नरेंद्र मोदी की अमेरिका यात्रा: 70 अमेरिकी सांसद, मानवाधिकार संगठन, प्रवासी मणिपुरी लोगों ने तीखे सवाल उठाए और विरोध में सड़कों पर उतरे

नई दिल्ली। एक एंकर पत्रकार हैं, सुधीर चौधरी जिनसे सारा देश परिचित है। पीएम मोदी की अमेरिकी यात्रा पर उनका कहना है कि “मोदी से मिलने के लिए बाइडेन इतने बैचेन क्यों हैं?” इंडिया टीवी के रजत शर्मा ट्वीट कर कहते हैं, कि “1- मोदी ने UN में योगासन किया, world record बनाया, पर कांग्रेस ने मोदी के योग का मज़ाक उड़ाया। 2- एलन मस्क ने कहा, मैं मोदी का फैन हूं, अमेरिकी वैज्ञानिक ने कहा, ‘For Modi, Sky Is Not The Limit’। 3- बाइडन ने शी जिन पिंग को ‘तानाशाह’ बताया, रात को प्राइवेट डिनर पर मोदी को बुलाया #AajKiBaat आज रात 9 बजे India TV पर।”

आज भारतीय मीडिया बता रहा है कि राष्ट्रपति बाइडेन और उनकी पत्नी ने किस प्रकार शाही डिनर का इंतजाम किया। जिसमें वेज भोजन की क्या-क्या वैरायटी थी। डीडी न्यूज़ के अशोक श्रीवास्तव तो अपने ट्वीट के जरिये पल-पल की खबर अपने फालोवर्स को लगातार भेज रहे हैं, मानो ये पल न मिलेगा दोबारा।

लेकिन शायद ही कोई इस बात को दिखाने की कोशिश कर रहा है कि अमेरिकी मीडिया में इस यात्रा को लेकर क्या लिखा और कहा जा रहा है। अमेरिकी संसद के 70 से अधिक सांसदों और कांग्रेसमेन ने भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की घरेलू नीतियों के बारे में कड़ी आपत्ति दर्ज करते हुए बाइडेन से भारत में तेजी से लोकतंत्र में गिरावट पर सार्वजनिक एवं व्यक्तिगत रूप से चिंता व्यक्त करने की मांग की है।

डेमोक्रेटिक पार्टी के प्रमुख नेता और दो बार अमेरिकी राष्ट्रपति की रेस में शीर्ष तक पहुंचकर अंतिम समय में कदम पीछे खींच चुके, बर्नी सैंडर्स ने साफ शब्दों में मोदी की आलोचना करते हुए ट्वीट किया है, “प्रधान मंत्री मोदी की सरकार ने प्रेस और नागरिक समाज के ऊपर दमन ढाए हैं, अपने राजनीतिक विरोधियों को जेलों में डाला है, और आक्रामक हिंदू राष्ट्रवाद को बढ़ाने का काम कर भारत के धार्मिक अल्पसंख्यकों के लिए कोई जगह नहीं छोड़ी है। मोदी के साथ अपनी बैठक में बाइडेन को इन सवालों को उठाना चाहिए।”

मणिपुर हिंसा का मुद्दा भी अमेरिका की सड़कों पर गूंज रहा है। मणिपुर मूल की प्रवासी महिलाएं, बच्चे और युवाओं ने हाथों में तख्तियां लेकर सवाल पूछा है। “पीएम मोदी क्यों खामोश हैं”, “सेव मणिपुर” और “हम मणिपुर में शांति चाहते हैं” जैसी मांगों की तख्तियां लिए खड़े लोग जो सवाल खड़े कर रहे हैं, वह भारत की प्रतिष्ठा को दागदार करते हैं। सबसे बड़ी बात यह है कि 100 से अधिक मौतों के साथ मैतेई और कुकी समुदाय के बीच की विभाजन रेखा इतनी गहरी हो चुकी है कि उसे पाट पाना अब लगभग असंभव बन चुका है। पीएम मोदी ने अभी तक मणिपुर को लेकर एक बार भी ट्वीट तक नहीं किया, मुहं खोलने की बात तो रही दूर।

पिछली बार जब पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प को अमेरिका में महाभियोग की शर्मिंदगी से दो-चार होना पड़ा था, तो उनके परम मित्र मोदी जी ने उनके लिए झट से भव्य स्वागत का इंतजाम चुटकियों में भारत में कर डाला था। दुनिया के सबसे बड़े क्रिकेट स्टेडियम “वल्लभभाई पटेल स्टेडियम, जिसका नाम अब नरेंद्र मोदी के नाम पर हो गया है” में ट्रम्प का जैसा शानदार स्वागत हुआ, वह ट्रम्प के लिए अमेरिका में अपनी वैश्विक साख को साबित करने का एक औजार साबित हुआ था। लेकिन दिल्ली की उनकी यात्रा के दौरान उत्तर-पूर्वी दिल्ली में दंगों की आंच तब भी अमेरिका के नागरिकों को महसूस हुई थी।

जाहिर सी बात है कि 2020 के बाद 2023 में भी भारत का एक राज्य पूरी तरह से आग की लपटों में है, और पीएम मोदी टोक्यो में जी-7 की बैठक में मेहमान के रूप में जाने से ही नहीं रुकते, बल्कि ऑस्ट्रेलिया में कैंसिल हो चुकी बैठक (जो बाइडेन की घरेलू आर्थिक समस्या) के बावजूद तीन दिनों के लिए सहर्ष चले जाते हैं। ये बातें हम आम भारतीय शायद इसलिए नहीं समझ पाते, क्योंकि हमारे आगे हमेशा गोदी मीडिया के द्वारा वही समाचार परोसे जाते हैं, जिनसे हमारी सोचने-समझने की शक्ति कुंद होती रहे।

अमेरिका की सड़कों पर एक वैन को चलता-फिरता चलचित्र सरीखा बना दिया गया है। इसमें भारत में अंतर्राष्ट्रीय महिला पहलवान खिलाड़ियों के यौन शोषण पर पीएम मोदी के दल के सांसद बृजभूषण सिंह पर लगे आरोपों पर उनकी चुप्पी को अमेरिका में दिखाया जा रहा है। वैश्विक मानवाधिकार संगठन भारत में प्रतिबंधित बीबीसी डाक्यूमेंट्री का न्यूयॉर्क में प्रदर्शन कर रहे हैं। ये सब बातें शायद ही भारत के 10% हिस्से तक भी पहुंचे। अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर पीएम मोदी ने योग को लोगों को आपस में जोड़ने वाला बताकर खूब वाहवाही लूटी है। लेकिन कुछ लोग सवाल कर रहे हैं कि यदि योग से लोगों को जोड़ा जा सकता है तो आपने मणिपुर के लोगों को जोड़ने की एक भी कोशिश अभी तक क्यों नहीं की?

सीनेटर एवं @HouseJudiciary, @OversightDems की सदस्या कोरी बुश ने अपने ट्वीट में कड़ी आलोचना करते हुए कहा है, “प्रधान मंत्री मोदी का मानवाधिकार उल्लंघन के मामले में शर्मनाक इतिहास रहा है, लोकतंत्र को ताक पर रखने, और पत्रकारों को निशाना बनाने के मामले में शर्मनाक इतिहास रहा है। मोदी और उनकी नीतियों से जिन समुदायों को आघात पहुंचा है, उनके साथ एकजुटता का प्रदर्शन करते हुए मैं कांग्रेस की संयुक्त सभा के संबोधन का बहिष्कार करती हूं।”

एक अन्य महिला सांसद रशीदा तलिब के 20 जून के ट्वीट पर गौर करें, “यह शर्मनाक है कि मोदी को हमारी राष्ट्रीय राजधानी में मंच प्रदान किया जा रहा है- मानवाधिकारों के उल्लंघन, गैर-लोकतांत्रिक गतिविधियों, मुसलमानों एवं धार्मिक अल्पसंख्यकों को निशाना बनाने और पत्रकारों पर प्रतिबंध का उनका लंबा इतिहास रहा है जो कि बिल्कुल भी स्वीकार्य नहीं है। मैं मोदी के कांग्रेस के संयुक्त संबोधन का बहिष्कार करती हूं।”

अर्जुन सेठी नाम के एक सामाजिक कार्यकर्ता ने एक मोबाइल ट्रक पर चलचित्र के माध्यम से पीएम मोदी पर आरोपों की तस्वीर को अमेरिका की सड़कों पर दौड़ाते दिखाया है।

मोबाइल ट्रक में घूम-घूमकर बाइडेन के सामने कुछ सवाल पूछे गये हैं:

हे जो।।

सवाल: 2005-2014 तक मोदी को क्यों अमेरिका में प्रवेश को प्रतिबंधित किया गया था?

जवाब: धार्मिक स्वतंत्रता के गंभीर उल्लंघन का आरोप था।

साथ में नीचे लिखा है कि मोदी एकमात्र व्यक्ति हैं जिन्हें इस आधार पर वीजा जारी नहीं किया गया है।

#CrimeMinisterOfIndia #BrijBhushanSingh #JusticeDelayedJusticeDenied जैसे हैश टैग के साथ इस ट्रक को न्यूयॉर्क की सड़कों पर अमेरिकी नागरिक देख रहे हैं।

20 जून 2023 को अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के नाम लिखे अपने पत्र में अमेरिकी प्रतिनिधि प्रमिला जयपाल और सीनेटर क्रिस वेल होलेन के साथ 70 से अधिक की संख्या में प्रतिनिधियों एवं सीनेटरों ने भरतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ अपनी मुलाक़ात के दौरान मानवाधिकारों एवं लोकतांत्रिक अधिकारों पर बातचीत करने का आग्रह किया है। पत्र में विश्व के सबसे बड़े और सबसे पुराने लोकतंत्र के बीच घनिष्ठ रिश्ते और साझे लोकतांत्रिक मूल्यों का हवाला देते हुए क्वैड के महत्वपूर्ण सदस्य के रूप में भारत की भूमिका को स्वीकार किया गया है। लेकिन साथ ही पत्र में कहा गया है कि मजबूत अमेरिकी-भारतीय रिश्ते का प्रबल समर्थक होने के साथ-साथ हमारा यह भी तकाजा है कि दोस्तों को आपस में अपने मतभेदों को खुलकर ईमानदारी के साथ बातचीत करनी चाहिए, और उन मतभेदों को दूर किया जाना चाहिए।

राष्ट्रपति बाइडेन के नाम लिखे पत्र में अमेरिकी सांसदों का स्पष्ट मत है कि “भारत में राजनीतिक माहौल के लगातार सिकुड़ते जाने के बारे में निष्पक्ष एवं विश्वसनीय रिपोर्टों की एक पूरी श्रृंखला से हम वाकिफ हैं। भारत में मानवाधिकारों पर विदेश मंत्रालय की 2022 की रिपोर्ट में राजनीतिक अधिकारों एवं अभिव्यक्ति की आजादी पर नियंत्रण को रेखांकित किया गया है। इसी प्रकार अंतर्राष्ट्रीय धार्मिक आजादी के प्रश्न पर विदेश विभाग की 2022 की रिपोर्ट में भारत में अल्पसंख्यकों के खिलाफ बढती धार्मिक असहिष्णुता और निजी एवं राजकीय माध्यमों से धार्मिकता के आधार पर हिंसा की घटनाएं देखी गई हैं।”

अमेरिकी सांसदों ने कहा कि “रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि भारत जिसे अतीत में इसके स्वतंत्र एवं जीवंत प्रेस के रूप में जाना जाता था, की आज प्रेस फ्रीडम के मामले में रैंकिंग काफी गिर गई है। इतना ही नहीं एक्सेस नाउ के मुताबिक, विश्व में सबसे अधिक इंटरनेट शटडाउन के मामले में भारत लगातार पांच वर्षों से शीर्ष स्थान पर बना हुआ है।

पत्र के अंतिम पैरा लिखा गया है: “हम अमेरिका में प्रधानमंत्री मोदी के स्वागत में आपके साथ हैं। हम भारत और अमेरिका के लोगों के बीच प्रगाढ़ एवं गर्मजोशी भरे रिश्ते के हिमायती हैं। हम चाहते हैं कि हमारे रिश्ते सिर्फ आपसी हितों तक ही सीमित न रहकर साझे मूल्यों वाले भी होने चाहिए। हम किसी ख़ास भारतीय राजनेता या राजनीतिक पार्टी का समर्थन नहीं करते हैं – यह काम भारत की जनता का है- लेकिन हम उन महत्वपूर्ण सिद्धांतों के पक्षधर हैं जिसे अमेरिकी विदेश नीति का अहम हिस्सा होना चाहिए। और हम जानना चाहते हैं कि प्रधानमंत्री मोदी के साथ आपकी बातचीत में, आपको उन सभी महत्वपूर्ण मुद्दों पर बातचीत करनी चाहिए जो हमारे दो महान देशों के बीच के रिश्तों को सफल, मजबूत और दीर्घकालीन रिश्ते में बदलने में सहायक सिद्ध हो सके।”

हस्ताक्षर करने वाले प्रतिनिधियों एवं सीनेटर के नाम इस प्रकार हैं:

Van Hollen and Jayapal were joined in sending the letter by Senators Richard Blumenthal (D-CT), Sherrod Brown (D-OH), Ben Cardin (D-MD), Tom Carper (D-DE), Tammy Duckworth (D-IL), Richard Durbin (D-IL), Martin Heinrich (D-NM), Mazie Hirono (D-HI), Tim Kaine (D-VA), Jeff Merkley (D-OR), Bernie Sanders (I-VT), Brian Schatz (D-HI), Jeanne Shaheen (D-NH), Elizabeth Warren (D-MA), Peter Welch (D-VT), Sheldon Whitehouse (D-RI), and Ron Wyden (D-OR) as well as Representatives Jake Auchincloss (MA-04), Becca Balint (VT-At Large), Nanette Diaz Barragán (CA-44), Earl Blumenauer (OR-03), Suzanne Bonamici (OR-01), Tony Cárdenas (CA-29), André Carson (IN-07), Greg Casar (TX-35), Sean Casten (IL-06), Judy Chu (CA-28), Yvette D। Clarke (NY-09), Emanuel Cleaver (MO-05), Steve Cohen (TN-09), Jason Crow (CO-06), Mark DeSaulnier (CA-10), Lloyd Doggett (TX-37), Veronica Escobar (TX-16), Anna G। Eshoo (CA-16), Valerie Foushee (NC-04), Maxwell Frost (FL-10), Jesús G। “Chuy” García (IL-04), Robert Garcia (CA-42), Sylvia Garcia (TX-29), Dan Goldman (NY-10), Al Green (TX-09), Raúl M। Grijalva (AZ-07), Jared Huffman (CA-02), Henry C। “Hank” Johnson, Jr। (GA-04), Robin Kelly (IL-02), John B। Larson (CT-01), Barbara Lee (CA-12), Mike Levin (CA-49), Betty McCollum (MN-04), James P। McGovern (MA-02), Grace Meng (NY-06), Kweisi Mfume (MD-07), Seth Moulton (MA-06), Jerrold Nadler (NY-12), Mark Pocan (WI-02), Mike Quigley (IL-05), Delia Ramirez (IL-03), Jamie Raskin (MD-08), Linda Sánchez (CA-38), John Sarbanes (MD-03), Mary Gay Scanlon (PA-05), Jan Schakowsky (IL-09), Elissa Slotkin (MI-07), Mark Takano (CA-39), Mike Thompson (CA-04), Jill Tokuda (HI-02), David Trone (MD-06), Juan Vargas (CA-52), Nydia M। Velázquez (NY-07), Bonnie Watson Coleman (NJ-12), Susan Wild (PA-07), and Nikema Williams (GA-05).

मीडिया समूह टीआरटी वर्ल्ड ने नरेंद्र मोदी की अमेरिकी यात्रा पर अपने लेख में लिखा है कि प्रधानमंत्री बनने के बाद से नरेंद्र मोदी ने आज तक भारत में एक भी प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित नहीं किया है, लेकिन व्हाइट हाउस ने कहा है कि अमेरिका में मोदी पत्रकारों के सवालों का जवाब देंगे।

यह बेहद ख़ुशी की बात है कि आखिरकार पीएम मोदी भारतीय न सही अमेरिकी पत्रकारों के सवालों का जवाब देंगे। लेकिन क्या यह संभव है? जर्मनी में अपने पिछले दौरे के दौरान पीएम मोदी ने इसके लिए इंकार कर दिया था। क्या अमेरिका में सिर्फ औपचारिक प्रश्न का जवाब दिया जायेगा, या प्रश्न के उत्तर में पूरा जवाब न मिलने की सूरत में पूरक प्रश्न पूछने की इजाजत दी जायेगी, जैसा कि अमेरिकी परंपरा में आज तक यह प्रचलन में रहा है। इस सवाल का जवाब तो संयुक्त प्रेस सम्मेलन के बाद ही मिल सकेगा।

(रविंद्र पटवाल जनचौक की संपादकीय टीम के सदस्य हैं।)

0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest
1 Comment
Oldest
Newest Most Voted
Inline Feedbacks
View all comments
Jitendra kashyap
Jitendra kashyap
Guest
10 months ago

Excellent