असम-मेघालय सीमा विवाद कभी भी ले सकता है हिंसक मोड़

गुवाहाटी। 24 अगस्त, 2023 को असम के कार्बी आंगलोंग के तापत गांव में मेघालय की ओर से प्रवेश करने वाले लोगों द्वारा कुछ कार्बी घरों को आग लगा दी गई। यह घटना खंडुली क्षेत्र के आसपास असम-मेघालय सीमा पर होने वाली हिंसक घटनाओं की श्रृंखला का हिस्सा है।

इससे पहले खासी छात्र संघ (केएसयू) ने भी आरोप लगाया था कि कार्बियों ने कुछ झोपड़ियों को जला दिया था और खंडुली के निवासियों को उनके खेत तक पहुंचने से रोका था, जो मेघालय के अधिकार क्षेत्र में है। दूसरी ओर कार्बी लोगों ने कहा है कि मेघालय की तरफ से कार्बी आंगलोंग पर लगातार हमले होते रहे हैं।

यह पहली बार नहीं है कि खासी और कार्बी आपस में भिड़े हैं। 2003 में 4,000 से अधिक जैंतिया ग्रामीणों को कार्बी आंगलोंग के ब्लॉक I में अपने घरों से मेघालय की जैंतिया पहाड़ियों में सहसनियांग भागना पड़ा, जब कार्बी उग्रवादी समूह यूनाइटेड पीपुल्स डेमोक्रेटिक सॉलिडेरिटी ने तीन लोगों की हत्या कर दी।

इसके चलते मेघालय में कार्बी के खिलाफ जवाबी कार्रवाई हुई, जिसमें शिलांग में एक कार्बी के घर में आग लगा दी गई। केएसयू ने शहर में रहने वाले कार्बी लोगों के खिलाफ नौकरी छोड़ने का नोटिस भी जारी किया, जिसके परिणामस्वरूप कई लोग राज्य छोड़कर भाग गए। फिर 25 नवंबर को जैंतिया हिल्स के पोहकिंडोंग गांव में एक कोयला खदान में काम करने वाले तीन मजदूरों का अज्ञात बदमाशों ने अपहरण कर लिया और उनकी हत्या कर दी।

2012 में, खंडुली क्षेत्र के मूसाखिया-लुम्पिरडी इलाके में फिर से झड़पें हुईं, जो पश्चिमी जैंतिया हिल्स के अंतर्गत आता है। झड़प में कई लोग घायल हो गए और कई खासी घर जला दिए गए।

ये हालिया झड़पें असम और मेघालय के बीच चल रही सीमा वार्ता के बाद हुई हैं। कार्बी आंगलोंग में ब्लॉक I और II के अत्यधिक विवादित क्षेत्र, जहां हजारों पनार रहते हैं, वर्तमान में समीक्षाधीन हैं। किसी भी तरह का तनाव बढ़ने से उन पर बहुत बुरा असर पड़ेगा।

असम और मेघालय के बीच 884 किलोमीटर की साझा सीमा को लेकर लंबे समय से विवाद चल रहा है। ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के दौरान अविभाजित असम में नगालैंड, अरुणाचल प्रदेश, मेघालय और मिजोरम शामिल थे। 1972 में मेघालय का गठन 1969 के असम पुनर्गठन (मेघालय) अधिनियम के अनुसार किया गया था। यह अधिनियम एक स्वायत्त राज्य असम से अलग होकर एक भारतीय राज्य के रूप में मेघालय के गठन और मान्यता की पुष्टि करता है।

हालांकि जब सीमाओं की बात आती है तो दोनों राज्यों की अलग-अलग व्याख्याएं होती हैं।

बोरदोलोई समिति ने सिफारिश की थी कि मेघालय में स्थित जयन्तिया हिल्स के ब्लॉक I और II को असम के मिकिर हिल (कार्बी आंगलोंग) जिले में स्थानांतरित कर दिया जाए और मेघालय के गारो हिल्स को असम के गोवालपारा जिले में स्थानांतरित कर दिया जाए।

हालांकि मेघालय ने सिफारिशों को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि वे क्षेत्र उसके अधीन हैं, असम के नहीं। दूसरी ओर असम का कहना है कि मेघालय के पास इस बात के पर्याप्त ऐतिहासिक सबूत नहीं हैं कि यह उनका है।

वहां से दोनों पूर्वोत्तर राज्यों के बीच सीमा विवाद को सुलझाने के लिए कई प्रयास किए गए। 1985 में असम के तत्कालीन मुख्यमंत्री हितेश्वर सैकिया और मेघालय के मुख्यमंत्री कैप्टन डब्ल्यू ए संगमा के नेतृत्व में भारत के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश वाई वी चंद्रचूड़ द्वारा एक समिति का गठन किया गया था, लेकिन उससे कोई समाधान नहीं निकला।

2021 में मुख्यमंत्री कॉनराड संगमा (मेघालय) और हिमंत बिस्वा सरमा (असम) ने कई दौर की बातचीत की। बारह विवादित क्षेत्रों की पहचान की गई- तीन क्षेत्र मेघालय में पश्चिम खासी हिल्स जिले और असम में कामरूप के बीच, दो मेघालय में रिभोई और कामरूप-मेट्रो के बीच, और एक मेघालय में पूर्वी जैंतिया हिल्स और असम में कछार के बीच।

ऐतिहासिक संदर्भ, जातीयता और लोगों की इच्छा पर विचार करने के बाद दोनों राज्यों के बीच एक संयुक्त बयान दिया गया। 29 मार्च 2022 को केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह की मौजूदगी में दोनों मुख्यमंत्रियों के बीच एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए गए। एमओयू में कहा गया कि विवादित क्षेत्र के 36.79 वर्ग किमी में से असम को 18.46 वर्ग किमी और मेघालय को 18.33 वर्ग किमी का पूर्ण नियंत्रण मिलेगा।

(दिनकर कुमार स्वतंत्र पत्रकार हैं और सेंटिनल के संपादक रहे हैं।)

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