ग्राउंड रिपोर्ट: देवरिया में जबरन भूमि अधिग्रहण के खिलाफ 32 गांवों के किसान विरोध में उतरे

देवरिया। यूपी के पूर्वांचल का हिस्सा है देवरिया। जहां के किसान धान व गेहूं की पारंपरिक खेती के सहारे ही अपने कल के बेहतर जीवन के सपने बुनते हैं। सघन आबादी के चलते कमोबेश सभी किसान छोटे जोतदार हैं। इनमें से किसान कम खेतिहर मजदूरों की संख्या ही अधिक है। ऐेसे में घर के नौजवान रोजी-रोटी के तलाश में बड़े शहरों की ओर पलायन कर गए हैं। ऐसे ही परिवार व उनके घर के मुखिया गांव में नजर आयेंगे, जो बाहर जाने में लाचार हैं। इन परिस्थितियों में जीवन गुजार रहे किसानों की अगर जमीन ही छीन ली जाए तो यह किसी वज्रपात से कम नहीं है। ऐसा ही होते देख परेशान किसानों ने जमीन बचाने की लड़ाई शुरू कर दी है।

विकास का पैमाना अब लोगों के जीवन में खुशहाली लाने के बजाए सरकार की नजरों में चमचमाती चौड़ी सड़कें व उन पर फर्राटा भरते महंगे चारपहिया वाहन, हरियाली व झुग्गी झोपड़ियों को उजाड़कर गगन चुंबी इमारतों को तैयार करना रह गया है। ऐसी ही कोशिश देवरिया में भी होती नजर आ रही है। शहर को जाम से निजात दिलाने के लिए सरकार ने बाईपास मार्ग के निर्माण की आधारशिला रखी है।

इससे प्रभावित हो रहे किसानों की नब्ज टटोलने के लिए जब जनचौक के संवाददाता ने उनसे संपर्क किया। बात करते हुए उनका दर्द उनकी आंखों में दिख रहा था। प्रभावित गांव पकड़ी के जब्बार, लालबचन, प्रभु, जई, रामाधार दास का कहना था कि खेती के नाम पर एक- दो कठ्ठा से लेकर बीघा भर जमीन है। जिसे जोत बोकर किसी तरह कुछ फसल उगाते हैं।

हालांकि इससे वर्षभर की जरूरतें नहीं पूरी होती हैं। ऐसे में दूसरे के खेतों में काम करने के साथ ही निर्माण कार्यों में मजदूरी करनी पड़ती है। बाईपास सड़क निर्माण के नाम पर जबरन जमीन छीन ली जा रही है। इसको लेकर किसानों से कोई सहमति भी नहीं ली गई। जबरन खेतों में पत्थर गाड़कर सीमांकन कर दिया गया। ऐसे में विरोध प्रदर्शन के अलावा अपनी मांगों को पूरा कराने का कोई रास्ता नहीं है।

आंदोलित किसान कहते हैं कि वर्ष 2018 के सर्किल रेट के चार गुणा कीमत देने की बात प्रशासन कर रहा है। जबकि सड़क निर्माण को लेकर जब प्रस्ताव वर्ष 2023 में तैयार किया गया, तो मौजूदा समय के अनुसार सर्किल रेट तय किया जाना चाहिए। तय रेट के अनुसार चारगुणा कीमत दिया जाना चाहिए। इससे कम पर हम किसान किसी भी कीमत पर अपनी जमीन नहीं देंगे। हालांकि इनके मन में जमीन छिन जाने का भय भी है। सकीला व रामदेई देवी कहती हैं कि हम जमीन बचाने के लिए आंदोलन से पीछे नहीं हटेंगे।

अधिग्रहित जमीन में एक महिला

हकीकत यह है कि योगी सरकार किसानों को उजाड़कर विकास का मॉडल तैयार करने में लगी है। जाम से निजात के लिए चौड़ी सड़कों के निर्माण की योजना किसानों को भूमिहीन कर देनेवाली है। ये आरोप लगा रहे किसान लंबे समय से आंदोलनरत हैं। अब अपने आंदोलन को जनअभियान का हिस्सा बनाने के लिए उन्होंने विस्तृत कार्ययोजना तैयार की है।

देवरिया के बैतालपुर कस्बा के थापर इंटर कालेज में 2 जुलाई को किसानों का जमावड़ा रहा। भूमि बचाओ संघर्ष समिति के परामर्शदात्री कमेटी की बैठक में किसानों ने अपने आंदोलन की अगली रूपरेखा तय की। किसानों ने एक स्वर में पारित अपने प्रस्तावों में कहा कि मौजूदा बाजार मूल्य के चारगुणा से कम जमीन का दाम हम किसी भी हाल में नहीं लेंगे। प्रत्येक किसानों को अधिग्रहित हो रही भूमि का व्यौरा व शर्त के अनुसार मिलनेवाली जमीन की धनराशि का लिखित रूप से आगणन पहले दिया जाय।

साथ ही जिन किसानों के मकान सड़क निर्माण के जद में हैं, उनके पुनर्वास का इंतजाम किया जाए। 20 जुलाई तक उक्त मांगों पर प्रशासन के तरफ से सहमति नहीं मिली तो किसान अपने आंदोलन को जनता का अभियान बनाने का कार्य करेंगे। इसको लेकर आम किसानों सहित जनप्रतिनिधियों तक अपनी मांगों को ले जाते हुए व्यापक समर्थन की मुहिम चलाई जायेगी।

संघर्ष समिति की अगुवाई कर रहे अजीत कुमार त्रिपाठी ने कहा कि एनएच 727 ए मुंडेरा से सिरजम देवरिया बाईपास की जद में सैकड़ों किसानों की जमीन आ रही है। इसमें कई छोटे किसान भूमिहीन हो रहे हैं। जिनके जीने का एकमात्र साधन खेती है। वह अपनी जमीन का बाजार भाव के हिसाब से सर्किल रेट निर्धारित कर चार गुणा मुआवजा मांग रहे हैं। यह पहली बार हुआ है कि कास्तकारों की जमीन पर प्रस्तावित सड़क के निर्माण के लिए किसानों की सहमति के बिना पत्थर गड़वाकर सीमांकन करवा दिया गया है।

इससे किसानों में आक्रोश है। जब तक सहमति बन नहीं जाती, तब तक हम लोग सहमति पत्र पर हस्ताक्षर नहीं करेंगे और ना ही सड़क का निर्माण होने देंगे। जिन कास्तकारों के मकान गिराए जाने हैं उन्हें पुनर्वासित किया जाए।

बाईपास निर्माण की जद में  987 किसानों की जमीन

एनएच 727 ए मुंडेरा से सिरजम देवरिया बाईपास की जद में एक आकलन के मुताबिक 987 किसानों की भूमि जा रही है। खास बात यह है कि यह निर्णय लेने के पूर्व किसानों से कोई सहमति नहीं ली गई। किसानों की मंजूरी के बिना ही उनके खेतों में पत्थर गाड़कर सड़क का सीमांकन कर दिया गया है। इसको लेकर किसानों में अधिक नाराजगी है। ऐसे दर्जनों गांव हैं, जहां के आबादी के करीब से यह सड़क निकल रही है। जिसमें देवरिया मिर, सुकरौली, पकड़ी बुजुर्ग, पकड़ी खुर्द, रामपुर, गोबराई खास, धनौती खास, धनौती खुर्द, मुड़ेरा खुर्द, इटवा, गोड़री, संझवा, भीमपुर, भगौतीपुर प्रमुख रूप से शामिल है।

32 गांवों के किसान हो जायेंगे भूमिहीन

पूर्वांचल के इस हिस्से में किसानों के आय का एक मात्र साधन खेती ही है। इसमें भी धान व गेहूं जैसे फसलों की पारंपरिक खेती पर ही निर्भरता है। सघन आबादी क्षेत्र व छोटे जोतदारों की संख्या सर्वाधिक है। लिहाजा एक- दो कठ्ठे से लेकर एक बीघा तक ही अधिकांश किसानों की भूमि है। ऐसे में खेतीहर मजदूर की संख्या यहां सर्वाधिक हैं। जिनके लिए सड़क के नाम पर सरकारी फरमान के मुताबिक भूमिहीनों की श्रेणी में शामिल होना किसी अभिशाप से कम नहीं हैं। सड़क में 32 गांवों के किसानों की भूमि ली जा रही है। जिनमें से तकरीबन ऐसे 150 किसानों संख्या है। जिनकी जमीन चले जाने पर वे भूमिहीन हो जायेंगे। सैकड़ों की संख्या में किसानों के रिहायशी मकानों को भी ध्वस्त किया जाएगा।

अधिग्रहण के अन्तर्गत एक गांव की जमीन

जाम से निजात का हो वैकल्पिक रास्ता

देवरिया में लगनेवाले जाम से निजात के लिए बाईपास निर्माण के प्रस्ताव का विरोध करते हुए पूर्व विधायक दीनानाथ कुशवाहा ने कहा कि किसानों के साथ अन्याय किया जा रहा है। बिना उनकी जानकारी के जमीन पर पत्थर गाड़ दिया गया है। बाइपास की जगह पर कम खर्च में शहर में फ्लाई ओवरब्रिज बनाया जा सकता है। उमाशंकर लाल श्रीवास्तव ने बताया कि बाइपास मार्ग किसानों की कमर तोड़ देगा। माल गोदाम अगर अहिल्यापुर में शिफ्ट हो जाए तो जाम अपने आप समाप्त हो जाए।

ये गांव जुड़ जाएंगे बाईपास मार्ग से

बाईपास सड़क से ये गांव जुड़ जाएंगे जैसे मुंडेरा, सुकरौली, अहिलवार बुर्जुग और खुर्द, धनौती, कचुआर, देवरिया मीर, चकरवा धूस, घटैलागाजी और चेती, पकड़ी बुजुर्ग, पगरा परसिया, रामपुर खुर्द, कुसम्हा वेलवा, गोबराई, धनौती खास, पोखरभिंडा, भगौतीपुर, गौरा, भीमपुर, परसा बरवां, जैतपुरा, मुंडेरा, बांसगांव बुजुर्ग, धतुरा, बरारी, सझवा, बलुआ, बैतालपुर, गुड़री, इटवा, आदि परंतु यहां के किसान अपनी जमीन देने को तैयार नहीं।

पूर्व जिला पंचायत सदस्य अरविंद सिंह का कहना है कि जब तक किसानों की समस्या का निदान नहीं हो जाता है तब तक सड़क का निर्माण नहीं होने दिया जाएगा। भारतीय किसान यूनियन के विनय सिंह कहते हैं कि किसानों को उजाड़ने की यह साजिश है। इसे हम कभी सफल नहीं होने देंगे। इसके लिए हर कीमत चुकाने को तैयार रहेंगे। आंदोलन की अगुवाई करनेवालों में डॉ. राजीव मिश्र, अजय मणि, अनिल सिंह, आदि शामिल हैं।

( यूपी के देवरिया से जितेंद्र उपाध्याय की रिपोर्ट)

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Pankaj
Pankaj
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2 months ago

दिनांक 25-2-2024 हमारे गांव रामपुर खुद मे कुछ अधिकारी आए थे ओर बाईपास NH 727 ए सम्बन्ध मे ।बिना कुछ बातें खेतो मे लगे पिरल से पेमाईश किए कुछ समय बाद पिरल ईधर -उधर किया और चले गए कृपया इस सम्बन्ध मे कुछ जानकारी हासिल कर लोगो को बताई आप का आभार रहा गए/