मिजोरम विधानसभा चुनाव 2023: कुकी-ज़ोमी विस्थापितों और चिन शरणार्थियों के मुद्दे पर राजनीतिक दलों में तकरार

नई दिल्ली। मिजोरम विधानसभा चुनाव में मणिपुर हिंसा में विस्थापित कुकी-जो समुदाय का मुद्दा महत्वपूर्ण बनता जा रहा है। राज्य में 12 हजार से अधिक कुकी समुदाय के लोग रह रहे हैं। वहीं म्यांमार में मिलिट्री ऑपरेशन के कारण भागकर आए सैकड़ों की तादाद में चिन शरणार्थियों का मुद्दा भी काफ़ी चर्चा में है। दरअसल मिजो नेशनल फ्रंट (MNF) का मानना है कि उनकी सरकार ने जिस कदर चिन, कुकी-ज़ोमी शरणार्थियों और उनके बच्चों की मदद की है उसके बदले उन्हें यहां के मतदाताओं का समर्थन मिलेगा। मिजोरम की 40 विधानसभा सीटों पर 7 नवंबर को चुनाव होगा और परिणाम 3 दिसंबर को आयेगा।

सत्तारूढ़ मिजो नेशनल फ्रंट कुकी-जो और चिन समुदाय का मुद्दा उछाल कर एक बार फिर सत्ता हासिल करना चाहती है। लेकिन पांच साल पुरानी क्षेत्रीय पार्टी जोराम पीपुल्स मूवमेंट (ZPM) ने एमएनएफ के दावे को खारिज कर दिया है। पूर्व सांसद लालदुहोमा ने कुकी-जो समुदाय पर अकेले मिजो नेशनल फ्रंट का दावा नहीं है। सरकार ने विस्थापितों के लिए कोई काम नहीं किया है।

लालदुहोमा पूर्व आईपीएस अधिकारी हैं, जो दल-बदल विरोधी कानून के तहत अयोग्य घोषित होने वाले पहले सांसद बने। लालदुहोमा जेडपीएम का मुख्यमंत्री पद का चेहरा हैं। चुनावी विश्लेषकों की माने तो राज्य में किसी पार्टी को स्पष्ट बहुमत नहीं मिलने जा रहा है। कांग्रेस की हालत भी बहुत अच्छी नहीं है वहीं जेडपीएम सत्तारूढ़ एमएनएफ को चुनौती दे रही है। लालदुहोमा ने सत्तारुढ़ पार्टी एमएनएफ पर आरोप लगाया है कि मणिपुर के विस्थापित कुकी-ज़ो लोगों के मुद्दे पर सरकार ने कुछ तय-शुदा काम नहीं किया है। 

लालदुहोमा मिजोरम में मतदाता एमएनएफ को खारिज करेंगे क्योंकि उन्होंने भाजपा के साथ गठबंधन करके इसकी पहचान को कमजोर कर दिया है।

लोग एमएनएफ को क्यों खारिज करेंगे?

पूरे मिजोरम में बदलाव की हवा चल रही है क्योंकि एमएनएफ शासन के दौरान लोग बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार और भाई-भतीजावाद से तंग आ चुके हैं। राज्य वित्तीय संकट का सामना कर रहा है, उसके बावजूद मुख्यमंत्री ज़ोरमथांगा के कुछ करीबियों को सभी अनुबंध और आपूर्ति मिल रही है। यहां तक कि एमएनएफ पार्टी के कार्यकर्ता भी उनसे खुश नहीं हैं, लोगों ने लंबे समय से सत्ता में रहे एमएनएफ और कांग्रेस को काफी पसंद किया है।

आपको जेडपीएम की जीत के प्रति क्या आश्वस्त करता है?

जेडपीएम के 40 उम्मीदवारों में से 33 नए चेहरे हैं जिनके पास प्रशासन, भूमि सुधार और आर्थिक विकास की नई प्रणाली के लिए नए विचार हैं। पार्टी ने हैंड-होल्डिंग नीति के माध्यम से किसानों, महिलाओं की मदद करने और युवाओं के कौशल को विकसित करने का वादा किया है। जेडपीएम ने भाजपा के साथ गुप्त समझौते के आरोपों से इनकार करते हुए कहा कि भाजपा और कांग्रेस एक तरह की पार्टी है। हमने देखा है कि कैसे कांग्रेस और भाजपा 2018 में हमारे राज्य में चकमा स्वायत्त जिला परिषद बनाने के लिए एक साथ आए थे। जेडपीएम एक वास्तविक क्षेत्रीय और राष्ट्रीय दृष्टिकोण वाली पार्टी है।

क्या कुकी एकीकरणके मुद्दे पर एमएनएफ ने बनायी बढ़त 

एमएनएफ इस मुद्दे पर एकाधिकार नहीं कर सकता है। खासकर से इसमें मणिपुर के विस्थापित कुकी-ज़ो लोग शामिल हैं, जो जातीय रूप से मिजोरम के बहुसंख्यक मिज़ो से संबंधित हैं। सिर्फ इसलिए कि एमएनएफ सरकार में हैं और उनके पास अधिक संसाधन हैं।

सभी राजनीतिक दल, गैर सरकारी संगठन, चर्च और अन्य संगठन विस्थापित कुकियों के बारे में समान रूप से चिंतित हैं और उनकी देखभाल कर रहे हैं। यह एक मानवीय मुद्दा है और इसका राजनीतिक लाभ लेना गलत है। हम सभी एक एकल प्रशासन चाहते हैं, जो संविधान के अनुच्छेद 3 के तहत स्वीकार्य है।

(द हिंदू की खबर पर आधारित)

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