सीएम भूपेश बघेल का सवाल-छत्तीसगढ़ के प्राकृतिक संसाधनों पर हमारा हक या फिर अडानी का?

नई दिल्ली। छत्तीसगढ़ विधानसभा के चुनावी प्रचार में सत्तारूढ़ कांग्रेस और विपक्षी भाजपा में आरोप-प्रत्यारोप का दौर शउरू हो गया है। कांग्रेस की तरफ से मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने विपक्ष को चित करने के लिए कमर कस ली है। उन्होंने भाजपा शासनकाल में राज्य के प्राकृतिक संसाधनों को कॉर्पोरेट के हवाले करने का आरोप लगाया है।

रविवार को राजनंदगांव में एक रैली को संबोधित करते हुए सीएम भूपेश बघेल ने कहा कि पिछली भाजपा सरकार के दौरान मुख्यमंत्री रहे रमन सिंह ने प्रदेश का सारा प्राकृतिक संसाधान और खदानें अडानी समूह को सौंप दिया। अब मोदी सरकार हर संभव कोशिश कर रहा है कि कैसे छत्तीसगढ़ के सारे संसाधान को अडानी को दे दिया

कांग्रेस ने छत्तीसगढ़ विधान सभा चुनाव को राज्य को अडानी समूह से बचाने के संघर्ष के रूप में लोगों के सामने पेश किया है। उन्होंने सीधे प्रधानमंत्री मोदी पर निशाना साधने की बजाय अडानी पर निशाना साधते हुए संघ-भाजपा सरकार को घेरने की रणनीति बनाई है।

रविवार को बघेल ने इस रणनीति को एक-दो सवाल के साथ जनता के समक्ष रखा। उन्होंने सवाल किया कि , “राज्य हमारा है या अडानी का?” राजनंदगांव में राहुल गांधी के साथ एक रैली को संबोधित करते हुए, बघेल ने कहा कि “सवाल यह है कि राज्य हमारा है या अडानी का? क्या यह राज्य छत्तीसगढ़ के लोगों का नहीं है? “क्या हमारे पास जो संसाधन हैं वो हमारा होना चाहिए या अडानी का? अब क्या करना है। छत्तीसगढ़ को बचाना है कि छत्तीसगढ़ को बेचना है?”

उन्होंने आगे कहा कि “दो रास्ते हैं, एक रास्ता राहुल गांधी द्वारा निर्धारित, जो गरीबों के लिए काम करना चाहते हैं और एक नरेंद्र मोदी द्वारा रखी गई, जो अडानी के लिए काम करते हैं।”

बघेल ने कहा कि छत्तीसगढ़ की पिछली रमन सिंह सरकार और केंद्र ने कई खदानें अडानी को सौंप दी थीं। उन्होंने केंद्र पर आरोप लगाते हुए कहा कि “वे किसी तरह सत्ता हथियाने और बचे हुए प्राकृतिक संसाधनों को अडानी को सौंपने के लिए मेरे खिलाफ निंदा अभियान चला रहे हैं।”

वह हर बैठक में छत्तीसगढ़िया गौरव का आह्वान करते हैं और केंद्र सरकार का राज्य के प्रति एक आक्रामक रुख को पेश करते हैं। उन्होंने कहा कि गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में, मोदी ने केंद्र को दमनकारी “दिल्ली सल्तनत” के रूप में चित्रित करते हुए गुजराती अभिमान के साथ खिलवाड़ किया था।

बघेल अब अपनी चुनावी रणनीति के तहत “भाजपा को अमीरों के समर्थक के रूप में पेश कर रहे हैं और कल्याणकारी राजनीति के खिलाफ मोदी की विचारधारा को उजागर कर रहे हैं।” और इसमें राहुल और मल्लिकार्जुन खड़गे पूरक दिखे हैं।

छत्तीसगढ़ में रविवार की रैली में राहुल ने कहा कि “केंद्र सरकार ने अमीरों द्वारा लिए गए 14.50 लाख करोड़ रुपये के कर्ज माफ कर दिया हैं। क्या भाजपा सरकार ने किसी राज्य में किसानों का कर्ज माफ किया है?”

राहुल ने अडानी के प्रति मोदी के प्यार को उजागर करते हुए कहा कि “मोदी 24 घंटे अडानी-अडानी-अडानी करते रहते हैं। खदानें, बंदरगाह, हवाई अड्डे…सब कुछ अडानी को देना चाहते हैं। अडानी की मदद के लिए कानून बनाए गए हैं। निरस्त हो चुका कृषि कानून उसका एक उदाहरण है।” “लोगों को फैसला करना है, बचाने वाली सरकार चाहिए या बेचने वाली सरकार।”

कांग्रेस के पिछले चुनावी अभियान के बारे में बताते हुए राहुल गांधी ने कहा कि “क्या हमने 2018 में कोई ऐसा वादा किया था जो पूरा नहीं हुआ है? हम लोग सुबह एक खेत में गये। कृषि श्रमिकों ने कहा कि राजीव गांधी न्याय योजना के तहत उन्हें हर साल मिलने वाले 7,000 रुपये बहुत कम हैं। हमने तुरंत राशि बढ़ाकर 10,000 रुपये करने का फैसला किया।”

राहुल गांधी ने छत्तीसगढ़ के किसानों के हित में हुए कुछ सफल अभियानों का जिक्र करते हुए एक्स पर पोस्ट किया था कि “छत्तीसगढ़ के किसानों के लिए कांग्रेस सरकार के 5 सबसे बेहतरीन काम, जिन्होंने उन्हें भारत में सबसे खुशहाल बनाया, धान पर एमएसपी ₹2,640/क्विंटल, 26 लाख किसानों को ₹23,000 करोड़ की इनपुट सब्सिडी, 19 लाख किसानों का ₹10,000 करोड़ का कर्जा माफ, बिजली का बिल आधा और  5 लाख कृषि मजदूरों को ₹7,000/वर्ष एक ऐसा मॉडल जिसे हम पूरे भारत में दोहराएंगे।”

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