‘बुलडोजर न्याय’ के तहत घरों को ढहाने का आखिर क्या है कानूनी आधार?

पिछले कुछेक सालों से यूपी-एमपी मे ‘तुरंता न्याय’ (इंस्टेंट जस्टिस) के नाम पर जेसीबी एवं बुलडोजर के जरिए आरोपी के मकान का विध्वंस करना न्याय का नया मॉडल बन गया है। जिसके जरिए सरकारें संकीर्ण जन भावनाओं को तो संतुष्ट कर देती है, किंतु ‘कानून के शासन’ जैसे मान्य सिद्धांत की धज्जियां उड़ाकर रख देती हैं। उनके इस कदम से कानून का पालन करने वाले एक आधुनिक सभ्य समाज के निर्माण की संभावनाओं को कोसों दूर कर दिया रहा है।

उत्तर प्रदेश के शहरों में मकान के गिराए जाने हेतु ‘उत्तर प्रदेश नगर नियोजन एवं शहरी विकास अधिनियम 1973’ एवं म्युनिसिपलटीज एक्ट तथा ग्रामीण क्षेत्रों में ‘उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता, 2006’ का सहारा राज्य प्राधिकारियों द्वारा लिया जाता है।

आइए सबसे पहले हम उत्तर प्रदेश रेवेन्यू कोड, 2006 की धारा 67 के तहत की जाने वाली कार्रवाई को समझते हैं।

यदि कोई निर्माण/भवन ग्राम समाज की जमीन पर हुआ है, तब संबंधित ग्राम पंचायत की भूमि प्रबंधन समिति (एलएमसी) के अध्यक्ष (प्रधान), सचिव (लेखपाल) व सदस्यों या अन्य कोई नागरिक रिवेन्यू कोड की धारा 67 (1) के तहत आरसी फॉर्म 19 में विहित सूचना लिखकर तहसीलदार के समक्ष प्रस्तुत करता है तब तहसीलदार:-

1- सर्वप्रथम रेवेन्यू कोड की धारा 24 के अंतर्गत निर्धारित प्रक्रिया का इस्तेमाल करते हुए अवैध रूप से निर्मित भवन/अतिक्रमण आदि से संबंधित प्लांट का राजस्व कर्मियों की सहायता से सीमांकन कराएगा, ताकि अवैध भाग को पुख्ता तौर पर चिह्नित किया जा सके, जैसा कि माननीय उच्च न्यायालय इलाहाबाद ने ‘ऋषिपाल बनाम स्टेट ऑफ यूपी, 2022 के मामले में धारित किया है।

2- फिर अवैध कब्जाधारी को रेवेन्यू कोड की धारा 67(2 ) के तहत बेदखली की नोटिस आरसी प्रपत्र-20 के जरिए कब्जाधीन भूमि के पूरे विवरण सहित नुकसानी कारित किए जाने के एवज में क्षतिपूर्ति धनराशि (जो जमीन के बाज़ार मूल्य के पांच प्रतिशत तक हो सकेगी) तय करके उसका उल्लेख करते हुए ऑब्जेक्शन अथवा जवाब दाखिल करने हेतु कम से कम 21 दिन का समय (यथा- उत्तर प्रदेश रेवेन्यू कोर्ट मैन्युअल के पैरा-476 में प्रावधानित तथा लीलू बनाम उत्तर प्रदेश राज्य, 2023 में इलाहाबाद उच्चन्यायालय द्वारा धारित) देगा।

3- नोटिस अवैध कब्जाधारी या उसके परिवार के किसी वयस्क व्यक्ति को तामील कराएगा। ऐसा संभव न होने पर ही प्रश्नगत भवन के सहज रूप से दिखने वाले हिस्से पर चस्पा किया जा सकता है।

4- नोटिस के प्रत्युत्तर में दिये गये जवाब से सन्तुष्ट होने पर नोटिस को खारिज कर देगा तथा असन्तुष्ट पर होने और सार्वजनिक भूमि के दुरूपयोग का दोषी पाता है तो उसके बेदखली का आदेश पारित करेगा। यह पूरी कार्रवाई तहसीलदार 90 दिन में करने का प्रयास करेगा।

5- तहसीलदार के आदेश से व्यथित व्यक्ति तीस दिन के भीतर जिला कलेक्टर को कोड की धारा 207 के तहत अपील कर सकेगा। कलेक्टर अपील के साथ दाखिल ‘स्टे एप्लिकेशन’ पर 30 दिन के अंदर निस्तारित करेगा, इस दौरान तहसीलदार द्वारा पारित आदेश पर कार्रवाई स्थगित रहेगी। प्रस्तुत अपील में कलेक्टर द्वारा गुणदोष के आधार पर पारित आदेश अंतिम होगा, इसके विरुद्ध संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत उच्च न्यायालय में रिट याचिका ही जा सकती है।

यहां उल्लेख करना प्रासंगिक होगा कि यदि रेवेन्यू कोड की धारा 67 सपठित नियम 66 व 67 राजस्व नियमावली, 2016 में विहित प्रक्रिया तथा उच्च न्यायालय के द्वारा दी गयी व्यवस्थाओं का उल्लंघन करके नोटिस जारी की जाती है अथवा कोई कार्रवाई संचालित होती तो वह न्यायालयीय अवमानना (कंटेम्प्ट ऑफ कोर्ट) होगी, इसे रिट याचिका के जरिए भी चुनौती दी जा सकती है।

विशेष रूप से उल्लेखनीय है कि अवैध कब्जे का दोषी पाया गया “व्यक्ति” प्रश्नगत भूमि (जोकि धारा 77 की भूमि नही है) के बराबर मूल्य के अपनी भूमिधरी जमीन से ग्राम सभा को विनिमय/एक्सचेंज करके सेटलमेंट कर सकेगा। इससे इतर यदि वह व्यक्ति रेवेन्यू कोड की धारा 64 की पात्रता रखता है तो धारा 67-A को ढाल की तरह इस्तेमाल करते हुए संरक्षण का दावा कर सकता है। इसके वास्ते उसे अपने निर्माण की विद्यमानता 29 नवम्बर 2023 के पूर्व की सिद्ध करनी होगी तथा अधिकतम 200 वर्ग मीटर रकबे के सेटलमेंट की याचना करनी होगी।

इसी तरह ‘यूपी अर्बन प्लानिंग एन्ड डेवेलपमेंट एक्ट, 1973 की धारा 26-ए तथा 26-सी के तहत नाली, सार्वजनिक मार्गो, ड्रेनेज सिस्टम अथवा पब्लिक पार्क आदि पर हुए निर्माण को अवैध मानते हुए तत्काल रिमूव किये जाने का आदेश ‘विकास प्राधिकरण’ का वाइस चेयरमैन अथवा इस कार्य हेतु अधिकृत कोई अफसर पारित कर सकेगा, जिससे व्यथित व्यक्ति डिस्ट्रिक्ट जज के यहां क्षतिपूर्ति का दावा कर सकता है।

पूर्वोक्त अधिनियम की धारा 27 मुकम्मिल तौर ध्वस्तीकरण का आदेश पारित किये जाने हेतु वाइस चेयरमैन अथवा इस कार्य हेतु नियुक्ति अफसर को सक्षम शक्ति देती है। इसके लिए यह दर्शाना होगा कि अमुक मकान-दुकान अथवा कोई निर्माण, मैप को प्राधिकरण से बिना संस्तुति/पास कराये किया गया हो या फिर वह निर्माण मास्टर प्लान/ जोनल प्लान के प्रतिकूलता किया गया है।

इसके वास्ते वास्ते वाइस चेयरमैन अधिनियम की धारा 27(1) के तहत कब्जाधारी/भवन स्वामी को नोटिस जारी करेगा तथा जबाब/ऑब्जेक्शन का समुचित समय देगा। जवाब से असन्तुष्ट होने पर ही ध्वस्तीकरण का आदेश पारित करेगा, जिससे प्रभवित व्यक्ति चेयरमैन के यहां (कमिश्नर) 30 दिन के भीतर अपील कर सकेगा।

यहां यह जानना जरूरी है कि ‘अब्बास अंसारी एन्ड अनोदर बनाम स्टेट ऑफ यूपी एन्ड अदर्श,2020″ में उच्च न्यायालय इलाहाबाद ने व्यवस्था दिया कि कमिश्नर के समक्ष प्रस्तुत अपील में दाखिल स्टे एप्लिकेशन के निस्तारण तक ध्वस्तीकरण का आदेश स्थगित रहेगा। इसके अलावा जिस व्यक्ति के विरुद्ध आदेश पारित किया गया है, उसको ही नोटिस की तामीला समुचित रूप में कराया जाना आवश्यक है।

उल्लेखनीय है कि उक्त कानूनों के पीछे विधायिका की मंशा अवैध निर्मित भवनों के विध्वंस के बजाय भूमि एक्सचेंज एवं शमन (कंपाउंडिंग) द्वारा सेटलमेंट करने की है, सिवाय अपरिहार्य परिस्थितियों के। फिर भी, राज्य प्राधिकारियों द्वारा  जवाबदेही से बचने तथा अपने पॉलिटिकल मास्टर्स को खुश करने और उनकी नजर में खुद को बेहतर अफसर सिद्ध  करने के फिराक में ताबड़तोड़ का करवाई करके सालों साल में बनाये गये आशियाने को ढहा दिया जाता है।

वस्तुतः राज्य की यह भूमिका बदला लेने की कार्रवाई जैसी है क्योंकि किसी अभियुक्त के घर को गिराकर पूरे परिवार को आवास के अधिकार (जो हर व्यक्ति का मौलिक अधिकार है) से वंचित कर दिया जाता है जबकि उदारवादी लोकतंत्र में ‘राज्य’ डॉक्ट्रिन ऑफ पैरेंस पैट्रिया (सभी नागरिकों का अविभावक होता है)।

वर्तमान संवैधानिक लोकतांत्रिक देशों में कहीं भी अपराध के बदले घर गिराये जाने का कोई कानून मौजूद नही है। विशेष अपवादिक परिस्थितियों में जिन कानूनों में ध्वस्तीकरण का प्रावधान कमोबेश है उनका उद्देश्य सिर्फ शहरों-मानव बस्तियों का नियोजित विकास, सार्वजनिक आवागमन का अबाध संचालन तथा नागरिकों स्वस्थ पर्यावरण उपलब्ध कराना है।

(रमेश कुमार इलाहाबाद हाईकोर्ट में वकील हैं।)

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Ghanshyam yadav
Ghanshyam yadav
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5 months ago

Sir mera ghar talab ke kinare bna hua hai or tahseeldar ne 200000 ki notice jari ki hai mai apna ghar girne se kaise bcha sakta hu
Please help me