हिमाचल प्रदेश: बिलासपुर में ग्रामीणों के संघर्ष ने अंबुजा सीमेंट की मनमानी को किया विफल 

‘दिल्ली कूच’ का नारा देकर पंजाब के किसानों को आज दूसरे दिन भी पंजाब-हरियाणा बॉर्डर पर भले ही केंद्र सरकार के क्रूर दमन से दो-चार होना पड़ रहा हो, लेकिन इस शोर-शराबे से दूर हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर और सोलन की सीमा पर, त्रिवेणी घाट में अली खड्ड से बनाई जा रही पेयजल योजना पर पिछले 21 दिनों से चल रहे विवाद में एक नया मोड़ कल देखने को मिला है। यह मामला सीधे-सीधे इस इलाके की 35 पंचायतों और अडानी समूह की अंबुजा सीमेंट प्लांट से जुड़ा है। ग्रामीणों का आरोप है कि इस योजना के निर्मित हो जाने के बाद रोजाना 10 लाख लीटर पानी उठाये जाने की योजना है। यह मामला हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुक्खू तक भी पहुंचा, लेकिन कांग्रेस सरकार भी खुद को बचते-बचाते नजर आ रही थी। 

लोगों का इस बारे में कहना है कि यदि पेयजल योजना का निर्माण कार्य जारी रहा तो यहां जल संकट खड़ा हो सकता है। इस योजना के बनने से बिलासपुर जिले की 24 पेयजल और 7 सिंचाई योजनाएं बंद हो सकती हैं, जिससे 35 पंचायतों के लोगों को पेयजल और सिंचाई सुविधा से वंचित होना पड़ेगा। इसके अलावा, यहां के 15 घराटें भी चलनी बंद हो सकती हैं, जिससे 15 परिवारों का स्वरोजगार भी खत्म हो सकता है। मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन में क्षेत्र की जनता ने इस योजना को तत्काल बंद किये जाने की गुहार लगाई थी। नैना देवी विधानसभा क्षेत्र की प्रभावित पंचायतों के लोग पिछले 20 दिनों से घटनास्थल पर धरने पर बैठे थे, और शांतिपूर्ण ढंग से बिलासपुर जिले और प्रदेश सरकार, विपक्ष और सामाजिक संगठनों से इस मामले में हस्तक्षेप के लिए समर्थन जुटा रहे थे। 

स्थानीय जनता ने अली खड्ड बचाओ समिति का गठन कर बेहद धीरज के साथ इस आंदोलन को अभी तक चलाया हुआ था। मुख्यमंत्री सुक्खू के अलावा श्री नैना देवी से भाजपा के मौजूदा विधायक रंधीर शर्मा भी कल महापंचायत में शामिल होने आये हुए थे। हजारों स्थानीय लोगों में महिलाओं की उपस्थिति भी बड़ी संख्या में बनी हुई थी। पुलिस प्रशासन की निगरानी में जारी यह काम पिछले कई दिनों से लोगों के लिए भारी नाराजगी की वजह बना हुआ था। इसलिए आन्दोलनकारियों और नेताओं के भाषण के बाद भीड़ जब परियोजना का निरीक्षण करने पहुंची तो काम जारी देख विरोध करने लगी।

आज इस बारे में कुछ समाचारपत्रों ने रिपोर्ट जारी की है, लेकिन उसमें यही बताया गया है कि भाषण खत्म होने के बाद भीड़ की ओर से पथराव शुरू कर दिया गया। सोलन के पुलिस अधीक्षक गौरव सिंह के अनुसार, प्रदर्शनकारियों के खिलाफ दंगा करने एवं लोक सेवकों को उनके कर्तव्य में बाधा डालने का मामला दर्ज किया गया है और कुछ नेताओं की पहचान की गई है। पुलिस अधीक्षक के अनुसार, घायलों की चिकित्सकीय जांच की जा रही है और स्थिति अब शांतिपूर्ण और पुलिस की निगरानी में है। 

लेकिन भाजपा विधायक रंधीर शर्मा स्वयं घटना स्थल पर मौजूद थे, और उनका वीडियो स्थानीय सोशल मीडिया में घूम रहा है। इसमें वे साफ कहते देखे जा सकते हैं कि इस मामले में एक कमेटी बनाये जाने बात कही गई थी, लेकिन उसकी रिपोर्ट नहीं आई, पर काम जारी रहा। इससे परेशान होकर स्थानीय लोगों को स्पष्ट लगने लगा कि सरकार दबाव डालकर सकारात्मक रिपोर्ट ही लाने जा रही है। जब लोगों के द्वारा जल शक्ति योजना के कर्मचारियों से जानकारी मांगी जाती थी तो वे कहते थे कि काम बंद है। इसलिए आज जब सारी जनता ने यह तय किया कि काम चल रहा है या नहीं, टैंक बन रहा है पंप हाउस बन रहा है या नहीं, के बारे में मालूमात की जाये तो निरीक्षण करने हम इस खड्ड से पार जा रहे थे, तब सोलन जिला की पुलिस ने जबरदस्ती हमे रोका। हमारे उपर लाठियां चलीं। मेरे माथे और पीठ पर चोट आई, मेरे सुरक्षा गार्ड को मारा गया। मेरे साथ क्षेत्र की अनेक माताओं और बहनों को भी पुलिस ने नहीं बक्शा और लाठीचार्ज किया। 

संघर्ष समिति के अध्यक्ष रजनीश शर्मा के नेतृत्व में जारी इस आंदोलन में स्थानीय भाजपा और कांग्रेस पार्टी दोनों की मजबूत उपस्थिति रही है। अपने आंदोलन को पूरी तरह से गैर-राजनीतिक बनाते हुए रजनीश शर्मा ने इलाके के सभी राजनीतिक शक्तियों को स्थानीय लोगों के समर्थन में गोलबंद होने के लिए मजबूर कर अडानी की ताकत को कहीं न कहीं बड़ी चुनौती देने का काम किया है। वे पिछले एक सप्ताह से इस बारे में चेता रहे थे कि यदि इस कार्य को जल्द से जल्द बंद नहीं किया गया तो आने वाले समय में यह आंदोलन उग्र रूप ले सकता है, जिसकी सारी जिम्मेदारी सरकार की होगी। 

एक अन्य वीडियो में 7 फरवरी के दिन पूर्व मंत्री एवं कांग्रेस पार्टी से विधायक रह चुके रामलाल ठाकुर भी इस मुद्दे पर बिलासपुर के लोगों को संबोधित करते हुए कहते हैं कि अलीपुर खड्ड पर हमारी लगभग 35 पेयजल योजनायें टिकी हुई हैं। हमारी दामी घाटी सिंचाई योजना भी इसी पर आधारित है। इसके साथ ही खड्ड के साथ कुली जमीन में भी कूल के द्वारा पानी दिया जाता है। इससे पूर्व जब स्वर्गीय वीरभद्र सिंह मुख्यमंत्री थे, तब भी गुजरात अंबुजा यहां से पानी चाहता था, जिसे हमने रद्द करवाया था। आज यहां नया बखेड़ा इसलिए खड़ा हुआ है क्योंकि इनके द्वारा 30-35 लाख रुपये में एक जमीन खरीदी गई थी, जिसमें कुछ स्थानीय लोगों का भी स्वार्थ लगता है। उस भूमि की सिंचाई के लिए पानी दिया जा सकता है, लेकिन लोगों को पीने का पानी उपलब्ध कराने के नाम पर अडानी उद्योग समूह सारा पानी अपने सीमेंट प्लांट के लिए हड़पने की योजना बना रहा है। अगर 10 लाख लीटर पानी उठा लेंगे तो बिलासपुर के लोग क्या करेंगे?  जहाँ से पानी उठाना चाहिए वहां से उठाने के बजाय सिर्फ दिखावे के लिए उपर टैंक का ढांचा बनाया जा रहा है।   

बता दें कि बिलासपुर सहित तमाम विधानसभा क्षेत्रों में कांग्रेस और भाजपा के बीच जीत-हार का अंतर बेहद कम है। 2022 में भी कांग्रेस के राम लाल ठाकुर और मौजूदा विधायक रंधीर शर्मा के बीच जीत-हार का अंतर मात्र 180 वोटों का था। यही कारण है कि स्थानीय स्तर पर दोनों दलों के नेता अडानी के विरोध से नहीं चूक रहे, लेकिन राज्य स्तर पर दोनों ही दलों की ओर से कोई शोर नहीं हो रहा। कल की घटना में आम लोगों ने निर्माणाधीन कार्य को ध्वस्त करने के साथ-साथ शटरिंग का सामान नदी में फेंक दिया। देखना है कि क्या राज्य सरकार और विपक्ष में भाजपा अडानी के सीमेंट संयंत्र को यहाँ से पानी लेने से रोकने जा रही है, या फिर किसी न किसी बहाने आम लोगों के लिए कोई नई मुसीबत खड़ी कर सकती है।   

(जनचौक संपादकीय टीम के सदस्य रविंद्र पटवाल की रिपोर्ट।)

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