालात की तस्वीर पेश की थी। अपने निष्कर्ष में टीम ने बेहद चौंकाने वाले तथ्य पेश किये हैं।

जांच दल ने अपने निष्कर्ष में कहा है, “नूंह में जो कांड हुआ उसके पीछे बेहद खतरनाक मंसूबे थे। संघ-भाजपा की खट्टर सरकार का षड्यंत्र काम कर रहा था कि यात्रा में शामिल लोगों को मुस्लिम बहुल इलाके में बिना उचित सुरक्षा के ले जाया जाये। साजिशकर्ताओं का अंदाजा था कि कोई बड़ा कांड होगा, और परिणामस्वरूप हरियाणा, राजस्थान और यूपी भी 2002 की गुजरात प्रयोगशाला की तरह धधक जायेगा, जिसकी फसल 2024 चुनावों में हरियाणा और केंद्र दोनों जगह काटी जा सकती है।”

(रविंद्र पटवाल ‘जनचौक’ की संपादकीय टीम के सदस्य हैं।)

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