पुंछ मामले की जांच में तेजी के पीछे त्वरित ‘न्याय’ नहीं ‘गुर्जर वोट’ की चाहत

नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर के पुंछ जिले में सेना के कथित हिरासत में हुई तीन मौतों के मामले में केंद्र सरकार की सक्रियता ने मामले में सरगर्मी ला दी है। राज्य की राजनीतिक पार्टियों ने केंद्र में सत्तारूढ़ भाजपा पर मौतों पर वोट बैंक की राजनीति साधने का आरोप लगाया है। गौरतलब है कि पुंछ में 21 दिसंबर को सेना के दो वाहनों पर आतंकवादियों द्वारा घात लगाकर किए गए हमले में चार सैनिक मारे गए और तीन घायल हो गए। घटना के बाद सेना पूछताछ के लिए एक गांव से आठ नागरिकों को उठाकर ले गयी थी, जिसमें से तीन नागरिक पिछले सप्ताह शुक्रवार को मृत पाए गए थे। तीनों मृतक गुर्जर समुदाय से संबंध रखते हैं।

रक्षा मंत्रालय ने सेना मुख्यालय को पुंछ जिले में तीन मुस्लिम गुर्जर पुरुषों की हिरासत में मौत के मामले में “त्वरित न्याय” के लिए समयबद्ध और “निष्पक्ष” जांच सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है।

रक्षा मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया, “रक्षा मंत्रालय ने सेना मुख्यालय में अनुशासन और सतर्कता शाखा से यह सुनिश्चित करने के लिए कहा है कि जांच पूरी होने और जवाबदेही तय करने में कोई अनुचित देरी न हो।”

रक्षा मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक “मंत्रालय ने रेखांकित किया कि यह घटना मीडिया में काफी चर्चा में थी और इसने सेना की छवि पर सवालिया निशान खड़ा कर दिया है, और जांच निष्पक्ष होनी चाहिए और त्वरित न्याय सुनिश्चित करने के लिए इसे चार सप्ताह के भीतर पूरा किया जाना चाहिए।”

सेना की कथित हिरासत में गुर्जर समुदाय के तीन व्यक्तियों की मौत की खबर से जम्मू-कश्मीर का राजनीतिक पारा चढ़ गया है। वहीं केंद्र सरकार इस पूरे मामले में बड़ी तेजी से जांच करवा रही है। ऐसे में सवाल उठता है कि भाजपा जैसी दक्षिणपंथी पार्टी जो हमेशा सेना की आड़ में राजनीति करती रही है अचानक उसकी जांच में सेना निशाने पर क्यों है?

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने पीड़ित परिवारों के घर जाकर शोक व्यक्त किया। दरअसल रक्षा मंत्री का यह कदम घाटी में गुर्जर और बकरवाल समुदाय के समर्थन के लिए उठाया गया। क्योंकि भाजपा जम्मू-कश्मीर में मुस्लिम गुर्जर और बकरवाल समुदाय को अपनी तरफ लाना चाहती है। ऐसा माना जाता है कि कश्मीर में गुर्जर भाजपा के साथ मजबूती से खड़े हैं, जहां अलगाववाद जोर पकड़ रहा है। ऐसे में सरकार गुर्जरों के गुस्से को शांत करने की कोशिश कर रही है।

देश की 2011 की जनगणना के अनुसार, गुर्जर जम्मू-कश्मीर में सबसे अधिक आबादी वाली अनुसूचित जनजाति है, जिसकी आबादी 14.93 लाख के करीब है। जम्मू-कश्मीर के पहाड़ों पर रहने वाले गुर्जर समुदाय को अनुसूचित जनजाति के दर्जे के राजनीतिक लाभ के विस्तार की उम्मीद है। राजौरी और पुंछ जिलों में बड़े पैमाने पर केंद्रित गुर्जर और बकरवाल भाजपा सरकार के आरक्षण के वादे को पूरा नहीं करने से नाराज हैं।

जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने परिवारों को आर्थिक मुआवजा और नौकरी देने की घोषणा की है। इसमें कहा गया है कि चिकित्सा-कानूनी औपचारिकताएं पूरी कर ली गई हैं और मामले पर कानूनी कार्रवाई शुरू कर दी गई है।

राजनीतिक लाभ साधने की कोशिश में भाजपा

भाजपा इस पूरे मुद्दे को राजनीतिक दृष्टि से देख रही है। गुर्जरों का समर्थन बरकरार रखने के लिए केंद्र सरकार ने इस मामले में तेजी से जांच कर मामले को साफ करना चाह रही है। इस कड़ी में राष्ट्रीय राइफल्स ब्रिगेड के कमांडर सहित तीन अधिकारियों को तुरंत हटा दिया। जम्मू-कश्मीर में गुर्जरों की आबादी लगभग 8 प्रतिशत है, को केंद्र शासित प्रदेश में भाजपा की चुनावी संभावनाओं के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है।

कथित हिरासत में हत्याओं के खिलाफ विरोध प्रदर्शन शुरू होने पर, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह बुधवार को जम्मू पहुंचे। उन्होंने शोक संतप्त परिवारों से मुलाकात की और उन्हें न्याय का वादा किया।

उन्होंने सैनिकों से भी मुलाकात की, उन्हें “पेशेवर” मानकों को बनाए रखने की सलाह दी, और उन्हें याद दिलाया कि न केवल देश की रक्षा करना बल्कि इसके लोगों का दिल जीतना उनका कर्तव्य है।

कश्मीर में सेना का विशिष्ट आतंकवाद विरोधी बल राष्ट्रीय राइफल्स अब विवादों के घेरे में है। इसकी स्थापना 1990 में की गई थी। इसके कर्मियों को सेना द्वारा प्रतिनियुक्ति किया जाता है।

“तीनों अधिकारियों की भूमिका जांच के दायरे में है।” सेना मुख्यालय के एक अधिकारी ने कहा, कथित यातना के कारण तीन नागरिकों की मौत में उनकी संलिप्तता का पता लगाने के लिए एक विस्तृत जांच चल रही है।

उन्होंने कहा कि जांच से पता चलेगा कि क्या कथित यातना तीनों के आदेश पर हुई थी और क्या वे घटनास्थल पर मौजूद थे।

एक अधिकारी ने कहा कि “प्रमुख गवाहों के बयान दर्ज किए गए हैं और (जांच की) प्रगति पर उच्च अधिकारियों द्वारा बहुत बारीकी से निगरानी की जा रही है। सभी नागरिक गवाहों को जांच अदालत के समक्ष पेश होने के लिए कहा गया है।”

सुरक्षा प्रतिष्ठान के सूत्रों का कहना है कि कथित हिरासत में हत्याएं आदिवासी गुर्जर समुदाय को “अलग-थलग” कर सकती हैं, जिससे सेना की खुफिया जानकारी इकट्ठा करने वाले तंत्र को झटका लगेगा।

केंद्रीय गृह मंत्रालय के एक सुरक्षा अधिकारी ने कहा कि “गुर्जर समुदाय पाकिस्तान के साथ नियंत्रण रेखा पर सेना के लिए मुखबिर के रूप में काम करता रहा है। वे लंबे समय से सेना की आंख और कान रहे हैं।” ऐसे में केंद्र स्थानीय लोगों को संतुष्ट करने के लिए अति सक्रिय हो गया है।

महबूबा मुफ्ती ने पीड़ित परिजनों के लिए मांगा 50 लाख का मुआवजा

पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने रविवार को सेना के दो वाहनों पर आतंकवादी हमले के बाद सुरक्षा बलों द्वारा मृत पाए गए तीन नागरिकों के परिवारों के लिए 50 लाख रुपये का मुआवजा, एक सरकारी नौकरी और एक आवासीय भूखंड की मांग की है।

मुफ्ती ने आरोप लगाया कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे के दौरे के बावजूद पीड़ितों को न्याय दिलाने के लिए कोई कार्रवाई नहीं की गई है।

घटना की न्यायिक जांच की मांग करते हुए महबूबा मुफ्ती ने संवाददाताओं से कहा कि “मैं उप-राज्यपाल से रक्षा मंत्री से मारे गए नागरिकों के परिजनों को 50 लाख रुपये का मुआवजा, एक सरकारी नौकरी और सड़क के किनारे एक भूखंड प्रदान करने के लिए कहने का आग्रह करती हूं। घायल व्यक्तियों को 5 लाख रुपये का मुआवजा दिया जाना चाहिए।”

पुंछ में 21 दिसंबर को सेना के दो वाहनों पर आतंकवादियों द्वारा घात लगाकर किए गए हमले के बाद सेना द्वारा पूछताछ के लिए उठाए गए तीन नागरिक पिछले सप्ताह शुक्रवार को मृत पाए गए थे।

जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने परिवारों को आर्थिक मुआवजा और नौकरी देने की घोषणा की है। इसमें कहा गया है कि चिकित्सा-कानूनी औपचारिकताएं पूरी कर ली गई हैं और मामले पर कानूनी कार्रवाई शुरू कर दी गई है।

सेना ने नागरिकों की मौत की गहन आंतरिक जांच का आदेश दिया है और कहा है कि वह जांच के संचालन में पूर्ण समर्थन और सहयोग देने के लिए प्रतिबद्ध है।

मुफ्ती ने चल रही जांच पर सवाल उठाते हुए कहा कि “हमने पिछली घटनाओं में जांच रिपोर्टों का हश्र देखा है। राजौरी में सेना द्वारा मारे गए तीन युवकों की जांच रिपोर्ट के बाद, अधिकारियों ने फर्जी हत्याओं की बात स्वीकार की, लेकिन उन्हें छोड़ दिया गया। आप इसमें क्या जांच करेंगे?”

मुफ्ती ने बताया कि ताजा मामले में अज्ञात लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। उन्होंने आरोप लगाया कि “लोग पुलिस और सेना के जवानों की पहचान कर रहे हैं, तो वे अज्ञात कैसे हो सकते हैं? यदि आप दोषियों को दंडित नहीं करते हैं, तो आप सिस्टम के अपराधीकरण को बढ़ावा दे रहे हैं। न्याय कैसे दिया जा सकता है?”

(प्रदीप सिंह की रिपोर्ट।)

0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest
0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments